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Monday 22 April 2013

लंड चूसने की विधि

लंड चूसने की विधि

इस धरती पर शायद ही ऐसा कोई पुरुष होगा जिसे अपना लंड चुसवाना अच्छा नहीं लगता होगा। ज़्यादातर लोग इसकी कामना ही करके रह जाते हैं क्योंकि उनकी पत्नी या प्रेमिका इस क्रिया में दिलचस्पी नहीं रखतीं। कुछ लड़कियां इसे गन्दा समझती हैं और कई ऐसी हैं जिन्हें पता नहीं कि क्या करना होता है।
सबसे ज़रूरी जानने योग्य बात तो यह है कि लंड चूसना एक सुरक्षित क्रिया है जिससे लड़की को कोई भय नहीं होना चाहिए। लंड चूसने से वह गर्भ धारण नहीं कर सकती और अगर वह कुंवारी है तो अपने कुंवारेपन को कायम रखते हुए अपने प्रेमी को अद्भुत आनंद प्रदान कर सकती है। पुरुष के लिए यह सम्भोग के समान आनंद-दायक क्रिया होती है। अगर उसकी प्रेमिका प्यार से उसका लंड चूसती रहे तो उसे सम्भोग की कमी महसूस नहीं होगी। उधर लड़की को भी इसक्रिया में बहुत आनंद आ सकता है बशर्ते उसे सही तरीका आता हो और उसके मन में इस क्रिया के प्रति कोई गलत धारणाएँ ना हों।
इस लेख के द्वारा मैं लड़कियों के लिए लंड चूसने और लड़कों के लिए लंड चुसवाने की सही विधि बताऊँगा जिससे आप इस अति-सुखदायक क्रिया का पूरा आनंद उठा सकेंगे। इस क्रिया में ज्यादा सक्रिय भूमिका लड़की की होती है और लड़के को आनंद उठाने के अलावा कुछ ज्यादा नहीं करना होता। ठीक इसी प्रकार चूत चुसवाने की क्रिया भी होती है जिसमे लड़का क्रियाशील होता है और लड़की सिर्फ आनंद उठाती है। चूत चुसवाने और चूसने की विधि अगले लेख में प्रस्तुत करूंगा।
तैयारी- पुरुष की
लंड चुसवाने के लिए यह अत्यंत ज़रूरी है कि लंड और उसके आस-पास का इलाका एकदम साफ़-सुथरा होना चाहिए। यह हर पुरुष की ज़िम्मेदारी है कि अपने लिंग को हर समय साफ़ रखे, ख़ास तौर से यौन-संसर्ग के समय। यह उस समय और भी ज़रूरी हो जाता है जब अपने लिंग को किसी के मुँह में डालने की उम्मीद रखते हों। लंड सफाई को एक मजेदार रूप दिया जा सकता है अगर आप के पास बाथरूम की सहूलियत है या तो अपने लिंग को आप खुद पानी से धो कर साफ़ कर सकते हो या आपकी प्रेमिका यह कर सकती है। वैसे भी मैथुन से पहले साथ-साथ स्नान करना बहुत अच्छा रहता है। स्नान के दौरान एक दूसरे के शरीर के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं और सम्भोग के लिए उत्तेजना पैदा कर सकते हैं। साथ-साथ स्नान एक बहुत ही मज़ेदार रति-क्रिया हो सकती है। लिंग साफ़ करते वक़्त लंड के सुपारे की ऊपरी परत को अच्छे से खोल कर साफ़ करें और नाभि से नीचे तथा जाँघों से ऊपर के सभी हिस्से साफ़ कर लें। ख़ास तौर से चूतड़ और गांड के छेद को भी धो लें। लड़की को लंड चूसते वक़्त तुम्हारी निम्न शरीर की कोई दुर्गंध नहीं आनी चाहिए। अगर पहली बार में दुर्गंध आएगी तो वह दुबारा कभी लंड चूसने के लिए राज़ी नहीं होगी।
बेहतर होगा अगर लड़के अपने जघन के बालों (अंडकोष के आस-पास के बाल) को क़तर के थोड़ा छोटा कर लें। यह ज़रूरी नहीं है लेकिन ऐसा करने से लड़की को सहूलियत होगी। ध्यान रखें कि बाल ज्यादा छोटे नहीं काटें नहीं तो लड़की के मुँह में चुभेंगे।
तैयारी- लड़की की
