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Thursday 29 November 2012

ससुर जी के साथ सुहागरात


मेरा नाम सुमित्रा है और अब मेरी उम्र २६ साल है | जब मेरी शादी हुई थी, तब मेरी उम्र केवल १९ साल थी | और मेरे पिता एक गरीब किसान थे | मेरी तीन बहने थी; जिनकी शादी मेरे बाद होनी थी | वो, हमेशा परेशान रहते थे |उनके सर पर बहुत कर्जा चड़ा हुआ था और वो रात-रात भर नहीं सोते थे | जिन सेठ से उन्होंने कर्जा लिया था, उनके घर मे कोई औरत नहीं थी और उनका एक पागल लड़का था | वो हमेशा से इसलिए परेशान रहते थे; कि, उनके बाद उनकी लाखो की जायेदाद का क्या होगा और उनके पागल लड़के को कोंन रखेगा ?
एक दिन, जब वो घर कर्जा वापस लेने आये; तो, उन्होंने मुझे देखा | और जब मेरे पिता जी ने उनको कर्जा वापस करने मे असमर्थता जताई | तो, उन्होंने एक प्रस्ताव रखा | उन्होंने बोला, कि  मै आपका सारा कर्जा माफ़ कर दूंगा, अगर आप अपनी लड़की की शादी मेरे लड़के से कर दे | मेरे पिता जी ने उनको साफ़ मना कर दिया | पर, मेरे समझाने पर वो मान गये और मै शादी करके उनके घर आ गयी |
मेरी सुहागरात वाले दिन, मुझे मेरे ससुर जी ने बुलाया और बोला, बेटी मुझे मालूम है; कि, मैने तेरे साथ जो किया स्वार्थवश किया | लेकिन, मुझे अपने घर के लिए एक चिराग चाहिए | और उसके लिए तुझे ही मेहनत करनी पड़ेगी | मेरा बेटा बहुत भोला है और वो चूत और लंड के बारे मे कुछ नहीं जानता है | ससुर जी के मुह से बिंदास शब्द सुनकर मुझे थोडा अटपटा लगा; लेकिन, मैने उसे भुला दिया | रात के ११:०० बज चुके थे और मै अपने कमरे मे सुहाग सेज पर बैठी थी | वो, मेरे कमरे मे आये और आकर मेरे घूँघट से खेलने लगे | ससुर जी ने चूत और लंड शब्द का प्रयोग करके मेरी प्यास बड़ा दी थी और मै अपने पति से अपनी चूत मरवाने के लिए बैचेंन थी |
मैने, अपने पति को पलंग पे लिटाया और उनकी कमीज़ उतारने लगी | उन्होंने थोड़ी से ना -नुकर की; लेकिन, मैने उनके होटो पे अपने होट रख दिये और उनको गरम करने की कोशिश करने लगी; लेकिन, मेरी सारी कोशिश बेकार हो गयी और वो थोड़े देर मे सो गये | उनको गरम करते-करते, मै पूरी तरह गरम हो चुकी थी और मुझे अपनी चूत को शांत करने के लिए एक लंड चाहिए था | मै कमरे से बाहर निकली और बाथरूम मे नहाने के लिए जाने लगी | मेरे ससुर जी अभी सोये नहीं थे | उन्होंने मुझे देखा; तो, मेरी हालत समझ गये और बोले, कुछ नहीं हुआ ना ? मैने ना सर हिला दिया | मेरा मन कर रहा था; कि, ये साला बुड्डा ही मुझे चोद डाले |
मेरे ससुर जी ने कुछ मिनट सोच और फिर झिझकते हुए मुझे अपने कमरे मे बुलाया और बिस्तर पे बैठने को कहा | फिर, उन्होंने अपने कपडे उतारने शुरू कर दिया और नंगे होकर अपना लंड मेरे हाथ मे थमा दिया | मै तो लंड की प्यासी ही थी | झड से पकड़ के अपने मुह मे डाल लिया | मेरे ससुर जी अच्छे कदकाठी के पहलवान थे और उनका लंड भी उसी हिसाब से बड़ा और मोटा था | मे लंड को बेसब्री से चूस रही थी और वो खड़े होकर मेरा मुह चोद रहे थे | ससुर और बहु का रिश्ता विवाह की अग्नि मे जलकर राख हो चुका था और अब वो मेरे कामदेव थे |
