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Friday 15 February 2013

भीड़ का आनन्द |

भीड़ 
मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ। कॉलेज  प्रथम वर्ष  था।कॉलेज शुरू करने पर मेरा बस से आना जाना बढ़ गया। कॉलेज का पहला साल था। स्कूल से निकल कर मिली हुई आज़ादी का पहला पहला स्वाद था। दिल्ली की बसों में चलने की आदत भी पड़ने लगी, और मज़ा भी आने लगा। वैसे तो दिल्ली की बसें लड़कियों के लिए मुसीबत भरी होती हैं, इतनी भीड़ होती है, ऊपर से भीड़ में हर मर्द आशिक बन जाता है।वैसे तो कॉलेज जाना शुरु होने से पहले से ही दिल्ली की बसों में कोई न कोई अंकल हमेशा कभी मेरे मम्मे दबा देते, तो कभी मेरी चूत सहला देते।लेकिन कॉलेज के पहले साल तक मुझे इस मुसीबत में मज़ा आने लगा था। मेरी जवानी खुद ही गर्मी खा रही थी। दिल्ली की बसों में मर्दों के भूखे हाथ अच्छे लगने लगे थे।जब सहेलियों के साथ होती तब तो सीधी रहती लेकिन जब अकेली कॉलेज जा रही होती तो अगर कोई बस में मेरे मम्मे दबाता, तो बजाये उसे मना करने के या दूर हटने के, मैं चुपचाप अनजान बनी रहती। उसकी हिम्मत बढ़ती और वह रास्ते भर मेरी चूचियाँ दबाता, या फिर मेरी चूत सहलाता।कभी कोई लड़का अपना खड़ा लण्ड मेरी चूत या गांड से सटा के दबाता। कोई कोई तो इतनी बेरहमी से चूचियाँ मरोड़ता था कि सीधे बिजली की तरह चूत में कर्रेंट लग जाता। मुझे इतना मज़ा आने लगा था कि कभी कभी जानबूझ कर बिना ब्रा और पैन्टी पहने कॉलेज जाती। ब्रा और पन्टी बैग में रख लेती, कॉलेज पहुँच कर पहनने के लिए।बिना ब्रा के जब कोई मर्द मेरे मम्मे पकड़ता और दबाता, ऐसा लगता जैसे मैं नंगी हूँ और उसके खुरदुरे हाथ चोदने से पहले मेरी चूचियों का आनन्द ले रहे हैं। बिना पैन्टी के जब किसी का खड़ा लण्ड मेरी चूत से टकराता तो बस उसकी पैंट और मेरी स्कर्ट के पतले कपड़े के अलावा बीच में कुछ नहीं होता।और लड़कियाँ कभी कभी बस में सफ़र करने से शिकायत करती थीं, पर मुझे तो दिल्ली की बसों में सफ़र करना बहुत भाता था।एक दिन ऐसा ही हुआ कि मैं बस में कॉलेज जा रही थी। पहली क्लास थोड़ी देर से थी, लेकिन बस ठसाठस भरी हुई थी।बस एक स्टॉप पर रुकी और दो लड़के बस में चढ़े। अन्दर जगह नहीं थी, पर जगह बनाते हुए वे अन्दर आ गए। उनमें से एक की नज़र मुझ से मिली, और न जाने क्यों उसने मेरी तरफ बढ़ना शुरू कर दिया। भीड़ को चीरते हुए, वह बस में अन्दर आता रहा और मेरे पास आकर रुक गया।दूसरा लड़का भी उसके पीछे पीछे जगह बनता हुआ पास में आ गया। पहला लड़का ऊंचा और गोरा था, दूसरा लड़का साधारण ऊँचाई और रंग का था। दोनों मेरे पास थोड़ी देर तक चुपचाप खड़े रहे। बस चलती रही और उसके तेज़ मोड़ और धक्के बार-बार मुझे उस ऊंचे लड़के से टकराने पर मजबूर कर रहे थे। शायद उस लड़के को मेरे मम्मों के उछाल से समझ में आ गया कि मैंने ब्रा नहीं पहनी है। वह ध्यान से मेरे सीने की ओर देखने लगा और फिर थोड़ा और आगे बढ़ कर मेरे और करीब आ गया।अब तो मेरी नाक उसकी छाती से टकरा रही थी। अगली बार जब बस का धक्का लगा, तो मैं करीब करीब उसके ऊपर गिर ही पड़ी। संभलने में मेरी मदद करते हुए उसने मेरे दोनों चूचियों को पूरी तरह जकड़ लिया। इतनी भीड़ थी और हम इतने करीब थे कि मेरे सीने पर उसके हाथ और मेरी चूचियों का बेदर्दी से मसलना कोई और नहीं देख सकता था। मेरे सारे शरीर में कर्रेंट दौड़ गया, अपनी चूत में मुझे अचानक तेज़ गर्मी महसूस होने लगी। इतना सुख महसूस हो रहा था कि दर्द होने के बावजूद मैंने उसे रोका नहीं।बस फिर क्या था, उसकी समझ में आ गया कि मैं कुछ नहीं बोलूंगी। फिर तो वह और भी पास आ गया और मेरे मम्मे सहलाने लगा। मेरी चूचियाँ तन कर खड़ी हो गई थी, वह उनको मरोड़ता और सहलाता। मेरी आँखें बंद होने लगी, मैं तो स्वर्ग में थी !तभी मुझे एहसास हुआ कि पीछे से भी एक हाथ आ गया है जो मेरे मम्मे दबा रहा है। दूसरा लड़का मेरे पीछे आकर सट कर खड़ा हो गया था। उसका लण्ड खड़ा था और मेरी गांड से टकरा रहा था।अब मैं उस दोनों के बीच में सैंडविच हो गई थी, दोनों बहुत ही करीब खड़े थे और मुझे घेर रखा था। इतने में पहले लड़के ने अपना हाथ नीचे से मेरी टी-शर्ट में डाल दिया। उसका हाथ मेरे नंगे बंदन पर चलता हुआ मेरे मम्मों के तरफ बढ़ने लगा।मेरी सांस रुकने लगी, मन कर रहा था की चीख कर अपनी टी-शर्ट उतार दूँ और उसके दोनों हाथ अपने नंगे सीने पर रख लूँ।आखिर उसके हाथ मेरी नंगी चूचियों तक पहुँच ही गए। अब तो मेरी वासना बेकाबू हुए जा रही थी।पीछे खड़े हुए लड़के ने भी अपना हाथ मेरी टी-शर्ट के अन्दर डाल दिया। अब तो मैं सैंडविच बन कर खड़ी थी, मेरे एक मम्मे पर पीछे वाले का हाथ था, और दूसरे को आगे वाले ने दबोच रखा था।तभी आगे वाले लड़के ने अपना मुँह मेरे कान के पास ला कर कहा,”मज़ा आ रहा है न?”मैंने कोई जवाब नहीं दिया। मुँह में ज़ुबान ही नहीं थी।उसने फुसफुसा के कहा,”थोड़ी टाँगे फैला दे तो और भी मज़ा दूंगा।”मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा। लेकिन वासना की आग इतनी तेज़ जल चुकी थी कि अपने को रोक न पाई, बिना कुछ कहे मैंने अपने टाँगें थोड़ी फैला दीउसने अपना एक हाथ मेरे मम्मे पर रखा, और दूसरा मेरी स्कर्ट में घुसा दिया। उसकी उँगलियाँ मेरी कोमल कुंवारी चूत तक पहुँच गई।जैसे ही उसके हाथ मेरी चूत के हल्के बालों से टकराए, वह चौंक गया, फिर अपने दोस्त से फुसफुसा कर बोला,”साली ने पैन्टी भी नहीं पहनी है। यह तो चुदने के लिए बस में चढ़ी है।”फिर अपनी उंगलिओं से मेरी चूत की फांकें अलग करके उसने एक उंगली मेरी गीली चूत में घुसानी चाही, लेकिन उसको रास्ता नहीं मिला।अब वह दुबारा चौंका और मुझसे ऐसी आवाज़ में बोला कि बस मैं और उसका दोस्त ही सुन सकते थे,”रानी, इतनी बेताब हो चुदने के लिए लेकिन अभी तक तुम्हारी चूत की सील भी नहीं टूटी है। अगर तुम चाहो तो हम तुम्हारी चूत का ताला अपनी चाभी घुसा कर खोल देते हैं, फिर चाहे कितना भी मज़ा करना।”उसके दोस्त ने मेरी चूची को नोच कर मेरे दूसरे कान में मदहोश करने वाले तरीके से फुसफुसा के कहा,”छुआ छुई में जो मज़ा है, रानी, असली चुदाई में उस से कहीं ज्यादा मज़ा आएगा। और हम तुझे चोदेंगे भी बहुत प्यार से। तीनों मिल के मौज करेंगे और फिर तुझे हिफाज़त से छोड़ देंगे।”पता नहीं तब तक मेरी बुद्धि कहाँ जा चुकी थी, मेरी चूत से नदी बह रही थी, मम्मे और चूचियाँ बुरी तरह दुःख रहे थे लेकिन उनका मीठा मीठा दर्द मेरे शरीर में आग लगा रहा था, मैंने धीरे से पूछा,”कहाँ और कैसे?”बस, फिर क्या था, दोनों की आँखों में चमक आ गई। लम्बे कद वाला लड़का बोला,”जे एन यू में उतर जाते हैं। उसका कैम्पस बड़ा है, और वहाँ काफी जंगल है। मुझे एक दो जगह मालूम हैं, वहाँ कहीं अपना काम बन जाएगा।”जे एन यू तो अगला ही स्टॉप था !सोचने या संभलने का मौका मिले, इससे पहले ही मैं उनके साथ बस से उतर चुकी थी।जैसे ही बस हमें उतार कर चली गई, मुझे थोड़ा होश आया। यह मैं क्या कर रही थी? पर तब तक लम्बा लड़का एक ऑटो रोक चुका था और हम तीनों उस ऑटो में सवार हो गए।उसने ऑटो वाले को रास्ता बताया। इतने में दूसरे लड़के ने मुझे बीच में बैठा कर मेरा बैग मेरे घुटनों पर रख दिया। इस तरह ऑटो वाले की निगाह बचा कर उसने फिर मेरे मम्मे और चूचियाँ मसलने शुरू कर दिए। मेरे बदन में फिर से गर्मी आने लगी, पर तब तक डर भी लगने लगा था। मैं एक नहीं, दो बिल्कुल अनजाने मर्दों से चुदने जा रही थी, मुझे तो यह भी पता नहीं था कि यह कंडोम लाये हैं या नहीं।ऑटो चले जा रहा था और रास्ता सुनसान हो गया था। सड़क पतली थी। आखिर हिम्मत जुटा कर मैंने लम्बे लड़के से फुसफुसा के कहा “आज नहीं करते, कभी और करवा लूँगी, आज जाने दो।”