पहली बार लंड चूसने के लिए सबसे महत्वपूर्ण तैयारी मानसिक होती है जिसमें लंड के प्रति गलत धारणाओं को मन से निकालना होगा। लंड अगर साफ़ सुथरा हो तो एक अत्यंत प्यारा और रोचक अंग होता है। किसी भी आदमी के लंड के कई रूप होते हैं और यह अलग-अलग अवस्थाओं में अपना रूप, आकार और माप बदलता रहता है। यह छोटा और बड़ा हो सकता है, सख्त या मुलायम हो सकता है और लचीला या कठोर हो सकता है। लंड अपना रूप अपने आप बदलता है और इसमें पुरुष की मर्ज़ी नहीं चलती। अच्छा ही है क्योंकि अगर पुरुष अपनी मर्ज़ी से अपने लंड को खडा कर पाता तो लड़कियों के लिए जीवन दूभर हो जाता।
साफ़ सुथरे लंड में कोई दुर्गंध नहीं होती और चूत के मुक़ाबले इसमें से कोई द्रव्य नहीं रिसता जब तक वह वीर्य नहीं उगलता।
लड़कियों को यह भी पता होना चाहिए कि जब एक लंड उत्तेजित हो जाता है (यानि खड़ा हो जाता है) तो उसकी पेशाब की नली बंद हो जाती है और वह मूत्र नहीं कर सकता। कहने का मतलब कि वह तुम्हारे मुँह में पेशाब नहीं कर सकता। उत्तेजना के बाद जब लंड शिथिल पड़ जाता है तो भी पेशाब करने के लिए कुछ समय लगता है। तो यह डर भी लड़कियों को नहीं होना चाहिए।
मानसिक तौर से लड़कियों को लंड से प्यार करना चाहिए क्योंकि शरीर के दूसरे अंगों की माफ़िक़ इसको भी चूमा और चूसा जा सकता है। बहुत सी लड़कियां तो लंड चूसने में बहुत मज़ा लेती हैं। मानसिक तैयारी के अलावा कोई ख़ास तैयारी लड़कियों को नहीं करनी होती। अगर तुम चाहो तो एक अभ्यास कर सकती हो जिससे उत्तेजित लंड को पूरा चूसने में कठिनाई नहीं होगी।
मुँह का अभ्यास
इस अभ्यास का उद्देश्य धीरे धीरे अपने मुँह के आकार को बड़ा करना है जिससे एक पूरा मर्दाना लंड तुम्हारे मुँह में समा जाये और तुम्हें दम घुटने या सांस रुकने की समस्या ना हो। इसके लिए तुम्हें कुछ समय तक अभ्यास करना होगा क्योंकि यह योग्यता अचानक नहीं आ सकती। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तुम अभी से लंड नहीं चूस सकती हो। लंड तो चूस सकती हो लेकिन इसमें महारत हासिल करने के लिए मुँह और गले को इस काबिल बनाना होगा कि 5-7 इंच का तना हुआ लंड मुँह में निगल सको। यह लंड चूसने की उन्नत स्थिति है और हर लड़की को इसे पाने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि इस कला को पाने के बाद तुम किसी भी मर्द को अपने वश में आसानी से कर सकती हो।
इसके लिए तुम्हें क्रमशः बढ़ते हुए आकार के ऐसे फल या सब्जियाँ चाहिएँ जिन्हें तुम मुँह में ले सकती हो। इनमें केला, खीरा, ककड़ी, लम्बे बैंगन इत्यादि उचित हैं। शुरू में छोटे आकार के फल इस्तेमाल करें और धीरे धीरे एक विकसित लंड के आकार से थोड़े बड़े आकार के फल के साथ अभ्यास करें।
अभ्यास करने के लिए जीभ को बाहर रखते हुए फल को मुँह के जितना अन्दर डाल सकती हो डाल कर अन्दर-बाहर करो। जब एक आकार के फल के साथ मुँह की क्षमता हासिल हो जाए तो उससे थोड़े बड़े आकार के फल के साथ अभ्यास करो। शुरू में मुश्किल होगी लेकिन धीरे-धीरे मुँह आदि हो जायेगा और 6-7 इंच लम्बे और 2-3 इंच चौड़े आकार के केले या खीरे अपने मुँह में ले पाओगी। जब ऐसा हो जाये तो तुम्हारा अभ्यास पूरा हो गया है और तुम अपने आदमी को अपने अधीन करने के लिए तैयार हो। ध्यान में रखने वाली बात यह है कि हमारी जीभ हमारे मुँह में काफी जगह ले लेती है।इसे जितना बाहर रखा जाये तो मुँह में लंड के लिए उतनी ज्यादा जगह बनेगी और लंड उतना ज्यादा अन्दर लिया जा सकता है।
लंड चूसने के लिए आसन
लण्ड चूसने के लिए कुछ सामान्य आसन इस प्रकार हैं। जब थोड़ा सामर्थ्य आ जाये तो अपनी मर्ज़ी से नए नए आसन बना सकते हो।
1- लड़का खड़ा हो और लड़की घुटने के बल बैठ कर लंड मुँह में ले।