उन्होंने, मुझे जल्दी से पूरा नंगा किया और मेरी कमसिन जवानी पर फ़िदा हो गये | फिर, उन्होंने मुझे अपनी गोद मे उठा लिया और अपने होट मेरे चुचियो पर लगा दिये | वो मेरे स्तन बुल्कुल ऐसे चूस रहे थे | जैसे बच्चे लोग आम चूसा करते है | उनकी इस चूसने के कला ने मेरी चूत मे और आग लगा दी और मै बोल उठी, बस पिता जी; अब मेरी चूत का भोसड़ा बना दो |
पिता जी ने मुझे पलंग के किनारे पर लिटाया और मेरी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया | ताकि, निशाना सही लगे, क्योकि मेरी चूत अभी क्वारी थी और रास्ता बंद था | उन्होंने, मेरी चूत पर थूका और मेरी चूत को पूरी तरह से गीला कर दिया और अपने गीले लंड को मेरी चूत पर रखकर एक धक्का मारा | लंड पहली बार मे साइड मे फिसल गया | पिता जी ने फिर कोशिश की और पुरे जोश मे धक्का मारा | इस बार, लंड सररर करता हुआ, मेरी चूत मे जा घुसा | पिता जी अपनी जीत पर खुश होते हुए और जोर से अपनी गांड को धक्का देने लगे | मेरी चूत अन्दर तक छिल चुकी थी और अन्दर दर्द शुरू हो चुका था | मेरी चीखो पर चीख निकल रही थे; लेकिन, आज कोई सुनने वाला नहीं था | जब मुझे दर्द का अहसास कम हुआ तो मुझे भी मज़ा आने लगा और मैने अपनी गांड हिलाहिलाकर पिता जी का साथ देने शुरू कर दिया |
कोई कह नहीं सकता था, इतने उम्र मे भी, पिता जी इतनी देर चोद पाते है | अब मै झड चुकी थी और मेरा वीर्य मेरे खून के साथ चूत से बाहर आने लगा था | पिता जी ने भी अपना पानी मेरे अंदर चोद दिया और उस गरम पानी ने मुझे एक बच्चे की माँ बना दिया | आज, मेरे दो बच्चे है और दोनों मेरे ससुर जी के है और मेरे ससुर जी अब इस दुनिया मे नहीं है; लें, मुझे अब अपनी जिन्दगी से कोई गिला नहीं है | ससुर जी सारी जायदाद मेरे और बच्चो के नाम कर गये है | अब मै सेठानी की तरह रहती हु | और बच्चो के साथ मस्त रहती हु |

बाप बेटा और बहू



लेखिका : कला सिंह
सहयोगी : शमीम बानो कुरेशी
मैं एक साधारण परिवार की लड़की हूँ। वाराणसी के एक घनी आबादी में रहती हूँ। मुझे भी सब वही शौक हैं जो एक जवान लड़की के होते हैं। मेरे परिवार में बस मेरी मां है, पिता की याद मुझे नहीं है, मैं जब बहुत छोटी थी वो एक हादसे में गुजर गये थे। मेरे पड़ोस के ही एक लड़के से मैं प्यार करती थी।
उसका नाम राहुल था, उसके पिता अपनी एक दुकान चलाया करते थे, जिससे उनकी अच्छी आमदनी हो जाती थी। राहुल की मां नहीं थी। राहुल बड़ा शर्मीला लड़का था, उसने मुझे कभी हाथ भी नहीं लगाया था। उसके पिता कभी कभी मेरे घर आते थे, मेरी मां से उनकी अच्छी दोस्ती थी। वो मेरी मां के साथ सेक्स सम्बन्ध भी रखते थे। मेरी माँ मौका पा कर उनसे चुदवा लेती थी। मैं उनके इस सम्बन्ध के बारे में कुछ नहीं कहती थी। पर ऐसा सोच कर कि मां कैसे चुदवाती होगी, उनका लण्ड कैसा होगा, मेरे मन भी चुदाने की इच्छा होने लगती थी। मेरी चूत चुदासी हो उठती थी। पर चुदती कैसे, मौका ही नहीं मिलता था।
