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Saturday 21 September 2013

गांड मारने या मराने वालो के लिए वरदान..........बिना दर्द के गांड मारिये

गांड मारने या मराने वालो के लिए वरदान..........बिना दर्द के गांड मारिये

मित्रों किसी को मैंने गुदा मैथुन के बारे में बतया था वो यहाँ पोस्ट कर रहा हू

शायद किसी के काम आ जाये जैसा
की आप चाहती हैं की आप गुदा मैथुन करें वो भी बगार दर्द के तो ये संभव नहीं दर्द कम किया जा सकता है खतम तो नहीं क्योको गुदा अलग कामके लीये बनी है और योनी अलग काम के लीये
दर्द कम करने क तरीका में आप को बता देता हू

मैथुन से पूर्व कीसी अची कोल्ड करें को अपने साथी को एक ऊँगली पर मोती परत लगाने को कहें और वो वो उंगली धीरे धीरे अपनी गुदा में डालने को कहें और आप भी अपनी गुदा पर बहार की तरफ जोर लगाये जैसे मल विसर्जन के टाइम लगते है पर आपके साथी के नाखून कटे होने चेयेन नहीं तो आपको तकलीफ हो सकती है शुरू में जब उंगली अंदर जायेगी तो आपको थोरी तकलीफ होगी धीरे धीर जब एक उंगली अंदर जाने लगे तो साथी से २ उन्गालितन एक साथ डालने को कहे पर करें लाटर उँगलियों पर लगेते रहे और उंगलिय आगे पीछे करते रहे जब दो क दर्द खर्तम हो जाये और उंगिलयां आराम से अंडर बहार होने लगे तो यही प्रक्रिया तिन उंगलिओं के साथ दोहराएँ जब ३ उंगलियां से दर्द खतम हो जाये तो लिंग पर करें आचे से लगा ले और आप पीठ के बकल लेट जाएँ जैसे योनी में डलवाते हुये लेते है और गुदा में लिंग क प्रवेश करवाएं जब आपका साथी अंडर को धक्का मारे तो आप अपनी गुदा पर बहार की तरफ जोर लगाये जैसे मल विसर्जन के टाइम लगते है

लिंग आराम से योनी में प्रवेश कर जायेगा और ज्यादा दर्द भी नहीं होगा पर ध्यान रहे उँगलियों वाली प्रक्रिया कम से कम भी .५ घंटे या गुदा के पूरी तरह मुलायम होने तक करें

आगर कही कुछ संसय हो या आप कुछ पूछना चाहे तो निसंकोच संपर्क कर सकती है या ओं लाइन होने पर बात भी हो सकती है 

स्तों क्या आपको गुदामेथुन में दर्द से परेशानी होती है . . . .अब सब भूल जाइये

पहले में भी गांड मरवाने में कतराती थी
ये तरीका मेरी एक सहेली (जो की एक डॉक्टर है ) ने मुझे बताया था . . . . . तो मेने इसे अपनाकर गांड मरवाई . . सच मजा आ गया . .दर्द बिलकुल गायब हो गया

दोस्तों ये एक तरीका है जिसे अपनाकर गांड को खूब चोडा किया जा सकता है
वो भी बिना किसी दवा और दर्द के . . . . . . और तो और बिना किसे खर्च के . . .
जी हां ये बिलकुल फ्री है . . . .

Saturday 14 September 2013

महिला को तृप्त करने के तरीके,full injoy in sex

महिला को तृप्त करने के तरीके

जी-स्पॉट खोजना





अगली चीज जो आप अपने हाथों से कर सकते हैं वह है उसका जी-स्पॉट खोजना . शुरुआती दौर में यह काफी कठिन होता है लेकिन यदि धैर्य के साथ यह किया जाय तो आगे जाकर यह काफी आनंद देता है.
इसके लिये उसे पेट के बल लिटा दें और उसके नितंब के नीचे तकिया लगा दें. उसके योनि की बाह्य दीवार से सटाते हुए अपनी दो उंगलियां अंदर डालें. योनिद्वार से गर्भाशय द्वार के बीच की दूरी के एक तिहाई हिस्से पर हस्त क्रिया के दौरान उसे काफी आनंद की अनुभूति होती है. इस जगह सहलाएं और उसकी प्रतिक्रिया (reaction) देखें. इस क्षेत्र के आस-पास दबाव के साथ स्ट्रोक और मसाज करते रहें और यह तब तक करते रहें जब तक कि वह बस न कह दे या उत्कर्ष की स्थिति में न आ जाए. साथ ही उससे यह पूछे की किस जगह पर उसे चरम उत्तेजना मिल रही है. गौर करेंगे कि जहां उसे चरम उत्तेजना मिल रही है वह स्थान योनि दीवार की अन्य जगहों को अपेक्षा थोड़ा कठोर होगा, यही उसका जी-स्पॉट होगा. लेकिन यह भी बता देना जरूरी है कि यह जरूरी नहीं है कि सभी महिलाओं को यह जगह आनंददायक लगे या चरम उत्तेजना प्रदान करे. इस लिये सलाह है कि हमेशा इस बात पर ध्यान दें कि वह क्या कहती है और उसकी क्या प्रतिक्रिया है.

मुंह का प्रयोग



ज्यादातर भारतीय इस क्रिया को पसंद नहीं करते . फिर भी आधुनिक पीढ़ी के कुछ युवा इस क्रिया को आजमाते है. उनके लिये — इस दौरान संपूर्ण भग क्षेत्र को चूमा, चाटा और चूसा जा सकता है. भग क्षेत्र से चूमने की शुरुआत उसके भगशिश्न से करें. और जैसे-जैसे उत्तेजना बढ़ती जाती है क्रमशः अंदर जाते जाएं. यह पता करें कि उसके किस क्षेत्र में किस तरीके से मुख द्वारा किए गए खिलवाड़ में ज्यादा मजा और उत्तेजना आती है.
बाह्य भगोष्ट( outer lips) चूसा और चाटा जा सकता है. योनिद्वार चूमा और चाटा जा सकता है. भगशिश्न चूमा और चाटा जा सकता है, लेकिन कभी काटने का प्रयास भी न करें. आप चाहें तो योनिद्वार को चारों ओर जीभ द्वारा खिलवाड़ कर सकते हैं वह भी वास्तविकता में बगैर अंदर किये. लेकिन इस क्रिया से सबसे महत्वपू्र्ण है कि इस दौरान पूरा भग क्षेत्र अच्छे से साफ होना चाहिये. यौन क्रिया के पूर्व जननांगों को अच्छे से धो लेना चाहिये.
इसके अलावा भी लिंग की सहायता से कई आनंददायी तरीके हैं जो कुछ समय के लिये संभोग को रोक सकते हैं.


■ शुरुआत करे, उसकी योनि को ध्यान न देते हुए अपने लिंग का प्रयोग उसके शरीर में रगड़ने में करें ताकि उसका शांत शरीर तरसने लगे . उसे स्तनों पर रगड़े, निप्पल के चारों ओर फिराएं, फिर धीरे-धीरे रगड़ते हुए नाभि की ओर बढ़े जब तक कि आप उसके गुप्तांग तक न पहुंच जाएं.
■ अब आप उसकी जांघों के बीच अपना लिंग रगड़ें, फिर उसके भग क्षेत्र में रगड़े, फिर उसके भगशिश्न पर रगड़ें और अंत में योनि द्वार में रगड़ें.
■ अब अपना लिंग कुछ सेंटीमीटर ही अंदर डालें फिर इसे किनारे किनारे ही थोड़ा बढ़ाएं . फिर इसे धीरे – धीरे अंदर बाहर करें. और तब तक गहराई में प्रवेश न करें जब तक कि वह आपको जोर देकर अंदर डालने को न कहे.