उसने बोला,”ऐसा मत बोल, रानी, आज बात बन रही है, इसे तोड़ मत। इतना आगे आकर पीछे मत हट।”मैंने कहा,”देखो मैंने पहले कभी नहीं किया है। मेरे साथ ऐसा मत करो, मुझे जाने दो।”हमारी बातों से ऑटो ड्राईवर को शायद शक हो गया। उसने अचानक ऑटो किनारे पर रोक के बोला,”तुम लोग इस लड़की को जानते हो?”मुझे आशा बंधी कि ऑटो ड्राईवर के होते ये लड़के मेरे साथ कुछ नहीं कर सकते, मैंने कहा, “हम बस में मिले थे और यह मुझे बेवक़ूफ़ बना कर यहाँ लाये हैं। कृपया मुझे वापस ले चलिए।”यह सुन कर दूसरा लड़का बोला,”चुप साली ! बस में तो टांगें चौड़ी कर रही थी, मम्मे दबवा रही थी और चुदने को रजामंद होकर हमारे साथ यहाँ आई, और अब बात से फिरती है?”फिर ऑटो ड्राईवर से बोला,”देख चुप चाप चला चल। इसकी चूत तो आज हम फाड़ेंगे ही, चाहे कुछ भी हो जाए। अगर तू बीच में पड़ेगा तो पिटेगा। अगर साथ देगा तो तू भी इसकी ले लेना।”यह कह कर उसने मेरा बैग हटा दिया, और मेरी टी-शर्ट पूरी तरह उतार दी। ऑटो ड्राईवर के भूखी निगाहें मेरे सीने पर गड़ गईं। लम्बे लड़के ने उसके सामने मेरे मम्मे मसलने शुरू कर दिए। ऑटो ड्राईवर ने हाथ बढ़ा कर मेरे नंगे सीने को टटोला, मेरी चूचियाँ खींची और फिर दांत दिखा के बोला, “क्या माल लाये हो! किराया भी मत देना।”बस, फिर तो मैं समझ गई कि आज चूत खाली खुलेगी ही नहीं, चौड़ी भी होगी।ऑटो चल पड़ा, और थोड़ी देर में एक कच्चे रास्ते पर उतर गया। थोड़ी और देर के बाद ऑटो को रोक कर तीनों उतर गए और मुझे भी उतरने के लिए कहा। चुदने का समय आता देख कर मेरे मन में रोमांच पैदा होने लगा पर दिखावे के लिए मैंने उनको मना भी किया लेकिन कोई असर नहीं हुआ।लम्बा लड़का बोला, “देख, खड़े लण्ड पर लात मत मार। चुपचाप चुदवा ले तो प्यार से चोदेंगे, खूब मज़ा देंगे तुझे !”दूसरा लड़का बोला,”राकेश, इसका उद्घाटन मैं करूंगा !”तो लम्बा लड़का बोला, “नहीं रे, इस कलि का गुलाब तो मेरे लण्ड से बनेगा। मैंने इसे पटाया था, इसकी चूत मैं लूँगा।”यह कह के राकेश ने मेरी स्कर्ट खींच के उतर दी, और मैं पूरी नंगी हो गई।ऑटो ड्राईवर बोला, “बाबा रे बाबा, पैन्टी भी नहीं पहनी है। तुम लोग ठीक कह रहे थे, यह साली शरीफ बनती है पर रंडी है।”फिर वे मुझे पेड़ों के बीच एक झुरमुट में ले गए, एक झटके में उन्होंने मुझे ज़मीन पर लिटा दिया। तीनों अपने कपड़े उतारने लगे और मुझे पर टूट पड़े, मेरे मम्मों और चूचियों को नोचने लगे, अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में घुसाने लगे और मेरी टांगें चौड़ी करके मेरी चूत चाटने लगे।”साली तेरी चूत तो इतनी गीली है और बोल रही है कि चुदवाना नहीं चाहती। इसमें मेरा लण्ड ऐसा जायेगा जैसे मक्खन में छुरी ! आज तो तुझे ऐसा चोदूँगा रांड की तेरी सारी प्यास बुझ जायेगी।”मुझे मज़ा आ रहा था, डर लग रहा था और सचमुच में आज चुदाई होगी इस ख्याल से रोमांच भी हो रहा था।एक साथ तीन मर्द मेरे बदन को आज बेरहमी से इस्तेमाल करने वाले थे। मैंने कई बार खीरा और गाजर चूत में घुसाने की कोशिश की थी, लेकिन इतना दर्द होता था कि आगे बढ़ नहीं पाती थी। अपने हाथ से चूत की सील तोडना मुश्किल है, पर ये लड़के तो बिना घुसाए मानेंगें नहीं। आज तो यह होना ही था। मैं यही सब सोच रही थी कि अचानक मैंने महसूस किया कि राकेश ने अपने लण्ड का सुपारा मेरी चूत पर रख दिया और धीरे धीरे धक्का लगाना शुरू कर दिया था।वह मेरे ऊपर लेटा हुआ था और मेरी टांगें जितनी फैल सकती थी, फैला रखी थी।मैं अभी इस बात को समझ ही रही थी कि दूसरे लड़के ने अपना लण्ड मेरे मुँह में ठूंस दिया और अन्दरबाहर करने लगा। राकेश ने लण्ड पर जोर डालना शुरू कर दिया था। मुझे दर्द होने लगा, जैसे कोई डण्डा अन्दर जा रहा हो लेकिन मुंह में लण्ड होने की वजह से कोई आवाज़ नहीं कर सकती थी।राकेश जोर डालता रहा और धीरे धीरे उसका लण्ड मेरी चूत के अन्दर जाने लगा। हर थोड़ी देर में वोह कुछ सेकंड को रुक कर पीछे खींचता और फिर आगे दबाता। ऐसा लगा जैसे यह अनंत काल तक चला हो।राकेश का लण्ड अब मेरी चूत में जड़ तक घुस चुका था। एक मिनट रुक के राकेश ने धक्के लगाने शुरू कर दिए। अब भी दर्द से बुरा हाल था लेकिन उसके धक्के तेज़ होने लगे। मेरी चूत थोड़ी ढीली हुई तो राकेश ने धक्के लम्बे कर दिए। उधर उसका दोस्त ताबड़तोड़ मेरे मुँह को चोद रहा था। ऑटो वाला मेरे मम्मे और चूचियाँ मसलने में मस्त था।राकेश के धक्के अब मुझे अच्छे लग रहे थे, मेरी चूत से फच फच की आवाज़ आ रही थी।”अबे देख कैसे गांड उठा उठा कर चुदवा रही है !” यह सुन कर मैं शर्म से पानी हो गई, सचमुच मैं चुदाई का मज़ा लेने लगी थी।ऑटो वाले के हाथों और मुँह में लण्ड के होने से चूत की चुदाई और भी मज़ेदार लग रही थी।अचानक मुझे राकेश के धक्के बहुत ही तेज़ होते महसूस हुए। मेरी आँखें बंद थी और मेरी नाक में झाटों के बाल थे, इसलिए कुछ देख नहीं पा रही थी। तभी राकेश रुक गया। उसने अपना लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुसेड़ दिया और मुझे अहसास हुआ कि वह अपना पानी मेरी चूत में छोड़ रहा है।मैं चिल्ला पड़ी,”प्लीज़ अपना लण्ड निकाल लो। मेरा बच्चा हो गया तो क्या होगा? प्लीज़ ऐसा मत करो।”लेकिन राकेश ने अपना लण्ड निकालने की जगह मेरी चूत में और थोड़ा घुसा दिया।दूसरा लड़का बोला,”साली रांड, चुदने के लिए मर रही थी और अब बक रही है?”जैसे ही राकेश झड़ कर मेरी टांगों के बीच से उठा, उसका दोस्त मेरी फैली टांगों के बीच में आ गया। एक झटके में उसने मेरी टांगें उठा कर अपने कन्धों पर रख लीं और बोला, “इस मुद्रा में लण्ड चूत में खूब गहरा जाता है। जब तेरी चूत में मैं अपना वीर्य छोडूंगा तो सीधे तेरी बच्चेदानी में जाएगा।”पहले कि मैं कुछ भी कहती, उसने एक झटके में अपना लण्ड मेरी चूत में उतार दिया। मैं चिल्ला पड़ी तो ऑटो ड्राईवर ने मेरे खुले मुंह में अपना लण्ड घुसा कर मेरी आवाज़ बंद कर दी।एक बार फिर मेरी डबल चुदाई शुरू हो गई। मेरी टांगें अब करीब करीब मेरे सर तक पहुँच चुकी थी और मेरी चूत के पूरी गहराई में लण्ड जा रहा था। दूसरे लड़के ने भी अपना पानी मेरी चूत में छोड़ दिया।मैं अब तक थक चुकी थी, मुँह थक गया था, चूत दुःख रही थी और शरीर पसीने, मिटटी और वीर्य से लथपथ था। लेकिन अभी अंत कहाँ?अब ऑटो वाले की बारी थी। उसने मुझे उठा कर घुटने के बल झुकने को कहा। दिमाग तो काम ही नहीं कर रहा था, न शरीर में दम था। मैं चुपचाप उसकी बात मान गई। फिर उसने मेरे पीछे जाकर पीछे से मेरी चूत में अपना लण्ड डाला। मेरे सर को उसने ज़मीन की तरफ किया और कुतिया बना कर मुझे चोदने लगा।मैंने देखा कि राकेश और उसके दोस्त ने कपडे पहनने शुरू कर दिए थे। कम से कम ये दोनों मुझे कई बार नहीं चोदेंगे। ऑटो वाले के हर झटके के साथ उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में जाता और मुझे उसकी झाटें अपनी गांड पर महसूस होतीं। घोड़ी बनाकर वह चोदते हुए मेरे मम्मे भी दबा रहा था।मुझे अहसास हुआ कि मुझे मज़ा आ रहा था। मैं थक गई थी और दर्द हो रहा था, लेकिन घोड़ी बन कर चुदना मेरी सबसे मनपसंद पोजीशन है।ऑटो ड्राईवर ने भी अपना पानी मेरी चूत में छोड़ा और फिर अपना लण्ड निकाल लिया। राकेश और उसका दोस्त कपड़े पहन चुके थे। उन्हों मेरी टी-शर्ट और स्कर्ट मेरी ओर उछालते हुए कहा,”जल्दी से पहन लो, यहाँ से निकलते हैं।”पाँच मिनट बाद हम वापस उसी बस स्टैंड पहुँच गए। मेरा बैग मुझे पकड़ा कर राकेश और उसका दोस्त किसी और बस में चढ़ गए, और ऑटो रिक्शा कोई सवारी ले कर चला गया।मैं थोड़ी देर तक बस स्टैंड पर बैठ कर अपने टांगों के बीच में बहते वीर्य, अपने मम्मों के ज़ख़्म और चूत के दर्द को महसूस करती रही, फिर मुझे राकेश की बात याद आई,”…हम तुम्हारी चूत का ताला अपनी चाभी घुसा कर खोल देते हैं, फिर चाहे कितना भी मज़ा करना…”