मुझे एक दिन मौका मिल गया। मेरी माँ मामा जी के यहां दो दिन के लिये गई हुई थी। रात को मैं अकेली सेक्स के बारे में सोच कर उत्तेजित हो रही थी। मेरा जिस्म वासना में जलने लगा था। मेरी चूत में पानी आने लग गया था। मैं बैचेन हो उठी। मैंने चूत में घुसाने के लिये यहा वहा कुछ ढूंढा तो एक लम्बा वाला बैंगन मिल गया। कपड़े उतार कर मैंने उसे धीरे से चूत से लगाया कि मुझे राहुल का ध्यान आ गया। मैंने अपना मोबाईल उठाया और उसे घर आने को कहा। मैंने बस अपने ऊपर एक लम्बा कुर्ता डाल लिया कि नंगापन छिप जाये।
वो छत के रास्ते दबे पांव नीचे आ गया। उसे देख कर मैं खुश हो गई। वो भी बनियान और पजामें में था।
ऐसी हालत में मैंने उसे पहली बार देखा था। उसका शरीर बलिष्ठ था, मसल्स किसी पहलवान की तरह उभरी हुई थी।
"इतनी रात को....क्या बात है.... कोई परेशानी है क्या ?"
"हां राहुल, अकेले डर लगता है, तुम रात को यहीं रह जाओ।"
"तुम्हारे साथ.... यानी लड़की के साथ.... तुम ठीक तो हो ना?"
" राहुल प्लीज, मैं नीचे सो जाउन्गी, तुम यहाँ सो जाना !"
वो सोच में पड़ गया, फिर बोला - "ठीक है मैं अभी आता हूँ, ऊपर लाईट बन्द करके ये आया।"
कुछ ही देर वो वापिस आ गया।
"आ जाओ, इसी पलंग पर आ जाओ, अभी बातें करेंगे, जब नींद आयेगी तो मैं नीचे सो जाउंगी"
हम दोनों एक ही पलंग पर प्यार की बातें करने लगे। मुझे उसका साथ पा कर तरावट आने लगी। मैं पानी लाने के बहाने उसे अपना बदन दिखाने लगी। कभी अपनी छातियाँ उभार कर उसे रिझाती और कभी अपने चूतड़ों को उसके सामने मटकाती। परिणाम सुखद रहा। आखिर उसके लण्ड का उभार पजामे में से उठ कर दिखने लगा।
उसकी आंखो में वासना के डोरे खिंचने लगे। मैंने कमान और कस ली और एक बार नाटक करके अपनी सुडौल चूतड़ की गोलाईयां कुर्ता ऊपर करके अनजान बनते हुये दिखा ही दी। उसका लण्ड कड़क हो कर पजामे में से बाहर आने की कोशिश करने लगा। मुझे अब पता चल गया था कि आज मेरी रात रंग भरी होने वाली है।
मैं टीवी के पास खड़ी थी। राहुल मेरे पास पीछे आ चुका था। उसने मेरी पीठ पर हाथ रख दिया। कुछ होने की आशंका से मेरा मन सिहर उठा। उसने धीरे से मेरी कमर में अपना हाथ कस लिया। उत्तेजना से मेरी आंखें बन्द होने लगी। उसका शरीर मेरी पीठ से चिपक गया।
"ए राहुल, क्या कर रहे हो.... तुम वहाँ बैठो" अब मेरा शरीफ़ों जैसा नाटक आरम्भ हो गया।
"नहीं मधु, मुझे अच्छा लग रहा है...." उसके हाथ अब मेरी छातियों की तरफ़ बढने लगे थे।
"सुनो, तुम्हारा मन मैला तो नहीं हो गया है ना...." मैंने उसकी वासना को उभारा।
"मत पूछो मधु, तुम हो ही इतनी सुन्दर कि.... बस प्लीज...." उसके हाथ मेरे उभारो पर आ चुके थे। मन कर रहा था कि हाय ....बस अब मसल दे....