इसके अलावा भी कई तरीके हैं. और कई तरीके आपके द्वारा मजाकिया तौर पर प्रयुक्त भी किये जा सकते हैं. हर युगल लगभग तौर पर यह जानता है कि क्या उसके लिये आनंददायी है और क्या नहीं. पर चिकित्सकीय अनुभव बताता है कि कई लोग उत्तेजना के तरीके ढूढ़ते हैं, लेकिन यह आप पर निर्भर करता है कि आप स्वयं परीक्षण करके निश्चित करें कि क्या आपके लिए बेहतर रहेगा साथ ही यह खोजें कि किसमें आपको ज्यादा आनंद मिलेगा. कई बार व्यक्ति विशेष पर यहां बताई गई बातें लागू नहीं होती, क्योंकि उत्तेजना के लिये कई कारक जिम्मेदार होते हैं जिनमें समय, स्थान , शारीरिक संरचना और पार्टनर की रुचि आदि शामिल है.
आप अपने पार्टनर को कई अन्य तरीकों से उत्तेजित कर सकते हैं . जिनमें आप उसके पेट पीठ को रगड़ते हुए नीचे आएं, उसे उत्तेजित करने उसके निचले हिस्से और भग को रगड़ सकते हैं, अपना पांव उसकी जांघों के बीच रखकर उसके भग क्षेत्र को रगड़कर भी उत्तेजित कर सकते हैं. आप उसे अपनी जांघों के उपर बैठा कर घुड़सवारी का मजा दिलाते हुए उसके निचले क्षेत्र और भग को अपने शरीर की सहायता से उत्तेजित कर सकते हैं. एसे ही कई कभी खत्म न होने वाले तरीके हैं बस आप स्वयं प्रयोग करके खोजने का प्रयास करें. इससे आपको ज्यादा आनंद आएगा.
हाथों का प्रयोग करें




महिलाओं के लिये हाथ द्वारा उत्तेजना का सबसे प्रचलित और आनंददायी तरीका उसके भग (vulva) को दुलारना और सहलाना है.
शुरुआत उसकी जांघों के ऊपरी हिस्से से करें और उसके पूरे भग क्षेत्र में काम करें. योनि के निचले हिस्से को आराम से सहलाएं फिर उसकी जांघों और उसके पेरिनियम (गुदा द्वार और गुप्तांग के बीच का क्षेत्र ) को सहलाएं . फिर धीरे-धीरे उसके भगशिश्न (clitories) और योनि की ओर जाते जाएं. अपनी उंगलियों को उसके बाह्य भगोष्ठ (upper lips) पर ऊपर से नीचे फिराते हुए सहलाएं. इस दौरान उसे आराम से अंगुलियों और अंगूठे से दबाएं. इसके साथ ही यह सहलाने की प्रक्रिया धीरे-धीरे अंदर की ओर करते जाएं , इस दौरान यह ध्यान रखें की आपकी कौन सी हरकत उसे ज्यादा आनंद दे रही है, उस क्षेत्र के पास ज्यादा ध्यान दें .

देखें और सीखें
प्रत्येक महिला का उसके भग शिश्न की उत्तेजना का अपना तरीका होता है. यह तभी सीखा जा सकता है जब पुरुष उसे स्वयं के द्वारा हस्त क्रिया द्वारा उत्तेजित होते हुए देखे या फिर स्वयं महिला द्वारा उसे बताया जाय कि किस तरीके से उसे उत्तेजना तीव्रता और आनंददायी तरीके से आती है. फिर पुरुष उसके बताए तरीके का प्रयोग करे. यदि उसे स्वयं उत्तेजित होते हुए देखते हैं तो निम्न बातों को नोट करते जाएं-
■ उसके द्वारा प्रयुक्त किये गए स्ट्रोक (सहलाने ) की वास्तविक लंबाई.
■ भगशिश्न का कौन सा हिस्सा उसका पसंदीदा है. ( कई महिलाओं में यह हिस्सा उत्तेजना के साथ-साथ परिवर्तित होताजाता है )
■ उसके द्वारा सहलाने की कौन सी गति प्रयुक्त की जाती है ( कई महिलाओं में यह अलग -अलग होती है)
■ सहलाने के दौरान वह कितने दबाव का प्रयोग करती है.
■ उत्तेजना के दौरान वह कहां से शुरुआत और खत्म करती है या लगातार जारी रखती है.
■ अपनी योनि में किस समय वह अपनी उंगली या उंगलियां डुबोती है, और वह कैसे स्निग्धता बरकरार रखती है.
■ इस दौरान अपने शरीर के किस हिस्से को उत्तेजित करती है या सहलाती है.
■ जब वह उत्कर्ष के निकट होती है तो कौन से लक्षण होते हैं.


यदि उपरोक्त में ज्यादातर चीजें आप जान जाएंगे तो आप उसे बेहतरीन उत्तेजना देने में सफल होंगे जो वह चाहती है. कई महिलाएं हस्त उत्तेजना के दौरान अपने स्तन, निप्पल और शरीर के अन्य अंगों को सहलाना और दबाना पसंद करती हैं. इस दौरान वे इस बात का खास ख्याल रखती हैं कि जब एक हाथ जब इधर व्यस्त है तो दूसरा हाथ उसके भग क्षेत्र या भगशिश्न पर हो. इस दौरान वे आनंदानुभूति की किसी चीज को खोना नहीं चाहतीं. इसलिये अपने पार्टनर से बेहिचक पूछें की किसमें उसे ज्यादा मजा आता है. यदि वह बताने में अक्षम हो तो उसके हर अंग को सहलाकर पूछें कि किस जगह उसे सर्वाधिक आनंद आ रहा है और किस जगह में नहीं.
अगले कदम में आप अपनी उंगलियों से उसके योनिद्वार को फैलाएं(खींचे) . इस दौरान आपकी उंगलियां उसके स्त्राव से निकले द्रव या आपकी लार या थूक से पूर्ण स्निग्ध होनी चाहिये . इसके पश्चात ही आप एक उंगली अंदर डालें, फिर दो उंगलियां उसके योनिद्वार में प्रवेश कराएं. फिर उंगलियों को योनिद्वार के आसपास ही फिराएं. न कि शुरुआत में ही गहराई में प्रवेश कराएं. जब तक कि वह अच्छी तरह उत्तेजित न हो जाए तब तक वहां शांति पूर्ण तरीके से धीरे धीरे रगड़ें. फिर तब तक और उंगलियां डालते जाएं जब तक कि वह बस न कह दे. फिर पूरी हथेली धीरे-धीरे घुमाएं. अब वह स्वयं चाहने लगेगी की आप उंगलियों को गहराई में ले जाएं. वहां जाकर आप या रुक जाएं या क्रिया करते रहें जब तक कि वह आपसे लिंग डालने को न कहे. जब आपकी उंगलियां उसकी योनि के अंदर होंगी तो आप अनुभव करेंगे कि उसे एक कोमल आनंद का अनुभव हो रहा है.
उसकी कामुक अवस्था के लिये गए फोटोग्राफ बाद के लंबे समय के सेक्स कार्य के उत्तेजक प्रस्ताव में सहायक होते हैं. लेकिन यह सब सिर्फ अपने पति के साथ करें तो बेहतर हैं किसी पुरुष मित्र के साथ यह करना कभी कभी खतरनाक भी हो सकता है.

मुस्कान के साथ गर्भद्वार
वे कैसा आनंद उठाती हैं जब उनके गर्भाशय से कुछ किया जाता है. यह उनके मासिक चक्र के अनुरूप बदलता रहता है. कई महिलाओं को इस दौरान ग्रीवा (cervical) की पीड़ा से गुजरना पड़ता है तो कई महिलाएं इससे काफी उत्तेजित महसूस करती हैं. यह हर आदमी के लिये मासिक के विभिन्न समय के दौरान अपने पार्टनर के परीक्षण का विषय है कि वह देखे की कौन सा समय उसके लिये अनुकूल है.
यह सावधानी हमेशा बरतनी चाहिये कि कोई भी ऐसा काम न करें जिससे उसके गर्भाशय के द्वार को कोई क्षति या चोट पहुंचे. उंगलियों के अंदर प्रवेश के दौरान हमेशा नाखून छोटे होने चाहिये. यदि आपकी उंगली में कोई चोट , घाव या संक्रमण (infection) है तो उंगलियों को कदापि योनि के अंदर नहीं ले जाना चाहिये.
साथ ही गुदा द्वार में प्रवेश कराई गई उंगलियों को भी योनि में नहीं डालना चाहिये क्योंकि इससे उसे संक्रमण के खतरे बढ़ जाते हैं.