Tuesday 12 February 2013

Hindi main mast kahaniyan: सेक्सी कहानियाँ दोस्त की छोटी बहन

Hindi main mast kahaniyan: सेक्सी कहानियाँ दोस्त की छोटी बहन

Sunday 10 February 2013

Hindi main mast kahaniyan: सेक्सी कहानियाँ चुदाई की लीला

Hindi main mast kahaniyan: सेक्सी कहानियाँ चुदाई की लीला

क्यों जानू? कैसा लगा मेरे भाई के साथ सेक्स ?


मेरा नाम सविता है मेरे पति नवीन बहुत अच्छे और सुलझे हुए हैं। हम सेक्स का पूरा आनद लेते हैं, बात करते है और पर-पुरुष, पर-स्त्री की कल्पना भी करते हैं। मेरे पति को ऐसे ही सेक्स करना अच्छा लगता है और मुझे भी कोई ऐतराज नहीं है !

मेरे उम्र 29 साल है मेरे नवीन 32 के हैं। हमारी शादी को 9 साल हो गए हैं। वैसे तो हमें सेक्स में ठीक-ठाक मजा आता है पर हम लोग जब किसी पराये के साथ सेक्स करने की बात करते हुए सेक्स करते हैं तो मेरा मन बहुत ही चंचल हो जाता है और मुझे किसी दूसरे के साथ सेक्स करने का मन होने लगता है। वैसे मेरे पति का भी मन है कि मैं किसी और के साथ भी सेक्स का मजा लूँ। वो कहते हैं कि सबके लिंग का आकार अलग-अलग होता है और अलग-अलग लिंग का मजा अलग होता है।
इनकी बुआ का लड़का मनोज जो अभी 25 साल का है, उसकी अभी शादी नहीं हुई है, हमारे यहाँ अकसर आता जाता रहता है क्योंकि बुआ का गाँव पास ही है और मनोज भैया अभी पढ़ाई कर रहे हैं। इनका कहना है- मनोज का लिंग बहुत अच्छा है और मेरे लिंग से बहुत बड़ा है। और देखने में सुंदर भी है। अगर तुम चाहो तो मैं बात करूँ मनोज से, या तुम खुद ही सेट कर लो अगर तुम चाहो तो ! सच ! चाहत तो मुझे भी हो गई है कि मैं भी कोई अलग लिंग लेकर देखूँ। नवीन ने मेरे मन में एक बात कूट-कूट कर भर दी है कि अलग लिंग का अलग मजा !
मैं वही मजा लेना चाहती हूँ !
खैर, एक दिन ऐसा ही हुआ कि मनोज हमारे यहाँ दो दिन के लिए आया। कोई परीक्षा देना था और उसका परीक्षा-केन्द्र यहीं था।
बस क्या था, इन्होने भी दो दिन की छुट्टी ले ली। वैसे दोनों भाइयों के बीच में अच्छा प्रेम है।
मनोज सवेरे-सवेरे आने वाला था, इन्होंने फोन लगाया तो वो बोला- भैया ग्यारह बजे तक पहुँच जाऊंगा, खाना साथ ही खाएँगे।
मैंने खाना बनाया और इन्होंने परीक्षा के बाद घूमने का भी कार्यक्रम तय कर लिया, कहा- शाम को बाहर चलेंगे और रात का खाना बाहर ही खायेंगे!
11.30 तक मनोज भैया आ गए। हमने सभी ने साथ ही खाना खाया, मैंने मनोज की पसंद का खाना बनाया था- खीर, आलू मटर की सब्जी, रायता और काजू कतली ये बाहर से ले आये थे। दो बजे मनोज को पेपर देने जाना था, नवीन उसको परीक्षा-केन्द्र छोड़ कर आ गए।
आने के बाद बहुत ही रोमांटिक मुद्रा में थे, साथ में कंडोम लेकर आये थे, मुझे दबा कर कहा- क्या मूड है जानू?
मैंने कहा- जैसा आपका है, वही मेरा है !
दिन में कभी-कभी ही तो मौका मिलता है, और ये शुरू हो गए, मुझे चूमने लगे।
बस सेक्स शुरु होने के साथ ही हमारी बातें भी शुरू हो जाती हैं। ये बोले- आज क्या मन है जानू? आज तो मनोज आया है, आज अपनी इच्छा पूरी कर लो, बहुत मजा आएगा ! तुम कहो तो सारा कार्यक्रम मैं तय कर लेता हूँ, तुमको तो ज्यादा कुछ नहीं करना है।
और हम ऐसे ही बात करते-करते सेक्स करने लगे। मैं कल्पना के गोते लगाने लगी और ये भी मेरे साथ सेक्स करते हुए मनोज का सा अहसास कराने लगे। हम लोग जल्दी ही निबट गए।
शाम के पाँच बज गए थे, मनोज के आने का समय हो गया था। हम लोग नहा कर तरोताज़ा हुए।
मनोज आया, हमने चाय पी और निकल लिए !मैंने पूछा- भैया, कैसा रहा तुम्हारा आज का पेपर? वो बोला- अच्छा रहा सविता भाभी !
और ऐसे ही बातें करने लगे। मेरी आँखों में शरारत थी !
और ये भी बस रात का ही कार्यक्रम सेट करने की सोच में थे। खाना खाने के बाद हम घर आ गए।
रात के आठ बज चुके थे, बाहर बहुत सर्दी थी तो चाय का एक दौर और होना था।
अरे सविता ! चाय पी लेते हैं यार ! क्यों मनोज? क्या मन है ?
अरे भैया ! बहुत मन है !
मैं चाय बनाने के लिए उठी तो ये बोले- अरे रुको सविता ! मैं बना लेता हूँ !
और चाय बनाने के लिए ये चले गए, शायद हमें मौका देने के लिए ! तो मैंने भी फालतू बात के साथ साथ पूछा- क्यों भैया, शादी का कब का मन है ? अब तो आपकी उम्र भी हो गई है ! कब कर रहे हो?
वो बोला- अभी नहीं सविताभाभी ! पहले मैं कुछ बन जाऊँ भैया की तरह, तो शादी की सोचूँगा ! हम बात कर ही रहे थे, इतने में ये भी चाय चढ़ा कर बाहर आ गए, बीच में ही बोले- क्यों भाई? क्या मन नहीं होता है तुम्हारा?
अरे होता तो है ! पर अब क्या करें भैया ! जैसा पहले चल रहा था वैसे ही अब भी काम चल रहा है !
मैं नहीं समझी, मैंने कहा- क्या मतलब है तुम्हारा मनोज भैया?
यह तो अब आपको भैया ही बताएँगे ! मैं नहीं बता सकता हूँ !
अरे नहीं ! क्यों ? क्या बात है? बताओ ना? मैंने कहा- क्या कोई है तुम्हारी जिन्दगी में? मैंने कहा।
अरे नहीं सविता भाभी ! ऐसा कुछ नहीं है ! मैं अभी भी असली कुंवारा ही हूँ !
वैसे हमारी ऐसे बातें पहले भी होती रहती थी। मनोज इनके सबसे निकट रहा है बचपन से ही तो मेरे साथ भी जल्द ही घुलमिल गया था।
ये चाय छानने के लिए चले गए तो मैंने जोर दिया- बोलो न मनोज, क्या बात है ? कैसे कम चल रहा है?
वो बोला- फिर कभी बताऊंगा !
कह कर बाथरूम चला गया और ये भी चाय लेकर आ गए। हमने चाय पी और ये बोले- यार चलो, अंदर आराम से लेट कर बात करते हैं !
हम तीनों आराम से बैड्रूम में जाकर बिस्तर में लेट गए। ये बीच में, मनोज उधर मैं इधर ! हमने अपने ऊपर रजाई डाल ली। सर्दी कुछ ज्यादा ही थी।
बात करते करते इन्होंने मेरे स्तन दबाने शुरू कर दिए, मुझे मजा आने लगा।
यार मनोज ! क्या होता होगा तुम्हारा इस सर्दी में बिना सेक्स के ? ये बोले।
अरे भैया, क्या बताऊँ? बहुत बुरा हाल है ! बहुत मन करता है ! आप तो बहुत किस्मत वाले हो जो आपको सविता भाभी जैसे सुंदर पत्नी मिली !सविता भाभी के साथ सेक्स करके आपको बहुत मजा आता होगा न ?
हाँ यार ! बहुत सुंदर है सविता ! और इसकी चूचियाँ ! बहुत अच्छी हैं, कितनी सख्त हैं आज भी !
भैया, सच में?
हाथ लगा कर देखना है क्या ? ये बोले।
हाथ लगा कर देखना है क्या ? ये बोले।
अरे ऐसा है तो मजा आ जायेगा ! मनोज बोला।
और मनोज का हाथ पकड़ कर इन्होने मेरे वक्ष पर रख दिया।
मैंने कहा- अरे ! यह क्या कर रहे हैं आप दोनों ?
अरे कुछ नहीं भाभी ! थोड़ा सा देख रहा था !
ये भी बोले- बेचारे को हाथ लगा लेने दो ! क्या फर्क पड़ता है तुम्हें?
मनोज हाथ लगाने के बहाने दबाने लगा।
जब पति ही अपनी पत्नी को चुदवाना चाहे तो कोई पराया मर्द छोड़ेगा क्या !
ये बोले- मैं बाथरूम होकर आता हूँ ! जब तक तुम लोग बातें करो !
मनोज और मैं अकेले कमरे में, मनोज के हाथ में मेरी चूचियाँ ! वो आराम से दबा रहा था।
अब वो मेरे पास आ गया और बोला- भाभी, कैसा लग रहा है? मुझे तो बहुत मजा आ रहा है भाभी !
और वो जोर-जोर से दबाने लगा। मनोज मेरे पास आकर मुझसे सट गया और उसका लिंग मुझसे छू गया तो मुझे अहसास हुआ कि वाकई मनोज का तो काफ़ी बड़ा है।
मुझ से रहा नहीं गया तो मैंने हाथ लगा ही लिया- अरे वाह मनोज ! तुम्हारा तो बहुत बड़ा है ! मैंने कहा।
हाँ भाभी, भैया का छोटा है, मुझे पता है !
तुमको कैसे पता?
अरे भाभी, तुमको भैया ने नहीं बताया क्या ? जब कभी हम दोनों साथ होते थे तो ऐसे ही एक दूसरे का हाथ में लेकर हिला कर मन को शांत करते थे ! और आज भी जब भी मौका मिलता है तो हम ऐसा ही करते हैं ! मजा आता है !
तो आज भी ऐसा ही करोगे क्या? मैंने कहा।
मनोज बोला- नहीं भाभी, आज नहीं ! आज तो तुम्हारे साथ ! और बस उसने मेरे योनि पर हाथ रखा, तब तक मैं गीली हो चुकी थी।
ये भी आ गये- क्या चल रहा है?
मनोज बोला- भाभी का ख्याल रख रहा था भैया !
अच्छा ठीक है ! अब तो बस करो ! मैं आ गया हूँ, मैं रख लूंगा ख्याल !
मनोज को ऐसे ही चिड़ाने के लिए ये बोले।
नहीं, अब नहीं रुका जाता है ! भाभी की खूबसूरती के सामने तो मैं ऐसे ही हो जाऊंगा ! और फिर भाभी मना कर दे तो फिर ठीक है !
अरे नहीं-नहीं ! मनोज, मैं तो मजाक कर रहा था। चलो थोड़ा उधर सरको, मैं भी आता हूँ ! मजा दोगुना हो जायेगा !
और दोनों ने मिल कर मेरे सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगे हो गए।



