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Thursday 29 November 2012

ससुर जी के साथ सुहागरात


मेरा नाम सुमित्रा है और अब मेरी उम्र २६ साल है | जब मेरी शादी हुई थी, तब मेरी उम्र केवल १९ साल थी | और मेरे पिता एक गरीब किसान थे | मेरी तीन बहने थी; जिनकी शादी मेरे बाद होनी थी | वो, हमेशा परेशान रहते थे |उनके सर पर बहुत कर्जा चड़ा हुआ था और वो रात-रात भर नहीं सोते थे | जिन सेठ से उन्होंने कर्जा लिया था, उनके घर मे कोई औरत नहीं थी और उनका एक पागल लड़का था | वो हमेशा से इसलिए परेशान रहते थे; कि, उनके बाद उनकी लाखो की जायेदाद का क्या होगा और उनके पागल लड़के को कोंन रखेगा ?
एक दिन, जब वो घर कर्जा वापस लेने आये; तो, उन्होंने मुझे देखा | और जब मेरे पिता जी ने उनको कर्जा वापस करने मे असमर्थता जताई | तो, उन्होंने एक प्रस्ताव रखा | उन्होंने बोला, कि  मै आपका सारा कर्जा माफ़ कर दूंगा, अगर आप अपनी लड़की की शादी मेरे लड़के से कर दे | मेरे पिता जी ने उनको साफ़ मना कर दिया | पर, मेरे समझाने पर वो मान गये और मै शादी करके उनके घर आ गयी |
मेरी सुहागरात वाले दिन, मुझे मेरे ससुर जी ने बुलाया और बोला, बेटी मुझे मालूम है; कि, मैने तेरे साथ जो किया स्वार्थवश किया | लेकिन, मुझे अपने घर के लिए एक चिराग चाहिए | और उसके लिए तुझे ही मेहनत करनी पड़ेगी | मेरा बेटा बहुत भोला है और वो चूत और लंड के बारे मे कुछ नहीं जानता है | ससुर जी के मुह से बिंदास शब्द सुनकर मुझे थोडा अटपटा लगा; लेकिन, मैने उसे भुला दिया | रात के ११:०० बज चुके थे और मै अपने कमरे मे सुहाग सेज पर बैठी थी | वो, मेरे कमरे मे आये और आकर मेरे घूँघट से खेलने लगे | ससुर जी ने चूत और लंड शब्द का प्रयोग करके मेरी प्यास बड़ा दी थी और मै अपने पति से अपनी चूत मरवाने के लिए बैचेंन थी |
मैने, अपने पति को पलंग पे लिटाया और उनकी कमीज़ उतारने लगी | उन्होंने थोड़ी से ना -नुकर की; लेकिन, मैने उनके होटो पे अपने होट रख दिये और उनको गरम करने की कोशिश करने लगी; लेकिन, मेरी सारी कोशिश बेकार हो गयी और वो थोड़े देर मे सो गये | उनको गरम करते-करते, मै पूरी तरह गरम हो चुकी थी और मुझे अपनी चूत को शांत करने के लिए एक लंड चाहिए था | मै कमरे से बाहर निकली और बाथरूम मे नहाने के लिए जाने लगी | मेरे ससुर जी अभी सोये नहीं थे | उन्होंने मुझे देखा; तो, मेरी हालत समझ गये और बोले, कुछ नहीं हुआ ना ? मैने ना सर हिला दिया | मेरा मन कर रहा था; कि, ये साला बुड्डा ही मुझे चोद डाले |
मेरे ससुर जी ने कुछ मिनट सोच और फिर झिझकते हुए मुझे अपने कमरे मे बुलाया और बिस्तर पे बैठने को कहा | फिर, उन्होंने अपने कपडे उतारने शुरू कर दिया और नंगे होकर अपना लंड मेरे हाथ मे थमा दिया | मै तो लंड की प्यासी ही थी | झड से पकड़ के अपने मुह मे डाल लिया | मेरे ससुर जी अच्छे कदकाठी के पहलवान थे और उनका लंड भी उसी हिसाब से बड़ा और मोटा था | मे लंड को बेसब्री से चूस रही थी और वो खड़े होकर मेरा मुह चोद रहे थे | ससुर और बहु का रिश्ता विवाह की अग्नि मे जलकर राख हो चुका था और अब वो मेरे कामदेव थे |
उन्होंने, मुझे जल्दी से पूरा नंगा किया और मेरी कमसिन जवानी पर फ़िदा हो गये | फिर, उन्होंने मुझे अपनी गोद मे उठा लिया और अपने होट मेरे चुचियो पर लगा दिये | वो मेरे स्तन बुल्कुल ऐसे चूस रहे थे | जैसे बच्चे लोग आम चूसा करते है | उनकी इस चूसने के कला ने मेरी चूत मे और आग लगा दी और मै बोल उठी, बस पिता जी; अब मेरी चूत का भोसड़ा बना दो |
पिता जी ने मुझे पलंग के किनारे पर लिटाया और मेरी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया | ताकि, निशाना सही लगे, क्योकि मेरी चूत अभी क्वारी थी और रास्ता बंद था | उन्होंने, मेरी चूत पर थूका और मेरी चूत को पूरी तरह से गीला कर दिया और अपने गीले लंड को मेरी चूत पर रखकर एक धक्का मारा | लंड पहली बार मे साइड मे फिसल गया | पिता जी ने फिर कोशिश की और पुरे जोश मे धक्का मारा | इस बार, लंड सररर करता हुआ, मेरी चूत मे जा घुसा | पिता जी अपनी जीत पर खुश होते हुए और जोर से अपनी गांड को धक्का देने लगे | मेरी चूत अन्दर तक छिल चुकी थी और अन्दर दर्द शुरू हो चुका था | मेरी चीखो पर चीख निकल रही थे; लेकिन, आज कोई सुनने वाला नहीं था | जब मुझे दर्द का अहसास कम हुआ तो मुझे भी मज़ा आने लगा और मैने अपनी गांड हिलाहिलाकर पिता जी का साथ देने शुरू कर दिया |
कोई कह नहीं सकता था, इतने उम्र मे भी, पिता जी इतनी देर चोद पाते है | अब मै झड चुकी थी और मेरा वीर्य मेरे खून के साथ चूत से बाहर आने लगा था | पिता जी ने भी अपना पानी मेरे अंदर चोद दिया और उस गरम पानी ने मुझे एक बच्चे की माँ बना दिया | आज, मेरे दो बच्चे है और दोनों मेरे ससुर जी के है और मेरे ससुर जी अब इस दुनिया मे नहीं है; लें, मुझे अब अपनी जिन्दगी से कोई गिला नहीं है | ससुर जी सारी जायदाद मेरे और बच्चो के नाम कर गये है | अब मै सेठानी की तरह रहती हु | और बच्चो के साथ मस्त रहती हु |

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