Monday 22 April 2013

लंड चूसने की विधि

लंड चूसने की विधि

इस धरती पर शायद ही ऐसा कोई पुरुष होगा जिसे अपना लंड चुसवाना अच्छा नहीं लगता होगा। ज़्यादातर लोग इसकी कामना ही करके रह जाते हैं क्योंकि उनकी पत्नी या प्रेमिका इस क्रिया में दिलचस्पी नहीं रखतीं। कुछ लड़कियां इसे गन्दा समझती हैं और कई ऐसी हैं जिन्हें पता नहीं कि क्या करना होता है।
सबसे ज़रूरी जानने योग्य बात तो यह है कि लंड चूसना एक सुरक्षित क्रिया है जिससे लड़की को कोई भय नहीं होना चाहिए। लंड चूसने से वह गर्भ धारण नहीं कर सकती और अगर वह कुंवारी है तो अपने कुंवारेपन को कायम रखते हुए अपने प्रेमी को अद्भुत आनंद प्रदान कर सकती है। पुरुष के लिए यह सम्भोग के समान आनंद-दायक क्रिया होती है। अगर उसकी प्रेमिका प्यार से उसका लंड चूसती रहे तो उसे सम्भोग की कमी महसूस नहीं होगी। उधर लड़की को भी इसक्रिया में बहुत आनंद आ सकता है बशर्ते उसे सही तरीका आता हो और उसके मन में इस क्रिया के प्रति कोई गलत धारणाएँ ना हों।
इस लेख के द्वारा मैं लड़कियों के लिए लंड चूसने और लड़कों के लिए लंड चुसवाने की सही विधि बताऊँगा जिससे आप इस अति-सुखदायक क्रिया का पूरा आनंद उठा सकेंगे। इस क्रिया में ज्यादा सक्रिय भूमिका लड़की की होती है और लड़के को आनंद उठाने के अलावा कुछ ज्यादा नहीं करना होता। ठीक इसी प्रकार चूत चुसवाने की क्रिया भी होती है जिसमे लड़का क्रियाशील होता है और लड़की सिर्फ आनंद उठाती है। चूत चुसवाने और चूसने की विधि अगले लेख में प्रस्तुत करूंगा।
तैयारी- पुरुष की
लंड चुसवाने के लिए यह अत्यंत ज़रूरी है कि लंड और उसके आस-पास का इलाका एकदम साफ़-सुथरा होना चाहिए। यह हर पुरुष की ज़िम्मेदारी है कि अपने लिंग को हर समय साफ़ रखे, ख़ास तौर से यौन-संसर्ग के समय। यह उस समय और भी ज़रूरी हो जाता है जब अपने लिंग को किसी के मुँह में डालने की उम्मीद रखते हों। लंड सफाई को एक मजेदार रूप दिया जा सकता है अगर आप के पास बाथरूम की सहूलियत है या तो अपने लिंग को आप खुद पानी से धो कर साफ़ कर सकते हो या आपकी प्रेमिका यह कर सकती है। वैसे भी मैथुन से पहले साथ-साथ स्नान करना बहुत अच्छा रहता है। स्नान के दौरान एक दूसरे के शरीर के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं और सम्भोग के लिए उत्तेजना पैदा कर सकते हैं। साथ-साथ स्नान एक बहुत ही मज़ेदार रति-क्रिया हो सकती है। लिंग साफ़ करते वक़्त लंड के सुपारे की ऊपरी परत को अच्छे से खोल कर साफ़ करें और नाभि से नीचे तथा जाँघों से ऊपर के सभी हिस्से साफ़ कर लें। ख़ास तौर से चूतड़ और गांड के छेद को भी धो लें। लड़की को लंड चूसते वक़्त तुम्हारी निम्न शरीर की कोई दुर्गंध नहीं आनी चाहिए। अगर पहली बार में दुर्गंध आएगी तो वह दुबारा कभी लंड चूसने के लिए राज़ी नहीं होगी।
बेहतर होगा अगर लड़के अपने जघन के बालों (अंडकोष के आस-पास के बाल) को क़तर के थोड़ा छोटा कर लें। यह ज़रूरी नहीं है लेकिन ऐसा करने से लड़की को सहूलियत होगी। ध्यान रखें कि बाल ज्यादा छोटे नहीं काटें नहीं तो लड़की के मुँह में चुभेंगे।
तैयारी- लड़की की
पहली बार लंड चूसने के लिए सबसे महत्वपूर्ण तैयारी मानसिक होती है जिसमें लंड के प्रति गलत धारणाओं को मन से निकालना होगा। लंड अगर साफ़ सुथरा हो तो एक अत्यंत प्यारा और रोचक अंग होता है। किसी भी आदमी के लंड के कई रूप होते हैं और यह अलग-अलग अवस्थाओं में अपना रूप, आकार और माप बदलता रहता है। यह छोटा और बड़ा हो सकता है, सख्त या मुलायम हो सकता है और लचीला या कठोर हो सकता है। लंड अपना रूप अपने आप बदलता है और इसमें पुरुष की मर्ज़ी नहीं चलती। अच्छा ही है क्योंकि अगर पुरुष अपनी मर्ज़ी से अपने लंड को खडा कर पाता तो लड़कियों के लिए जीवन दूभर हो जाता।
साफ़ सुथरे लंड में कोई दुर्गंध नहीं होती और चूत के मुक़ाबले इसमें से कोई द्रव्य नहीं रिसता जब तक वह वीर्य नहीं उगलता।
लड़कियों को यह भी पता होना चाहिए कि जब एक लंड उत्तेजित हो जाता है (यानि खड़ा हो जाता है) तो उसकी पेशाब की नली बंद हो जाती है और वह मूत्र नहीं कर सकता। कहने का मतलब कि वह तुम्हारे मुँह में पेशाब नहीं कर सकता। उत्तेजना के बाद जब लंड शिथिल पड़ जाता है तो भी पेशाब करने के लिए कुछ समय लगता है। तो यह डर भी लड़कियों को नहीं होना चाहिए।
मानसिक तौर से लड़कियों को लंड से प्यार करना चाहिए क्योंकि शरीर के दूसरे अंगों की माफ़िक़ इसको भी चूमा और चूसा जा सकता है। बहुत सी लड़कियां तो लंड चूसने में बहुत मज़ा लेती हैं। मानसिक तैयारी के अलावा कोई ख़ास तैयारी लड़कियों को नहीं करनी होती। अगर तुम चाहो तो एक अभ्यास कर सकती हो जिससे उत्तेजित लंड को पूरा चूसने में कठिनाई नहीं होगी।
मुँह का अभ्यास
इस अभ्यास का उद्देश्य धीरे धीरे अपने मुँह के आकार को बड़ा करना है जिससे एक पूरा मर्दाना लंड तुम्हारे मुँह में समा जाये और तुम्हें दम घुटने या सांस रुकने की समस्या ना हो। इसके लिए तुम्हें कुछ समय तक अभ्यास करना होगा क्योंकि यह योग्यता अचानक नहीं आ सकती। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तुम अभी से लंड नहीं चूस सकती हो। लंड तो चूस सकती हो लेकिन इसमें महारत हासिल करने के लिए मुँह और गले को इस काबिल बनाना होगा कि 5-7 इंच का तना हुआ लंड मुँह में निगल सको। यह लंड चूसने की उन्नत स्थिति है और हर लड़की को इसे पाने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि इस कला को पाने के बाद तुम किसी भी मर्द को अपने वश में आसानी से कर सकती हो।
इसके लिए तुम्हें क्रमशः बढ़ते हुए आकार के ऐसे फल या सब्जियाँ चाहिएँ जिन्हें तुम मुँह में ले सकती हो। इनमें केला, खीरा, ककड़ी, लम्बे बैंगन इत्यादि उचित हैं। शुरू में छोटे आकार के फल इस्तेमाल करें और धीरे धीरे एक विकसित लंड के आकार से थोड़े बड़े आकार के फल के साथ अभ्यास करें।
अभ्यास करने के लिए जीभ को बाहर रखते हुए फल को मुँह के जितना अन्दर डाल सकती हो डाल कर अन्दर-बाहर करो। जब एक आकार के फल के साथ मुँह की क्षमता हासिल हो जाए तो उससे थोड़े बड़े आकार के फल के साथ अभ्यास करो। शुरू में मुश्किल होगी लेकिन धीरे-धीरे मुँह आदि हो जायेगा और 6-7 इंच लम्बे और 2-3 इंच चौड़े आकार के केले या खीरे अपने मुँह में ले पाओगी। जब ऐसा हो जाये तो तुम्हारा अभ्यास पूरा हो गया है और तुम अपने आदमी को अपने अधीन करने के लिए तैयार हो। ध्यान में रखने वाली बात यह है कि हमारी जीभ हमारे मुँह में काफी जगह ले लेती है।इसे जितना बाहर रखा जाये तो मुँह में लंड के लिए उतनी ज्यादा जगह बनेगी और लंड उतना ज्यादा अन्दर लिया जा सकता है।
लंड चूसने के लिए आसन
लण्ड चूसने के लिए कुछ सामान्य आसन इस प्रकार हैं। जब थोड़ा सामर्थ्य आ जाये तो अपनी मर्ज़ी से नए नए आसन बना सकते हो।
1- लड़का खड़ा हो और लड़की घुटने के बल बैठ कर लंड मुँह में ले।
2- लड़का बिस्तर पर लेटा हो और लड़की उसके पाँव की तरफ बैठी हो और आगे झुक कर लंड मुँह में ले।
3- लड़का बिस्तर पर लेटा हो और लड़की उसके सीने पर उसकी तरफ पीठ करके बैठी हो।
4- लड़की बिस्तर पर लेटी हो और लड़का ऊपर से आ कर उसके मुँह को लंड से चोदने की स्थिति में हो।
5- लड़का लड़की दोनों लेटे हों और दोनों के गुप्तांग परस्पर एक-दूसरे के मुँह के पास हों। (69 अवस्था)
पहली पहली बार लंड चूसने के लिए बताया गया दूसरा या तीसरा आसन बेहतर रहेगा क्योंकि इसमें लड़की अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ कार्यवाही कर सकती है। पहले और चौथे आसनों में लड़का आक्रामक हो सकता है। अतः इसे थोड़े अभ्यास के बाद और भरोसे वाले लड़के के साथ ही करना चाहिए। पाँचवा आसन तब ग्रहण करना चाहिए जब दोनों परस्पर एक-दूसरे के गुप्तांग चूसना चाहते हों।
लंड से जान-पहचान
अगर तुम लंड को पहली बार इतना नज़दीक से देख रही हो या पहली बार छू रही हो तो इसे बेझिझक हाथ में लेकर इसका निरीक्षण करो। उसको हर तरफ से उठा कर और घुमा कर देखो। अगर लंड खता हुआ नहीं है (कई पुरुषों की शिश्न-मुण्ड के ऊपर की त्वचा कटी होती है, इसे ही खता हुआ कहते हैं) तो उसके सुपारे के ऊपर की चमड़ी पीछे खींच कर सुपारे को उघाड़ कर देखो। सुपारे के शीर्ष पर एक छेद होगा जिसमें से वीर्य और पेशाब दोनों निकलते हैं पर एक समय पर सिर्फ एक ही निकल सकता है। जब लंड खड़ा होता है तो पेशाब नहीं निकल सकता और जब शिथिल होता है तो आम तौर पर वीर्य नहीं निकलता।
लंड का सुपारा सबसे संवेदनशील हिस्सा होता है ख़ास तौर से अगर वह खता हुआ नहीं है तो। खते हुए लंड तुलना में कम संवेदनशील होते हैं। लंड के छड़ की त्वचा मुलायम होती है और सुपारे के मुक़ाबले में कम नाज़ुक होती है। लंड की जड़ के पास दो अंडकोष होते हैं जिनकी त्वचा खुरदुरी होती है और वे पूरी तरह बालों से ढके होते हैं। अंडकोष में वीर्य रहता है और वे ठण्ड में सिकुड़ कर और गर्मी में फैल कर वीर्य को सही तापमान पर रखते हैं। अंडकोष भी बहुत संवेदनशील होते हैं। हालाँकि लंड के मुक़ाबले इनमें स्पर्श-बोध कम होता है लेकिन ज़ोर से दबाने से या चोट लगने से इनमें बहुत दर्द होता है। लंड चूसते समय अंडकोष को भी चूसा जा सकता है लेकिन इनको मुँह में लेते वक़्त सावधानी बरतनी चाहिए।