2- लड़का बिस्तर पर लेटा हो और लड़की उसके पाँव की तरफ बैठी हो और आगे झुक कर लंड मुँह में ले।
3- लड़का बिस्तर पर लेटा हो और लड़की उसके सीने पर उसकी तरफ पीठ करके बैठी हो।
4- लड़की बिस्तर पर लेटी हो और लड़का ऊपर से आ कर उसके मुँह को लंड से चोदने की स्थिति में हो।
5- लड़का लड़की दोनों लेटे हों और दोनों के गुप्तांग परस्पर एक-दूसरे के मुँह के पास हों। (69 अवस्था)
पहली पहली बार लंड चूसने के लिए बताया गया दूसरा या तीसरा आसन बेहतर रहेगा क्योंकि इसमें लड़की अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ कार्यवाही कर सकती है। पहले और चौथे आसनों में लड़का आक्रामक हो सकता है। अतः इसे थोड़े अभ्यास के बाद और भरोसे वाले लड़के के साथ ही करना चाहिए। पाँचवा आसन तब ग्रहण करना चाहिए जब दोनों परस्पर एक-दूसरे के गुप्तांग चूसना चाहते हों।
लंड से जान-पहचान
अगर तुम लंड को पहली बार इतना नज़दीक से देख रही हो या पहली बार छू रही हो तो इसे बेझिझक हाथ में लेकर इसका निरीक्षण करो। उसको हर तरफ से उठा कर और घुमा कर देखो। अगर लंड खता हुआ नहीं है (कई पुरुषों की शिश्न-मुण्ड के ऊपर की त्वचा कटी होती है, इसे ही खता हुआ कहते हैं) तो उसके सुपारे के ऊपर की चमड़ी पीछे खींच कर सुपारे को उघाड़ कर देखो। सुपारे के शीर्ष पर एक छेद होगा जिसमें से वीर्य और पेशाब दोनों निकलते हैं पर एक समय पर सिर्फ एक ही निकल सकता है। जब लंड खड़ा होता है तो पेशाब नहीं निकल सकता और जब शिथिल होता है तो आम तौर पर वीर्य नहीं निकलता।
लंड का सुपारा सबसे संवेदनशील हिस्सा होता है ख़ास तौर से अगर वह खता हुआ नहीं है तो। खते हुए लंड तुलना में कम संवेदनशील होते हैं। लंड के छड़ की त्वचा मुलायम होती है और सुपारे के मुक़ाबले में कम नाज़ुक होती है। लंड की जड़ के पास दो अंडकोष होते हैं जिनकी त्वचा खुरदुरी होती है और वे पूरी तरह बालों से ढके होते हैं। अंडकोष में वीर्य रहता है और वे ठण्ड में सिकुड़ कर और गर्मी में फैल कर वीर्य को सही तापमान पर रखते हैं। अंडकोष भी बहुत संवेदनशील होते हैं। हालाँकि लंड के मुक़ाबले इनमें स्पर्श-बोध कम होता है लेकिन ज़ोर से दबाने से या चोट लगने से इनमें बहुत दर्द होता है। लंड चूसते समय अंडकोष को भी चूसा जा सकता है लेकिन इनको मुँह में लेते वक़्त सावधानी बरतनी चाहिए।

Saturday 20 April 2013

सेक्स शक्ति को बढ़ाने वाले घरेलू उपाय,sex power in home made

• सेक्स शक्ति को बढ़ाने वाले घरेलू उपाय 
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• परिचयः-
• बाजारों में अधिक मात्रा में सेक्स शक्ति को बढ़ाने वाली दवाईयां भी मिलती है। जिसे लोग इन दवाईयों को काफी मात्रा में प्रयोग कर रहे हैं। वे लोग यह नहीं जानते हैं कि ये दवाईयां उनके शरीर पर कितना गलत प्रभाव ड़ालती है। कुछ ऐसे घरेलू उपाय है जिनको आप खुद ही तैयार करके प्रयोग में ला सकते हैं। ये घरेलू नुस्खें सरल, सस्ते, नुक्सान रहित तथा लाभदायक है। ये घरेलू नुस्खें इस प्रकार हैः- 
• 1. आंवलाः- 2 चम्मच आंवला के रस में एक छोटा चम्मच सूखे आंवले का चूर्ण तथा एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करना चाहिए। इसके इस्तेमाल से सेक्स शक्ति धीरे-धीरे बढ़ती चली जाएगी। 
• 2. पीपलः- पीपल का फल और पीपल की कोमल जड़ को बराबर मात्रा में लेकर चटनी बना लें। इस 2 चम्मच चटनी को 100 मि.ली. दूध तथा 400 मि.ली. पानी में मिलाकर उसे लगभग चौथाई भाग होने तक पकाएं। फिर उसे छानकर आधा कप सुबह और शाम को पी लें। इसके इस्तेमाल करने से वीर्य में तथा सेक्स करने की ताकत में वृद्धि होती है। 