मैंने मनोज का देखा तो नवीन बोले- मैंने कहा था ना कि मनोज का बहुत बड़ा है ! देखो मेरे भाई का लिंग आज तुमको मजा देगा !
मैंने कहा- हाँ, वाकई तुम्हारे भाई का बहुत बड़ा है !
और हम खुले सेक्स के लिए तैयार थे।
मनोज ने कहा- भाभी, आप मुँह में ले लोगी क्या ?
मैंने कहा- क्यों नहीं मनोज ! तुम्हारा इतना सुंदर लिंग मैं मुँह में ना लूँ? ऐसा हो सकता है क्या?
मैंने मनोज का लौड़ा मुँह में लिया ही था कि इतने में इन्होंने मेरी योनि में अपना लण्ड पिरो दिया।
मुझे दोनों तरफ से मजा रहा था।
मनोज बोला- भैया, अब आप ऊपर आ जायें ! मैं थोड़ा देखूँ कि चूत में डालने का क्या मज़ा होता है ! पहली बार चूत में डालूँगा ना !
अरे क्यों नहीं भाई ! आओ, तुम्हारे लिए तो यह बहुत प्यासी है ! मेरे छोटे से लिंग को यह बहुत मजेदार समझती है। मैं भी इसको बताना चाहता था कि इस दुनिया में अलग-अलग लिंग का मजा क्या होता है !
आओ और इसको मजा दो !
इतना कहना था कि मनोज नीचे आया और एक ही बार में मेरी चूत को फाड़ते हुए अपना लिंग अंदर डालने लगा।
मेरे मुँह से आवाज निकल गई- आह ! मैं मर गई ! अरे मनोज, धीरे ! बहुत दर्द हो रहा है !
ये बोले- तब ही तो मजा आएगा
! थोड़ी देर में मजा आने लगा। मनोज जोर-जोर से करने लगा, मैं झड़ गई पर वो अभी तक अपने वार कर रहा था।
अब इन्होंने कहा- रुको मनोज ! कंडोम लगा लो यार !
मनोज ने कंडोम लगाया और फिर शुरू हो गया।
वो भी थोड़ी देर बाद झड़ गया। मैं भी उसके साथ एक बार और झड़ गई।
अब ये आ गये- क्यों जानू? कैसा लगा मेरे भाई के साथ सेक्स ?
मैंने कहा- मजा आ गया ! पर अब तुम्हारा छोटा पड़ेगा !
मैंने ऐसे ही मजाक में कहा था।
ये बोले- अरे कोई बात नहीं ! मनोज आता रहेगा ना तुमको मजा देने के लिए ! तुम चिंता मत करो ! क्यों मनोज? आओगे या नहीं अपनी भाभी के लिए?
अरे भैया ! यह आप क्या कह रहे हैं ! आप कहें तो मैं भाभी के अंदर से कभी बाहर ही ना निकालूँ ! मुझे आज जन्नत मिल गई है भाभी जैसी औरत पाकर ! मैं कभी शादी भी ना करूँ अगर भाभी मेरे साथ सेक्स करें और आप करने दो तो !
अरे क्यों नहीं मनोज ! आज से यह हम दोनों की है ! तुम जब चाहो, तब कर सकते हो ! मेरे तरफ से तुम आज़ाद हो ! क्यों नीता ? तुम मना करोगी क्या मनोज को?
अरे नहीं ! कभी नहीं ! मुझे बहुत मजा आया।
और इन्होंने भी झटके देना चालू कर दिए। मुझे तो इनके लिंग का अहसास ही नहीं हो रहा था मनोज का लिंग लेने के बाद। पर मैं फिर से झड़ने वाली थी और वो भी मेरे साथ ही झड गए !
आज मेरे पति ने मुझे दूसरे लिंग का अहसास कराया।

Saturday 9 February 2013

औरतों को अब ‘योनि’ चाहिए डिजाइनर | अन्तर्वासना सेक्स

औरतों को अब ‘योनि’ चाहिए डिजाइनर | अन्तर्वासना सेक्स
एक अध्ययन में पता चला है कि महिलाओं में अपने 'प्राइवेट पार्ट' को लेकर सजगता बढी है. अब महिलाएं अपने प्राइवेट पार्ट भी डिजाइनर चाहती हैं. ब्रिटेन की एक शोध संस्था ने एक एनीमेटेड फिल्म बनाई है और उसे उम्मीद है कि ये फिल्म महिलाओं में ‘डिजाइनर योनि’ की इच्छा के बारे में बहस को प्रोत्साहित करेगी.

सेंटरफोल्ड नामक इस फिल्म में वेलकम दिखाया गया है कि तीन महिलाएं लेबियाप्लास्टी के बारे में चर्चा कर रही हैं कि इसने उन्हें किस तरह से प्रभावित किया है. 
लेबियाप्लास्टी वह विधि है जिसमें ऑपरेशन के जरिए स्त्री जननांग यानि कि लेबिया के आंतरिक भाग को कम कर दिया जाता है.

कुछ महीने पहले राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा यानी एनएचएस की ओर से दो हजार से भी ज्यादा लेबियाप्लास्टी के ऑपरेशन किए गए।
वहीं जानकारों का कहना है कि यदि अनियंत्रित निजी क्षेत्र में होने वाले ऑपरेशन को भी शामिल कर लिया जाए तो ये संख्या कहीं ज्यादा होगी। इस विधि में लागत तीन हजार पौंड से अधिक की आती है. लेबियाप्लेस्टी मामलों में हो रही लगातार बढ़ोत्तरी के बावजूद एनएचएस की ओर लेबिया के आकार-प्रकार के बारे में किसी तरह के सामान्य दिशा-निर्देश नहीं तय किए गए हैं.

कुछ महिलाएं योनि के आकार-प्रकार के बारे में अजीबोगरीब सपने देखती हैं . ब्रिटेन के प्लास्टिक सर्जनों का एक संगठन इस सर्जरी से पहले मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग की मांग कर रहा है. इस संगठन का कहना है कि इस सर्जरी से पहले महज 35 प्रतिशत अस्पतालों में ही मनोवैज्ञानिक सलाह की सुविधा है.