"राहुल मत करो प्लीज, हाथ हटा लो...." मैंने अपने दोनो हाथ उसके हाथों पर रख दिये पर हटाये नही। उसके हाथ मेरी छातियों को कसने लगे।
"हाय कितने कठोर और मस्त हैं...."
"चलो हटो...." मैंने उसके हाथ हटाये और छिटक कर दूर हट गई,"राहुल, ऐसे नहीं....शादी के बाद...."
"अरे सॉरी, पता नहीं मुझे क्या हो गया था।" उसने तुरन्त माफ़ी मांग ली और हम फिर से बिस्तर पर लेट कर टीवी देखने लगे। अचानक रहुल ने लेटे लेटे ही मुझे दबोच लिया और अपने होंठ मेरे होंठो से चिपका दिये और मेरे ऊपर चढ़ गया। मैं मस्त हो उठी कि अपने आप लाईन पर आ गया। मेरा कुर्ता ऊपर उठा दिया और पजामे में खडा लण्ड मेरी चूत से चिपका दिया।
"राहुल....ये क्या.... हट जा.... देख मेरा कुर्ता ऊपर हो गया है।"
"मधु, पजामा भी मैंने उतार दिया है, बराबर हो गया ना।"
उसका नंगा लण्ड मेरी चूत से रगड़ खाने लगा। मैंने भी चूत को उभार कर उसके लण्ड को बुलावा दिया कि मैं तैयार हूँ।
"मधु, तुम सच में कुदरत की एक कला हो, ऐसा प्यारा जिस्म, प्यारे उभार, और तुम्हारी ये प्यारी सी मुनिया...."
कहते हुये उसने अपना लण्ड मेरी नई नवेली चूत कुंवारी चूत में घुसा डाला।
"मैया री.... मैं मर गई....धीरे से...." मुझे तेज दर्द हुआ। शायद मेरा कुंवारापन जाता रहा था। झिल्ली शायद फ़ट चुकी थी। उसके मुँह से भी एक हल्की कराह निकल गई। शायद राहुल के लन्ड की स्किन भी फ़ट गई थी। पर जोश में लण्ड घुसता ही चला गया। हम दोनों ने एक दूसरे को समाहित कर लिया था। अब हम रुके रहे.... और अपने आप को कंट्रोल करते रहे। फिर धीरे से एक धक्का और लगाया। मैं फिर से चीख उठी। उसने मुझे प्यार से निहारा और चूमने लगा।
"तुम मेरी जान हो मधु, मेरा प्यार हो, तुम्हरे बिना मैं जी नहीं सकता।"
"मेरे राजा, मेरे तुम ही सब कुछ हो, मुझे और प्यार करो, मुझे जन्नत में पहुंचा दो"
उसने अब धीरे धीरे मुझे चोदना चालू कर दिया। मेरी चूत भी का दर्द भी अब शनै: शनै: कम होने लगा। उसकी रफ़्तार बढ़ती गई। मैं अब सुख के सागर में गोते खाने लगी। मेरी कमर भी अब उछाल मार रही थी। लण्ड पूरी गहराई तक मुझे चोद रहा था। जाने कब मैं सुख के सागर में बह गई और मेरी जवानी में उबाल आ गया, और यौवन रस छलक उठा, मेरी चूत भी उसके वीर्य से लबालब भर उठी। हम निढाल हो कर शिथिल पड़ गये।
पर कितनी देर तक पड़े रहते, कामदेव के तीर पर तीर चल रहे थे, जवानी ने फिर अन्गड़ाई ली और दूसरा दौर आरम्भ हो गया। फिर से हम एक दूसरे में समाने लगे, इस बार की चुदाई पहले से लम्बी और ज्यादा सुखद थी।