Saturday 20 April 2013

सेक्स शक्ति को बढ़ाने वाले घरेलू उपाय,sex power in home made

• सेक्स शक्ति को बढ़ाने वाले घरेलू उपाय 
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• परिचयः-
• बाजारों में अधिक मात्रा में सेक्स शक्ति को बढ़ाने वाली दवाईयां भी मिलती है। जिसे लोग इन दवाईयों को काफी मात्रा में प्रयोग कर रहे हैं। वे लोग यह नहीं जानते हैं कि ये दवाईयां उनके शरीर पर कितना गलत प्रभाव ड़ालती है। कुछ ऐसे घरेलू उपाय है जिनको आप खुद ही तैयार करके प्रयोग में ला सकते हैं। ये घरेलू नुस्खें सरल, सस्ते, नुक्सान रहित तथा लाभदायक है। ये घरेलू नुस्खें इस प्रकार हैः- 
• 1. आंवलाः- 2 चम्मच आंवला के रस में एक छोटा चम्मच सूखे आंवले का चूर्ण तथा एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करना चाहिए। इसके इस्तेमाल से सेक्स शक्ति धीरे-धीरे बढ़ती चली जाएगी। 
• 2. पीपलः- पीपल का फल और पीपल की कोमल जड़ को बराबर मात्रा में लेकर चटनी बना लें। इस 2 चम्मच चटनी को 100 मि.ली. दूध तथा 400 मि.ली. पानी में मिलाकर उसे लगभग चौथाई भाग होने तक पकाएं। फिर उसे छानकर आधा कप सुबह और शाम को पी लें। इसके इस्तेमाल करने से वीर्य में तथा सेक्स करने की ताकत में वृद्धि होती है। 
• 3. प्याजः- आधा चम्मच सफेद प्याज का रस, आधा चम्मच शहद तथा आधा चम्मच मिश्री के चूर्ण को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। यह मिश्रण वीर्यपतन को दूर करने के लिए काफी उपयोगी रहता है। 
• 4. चोबचीनीः- 100 ग्राम तालमखाने के बीज, 100 ग्राम चोबचीनी, 100 ग्राम ढाक का गोंद, 100 ग्राम मोचरस तथा 250 ग्राम मिश्री को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह के समय एक चम्मच चूर्ण में 4 चम्मच मलाई मिलाकर खाएं। यह मिश्रण यौन रुपी कमजोरी, नामर्दी तथा वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग को खत्म कर देता है। 
• 5. कौंच का बीजः- 100 ग्राम कौंच के बीज और 100 ग्राम तालमखाना को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें 200 ग्राम मिश्री पीसकर मिला लें। हल्के गर्म दूध में आधा चम्मच चूर्ण मिलाकर रोजाना इसको पीना चाहिए। इसको पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है तथा नामर्दी दूर होती है। 
• 6. इमलीः- आधा किलो इमली के बीज लेकर उसके दो हिस्से कर दें। इन बीजों को तीन दिनों तक पानी में भिगोकर रख लें। इसके बाद छिलकों को उतारकर बाहर फेंक दें और सफेद बीजों को खरल में डालकर पीसें। फिर इसमें आधा किलो पिसी मिश्री मिलाकर कांच के खुले मुंह वाली एक चौड़ी शीशी में रख लें। आधा चम्मच सुबह और शाम के समय में दूध के साथ लें। इस तरह से यह उपाय वीर्य के जल्दी गिरने के रोग तथा संभोग करने की ताकत में बढ़ोतरी करता है। 
• 7. बरगदः- सूर्यास्त से पहले बरगद के पेड़ से उसके पत्ते तोड़कर उसमें से निकलने वाले दूध की 10-15 बूंदें बताशे पर रखकर खाएं। इसके प्रयोग से आपका वीर्य भी बनेगा और सेक्स शक्ति भी अधिक हो जाएगी। 
• 8. सोंठः- 4 ग्राम सोंठ, 4 ग्राम सेमल का गोंद, 2 ग्राम अकरकरा, 28 ग्राम पिप्पली तथा 30 ग्राम काले तिल को एकसाथ मिलाकर तथा कूटकर बारीक चूर्ण बना लें। रात को सोते समय आधा चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से एक गिलास गर्म दूध पी लें। यह रामबाण औषधि शरीर की कमजोरी को दूर करती है तथा सेक्स शक्ति को बढ़ाती है। 
• 9. अश्वगंधाः- अश्वगंधा का चूर्ण, असगंध तथा बिदारीकंद को 100-100 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण दूध के साथ सुबह और शाम लेना चाहिए। यह मिश्रण वीर्य को ताकतवर बनाकर शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा दिलाता है। 
• 10. त्रिफलाः- एक चम्मच त्रिफला के चूर्ण को रात को सोते समय 5 मुनक्कों के साथ लेना चाहिए तथा ऊपर से ठंडा पानी पिएं। यह चूर्ण पेट के सभी प्रकार के रोग, स्वप्नदोष तथा वीर्य का शीघ्र गिरना आदि रोगों को दूर करके शरीर को मजबूती प्रदान करता है। 
• 11. छुहारेः- चार-पांच छुहारे, दो-तीन काजू तथा दो बादाम को 300 ग्राम दूध में खूब अच्छी तरह से उबालकर तथा पकाकर दो चम्मच मिश्री मिलाकर रोजाना रात को सोते समय लेना चाहिए। इससे यौन इच्छा और काम करने की शक्ति बढ़ती है। 
• 12. उंटगन के बीजः- 6 ग्राम उंटगन के बीज, 6 ग्राम तालमखाना तथा 6 ग्राम गोखरू को समान मात्रा में लेकर आधा लीटर दूध में मिलाकर पकाएं। यह मिश्रण लगभग आधा रह जाने पर इसे उतारकर ठंडा हो जाने दें। इसे रोजाना 21 दिनों तक समय अनुसार लेते रहें। इससे नपुंसकता (नामर्दी) रोग दूर हो जाता है।
• 13. तुलसीः- आधा ग्राम तुलसी के बीज तथा 5 ग्राम पुराने गुड़ को बंगाली पान पर रखकर अच्छी तरह से चबा-चबाकर खाएं। इस मिश्रण को विस्तारपूर्वक 40 दिनों तक लेने से वीर्य बलवान बनता है, संभोग करने की इच्छा तेज हो जाती है और नपुंसकता जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं।
• 14. गोखरूः- सूखा आंवला, गोखरू, कौंच के बीज, सफेद मूसली और गुडुची सत्व- इन पांचो पदार्थों को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। एक चम्मच देशी घी और एक चम्मच मिश्री में एक चम्मच चूर्ण मिलाकर रात को सोते समय इस मिश्रण को लें। इसके बाद एक गिलास गर्म दूध पी लें। इस चूर्ण से सेक्स कार्य में अत्यंत शक्ति आती है।