Thursday 7 February 2013

घर के सामने वाली

घर 
एक बार की बात है, तब मैं अपने गाँव में रहता था, हमारे घर के सामने एक शादीशुदा लड़की रहती थी.. उसका नाम आयशा है, वो बस शादी के बाद घर से अलग होकर अपने पति के साथ रहती थी लेकिन शादी के कुछ ही महीनों बाद उसका पति काम करने के लिए सउदी अरबिया चला गया.. वो अकेली रहने लगी थी..जब वो नहाकर बालकोनी में खड़ी होती, तब मैं उसको बहुत देखता था तो मेरा लोड़ा उसको देखकर तुरंत खड़ा हो जाता था, कई बार तो मैं उसे देखकर मूठ भी मार लिया करता था, उसको चोदने की मेरी बहुत इच्छा होती थी.. धीरे धीरे वो भी मुझे देखने लगी.. मेरी बात बनने लगी।एक रात की बात है, मैं अपने दोस्तों के साथ खा-पीकर आया था, तब अचानक ही भगवान ने मेरा साथ दिया, उसने अपनी बालकनी में खड़ी होअक्र मुझे आवाज लगाई। मैंने उसको देखा और उसने मुझे देखा, वो बोली- भाईजान, मेरे डिश में कुछ दिक्कत हो रही है, कोई भी चैनल साफ नहीं आ रहा.. क्या आप उसे देखकर सही कर दोगे?मैंने कहा- भाभी जी, क्यों नहीं.. मुझे बताओ क्या हुआ?तो उसने बोला- मेरे घर आ जाओ और देखकर ठीक करो ना, नहीं तो मेरा टाइम पास नहीं होगा..तब मैं उसके घर गया और उसके टीवी में चैनल सर्च करके सही कर दिए..मैं जाने लगा तो उसने कहा- आप चाय तो पीकर जायें..वो चाय बनाने लगी, मैं टीवी देख रहा था.. कुछ समय बाद आयशा ने मुझे चाय लाकर दी.. मैं चाय पीते हुए उसको देख रहा था और वो मुझे देख रही थी.. कि पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और वो बिल्कुल भी कुछ नहीं बोली। शायद इसलिए कि उसको भी तो अपनी महीनों से अनचुदी चूत की प्यास मिटानी थी।धीरे धीरे मैंने अपना हाथ उसके कन्धे पर रख दिया तो वो बोलने लगी- भाईजान, ये क्या है, अगर किसी ने देख लिया तो क्या होगा.. मैंने कहा- मेरी रानी, ना कोई देखेगा, ना ही कुछ होगा..वो बोली- नहीं नहीं ! आप जाओ..मैं कहाँ मानने वाला था, हाथ में आया अंगूर ऐसे ही बिना खाए जाने दूँ !!धीरे धीरे मैं उसके उरोजों पर हाथ लगाने लगा, बाद में कभी चूतड़ तो कभी उसके स्तन दोनों पर हाथ फेरने लगा..अब उसको मजा आने लगा.. थोड़ी देर बाद मैं यों ही उसे चिढ़ाने के लिये बोला- भाभीजान, मैं तो जा रहा हूँ अपने घर पर..और मैं उठ कर जाने लगा तो पीछे से उसने आवाज लगाई- क्या ऐसे ही जाओगे या कुछ लोगे..मैंने बोला- क्या है आपके पास जो हमें खुश कर दे..?तो वो बोली- जरा रुको, मैं अभी आती हूँ !वो बाहर का दरवाजा बंद करके आई और दूसरे कमरे में जाकर केवल मेक्सी पहनकर मेरे सामने आ गई।मेरा लंड उसको देखकर और भी उत्तेजित हो गया, क्या लग रही थी ! उसके मम्मे उसकी मैक्सी के गले से भी बाहर दिख रहे थे..आयशा मेरे पास आकर बैठ गई मुझे चूमने लगी.. थोड़ी देर तक हम दोनों किस करते रहे और मैं उसके मम्मे दबाता रहा..फिर हम दोनों ने कपड़े उतारे और एक दूसरे से लिपट गए..अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था, मैं उसकी मखमली चूत को देखकर पागल हो गया और उसकी चूत को चाटने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।थोड़ी देर बाद वो गीली हो गई और तब मैंने उसको बोला- तुम मेरा लोड़ा चूसो।वो भी मेरा आठ इंच का लोड़ा देखकर बोली- क्या लंड है ! भगवान ने मेरी किस्मत कितनी अच्छी बनाई है कि मुझे तुम जैसे नौजवान का लंड देखने को मिला।मैंने कहा- मेरी रानी, फालतू बातें छोड़ो और मेरा लंड अपने मुँह में लो..उसने बोला- नहीं भाईजान, यह मेरे से नहीं होगा..मैं बोला- अगर नहीं, तो मैं जा रहा हूँ..उसने मुझे पकड़ा और बोली- कहाँ जा रहे हो? मैं ले रही तो हूँ !फिर मैंने अपना लोड़ा उसके मुँह में दिया और मैं उसकी चूत में उंगली करता रहा..फिर वो बोली- मेरे राजा, अब नहीं रहा जा रहा, तीन महीनों से नहीं चुदी हूँ, मेरी इस चूत की प्यास मिटा दो ना !मैं बोला- तो अभी लो आयशा जान !वो लेट गई, मैंने अपना लोड़ा उसकी चूत में थोड़ा सा ही डाला तो उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी- आ… उ…. आ.. उ….आहः फिर मैंने एक हल्का धक्का दिया, मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। मैं उसके मम्मे पीता रहा, कभी उनको दबाता रहा।उसके मुँह से बस आ.. उ.. आ.. उ.. की आवाजे आ रही थी।फ़िर वो बोलने लगी- आज इस मादरचोद चूत को फाड़ दो, इसकी प्यास बुझा दो, इसने मेरा जीना हराम कर रखा है।मैं बोला- आज के बाद अगर आप को कभी भी यह परेशान करे तो आप मुझे मिस कॉल मार देना, मैं इसका इलाज कर दूँगा।थोड़ी देर तक चुदाई चलती रही, फिर मेरा झड़ने लगा और मैंने मेरा पूरा माल उसकी चूत में छोड़ दिया।थोड़ी देर बाद हमने फिर से एक बार और चुदाई की.. बाद में मैं अपने घर चला गया और चुदाई का यह सिलसिला अभी तक जारी है..

Wednesday 6 February 2013

कुंवारी बुआ को चोदूंगा ही

मेरा नाम साहिल है, आज मैं हिम्मत करके आपको अपनी एक वास्तविकता बताने जा रहा हूँ।

मेरी उम्र 19 साल है कद 5 फुट 4 इंच, रंग साफ है, मेरे लंड की लम्बाई लगभग 7 इंच है, रंग काला है पर इसे गोरी चूत बहुत पसंद है।

आज मैं आपको अपनी और बुआ की चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ, बुआ का नाम अंजलि है, गोरी-चिट्टी। नाक-नक्श किसी हिरोइन की तरह उनके वक्ष ऐसे कि जी करता था अभी चूस लूँ और सारा दूध निचोड़ दूँ। उनका फिगर कुछ 36-30-34 होगा। जब वो चलती है तो लगता है कि स्वर्ग से अप्सरा आ गई हो। उनके नितंब यानि चूतड़ साड़ी में भी अलग ही दीखते हैं। अगर कोई उन्हें नंगी देख ले तो शर्तिया नामर्द की मर्दानगी फूट फूट कर बाहर आ जाएगी।

बालिग होने के बाद मैं हमेशा उन्हें चोदना चाहता था लेकिन वो मेरी बुआ थी तो शर्म आ जाती थी।

एक महीने पहले की बात है जब मुझे उस परी को चोदने का मौका मिला। हुआ यूँ कि गाँव में एक शादी थी, पूरे परिवार को जाना था लेकिन मेरे और बुआ के पेपर थे तो हम दोनों रुक गए और बाकी सब गाँव चले गए।

मुझे गन्दी फिल्म देखने का शौक है तो मैं उस दिन कसेट ले आया, वो कसेट मैंने देखी, मेरी अन्तर्वासना पूरे शवाब पर हो गई। अब जब मैं बुआ को देख रहा था तो मुझे उनकी चूत और गांड ही नजर आ रही थी। मैंने अपनी गांड का छेद देखा था, यह इतना छोटा होता है कि पेंसिल डालनी भी मुश्किल है पर उस फिल्म में एक आदमी अपना मोटा लंड लड़की की गांड में डालता है, लड़की बहुत चिल्लाती है पर आदमी नहीं रुकता। कसम से देख कर मजा आ गया था, पता नहीं क्यों पर मैं बुआ की चूत से ज्यादा गांड की तरफ आकर्षित था। रात को मैं और बुआ खाना खाकर एक ही कमरे में सो गए।

मैं तो बुआ को ही देख रहा था, और उनके चूतड़ों को जो मैक्सी में अलग ही दिख रहे थे। लगभग एक घंटे बाद बुआ उठी, मुझे देखा, मैंने आँखें बंद कर ली। उन्होंने कंप्यूटर चालू किया और एक कसेट डाली। जब कसेट चली तो मेरी आँख फट गई, यह एक ब्लू फिल्म थी। मैंने सोचा कि अभी उठा तो फ़ायदे में रहूँगा, मैं सीधा बैठ गया और बोला- बुआ, पानी पीना है।

और फिर बोला- यह क्या है बुआ? गन्दी फिल्म?

बुआ डर गई और बोली- सुन तू भी जवान है तो समझता है शरीर की जरूरतों को ! तूने तो कर भी लिया होगा पर मैं तो कुंवारी हूँ।

तो मैंने बुआ को अपने पास खींचा और हम लगभग चिपक गये। मैंने उनके कान में कहा- मैं आपकी जरुरत पूरी कर देता हूँ।

वो बोली- तू इतना बड़ा हो गया जो मेरी जरुरत पूरी करेगा?