रात भर जाने दौर चल चुके थे, सवेरे होते होते राहुल चला गया। मेरा मन शान्त था, गहरे समुंदर की तरह कोई हलचल नहीं थी। मैं गहरी नींद में डूबती चली गई।
आंख खुली तो दिन के ग्यारह बज रहे थे। चादर में लगा खून सूख चुका था। मेरे बदन में भी वीर्य और खून के सूखे निशान चिपक गये थे। मैं तुरन्त उठी पर जिस्म दुख रहा था, टूट रहा था, एकदम से मैं लड़खड़ा गई। मैंने चादर बिस्तर पर से खींच ली और लेकर बाथ रूम में आ गई। मैं अच्छी तरह से नहाई और कपड़े साबुन के पानी में भिगा दिये।
माँ आ चुकी थी। मेरी नजरों की चोरी छुपाये नहीं छुप रही थी। मां की अनुभवी आंखों ने सब कुछ भांप लिया था। उस दिन तो वो कुछ नहीं बोली पर मैं समझ चुकी थी कि मां को शक हो गया है। मैंने रात को मां से लिपट कर धीरे धीरे सब बात बता दी। मां को राहुल के बारे में जब पता चला तो उन्होंने चैन की सांस ली।
राहुल के पापा को मनाना मां के लिये सरल था क्योंकि माँ और उसके पिता का तो चुदाई का कार्यक्रम चलता रहता था।
हमारा सच्चा प्यार रंग लाया और सब कुछ ठीक हो गया। एक दिन शादी का समय भी आ गया। इस बीच राहुल और मैं कई बार चुदाई कर चुके थे यानी बहुत सी सुहाग रातें मना चुके थे। ठीक समय पर हमारे घर अब एक लक्ष्मी ने जन्म लिया। हमारी अधूरी जिन्दगी पूर्ण हो गई।
कुवैत से राहुल को काम करने का एक सुनहरा अवसर आया। और कुछ समय के बाद वो कुवैत चला गया। उसकी अच्छी कमाई थी। मेरा घर भरने लगा पर मन खाली खाली रहने लगा। वो साल साल भर बाद आता था। मेरी शरीर की आवश्यकताओं को भी नजर अन्दाज करने लगा, शायद पैसा ही अब उसके लिये सबकुछ हो गया था। अब मेरा मन भटकने लग गया था। राहुल के पिता अब रात भी माँ के साथ बिताने लगे थे। मैं भी रात को लक्ष्मी के सोने के बाद उनकी चुदाई को कैसे ना कैसे करके चोरी से देखती थी, और रात भर तड़पती रहती थी। कभी कभी तो मैं खूब रोती और फिर ये सोच कर रह जाती कि राहुल ने मेरे लिये कितना कुछ किया।
पर एक दिन ऐसा हुआ कि ........
दिन को मैं अपने कमरे में आराम कर रही थी, एक झपकी लगी ही थी कि किसी ने मुझे दबोच लिया। सुखद आश्चर्य से मैंने आंखे नहीं खोली। शायद भगवान ने मेरी सुन ली थी। उसके हाथ मेरी स्तनों पर आ कर उसे दबाने लगे। जिस्म रोमांच से भर उठा। ये रेगिस्थान में हरियाली कैसी? पर आंख खुलते ही मेरी चीख निकल पड़ी।
वो राहुल के पिता बाबू जी थे.... मात्र चड्डी में थे, उनका लण्ड फ़ुफ़कारें भर रहा था, उनकी आखे वासना में डूबी हुई थी....
मैंने उन्हे धकेलेते हुए कहा,"बाबू जी....ये क्या कर रहे है आप....!"
"भोसड़ी की, चूत सूख जायेगी, चुदवा ले....!"
मैं उनकी भाषा पर सन्न रह गई, ये क्या कह रहे हैं !