• 15. सफेद मूसलीः- सालम मिश्री, तालमखाना, सफेद मूसली, कौंच के बीज, गोखरू तथा ईसबगोल- इन सबको समान मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस एक चम्मच चूर्ण में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ पीना चाहिए। यह वीर्य को ताकतवर बनाता है तथा सेक्स शक्ति में अधिकता लाता है।
• 16. हल्दीः- वीर्य अधिक पतला होने पर 1 चम्मच शहद में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर रोजाना सुबह के समय खाली पेट सेवन करना चाहिए। इसका विस्तृत रुप से इस्तेमाल करने से संभोग करने की शक्ति बढ़ जाती है। 
• 17. उड़द की दालः- आधा चम्मच उड़द की दाल और कौंच की दो-तीन कोमल कली को बारीक पीसकर सुबह तथा शाम को लेना चाहिए। यह उपाय काफी फायदेमंद है। इस नुस्खे को रोजाना लेने से सेक्स करने की ताकत बढ़ जाती है। 
• 18. जायफलः- जायफल 10 ग्राम, लौंग 10 ग्राम, चंद्रोदय 10 ग्राम, कपूर 10 ग्राम और कस्तूरी 6 ग्राम को कूट-पीसकर इस मिश्रण के चूर्ण की 60 खुराक बना लें। इसमें से एक खुराक को पान के पत्ते पर रखकर धीरे-धीरे से चबाते रहें। जब मुंह में खूब रस जमा हो जाए तो इस रस को थूके नहीं बल्कि पी जाएं। इसके बाद थोड़ी सी मलाई का इस्तेमाल करें। यह चूर्ण रोजाना लेने से नपुंसकता जैसे रोग दूर होते हैं तथा सेक्स शक्ति में वृद्धि होती है। 
• 19. शंखपुष्पीः- शंखपुष्पी 100 ग्राम, ब्राह्नी 100 ग्राम, असंगध 50 ग्राम, तज 50 ग्राम, मुलहठी 50 ग्राम, शतावर 50 ग्राम, विधारा 50 ग्राम तथा शक्कर 450 ग्राम को बारीक कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर एक-एक चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम को लेना चाहिए। इस चूर्ण को तीन महीनों तक रोजाना सेवन करने से नाईट-फाल (स्वप्न दोष), वीर्य की कमजोरी तथा नामर्दी आदि रोग समाप्त होकर सेक्स शक्ति में ताकत आती है। 
• 20. गाजरः- 1 किलो गाजर, चीनी 400 ग्राम, खोआ 250 ग्राम, दूध 500 ग्राम, कद्यूकस किया हुआ नारियल 10 ग्राम, किशमिश 10 ग्राम, काजू बारीक कटे हुए 10-15 पीस, एक चांदी का वर्क और 4 चम्मच देशी घी ले लें। गाजर को कद्यूकस करके कडा़ही में डालकर पकाएं। पानी के सूख जाने पर इसमें दूध, खोआ और चीनी डाल दें तथा इसे चम्मच से चलाते रहें। जब यह सारा मिश्रण गाढ़ा होने को हो तो इसमें नारियल, किशमिश, बादाम और काजू डाल दें। जब यह पदार्थ गाढ़ा हो जाए तो थाली में देशी घी लगाकर हलवे को थाली पर निकालें और ऊपर से चांदी का वर्क लगा दें। इस हलवे को चार-चार चम्मच सुबह और शाम खाकर ऊपर से दूध पीना चाहिए। यह वीर्यशक्ति बढ़ाकार शरीर को मजबूत रखता है। इससे सेक्स शक्ति भी बढ़ती है। 
• 21. ढाकः- ढाक के 100 ग्राम गोंद को तवे पर भून लें। फिर 100 ग्राम तालमखानों को घी के साथ भूनें। उसके बाद दोनों को बारीक काटकर आधा चम्मच सुबह और शाम को दूध के साथ खाना खाने के दो-तीन घंटे पहले ही इसका सेवन करें। इसके कुछ ही दिनों के बाद वीर्य का पतलापन दूर होता है तथा सेक्स क्षमता में बहुत अधिक रुप से वृद्धि होती है। 
• 22. जायफलः- 15 ग्राम जायफल, 20 ग्राम हिंगुल भस्म, 5 ग्राम अकरकरा और 10 ग्राम केसर को मिलाकर बारीक पीस लें। इसके बाद इसमें शहद मिलाकर इमामदस्ते में घोटें। उसके बाद चने के बराबर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। रोजाना रात को सोने से 2 पहले 2 गोलियां गाढ़े दूध के साथ सेवन करें। इससे शिश्न (लिंग) का ढ़ीलापन दूर होता है तथा नामर्दी दूर हो जाती है। 
• 23. इलायचीः- इलायची के दानों का चूर्ण 2 ग्राम, जावित्री का चूर्ण 1 ग्राम, बादाम के 5 पीस और मिश्री 10 ग्राम ले लें। बादाम को रात के समय पानी में भिगोकर रख दें। सुबह के वक्त उसे पीसकर पेस्ट की तरह बना लें। फिर उसमें अन्य पदार्थ मिलाकर तथा दो चम्मच मक्खन मिलाकर विस्तार रुप से रोजाना सुबह के वक्त इसको सेवन करें। यह वीर्य को बढ़ाता है तथा शरीर में ताकत लाकर सेक्स शक्ति को बढ़ाता है। 
• 24. सेबः- एक अच्छा सा बड़े आकार का सेब ले लीजिए। इसमें हो सके जितनी ज्यादा से ज्यादा लौंग चुभाकर अंदर तक डाल दीजिए। इसी तरह का एक अच्छा सा बड़े आकार का नींबू ले लीजिए। इसमें जितनी ज्यादा से ज्यादा हो सके, लौंग चुभाकर अंदर तक डाल दीजिए। दोनों फलों को एक सप्ताह तक किसी बर्तन में ढककर रख दीजिए। एक सप्ताह बाद दोनों फलों में से लौंग निकालकर अलग-अलग शीशी में भरकर रख लें। पहले दिन नींबू वाले दो लौंग को बारीक कूटकर बकरी के दूध के साथ सेवन करें। इस तरह से बदल-बदलकर 40 दिनों तक 2-2 लौंग खाएं। यह एक तरह से सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला एक बहुत ही सरल उपाय है। 
• 25. अजवायनः- 100 ग्राम अजवायन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें। सूखने के बाद उसे फिर से प्याज के रस में गीला करके सुखा लें। इस तरह से तीन बार करें। उसके बाद इसे कूटकर किसी शीशी में भरकर रख लें। आधा चम्मच इस चूर्ण को एक चम्मच पिसी हुई मिश्री के साथ मिलाकर खा जाएं। फिर ऊपर से हल्का गर्म दूध पी लें। करीब-करीब एक महीने तक इस मिश्रण का उपयोग करें। इस दौरान संभोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। यह सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला सबसे अच्छा उपाय है।