तभी मैंने बुआ को पकड़ कर चूमना शुरु कर दिया, मैंने बुआ की गर्दन पर चूमा और फिर उन्हें गोद में उठा लिया। मैंने उन्हें बेड पर लिटा दिया और उन्हें चुम्बन करने लगा।

मैंने उनकी गर्दन चूमी और उनके लाल लाल होंठों पर आ गया। मैंने बुआ का नीचे का होंट अपने होंठों में ले लिया। अब मैं और बुआ दोनों होंठ चूस रहे थे।

तभी मैंने अपने एक हाथ से बुआ की मैक्सी खोल दी। अब बुआ मेरे सामने ऐसे थी जैसे मैं उन्हें अपने सपनों में देखा करता था। उनके स्तन मुझसे कह रहे थे कि हमें इस ब्रा से मुक्ति दो प्रभु !

मैंने बुआ की ब्रा उतार दी, मैं बोला- बुआ, यह तो तुमने जन्नत छुपा रखी है।

मैंने उन्हें चूमा और तभी मैंने बुआ का हाथ अपने लंड के ऊपर महसूस किया, मैं बोला- बुआ, रुको !

फिर मैंने अपना पजामा उतार दिया और उनके सामने अपने तने हुए लंड के साथ खड़ा हो गया।

बुआ डर गई, बोली- देख छोटू, मैं तुझसे बड़ी हूँ ना?

मैं बोला- हाँ !

बोली- फ़िर भी यह लंड मैं सह नहीं पाऊँगी तो जरा प्यार से करियो !

मैंने बुआ को चूमा और उनके मासूम चेहरे को सांत्वना दी कि उन्हें ज्यादा दर्द नहीं होगा। फिर मैंने उन्हें लिटा दिया। अब मैंने उनकी लाल पैन्टी उतार दी, उसमें से एक अजीब सी खुशबू आ रही थी। मैंने ऐसी चूत पहले कभी नही देखी थी, न फिल्म में, न हकीक़त में !

उनकी चूत बहुत गोरी थी, हल्के-हल्के बाल थे ! मैंने बुआ की टाँगे चौड़ी की और उनकी चूत पर अपना मुँह रख दिया। मैंने अपनी जीभ उनके दाने से जैसे ही भिड़ाई, बुआ चिल्ला पड़ी।

मैं बोला- क्या हुआ?

बोली- थोड़ा आराम से !

अब मैं समझ गया था कि बुआ आज रात बहुत रोने वाली हैं क्योंकि मैं उन्हें चोदूंगा ही और उनको दर्द होगा।

मैंने फिर अपना काम जारी रखा उनकी चूत चूसने का !

बुआ चिल्लाती रही- आह अहहः हा हाहा आ आह्ह्हाह्हाह अहह छोटू छोड़ दे ।

पर मैंने उन्हें पूरा चूसा और उनका पानी पी गया, वो मुझे अमृत सा लगा। अब बुआ की बारी थी, मैंने अपना लंड उन्हें दिया और कहा- लो चूसो !

वो शरमा गई।

मैं बोला- पूरी रात है, बुआ चुसना तो पड़ेगा ही !

तो बुआ ने चूसना शुरु किया। लंड की मोटाई के कारण उन्होंने थोड़ा ही चूसा पर मैंने उनका मुख मैथुन पूरा किया, साथ ही इसी बीच में कभी उनकी गोरी गांड में उंगली डाल देता, कभी चूत में !

अब जिम्मेवारी का काम था क्योंकि बुआ पहले कभी चुदी नहीं थी तो उनकी चूत बहुत तंग थी, सील बंद।

मैंने उन्हें कहा- थोड़ा दर्द होगा पर बहुत मजा आएगा।

वो डरी हुई थी, मैंने उनकी टाँगें चौड़ी की और उनके ऊपर हो गया ताकि वो दर्द से घबरा न जाएँ, अपना लंड उनकी चूत पर रखा और थोडा सा दबाब डाला तो लंड डेढ़ इंच अंदर गया होगा, वो चिल्लाई- अईई ईई माआअ माया छोड़ दे कमीने उठ मा अईई मर गई रे कुत्ते उठ !

पर मैं वहीं रुका रहा, चूत से खून खून निकल रहा था।

कुछ देर बाद बुआ कुछ शांत हुई और बोली- बाकी कल प्लीज़ ! मर जाऊँगी मैं ! तेरा लंड है या खम्बा !

मैंने वहीं आगे पीछे होना शुरु किया, वो चिल्लाती रही अईई ईई ईई माँ तेरी माँ की चूत कुते छोड़ दे।

मैंने कुछ तेज धक्के लगाये और लंड चूत की गहराई में था, वो गन्दी गन्दी गाली दे रही थी- भोंसड़ी के कुत्ते छोड़ ! आ गई मा ईई ईईइ इ आह्ह अहहः अहाहा अहः आहा ह हमारी चुदाई लगभग आधा घंटा चली, अब वो कुछ शांत थी पर गाली दे रही थी और आह्हहहहाहा आःह्ह आह्ह आवाज़ कर रही थी। मैं उनके ऊपर ही लेट गया और बोला- बुआ मजा आया?

उन्होंने मुझे धक्का देकर अपने ऊपर से हटाया और गाली देकर उठने की कोशिश की लेकिन उठा नहीं गया, आखिर मैंने चोदा था, उठ कैसे जाती।

वो रोने लगी, उन्हें बहुत दर्द हो रहा था, मैंने उन्हें गले लगा लिया, मैंने उन्हें उठाया और बाथरूम में ले गया। वहाँ फव्वारा चला दिया। हम दोनों ने साथ में बीस मिनट स्नान किया फिर वो चूत की सफाई करने लगी। तभी मुझे उनकी गांड का गुलाबी छेद दिख गया, मेरा लंड फिर तैयार था लेकिन बुआ नही मानी।

पर कुछ दिन बाद मैंने उनकी गांड भी मारी, अगली बार बताऊँगा।

मुझे इमेल करें।

mahithakur111@yahoo.com

SEXYGIRL4UONLY16@GMAIL.COM

Tuesday 5 February 2013

आँखों आँखों में


मेरा नाम सोनिया है, यह मेरी असली कहानी है। मैं 21 साल की हूँ और दिखने में स्मार्ट हूँ। मेरा फिगर 34-26-32 है।

यह कहानी जब की है जब मैं बारहवीं के पेपर दे रही थी। मैं पेपर की तैयारी कर रही थी इस लिए मुझे ऊपर का एक कमरा अलग से दे रखा था। मैं रात को कई बार पढ़ने के बाद छत पर घूमती रहती थी। एक दिन मैंने देखा कि मेरे पड़ोस का एक लड़का मुझे देख रहा था पर मुझे लगा की वो ऐसे ही देख रहा होगा। पर यह उसका हर रोज का काम हो गया। वह लड़का देखने में भी स्मार्ट था मुझे भी उसका देखना अच्छा लगने लगा तो मैं भी हर रोज छत पर घूमने लगी।

बात उस दिन की है जिस दिन मेरा अन्तिम पेपर था। मैं जैसे ही स्कूल से बाहर आई, देखा तो वो बाहर ही खड़ा था। मैं उसे ना देखने का बहाना करते हुए सीधा जाने लगी तो उसने मुझे थोड़ी दूर पर रोक लिया और मुझे एक कागज़ देकर चला गया। मेरा दिल बड़े जोर से धड़क रहा था।

मैंने घर आकर देखा तो उस पर उसका फ़ोन नम्बर लिखा था।

मैंने अपने मन को बहुत समझाया पर 2 दिन बाद मैंने उससे फ़ोन कर ही दिया।

फिर हमारी बातचीत आगे बढ़ी।

फिर एक दिन हमने मिलने की योजना बनाई। वह मुझे बस स्टैंड पर मिला फिर हम बुद्ध गार्डन चले गए, वहाँ हमने बैठ कर बहुत बातें की। अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ लिया मेरा दिल बहुत जोर जोर से धड़कने लगा। उसने मुझे चुम्बन के लिए कहा, मैंने मना किया पर उसने जबरदस्ती कर के मेरी चुम्मी ले ही ली, मुझे बड़ा अच्छा लगा क्योंकि यह मेरी जिन्दगी की पहली चुम्मी थी।

उसने मुझे चूमा पर इस बार मैंने उसका साथ दिया। हमने बड़ी देर तक चूमा चाटी की, यही करते करते हुए उसका हाथ मेरी छाती पर आ गया और वह मेरी चूचियाँ दबाने लगा। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। अचानक उसने मेरे कमीज में से मेरे एक स्तन को बाहर निकाला और चूसने लगा। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था पर मैंने अपने आप को संभाला और मना कर दिया और घर आ गई। उस रात मैं सिर्फ उसके बारे मैं ही सोचती रही। फिर रात को उसका फ़ोन आया उसने पूछा- मज़ा आया?

मैंने हां कहा तो उसने बोला- तो वहाँ से आ क्यों गई?