"बाबू जी, मैं तो आपकी बहू हूँ.... ऐसा ना करिये !" मैंने उनसे प्रार्थना की।
"साली हराम जादी, तेरी मां को चुदते हुए रोज देखती है, और छिनाल अपनी चूत को हाथ से घिसती है, बाबू जी मर गये थे क्या ?"
अब वो मेरा पेटीकोट खींच रहे थे। उन्होंने अपनी चड्डी उतार फ़ेंकी और मुझे चूमने लगे। उनका मोटा लौड़ा उछल कर बाहर आ गया। मेरी चूंचियाँ सहलाने और दबाने लगे। उनका लण्ड तो बहुत ही मोटा और लम्बा था। मेरी वासना जागने लगी। लम्बे इन्तज़ार के बाद मेरी इच्छा के अनुसार ही ऐसा मस्त लण्ड मिल रहा। उसे हाथ में लेने की इच्छा प्रबल हो उठी। मैंने शरम छोड़ कर उनका लण्ड पकड़ लिया।
"ये हुई ना बात, मेरी जान, ले ले मेरा लौड़ा ले ले, चुदवाले भोसड़ी की...."
"बाबू जी मेरी भी गाली देने की इच्छा हो रही है, दूं क्या मादरचोद गाली तुझे ?"
"मेरी रण्डी, तेरी मां को चोदूं, दे मुझे दे गाली, हरामी, दे गाली, मजा आयेगा।"
"तो भेन चोद मार दे मेरी फ़ुद्दी को, साला मुस्टण्डा लौड़ा, घुसेड़ दे मेरी भोसड़ी में...." मुझे भी आज मौका मिल गया मन की भड़ास निकालने का। मुझे पता था इतना मोटा लण्ड मुझे मस्त करने वाला है। माँ की किस्मत पर मैं जलने लगी कि इतने सोलिड लण्ड से चुदवाती रही और मुझे पूछा तक नहीं। मैं तो राहुल के दुबले पतले लण्ड से ही सन्तुष्ट थी, मेरी मां कितनी खुदगर्ज है चुदवाने के मामले में....।
मेरी चूत को देखते हुए बोले,“ हाय रे मेरी बेटी, इतनी सी मुनिया है रे तेरी तो....और पोंद इतने से?”
“बाबूजी, आज कल लडकियाँ इतनी ही नाजुक होती हैं” मेरी गाण्ड को टटोलते हुए अपना हाथ फ़ेरने लगे।
“मेरी लाडो, जरा गाण्ड तो मेरी तरफ़ कर, इसका भी मजा ले लूं जरा !”
मैं उल्टी हो कर घोड़ी जैसी हो गई और अपने चूतड़ पूरे उभार दिये। बाबू जी का लण्ड तन्ना उठा मेरी गोल गोल गाण्ड देख कर। उन्होंने पास पड़ी क्रीम उठाई और मेरी गाण्ड में भर दी।
“बाबू जी क्या कर रहे हो.... मेरी तो छोटी सी गाण्ड है, अच्छी है ना?”