कीगेल एक्सरसाइज 
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परिचयः- 
कीगेल एक्सरसाइज एक तरह से एक बहुत ही आसान व्यायाम है जिसे कोई भी पुरुष बड़ी ही सरलता से कर सकता है। पुरुष संभोग करते समय कीगेल एक्सरसाइज करके स्वयं तथा अपनी जीवन साथी को सेक्स क्रिया करते समय आंनद दे सकता है। कीगेल एक्सरसाइज से केवल नितम्ब के पीछे की भाग की मांसपेशियों के सरल व्यायाम करने होते है।
कीगेल एक्सरसाइज को अगर पुरुष रोजाना विस्तार पू्र्वक करें तो उसे संभोग करने के बाद परम सुख पाने के लिए किसी भी तरह का कोई भी प्रयत्न करने की जरुरत नहीं होती है। इस व्यायाम को करने के बाद पुरुष के नितम्ब के पीछे के भाग की मांसपेशियां ताकतवर और फुर्तीली बन जाती है। स्त्रियों और पुरुषों को सम्पूर्ण आनन्द देने वाली यही मांसपेशी होती है। इस कीगेल एक्सरसाइज को करने से पुरुष अपनी सेक्स क्रिया को अधिक समय तक बढ़ा सकता है। यह वीर्य के जल्दी गिरने के रोग को भी रोकने में भी सक्षम होता है। इससे संभोग करने का समय भी बढ़ जाता है। वीर्य के जल्दी गिरने के रोग से परेशान पुरुषों के लिए कीगेल एक्सरसाइज से बहुत ही अधिक फायदा मिलता है।
अगर आप कीगेल एक्सरसाइज को पूर्ण रूप से काबू कर ले तो संभोग करते वक्त वीर्य के निकले बिना ही कई बार चरम सुख को प्राप्त कर सकते हैं। कीगेल एक्सरसाइज के करने के बाद केवल संभोग करते समय यौन आनन्द को बढ़ाने वाली ही परेशानियां ही उत्पन्न नहीं होती लेकिन कुछ अन्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। जैसे कि- पुरुष और स्त्री अपने नितम्ब के पीछे के भाग की मांसपेशियों को खींच कर संभोग करने के समय को काफी ज्यादा समय के लिए बढ़ा सकते हैं तथा संभोग करते समय दिशा भी बदल सकते हैं।
कीगेल एक्सरसाइज को किस तरह से करना चाहिएः- 
• कीगेल एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले यह मालूम करना अति आवश्यक है कि आपके अंदर प्युबोकोसीगेल मांसपेशी कौन सी होती है? 
• अगर आपको तेजी के साथ पेशाब लगता है तो उस समय अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैलाकर पेशाब करना शुरू कर देना चाहिए। मूत्र के वेग को कभी भी रोकना नहीं चाहिए। इस तरह से आप जिस किसी भी मांसपेशियों पर जोर देगें, वही मांसपेशी प्युबोकोसीगेल होती है।
• जब आप पेशाब करना शुरू करें तो इस पेशाब को कुछ समय के लिए के रोक कर रखें और उसके कुछ समय के बाद पेशाब को दुबारा से करना शुरू कर दें। पेशाब करते वक्त आरम्भ में आपको कुछ दिक्कत महसूस होगी। हो सकता है कि पेशाब का वेग थोड़ी देर के लिए ही रुक जाए। लेकिन इससे घबराना नहीं चाहिए, इसका प्रयत्न निरंतर करते रहना चाहिए। इस तरह से आप निरंतर के प्रयास करने से इस मांसपेशी को काबू रखने में सफल हो जाएंगे। 
• इस तरह से जब आप इस मांसपेशी को अपने काबू में रखने में सफल हो जाएं उस समय पेशाब करने का मन न होने पर भी आपको मांसपेशियों पर दबाव डालना होगा। इस प्रयास को कुछ समय तक ही करने की कोशिश करें।
• आरम्भ में इस मांसपेशी को थोड़ी देर के लिए भींच कर रखें। 15-20 दिन गुजरने के बाद इस मांसपेशी के भींचने की समय-सीमा को बढ़ा देना चाहिए।
• कुछ समय तक प्युबोकोसीगेल मांसपेशी को दबाकर रखने की क्रिया होल्ड कहलाती है। इसी तरह ही इस मांसपेशी को जल्दी-जल्दी भींचने और खोलने की क्रिया को क्यूक कंट्राक्टेशन भी कहते हैं।
• स्त्री को कम से कम 5 सेंकड से ज्यादा होल्ड की अवस्था में नहीं रहना चाहिए तथा पुरुष को ज्यादा से ज्यादा 15 सेकंड तक ही होल्ड की अवस्था में रहना चाहिए।
• कोई भी पुरुष संभोग करने के दरम्यान कुछ महीनों के प्रयास के बाद ही अपनी उत्तेजना और भावना को काबू करके इस मांसपेशी पर अपना प्रेशर बना सकता है। 
• इस तरह से कीगेल एक्सरसाइज पर काबू हो जाने पर पुरुष अपने वीर्य के जल्दी गिरने के कार्य को समान रूप से रोक सकने में कामयाब हो सकते हैं तथा फिर इसके बाद वे दुबारा से संभोग करने का कार्य कर सकते हैं। अगर वीर्य के जल्दी गिरने की उम्मीद महसूस हो तो कीगेल एक्सरसाइज के द्वारा अपनी मांसपेशी पर प्रेशर बनाए रखें और शीघ्रपतन को कुछ समय के लिए रोक दें। 
• इस अभ्यास को बार-बार करते रहें। इस तरह से कीगेल एक्सरसाइज को जितना आप काबू में रखेंगे, आप सेक्स क्रिया करने का समय भी उतना ही बढ़ाने में सफल हो जाएंगे।
• कीगेल एक्सरसाइज का प्रयास पुरुष हैंडप्रैक्टिस के बाद भी कर सकते हैं।

मासिकधर्म 
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चिकित्सा-
• लगभग 12-12 ग्राम हीरा कसीस विलायती, एलुआ, घी में हल्की सी भुनी हुई हींग, शुद्ध हिंगुल, सुहागे की खील और नमक को एकसाथ पीसकर पानी के साथ लगभग आधा ग्राम के बराबर की गोलियां बना लें। इन गोलियों को सुबह और शाम गर्म पानी से खाना चाहिए। इन गोलियों को मासिकधर्म के आने से 3-4 दिन पहले खाना शुरू करके मासिकधर्म के दौरान भी सेवन करते रहना चाहिए। इसके अलावा रोगी स्त्री की कमर और पेड़ू पर गर्म पानी की बोतल या गर्म ईंट से सिंकाई करनी चाहिए। रोगी स्त्री को गर्म पानी से भरे टब में नाभि तक बैठाना भी लाभकारी रहता है। घी में भुने हुए चने या लोबिया का रस, गर्म पानी, बाजरा, गेंहू, बैंगन, मटर, छुहारा, चाय और किशमिश का सेवन करना भी रोगी स्त्री के लिए लाभकारी है। 
• अगर किसी स्त्री को मासिकधर्म के समय स्राव ज्यादा आता हो या उन दिनों में दर्द बहुत ज्यादा होता हो तो उसे मासिकधर्म शुरू होने के चौथे दिन से लगभग 3 ग्राम मुलहठी का चूर्ण, 2 ग्राम माईं, 1 ग्राम शुद्ध रसौत और 1 ग्राम कत्था को रोजाना सुबह और शाम फांककर उसके ऊपर से चावलों का पानी पी लें। ऐसी समस्याओं के लिए लगभग 120 से 240 मिलीग्राम नागभस्म को सुबह और शाम मक्खन के साथ लेना बहुत अच्छा रहता है। अगर रोगी स्त्री को इन साधारण योगों से किसी तरह का लाभ नहीं होता तो किसी अच्छे चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। 
• अगर शरीर में खून की कमी के कारण, मानसिक आघात या कमजोरी के कारण मासिकधर्म बहुत कम आता हो तो रोगी स्त्री को पौष्टिक भोजन और शरीर को मजबूत करने वाली औषधियों का सेवन करने से लाभ होता है। इस रोग में आंवले का मुरब्बा, लौह-भस्म, अभ्रक भस्म, चांदी की भस्म और फलघृत बहुत लाभकारी होता है। 
• अगर मासिकधर्म बिल्कुल न आता हो तो पहले नंबर के बनाए नुस्खे में 12 ग्राम केशर और 25 ग्राम इन्द्रायण की जड़ का चूर्ण मिला लें। इन गोलियों को लगभग 40 दिन तक सेवन करने से मासिकधर्म आना शुरू हो जाता है। 
• जानकारी- यह गोलियां कब्ज लाने वाली होती है इसलिए इनका सेवन करते समय कब्ज आदि होने पर किसी तरह से डरना नहीं चाहिए।
बूढ़ी स्त्रियों का मासिकधर्म बंद होना- 
अक्सर स्त्रियों का 40 से 50 साल की उम्र में मासिकधर्म धीरे-धीरे अनियमित हो जाता है जैसे कभी तो उनका मासिकधर्म 2-3 महीने तक बिल्कुल नहीं आता और कभी महीने में 2 बार भी आ जाता है। अगर स्त्री के साथ ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है तो इससे उसको बहुत ज्यादा मानसिक आघात पहुंचता है क्योंकि वह समझती है कि अब उसका स्त्रीत्व समाप्त हो गया है। इस कारण से उसके अंदर चिड़चिड़ापन सा पैदा हो जाता है, वह बात-बात पर गुस्सा करने लगती है। स्त्री को यह समझना चाहिए कि यह एक स्वाभाविक स्थिति है। इससे उसके आकर्षण में किसी प्रकार की कमी नहीं हो सकती और न ही संभोग सुख में कमी हो सकती है।