तो मैंने बोला- खुले में डर लगता है।

फिर हमने सेक्स की बहुत बातें की और अगले दिन मूवी जाने की योजना बनाई।

अगले दिन हम 12 बजे के शो मैं कॉर्नर की सीट पर बैठ गए। जैसे ही अन्दर अन्धेरा हुआ, उसका हाथ मेरे शरीर पर चलने लगा, उसने मेरा मुँह अपनी तरफ किया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए। और हम लगभग 15 मिनट तक चुम्बन करते रहे, उसके हाथ मेरे पूरे शरीर पर सांप की तरह घूम रहे थे।

फिर उसका एक हाथ मेरी मुनिया पर आ गया और वह कपड़ों के ऊपर से ही उसे सहलाने लगा। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैंने अपने आप को उसके हवाले कर दिया। मेरा पानी निकल कर कपड़ों के बाहर तक आने लगा। तभी उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया, मुझे पता ही नहीं चला कि उसने कब उसे बाहर निकाला।

अब वह मेरी सलवार के अंदर हाथ डाल कर सहला रहा था और मैं उसके लिंग को आगे पीछे कर रही थी। 5 मिनट बाद उसका पानी बाहर आ गया।

फिर अचानक वो उठा और मुझे अपने साथ ले जाने लगा।

मैंने पूछा तो उसने कुछ नहीं बताया।

फिर हम एक घर में पहुँचे जो एक कमरे का मकान था। पूछने पर पता चला वो उसका ही मकान है और वहाँ कोई नहीं आता, बस सफाई करने के लिए कभी कभी वही आता है।

फिर हम अंदर गए, उसने मुझे पीछे से पकड़ कर मुझे चूमना-चाटना शुरु कर दिया। फिर उसने धीरे धीरे मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मुझे एक खाट पर लेटा दिया।

मैं सिर्फ ब्रा-पैंटी में अपने आप को छुपाने की कोशिश कर रही थी। फिर उसने अपने कपड़े उतारे वह सिर्फ अण्डरवीयर में मेरे सामने खड़ा था, मैंने शर्म के मारे अपनी आँखें बंद कर ली। वह धीरे से मेरे ऊपर आया और मेरे होंटों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा। फिर उसने धीरे से मेरी ब्रा उतार दी और मेरे दोनों चुचूक एक साथ अपने मुँह में भर लिए। मैं काफी गर्म हो गई थी पर शर्म के कारण कुछ नहीं बोली।

फिर उसने एक हाथ मेरी पैंटी में डाल दिया। मेरी मुनिया पूरी भीग चुकी थी। फिर उसने मेरी पैंटी उतार कर अपने होंठ मेरी मुनिया पर रख दिए। मुझे ऐसे लगा जैसे कर्रेंट लगा हो।

फिर वह घूम कर अपना लिंग मेरे मुँह के पास ले आया और मेरे मुँह में डालने की कोशिश की, मैंने कई बार अपने मुँह से उसका लिंग हटाया पर उसने मेरे चूचों को जोर से दबाया, मेरी चीख निकल गई और उसने मेरे मुँह में अपना लिंग डाल दिया।

पहले तो मुझे अजीब सा लगा पर फिर मैं भी उसका लिंग चूसने लगी।

करीब पाँच मिनट बाद वह उठा और उसने मेरी मुनिया पर लिंग रखा और झटका दिया पर फिसल गया। ती बार में उसका लिंग मेरी मुनिया में समां गया और मेरी चीख निकल गई। मैंने उसे मना किया पर वो मुझे चूमने लगा और अपना लिंग आगे-पीछे करने लगा। मुझे दर्द तो हो ही रहा था पर मज़ा भी बहुत आ रहा था। फिर 10 मिनट में वो मेरे ऊपर ही झड़ गया और मैं भी झड़ गई।

उसके बाद हमने उस घर में कई बार सेक्स किया और कई तरह से सेक्स किया और मैंने उससे अपनी गांड भी मरवाई।

s_so98@yahoo.com

Monday 4 February 2013

Barsat Ki Ek Raat - Urdu Sex Stories, Desi Stories, Urdu Sexy Kahani, Desi Chudai Stories, Hindi Sex Stories, Urdu Font Sex Stories, Daily Updated, Latest Sex Stories

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Mera naam Mukesh Aggarwal hai, umar 16 saal, abhi abhi 11th class mein padhta hoon. Mere ghar mein meri maa, Uma Devi, 39 saal aur behan Kamla, umar 18 saal aur hamara nakar Gopi 24 saal, rehte hain. Mere baap Budhi Raj ne maa ko talak de diya hai aur vo hum se alag rehta hai. Kehte hai ki maa aur pita ji ka talak iss karan hua ki maa pita ji se 16 saal chhoti thee aur pita ji maa ko santusht nahin kar pate thay. Meri maa Uma Devi 5 feet 5 inch kad, gadraya badan, gora rang, bhari bhari chuchi, mast chutad hain jo ki vo matakati hui chalti hai. Hamara kirayedar Mr Chopra bhi maa par line marta hai lekin maa ussko ghaas nahin dalti. Mr Chopra ki umar koi 45 saal ki ho gi lekin naa jane kion maa ussko pasand nahin karti. Mere dost Mahesh ki behan Shalini meri behan ki pakki saheli hai jo hamre ghar aksar aati rehti hai.

Main kion ki jawani ki dalheez par kar chuka hoon, mujhe chudayi ki knowledge apne doston se mil chuki hai. Hum mast Ram ki kitaben padh chuke hain. Ek din mere dost Mahesh ne mujhe ek novel diya,” Jawani ki Nadani” jiss mein novel ka hero apni sagi behan ko chod leta hai. Dono bhai behan chudayi ki aag mein jal rahe hote hain aur ek dusre se sharirik sambandh bana lete hain. Novel padhte huye mera lund khada ho gaya aur mera dhyan apn behan Shalini ki taraf chala gaya. Shalini maa ka dusra roop hai, bas usski chuchi aur chutad maa se kuchh chhote hain, lekin hain maa ki chuchi se bhi adhik tight. Novel ka hero kahani mein apni behan ko chod raha tha aur main apna lund muthiyate huye Shalini ko nanga kar ke chodne ki kalpna kar raha tha. Uss din jab mera lund chhooota to itna ras nikla jitna aaj tak nahin nikla tha. Maine lund saaf kiya aur kitab ko chhupa kar apni almari mein rakh diya.

Uss din main Mahesh ke saath baitha dopahar ko sharab pee raha tha, to Mahesh ne mujhe kaha,” Mukesh, zara jaldi kar lo aaj main apni badi didi ke yahan ja kar ussko chodne wala hoon aur mujhe theek wakt per pahunchna hai, agar tum bhi choot ka swad chakhna chahte ho to mere sath chalo, merididi ki nanad bhi chudayi ki shaukeen hai, ussko tere hawale kar doon ga, tu to janta hi hai ke mere jijja ji sugar ke mariz hain aurdidi ko santusht nahin kar pate. Jijju ke kehne par hi didi ki chudayi karta hoon.” Maine umadte huye badal dekh kar kaha,” Mere dost, essa nimantran main thukra to nahin sakta lekin main tere saath fir kabhi chalun ga, aaj mujhe maa ki kamar dard ki medicine le kar jana hai, tu chal, late ho raha hai, main bhi chalta hoon, barish kabhi bhi shuru ho sakti hai,”

Mere kehte hi barish shuru ho gayi. Mahesh ne scooter start kiya aur chal diya aur main paidal ghar chal pada. Barish itni tez ho gayi ki main bilkul bheeg gaya. Maine medicine lee, ek quarter liya jo ki main ghar ja kar peena chahta tha aur ghar chal pada. Barish zoron par gir rahi thee. Aasmaan mein ghane kale badal chha chuke thay. Ghar mein charon taraf andhera ho chuka tha. Main maa ke kamre ki taraf badha. Main maa komedicine dekar, apni sexy kitab padh kar sharab pee kar muth marna chahta tha. Lekin jion hi maa ke room ke pass pahuncha to maa ke karahne ki awazen aa rahi thee,” UEEEEE, MAIN MARI, MERI MAA, BAHUT DARD HO RAHA HAI,”

Maine socha ki maa ki kamar dard ho rahi hai aur main medicine laane mein late ho chuka tha. Lekin jab maine maa ke kamre mein jhanka to mamla kuchh aur hi tha. Meri maa Uma Devi mader jaat nangi farsh par ghutno aur haathon ke bal jhuki hui thee, Gopi pura nanga maa ke chutadon ke peechhey khada ho kar usski choot mein apna lund pel raha tha. Gopi ka lund kuchh itna bada tha ki maa ussko apni choot mein lene mein asmarth thee. Gopi maa ko kuttia ki tarah chodne mein laga hua tha, usski aankhen band thee, verna vo mujhe zarur dekh leta. Meri maa kaamukta devi lag rahi thee, usski badi badi chuchi neechey ko latak rahi thee aur usske chutad upper ki taraf uthey huye thay. Usska gora jism bulb ki roshni mein chamak raha tha. Gopi ne lund ek baar bahar nikala, uss par dher sara thook lagaya aur fir se pel diya maa ki chhot mein.