“मस्त है रे, साली को मचकाने को मन कर रहा है।” और उन्होने अपनी एक अंगुली मेरी गाण्ड में डाल दी। हल्का सा मजा आया।
“हाय रे बाबू जी, मुझे अपनी लौंडी बना लो, अपने पास ही रख लो।”
“हाँ मेरी मधु रानी, तु बहुत ही सुन्दर है, तेरा हर अंग नाजुक है।”
“मुझे आपकी दासी बना लो, मुझे बस चोद डालो अपने मोटे लण्ड से, देखो चूत कितनी प्यासी हो रही है।”
“शाबाश बेटी.... ये हुई ना बात.... अब देख मैं तुझे कैसा मस्त करता हूं”
मेरी गाण्ड की दोनों गोलाईयों को वो सहलाने लगे और उनका मोटा लण्ड गाण्ड के छेद पर लग गया। मैं घबरा उठी, इतनी छोटी सी गाण्ड में इतना मोटा लण्ड। मेरी तो मां चुद जायेगी .... मैंने पीछे मुड़ के देखा, बाबूजी का चेहरा वासना से लाल हो उठा था, उनका लण्ड गाण्ड देख कर कड़क उठा था। मैंने जल्दी से अपनी गाण्ड को उनके सामने से हटाने की कोशिश की पर उन्होंने अपने हाथों से मेरी कमर कस के थाम ली। लण्ड का सुपाड़ा चिकनाई लगी गाण्ड के छेद पर आ टिका था। अब बाबू जी ने जोर लगाया तो लण्ड नीचे फ़िसल पड़ा।
“ बाबू जी.... ये नहीं करो, नहीं जायेगा।” पर दूसरी बार में मेरी गाण्ड के छेद को फ़ैलाते हुए सुपाड़ा अन्दर घुस पड़ा। मैं चीख पड़ी।
“अरे फ़ाड़ डाली रे मेरी गाण्ड, मादरचोद.... छोड मुझे, हाय रे बाबू जी !" बाबू जी का सुपाड़ा मेरी गाण्ड को चीरता हुआ गहराई नापने लगा।
"बिटिया, इतनी प्यारी पोन्द को मारी नह॥न, तो फिर क्या मजा आयेगा।"
"साले, हरामी, निकाल दे रे लण्ड को बाहर.... मेरी माँ को फोड़ जा कर ...." मुझे असीम दर्द होने लगा। भला हो चिकनाई का जो लण्ड को अन्दर बाहर करने में मदद कर रही थी।
"अब शान्त हो जा मोड़ी, गाण्ड तो मैं छोड़ूंगा नही.... चल भोसड़ी की और झुक जा...." मेरी पीठ को हाथ से दबा कर झुका दिया और लण्ड पेलने लगा। मैं चीखती रही.... उसका लौड़ा अब ठीक से गाण्ड में सेट हो गया था और गाण्ड को चीरता हुआ मजा ले रहा था। मेरे आंसू निकल पड़े.... दर्द के मारे मैं लस्त हो गई। मुँह से आवाज तक निकलना बंद हो गई। मैं अपनी पोंद ऊपर उठाये अपने गाण्ड के छेद को जितना हो सके ढीला करने की कोशिश करती रही ताकि दर्द कम हो। उनके धक्के बढ़ते गये.... मेरी चीखें हालांकि कम हो गई थी पर धक्के के साथ कराह निकल ही जाती थी।
"आज तो मस्तानी गाण्ड का मजा आ गया.... मोड़ी तेरी पोंद तो मजे की है.... देख दो दिन में इसे मेरे लौड़े की साईज़ का कर दूंगा।"
मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। अचानक बाबू जी ने लौड़े का पूरा जोर मेरी ग़ाण्ड में लगा दिया और मैं फिर से एक बार चीख उठी.... बाबू जी का बदन का कसाव बढ गया और अचानक मुझे गाण्ड के अन्दर पानी भरता सा लगा। बाबू जी ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और पिचकारी हवा में उछाल दी। ढेर सारा वीर्य लण्ड ने छोड़ दिया और मेरी पीठ पूरी चिकनी हो उठी। वीर्य गाण्ड के छेद में और पीठ पर फ़ैल गया था। मुझे अत्यन्त सुखद प्रतीत हुआ कि इतने मोटे लण्ड से निजात मिली। मैं बिस्तर से लग गई और आंखे बंद कर ली और गहरी सांसें लेने लगी। बाबूजी ने चादर से ही अपना वीर्य साफ़ कर दिया।
"चुद गई मेरी बेटी.... मधु मजा आया ना?" मां ने कमरे में आते हुए कहा।
"हाँ मेरी बिटिया.... तेरी माँ ही ने मुझे तुझे चोदने के लिये कहा था, तेरी तड़प इससे सही नहीं जा रही थी।" बाबू जी ने रहस्य खोला। मैं चौंक उठी, पर मां ने मेरी भावनाओं का ख्याल रखा, मुझे बहुत अच्छा लगा।
" मां, आप मेरा कितना ध्यान रखती हैं .... पर देखो ना बाबू जी ने मेरे साथ क्या किया !" मैंने शिकयत की और अपनी पोंद दिखाई।
"अरे मादरचोद, मेरी बेटी की तो तूने गाण्ड मार दी, अपने मोटे लण्ड का ख्याल तो रखा होता...." माँ ने गुस्सा होते हुए कहा।
"मैं क्या करूँ, तेरी बेटी की पोंद इतनी मस्त थी कि उसे मारनी पड़ी, मेरा लौड़ा भी तो साला गाण्ड देख कर ऐसा भड़क उठता है कि बस...." बाबू जी ने अपनी मजबूरी जताई।
"साला कमीना, देख गाण्ड की क्या हालत कर दी है...."