सेक्स क्षमता को बढ़ाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स 
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परिचयः- 
सेक्स क्षमता को बढ़ाने के लिए कुछ प्रयोग ऐसे भी हैं जो सेक्स शक्ति को अधिक रुप से बढ़ाने के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुए हैं। बहुत से लोगों को इसके बारे में मालूम ही नहीं है। यहां हम कुछ ऐसे उपाय लिख रहे हैं जिनके प्रयोग करने से आप अपनी सेक्स क्षमता को काफी मात्रा में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं।
उपायः-
रंगः- 
गुलाबी, लाल, बैंगनी एवं जामुनी रंग की प्रकृति गर्म होती है। ये रंग संभोग करने की शक्ति को जगा देते हैं। यदि बेडरूम की दीवारों पर, दरवाजों पर तथा खिड़कियों के ऊपर इनमें से किसी भी एक रंग के परदे लगाएं या इनमें से किसी एक रंग का बल्ब अपने बेडरूम में जलाया जाए तो सेक्स क्षमता में बहुत अधिक मात्रा में बढ़ोत्तरी होती है।
तेलः-
लाल रंग की शीशी में मूंगफली का तेल, एरंड का तेल, सरसों, तिल, सूर्यमुखी तथा जैतून का तेल भरकर सूर्य़ की रोशनी में 40 दिनों तक रख दें। फिर रात को सोते समय इस तेल के द्वारा हल्के-हल्के हाथों से शिश्न, अंडकोष, पेट तथा रीढ की हड्डी आदि पर मालिश करें। इसका रोजाना प्रयोग करने से नामर्दी या वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग समाप्त हो जाते हैं।
खड़ाऊः- 
खड़ाऊं पहनने से भी सेक्स क्षमता में बहुत अधिक मात्रा में वृद्धि होती है। पुराने युग में लोग खड़ाऊं का अधिक इस्तेमाल करते थे जिसके कारण उनमें सेक्स क्षमता काफी अधिक थी। वे लोग अधिक उम्र में भी सेक्स का आनंद लेते थे। व्योमा थेरेपी में बताया गया है कि खड़ाऊं का इस्तेमाल करने से सेक्स क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है। इसकी वजह यह है कि खड़ाऊं पहनकर चलने से दोनों पैरों के तलवों के पिछले हिस्सों के मध्य स्थित भाग की सेक्स ग्रंथियों के जोड़ पर दबाव अधिक पड़ता है जिसके कारण सेक्स ग्रंथियां जागृत होती हैं। रोजाना विस्तारपूर्वक खड़ाऊं पहनकर चलने से नामर्दी, वीर्य का शीघ्र गिरना तथा सेक्स करने के बाद होने वाली शीघ्रपतन जैसी परेशानी से छुटकारा पाया जा सकता है।
सूर्य की रोशनीः- 
नीले रंग की कांच शीशी में ऊपर बताए गए किसी भी एक तेल को भरकर 30 दिनों तक सूर्य की रोशनी में रखें, फिर इस तेल को मेरुदण्ड (रीढ़ की हड्डी) पर नीचे से ऊपर की ओर ले जाते हुए मालिश करें। इसके साथ ही इस तेल से अण्डकोष और मलद्वार के बीच वाले भाग पर भी मालिश करें। इस सूर्यतप्त तेल को रोजाना विस्तारपूर्वक इस्तेमाल करने से संभोग करने की इच्छा शक्ति बढ़ जाती है।
• एक नहाने का टब लें और इसमें ठंडा पानी भर लें। तब पुरुष अपने कपड़ों को उतारकर उस टब में अच्छी तरह से बैठ जाए। टब में इतना पानी भरना चाहिए कि पुरुष की कमर उस पानी तक आ जाए। इसके पश्चात एक कपड़े के टुकड़े को पानी में अच्छी तरह से डुबोकर उस कपड़े से अपने शिश्न को मल-मलकर बार-बार अच्छी तरह से धोएं। कम से कम 10 मिनट तक इस प्रकार करते रहें। इस तरह से करने से शिश्न की सफाई भी हो जाती है और उसमें खून का उतार-चढाव भी सही तरीके से होता रहेगा। इसी प्रकार से अण्डकोष की भी सफाई करें। फिर दोनों जाघों एवं रीढ़ की हड्ड़ी पर भी किसी साफ कपड़े से सफाई करें। इस प्रयास (क्रिया) को रोजाना विस्तार से करने से वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग की शिकायत समाप्त हो जाती है।
• नहाने से पहले सूखे तौलिये अथवा अपने हाथों से सारे शरीर को अधिक तेजी से रगड़ें। इस तरह से रगड़ने से एक अजीब तरह की विद्युत शक्ति उत्पन्न होती है जिससे सारे शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है। इससे खून का संचारण सही तरीके से होता रहता है।
• शौच करने या पेशाब करने के बाद शिश्न (लिंग) को ठंडे जल से अच्छी प्रकार से धोएं तथा एक लोटा ठंडे पानी से शिश्न एवं उसकी जड़ पर पतली धार की तरह पानी डालिए। इस तरह से करने से वीर्य का जल्दी गिरना और स्वप्नदोष के रोग समाप्त हो जाते हैं।
• नहाते समय रीढ़ की हड्डी पर ठंडे पानी की धार डाली जाए तो शीघ्रपतन (वीर्य का जल्दी गिरना) जैसे रोग की स्थिति पैदा ही नहीं होती है।
• संभोग करने की इच्छा न करने में कमी आ जाने पर रीढ़ के निचले भाग पर ठंडा व गर्म सेंक करना चाहिए। इसके लिए 2 मिनट तक गर्म तथा 1 मिनट तक ठंडा सेंक करें। इस क्रिया को 10 से 15 बार तक करें। इसे विस्तृत रूप से करने से सेक्स करने की इच्छा दौबारा लौट आती है।
सेक्स क्षमता को अधिक बढ़ाने और उसका अधिक से अधिक आनंद प्राप्त करने के लिए आयुर्वेद में भी कुछ योगों का विशेष वर्णन किया गया है। यदि इन योगों का अधिक मात्रा में इस्तेमाल न किया जाए तो इनका शरीर पर कोई साइड या बाहरी प्रभाव नहीं होता है। इन योगों की यहीं एक खास विशेषता है। इसके विपरीत इसे कोई भी पुरुष बहुत ही आसान तरीके से इसे अपने घर में भी बना सकता है।
कुछ उपयोगी प्रयोगः- 
नामर्दी को दूर करने वाली चिकित्साः- 
तुलसी के बीज, शिवलिंगी के बीज, सेमल के बीज, खिरैंटी के बीज, काली कौंच के बीज, गंगेरन के जड़ की सूखी छाल तथा चिरौंजी की जड़ की छाल- इन सभी को मिलाकर बराबर मात्रा में लेकर कूट लें। इस सब मिश्रण के आधे भाग में मिश्री को मिलाकर कांच के किसी बर्तन में डाल लें। 10 ग्राम दवा रात को सोते समय लेकर ऊपर से एक गिलास दूध पी लें। इस मिश्रण को प्रतिदिन एक महीने तक इस्तेमाल करें। इस मिश्रण को जब तक लेते रहें तब तक अधिक तेल-मसालेदार, चिकनाईयुक्त, भारी भोजन एवं खट्टे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अंर्तगत सेक्स क्रिया नहीं करनी चाहिए। एक महीने तक इसका सेवन करने से यह शरीर में बहुत अधिक शक्ति पैदा कर देता है।
शक्तिवर्धक उपायः- 
लगभग आधा लीटर गाय के दूध में 150 ग्राम कौंच के बीज को मिलाकर इसे हल्की आग पर पकाने के लिए रख दें। जब यह दूध अच्छी तरह से पककर गाढ़ा हो जाए तो इसे आग से उतार दें। फिर कौंच के बीजों के छिलके को निकालकर इन्हें सिल-बट्टे पर बारीक पीस लें। इसमें अच्छी तरह से मैदा मिलाकर इसको आटे की तरह गूंथ लें। फिर मैदा को जामुन की तरह से गोलियां बना लें। इस गोली को शुद्ध घी के साथ गुलाबी रंगत आने तक इसको भूनें। इसके बाद इसको शक्कर की चाशनी में मिलाकर निकाल लें। अब सभी पदार्थ को एक चौड़े मुंह वाले बर्तन में डालकर उस बर्तन में इतना मधु (शहद) डाले कि मैदा से बनी हुई सारी गोलियां उसमें डूब जाएं। इसमें से एक-एक गोली सुबह और शाम को खाली पेट लेना चाहिए और ऊपर से एक गिलास दूध पी लें। इन गोली का प्रयोग करने के एक घंटे के बाद भोजन को करना चाहिए। यह गोली बुजुर्ग और शादी-शुदा पुरुष दोनों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। जिन पुरुषों के शिश्न (लिंग) में तनाव उत्पन्न नहीं होता या वे पुरुष जिनका वीर्य जल्दी ही निकल जाता है, उन पुरुषों के लिए यह एक बहुत ही कामगारी उपाय है।