Chiknayi ki vajah se iss baar lund maa ki choot mein chala gaya,” UMA, MERI RANI, AB TO THEEK HAI MERI JAAN, AAJ KITNE DINO KE BAAD MAUKA MILA HAI TUJHE CHODNE KA, MAA KASAM TU BAGHUT TIGHT HO. OHHHH UMA, MERI RANI TERI CHOOT DIN B DIN TIGHT HOTI JA RAHI HAI, TU AUR BHI JAWAN HO RAHI HAI, MUJH SE ESSEY HI CHUDWANA, MERI UMA, TUJHE CHOD CHOD KAR MERA LUND GADHE KE LUND SAMAN HO GAYA HAI, AHHHH BAHUT MAZAAA RAHA HAI RANI.” Maa bhi kaamukta ki aag mein jal rahi thee aur ussne apni gaand Gopi ke lund par marna shuru kar diya,” GOPI MERE RAJA, CHOD LE APNI RANI KO, APNI UMA KO, MAIN BHI TERE ISS MASTANE LUND KI PYASI HOON, MADERCHOD AGAR TUM NA HOTE TO MAIN TO LUND BINA TADAP KAR HI MAR JATI, MERA PATI TO KUCHH KARNE KE KABIL HI NAHIN RAHA, SALA NAMARD. MERA GOPI TERE LUND PE VAARI JAYUN, SALE CHOD MUJHE KUTTEY”

Gopi dana dan maa ki gaand par apne lund ka parhar peechhey se karne laga. Mere haathon mein medicine pakadi hui thee lekin mera dhyan andar apni maa ki chudayi mein itna kho chuka tha ki mujhe aur kuchh yaad nahin raha. Gopi maa par hamla kar raha tha aur keh raha tha,” UMA, AAJ TUJHE CHODTE HUYE 8 SAAL HO CHUKE HAIN, LEKIN TU TO HAR DIN AUR BHI NIKHAR RAHI HO MERE LUND SE CHUDWA KAR, SALI AB KISSI AUR JAWAN CHOOT KA BHI BANDO BAST KARAPNE SAAD GOPI KE LIYE, AB TO TERI BETI KAMLA BHI TAIYAR HO CHUKI HAI, KAB CHUDWAYE GI USSKO MERE LUND SE, MERI UMA, SALI SAARI UMAR TUM MAA BETI KI KHIDMAT KARUN GA, AGGGGGGG UFFFFF, BEHANCHOD TERI TIGHT CHOOT MERE LUND KO NICHOD RAHI HAI, SALI UMA MAIN JHAD RAHA HOON, MERA RAS TERI CHOOT MEIN GIRNE KO HAI, OHHHHH MADERCHOD MAIN JHADAAAA,”

Uma ne jaldi se apni gaand Gopi ke lund se dur kheench lee. Maa ki choot ka ras bhi zameen par gir raha tha. Ussne Gopi ka haath apni choot par rakha aur vo bina bole maa ki choot ko ragadne laga aur maa Gopi ke lund ko chusne lagi. Main samajh gaya ki maa garabh dharan nahin karna chahti thee. Issi liye ussne Gopi ka lund chhotne se pehle bahar nikal diya tha. Main chupke seapne room mein gaya aur peg bana kar peene laga. Thodi der mein Gopi servant quarters mein chala gaya aur maa bahar apni saeli ke ghar chali gayi.

Muth marne se pehle main dekhna chahta tha ki ghar mein koi hai to nahin. Main jab almari se Mast Ram ki kitab nikalne laga to hairan reh gaya ki kitab vahan nahin thee. Main dar gaya. Kitab kissi ke haath to nahin lagi.Main sabhi rooms ki talashi lene laga. Kamla ke room ke pass ja kar mere kadam thithak gaye. Anar se awazen aa rahi thee,” CHUS KAMLA SALI MERI CHOOT CHOOS, MERI CHUCHI BHEENCH, BEHANCHOD MERI CHOOT SHAANT NAHIN HO RAHI, MUJHE SHAANT KAR DE MERI RANI,” awaz yakeenan Shalini ki thee. Maine andar jhanka to dekha ki Kamla aur Shalini alf nangi bistar par leti hui thee aur Kamla apni saheli ki choot mein zuban dal kar chat rahi thee. Shalini ki janghen meri behan ke chehre par kasi hui thee aur Shalini Kamla ke sir mein haath fer rahi thee. Mera lund kutub minar ki tarah khada ho gaya aur mere dekhte hi dekhte dono 69 position mein chali gayi. Maine socha ki kahin dono sali lesbians to nahin hain. Meri Mast Ram wali kitab bistar par khuli padi thee. In ladkion ka kia karna hai?

Main fir apne kamre mein aiya to mera cell phone baj utha. Phone Mahesh ka tha”Mukesh, yaar yahan to sara program chopat ho gaya, mehmaan aaye huye hain. Main lund khada kar ke gaya tha didi ko chodne lekin lund haath mein le kar vapis aa gaya hoon, agar free ho to aa jayo, sharab peetey hain dono dost,” Maine apni awaz dabate huye jawab diya,” Sale agar chudayi hi karni hai to mere ghar chale aayo. Teri badididi ki choot nahin milli to na sahi, aaj tujhe seal band choot dilwa deta hoon, jaldi se ek bottle daru lete aana, sale apni kunwari behan chudwane wala hoon tujh se, haan behanchod, Kamla ko chode ga kia. meri behan?”

Maine Mahesh ko ye nahin bataya ki main bhi usski behan ko chodne wala hoon. Maine Kamla ke room ka door khol diya. Meri behan aur Shalini ek gehre lesbian bandhan mein quaid thee. Shalini ki nazar mujh par padi to Kamla ki choot se apna muh kheenchte huye boli,” Mukesh bhaiya aap? Hum to bas yuon hi bas……” Kamla ne mujhe dekha to pairon par gir padi,’ Bhaiya, maa ko mat batana, hum aap ki kitab padh kar behak gayi thee, pleaseeeee maaf kar do bhaiya,” aurapne nange jism ko dhakne lagi. Maine haath badha kar apni behan ki mast chuchi ko pakad liya aur dusre haath se Shalini ki jangh ko sehla diya,” Suno meri behna meri baat dhyan se suno, tum dono kia kar rahi ho mujhe iss se koi eitraz nahin hai. Tum dono hi jawan ho, tumhare badab jawani ki aag mein jal rahe hain aur tumhari choot ko sirf jawan lund hi thandi kar sakte hain. Tum ko lund chahiya aur mujhe choot. Shor mat machayo meri behno, tum dono ki choot ke liye mote tagade lund mill jayen ge agar tum vo hi karo jo main kehta hoon. Bolo manzoor hai?”

Dono ladkian mujhe muhn phad kar dekhne lagi. Maine apni pant uttar dee aur Shalini ko apne kamre mein jane ko kaha. Vo bina bole nangi hi mere room mein chali gayi. Maine Kamla ko sara plan bata diya. Tabhi Mahesh pahunch gaya. Maine do glass mein sharab bhar ker ussko de diya aur kamre mein bhej diya jahan meri behan chudayi ke liye tadap rahi thee. Mahesh ek dum dang reh gaya,” Sale apni sagi behan pesh kar raha hoon tujhe, chod le issko jiss tarah tu chahe aur main chal ke apna maal chodta hoon, tujhe koi eitraz to nahin?” maine Kamla ki gaand par haath marte huye kaha. Mahesh jaldi se kapde uttarne laga.

Shalini besabri se mera intzar kar rahi thee. Maine ek glass ussko pila diya aur sharab ki boonden usski chuchi par dal kar chatne laga. Shalini tadap uthi,” BHAIYA, YE KIA KAR RAHE HO, MERI CHOOT MEIN AAG LAGI HUI HAI, MERA BADAN JAL RAHA HAI, MERE JALTE BADAN KO SHAABNT KAR DO MUKESH BHAIYA, MERI CHOOT MEIN APNA LUND PEL DO BHAIYA, TUM TO MERI AAG AUR BHADKA RAHE HO MERE BAHI, CHOD LO APNI BEHAN KO HAIIIII MERE BHAI, YEH KAISI JALAN HAI MERI CHOOT MEIN JO MUJHE SONE BHI NAHIN DETI, AAJ MUJHE APNA LO BHAIYA, MERI CHOOT PAR APNE LUND KI MOHAR LAGA DO MERE BHAI, EK BEHAN APNE BHAI SE LUND KI BHEEKH MANGTI HAI, BHAIYA CHODO MUJHE,”

Mera haath Shalini ki choot ko ragad raha tha jiss se ras ki dhara behne lagi. Sali laundiya puri tarah se garma chuki thee. Der karna munasib nahin tha lekin main apni behan ki choot ko chat kar usske choot ras ko chakhna chahta tha. Maine usski tangen khol kar apna muh usski choot mein dhakel diya aur apna lund usske muh mein dal diya. Namkeen amrit ki dhara mere muhn mein giri aur Shalini mere lode ko lollypop ki tarah chusne lagi. Maine usski gaand ko pakad kar kheench liya aur meri zuban usski choot ki gehrayi mein chali gayi. Hum dono haanf rahe thay.

Tab maine ussko seedha lita diya, janghon ko faila kar apna lund choot par rakh diya. Shalini ki choot bhathi ki tarah garam thee. Maine dhaka mara aur mera lund dan danata huya usski kunwari choot mein chala gaya,” AAAAAAAAAA, BHAIYA, DHEERE SE PELO, DARD HOTA HAI, ARAM SE CHODO APNI KUNWARI BEHAN KO, AHHHHHHH BHAIYA, AB THEEK HAI, PEL DO PURA LUND AB MERI CHOOT MEIN, HAAN BHAIYA CHOD DALO MUJHE, AAJ MERI SEAL TOD DALI HAI TUM NE METRE BHAI, CHOD LO MUJE,”

Main dheere se chudayi kar raha tha aur mera pura lund Shalini ki choot kha chuki thee. Maine dhakke marne shuru kar diye aur chuchi ko muhn mein le kar chusna shuru kar diya. Chudayi pure zoron se chalne lagi,” OHHHHHHHH SHALINI, MERI BEHAN AAJ MAIN PEHLI CHOOT CHOD RAHA HOON AUR VO BHI APNI BEHAN KI, MERI BEHNA BASHUT TIGHT HAI TERI CHOOT, TERA BHAIYA AAJ TUJHE VO ANAND DE GA JO TUM NE KABHI NA DEKHA HO GA, MERA LUND DHANYA HO GAYA TERI CHOOT MEIN JA KAR, MERI BEHNA, DUSRE KAMRE MEIN MAHESH KAMLA KI CHUDAYI KAR RAHA HAI, OHHHH BHAGWAN AAJ DO DOST EK DUSRE SE APNI BEHNO KO CHUDWA RAHE HAI, AHHHHHH SHALINI MERA RAS NIKAL RAHA HAI, MAIN JHAD RAHA HOON TERI PYARI CHOOT KE ANDAR MERI BEHAN,”

Udhar Shalini ki bhi pehli baari hone se vo bhi jaldi hi jhadne lagi. Mere lund ka fowara Shalini ki choot mein ja gira aur hum dono jhad gaye. Dusre room se Mahesh aur Kamla ki chudayi ki awaz sun rahi thee. Jab vo bhi free ho gaye to hum unko milne chale gaye

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