"छोड़ ना मां, चाहे लगी हो, पर बाबू जी का लण्ड मस्त है.... अब तो मैं रोज ही चुदाऊंगी।" मैंने मां को समझाया। चाहे जो हो बाबू जी का लण्ड मस्त था, उसे मैं कैसे छोड़ती।
मां ने मुझे गले लगा लिया.... "मुझे भी तो इनके लण्ड का चस्का लगा हुआ है ना.... साला भरपूर चोदता है....मस्त कर देता है"
बाबू जी अपनी तारीफ़ सुन कए इतराये जा रहे थे.... और फिर उन्होने मां को दबोच लिया। और उसके ऊपर चढ़ गये।
रंडी, अब उठा ले अपनी टांग.... लौड़ा तैयार है...." मां कसमसाती रही पर चुदाई चालू हो गई थी। मां नीचे दबी हुई सिसकारियाँ भर रही थी, और बाबू जी चोदते रहे........ पेलते रहे.... मां की चुदती रही, मैं मां को मस्त होते देखते रही....
shamimbanokanpur@gmail.com

Monday 5 November 2012

एनआरआई लड़की की मस्त-मस्त चुदाई - Hindi Sex Stories

एनआरआई लड़की की मस्त-मस्त चुदाई - Hindi Sex Stories

मै एक इंडियन हु और बाहर गावं मे रहकर अपनी पढाई पूरी कर रहा हु | मै जहाँ रहता हु, वो एक इंडियन लोगो को कालोनी है और मेरे आसपड़ोस मे इंडियन एनआरआई लोग रहते है | शुरू मे, तो मुझे उनके साथ रहने मे काफी दिक्कत आयी; लेकिन बाद मे, मुझे उन लोगो के साथ मज़ा आने लगा | मै एक बुड्डे एनआरआई कपल के घर मे रहता हु और मेरे पड़ोस मे एनआरआई जवान कपल रहता है | घर मे, केवल पति और पत्नी रहती थी और पति अक्सर काम मे बाहर रहता था | उसकी पत्नी बड़ी ही मस्त और गरम थी और जब वो अपने गेराज मे अपनी कार धोती थी, तो बहुत नी कम कपडे पहनती थी और बड़े ही कामुक तरीके से कार को धोती थी | जब भी वो कार धोती थी, तो मै अपनी खिड़की पर खड़े होकर हस्त्मथुन करता था और बड़े ही मज़े मे अपना मुठ मारता था |
एक दिन, उस एनआरआई लड़की ने मुझे मुठ मारते हुए देख लिया और मुझे इशारे से बुलाने लगी | उस दिन किस्मत से मेरे मकानमालिक भी नहीं थे और सारा रास्ता साफ़ था | मै जल्दी से वहा पंहुचा और उस एनआरआई लड़की पर टूट पड़ा | मैने बहुत सी लड़कियों को चोदा था, लेकिन उसके साथ जो मज़ा आया; वो मुझे कभी नहीं मिला था | उसके चूचो की गोलाई, गुलाबी निप्पल का कड़ापन, प्यारी सी गोरी चूत और मख्खन सा मुलायम बदन | आप भी इस विडियो को देखो और सोचो मुझे उस एनआरआई लड़की को चोदने मे कितना मज़ा आया होगा …

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Beautiful Natural Women | Wahoha

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