ताकत बढ़ाने वाला शक्तिशाली चूर्णः- 
काली तुलसी का बीज 25 ग्राम, पिसी हुई मिश्री 30 ग्राम और असली अकरकरा 5 ग्राम- इन सभी को मिलाकर ठीक तरह से कूटकर किसी एक शीशी में रख दें। रात को भोजन करने के 2 घंटा पहले 10 ग्राम चूर्ण को खाकर ऊपर से एक गिलास ठंडा पानी पी लें। रात के समय भोजन करने के दो घंटे के पश्चात संभोग क्रिया करें। यह चूर्ण पौष्टिक और यौन शक्ति को बढ़ाने वाला होता है। इसका दो हफ्ते (सप्ताह) तक विस्तृत रुप से इस्तेमाल करें। इस चूर्ण का प्रयोग करने तक हो सके तो सेक्स क्रिया न करें।
शक्ति लाने वाला उपायः- 
एक किलो इमली के बीजों को तीन-चार दिनों तक पानी में भीगे पड़े रहने दें। इसके पश्चात उन बीजों को पानी से निकालकर और छिलके उतारकर ठीक तरह से पीस लें। इसमें इससे दो गुना पुराने गुड़ को मिलाकर इसे आटे की तरह गूंथ लें। फिर इसकी बेर के बराबर गोलियां बना लें। सेक्स क्रिया करने के दो घंटे पहले इसे दूध के साथ इस्तेमाल करें। इस तरह का उपाय सेक्स करने की ताकत को और अधिक मजबूत बनाता है।
वीर्य को बढ़ाने वाला पौष्टिक चूर्णः-
अधिकतर पुरुष काफी मात्रा में अधिक संभोग करते हैं जिसके कारण उनके वीर्य की मात्रा में अधिक कमी और उनके शुक्राणुओं में अधिक दुर्बलता हो जाती है। उसके लिए 2-2 ग्राम दालचीनी का बारीक चूर्ण लेकर दूध के साथ सुबह और शाम के समय में इस्तेमाल करना चाहिए। इस चूर्ण का दो महीनों तक प्रयोग करने से इसका लाभ दिखाई देने लगेगा। इसका नियमित रुप से भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका प्रयोग करने से कोई साइड या बाहरी प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके इस्तेमाल करने से वीर्य की तादाद बहुत अधिक बढ़ जाती है। इस चूर्ण के प्रयोग करने से शुक्राणुओं की मात्रा भी बढ़ती है और इसकी संख्या में भी बढ़ोत्तरी होती है।
क्षीरपाकः- 
कोमल जड़ और पीपल का फल- इन दोनों को 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर इसको चटनी की तरह से बना लें। फिर इसमें 400 ग्राम पानी और 100 ग्राम दूध मिलाकर इसे हल्की आंच पर रखकर तब तक उबालें जब तक की पानी की मात्रा अच्छी तरह से जल न जाएं। पानी के जलने के बाद जब दूध बाकी रह जाए तो इस दूध को छानकर आधा सुबह और आधा शाम के समय प्रयोग में लाएं। जो पुरुष लिंग में उत्तेजना न आने की वजह से चिंता में रहते हैं, उन व्यक्तियों के लिए यह उपयोग बहुत ही अधिक लाभदायक है।
पौष्टिक खीरः- 
सबसे पहले बिना छिलके वाली उड़द की दाल को रात के समय में थोड़े से पानी में भिगोकर रख दें। सुबह के समय में इस दाल को निकालकर मिक्सी में पीस लें। इसके बाद इसको दो चम्मच शुद्ध देशी घी में गुलाबी होने तक भूनें। फिर इसके बाद 250 ग्राम गर्म दूध कर लें। जब दूध उबलने लग जाए तब उसमें भुनी हुई उड़द की दाल डालकर इसे चम्मच से तक तक चलाते रहें जब तक यह गाढ़ा न हो जाएं। गाढ़ा हो जाने पर इसको नीचे उतार लें। फिर ठंडा हो जाने पर इसके अंदर दो चम्मच शहद डालकर रोजाना सुबह नाश्ता करते समय इस पौष्टिक खीर का इस्तेमाल करें। इसका सेवन करने से शरीर हष्ट-पुष्ट और ताकतवर बनता है। इस खीर का विस्तृत रुप से सेवन कर सकते हैं। इस खीर को सात दिन में कम से कम दो बार तो जरुर ही इस्तेमाल करना चाहिए। यह खीर सभी उम्र के लोगों के लिए बहुत ही उत्तम है।
वीर्य को शुद्घ करने वाला चू्र्णः- 
बबूल का गोंद, बबूल की बिना बीजों वाली कच्ची फलियां और बबूल की कोमल पत्तियां- इन तीनों को लेकर छाया में सुखाकर अलग-अलग करके कूट लें। फिर तीनों को बराबर-बराबर लेकर आपस में मिला लें। रोजाना के समय एक चम्मच पिसी हुई मिश्री लेकर इसे एक चम्मच चूर्ण के साथ मिलाकर खा लें। फिर इसके ऊपर से एक गिलास गर्म दूध पी लें। इसका इस्तेमाल दो महीने तक विस्तारपूर्वक करने से इससे काफी अधिक फायदा मिलता है। यह वीर्य को अधिक गाढ़ा बनाता है। यह रात को होने वाले स्वप्न रोग, वीर्य का जल्दी गिरना और यौनांग के ढीलेपन एवं कमजोरी जैसे रोगों को समाप्त कर देता है।
सम्पूर्ण रुप से सुख देने वाले उपायः- 
आंवला, रुदंती, गिलोय सत्व, अश्वगंधा, हरड़, शतावर, चव्य, नागबला, वृद्धादारु, ब्राह्नी, प्रियंगु, वच, बिदारीकंद, जीवंती, पुनर्नवा, मेदा, महामेदा, काकोली, क्षीर काकोली, जीवन ऋषभक, मुग्दपर्णी, माषपर्णी, कौंच के बीज, तुलसी के बीज, सेमल, मूसली, काकनासा, पिपली बड़ी, जटामांसी, शंखपुष्पी, तालमखाना, सोनापाठा, अंनतमूल, मुलहठी, विधारा, अमलबेत, सोंठ तथा श्वेत चंदन- इन सभी पदार्थों को 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर अच्छी तरह से कूटकर कपड़े से छान लें। इसके अंदर वसंत कुसुमाकर रस तथा सिद्ध चंद्रोदय नं. 1- इन दोनों को भी लेकर 25-25 ग्राम डालकर अच्छी तरह से इसमें मिला दें। इस चूर्ण को आधा-आधा चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम के समय में लें। फिर ऊपर से गर्म दूध का इस्तेमाल करें। इस चूर्ण को विस्तारपूर्वक रोजाना तीन महीनों तक खाना चाहिए। फिर इसका इस्तेमाल तीन महीनों के लिए रोककर रखें। इसके बाद फिर तीन महीनों तक इस चूर्ण को लें। इस चूर्ण के प्रयोग से सेक्स क्रिया करने में पूर्ण रुप से सुख की प्राप्ति होती है। यह चूर्ण अधिक पौष्टिक होता है। इस चूर्ण का इस्तेमाल उच्च रक्तचाप, ह्रदय के रोगी तथा शूगर के रोगियों को नहीं करना चाहिए।
कौंच के बीज का चूर्णः-
तालमखाना 30 ग्राम, कौंच के बीज 30 ग्राम, गोखरू 50 ग्राम, पोस्तदाना 40 ग्राम, शाल्मली की जड़ 30 ग्राम, काली मूसली 20 ग्राम, सफेद मूसली 20 ग्राम और मिश्री 20 ग्राम- इन सबको एक साथ मिलाकर बारीक कूट-पीसकर कपड़े से छानकर चूर्ण बना लें। फिर इसे नियमित रुप से सुबह और शाम के समय गर्म दूध के साथ 3-3 ग्राम चूर्ण का इस्तेमाल करें। यह चूर्ण शरीर को पौष्टिक, सेक्स शक्ति को बढ़ाने वाला और संभोग करने की इच्छा शक्ति को भी बढ़ाता है।
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