• 3. प्याजः- आधा चम्मच सफेद प्याज का रस, आधा चम्मच शहद तथा आधा चम्मच मिश्री के चूर्ण को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। यह मिश्रण वीर्यपतन को दूर करने के लिए काफी उपयोगी रहता है। 
• 4. चोबचीनीः- 100 ग्राम तालमखाने के बीज, 100 ग्राम चोबचीनी, 100 ग्राम ढाक का गोंद, 100 ग्राम मोचरस तथा 250 ग्राम मिश्री को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह के समय एक चम्मच चूर्ण में 4 चम्मच मलाई मिलाकर खाएं। यह मिश्रण यौन रुपी कमजोरी, नामर्दी तथा वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग को खत्म कर देता है। 
• 5. कौंच का बीजः- 100 ग्राम कौंच के बीज और 100 ग्राम तालमखाना को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें 200 ग्राम मिश्री पीसकर मिला लें। हल्के गर्म दूध में आधा चम्मच चूर्ण मिलाकर रोजाना इसको पीना चाहिए। इसको पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है तथा नामर्दी दूर होती है। 
• 6. इमलीः- आधा किलो इमली के बीज लेकर उसके दो हिस्से कर दें। इन बीजों को तीन दिनों तक पानी में भिगोकर रख लें। इसके बाद छिलकों को उतारकर बाहर फेंक दें और सफेद बीजों को खरल में डालकर पीसें। फिर इसमें आधा किलो पिसी मिश्री मिलाकर कांच के खुले मुंह वाली एक चौड़ी शीशी में रख लें। आधा चम्मच सुबह और शाम के समय में दूध के साथ लें। इस तरह से यह उपाय वीर्य के जल्दी गिरने के रोग तथा संभोग करने की ताकत में बढ़ोतरी करता है। 
• 7. बरगदः- सूर्यास्त से पहले बरगद के पेड़ से उसके पत्ते तोड़कर उसमें से निकलने वाले दूध की 10-15 बूंदें बताशे पर रखकर खाएं। इसके प्रयोग से आपका वीर्य भी बनेगा और सेक्स शक्ति भी अधिक हो जाएगी। 
• 8. सोंठः- 4 ग्राम सोंठ, 4 ग्राम सेमल का गोंद, 2 ग्राम अकरकरा, 28 ग्राम पिप्पली तथा 30 ग्राम काले तिल को एकसाथ मिलाकर तथा कूटकर बारीक चूर्ण बना लें। रात को सोते समय आधा चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से एक गिलास गर्म दूध पी लें। यह रामबाण औषधि शरीर की कमजोरी को दूर करती है तथा सेक्स शक्ति को बढ़ाती है। 
• 9. अश्वगंधाः- अश्वगंधा का चूर्ण, असगंध तथा बिदारीकंद को 100-100 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण दूध के साथ सुबह और शाम लेना चाहिए। यह मिश्रण वीर्य को ताकतवर बनाकर शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा दिलाता है। 
• 10. त्रिफलाः- एक चम्मच त्रिफला के चूर्ण को रात को सोते समय 5 मुनक्कों के साथ लेना चाहिए तथा ऊपर से ठंडा पानी पिएं। यह चूर्ण पेट के सभी प्रकार के रोग, स्वप्नदोष तथा वीर्य का शीघ्र गिरना आदि रोगों को दूर करके शरीर को मजबूती प्रदान करता है। 
• 11. छुहारेः- चार-पांच छुहारे, दो-तीन काजू तथा दो बादाम को 300 ग्राम दूध में खूब अच्छी तरह से उबालकर तथा पकाकर दो चम्मच मिश्री मिलाकर रोजाना रात को सोते समय लेना चाहिए। इससे यौन इच्छा और काम करने की शक्ति बढ़ती है। 
• 12. उंटगन के बीजः- 6 ग्राम उंटगन के बीज, 6 ग्राम तालमखाना तथा 6 ग्राम गोखरू को समान मात्रा में लेकर आधा लीटर दूध में मिलाकर पकाएं। यह मिश्रण लगभग आधा रह जाने पर इसे उतारकर ठंडा हो जाने दें। इसे रोजाना 21 दिनों तक समय अनुसार लेते रहें। इससे नपुंसकता (नामर्दी) रोग दूर हो जाता है।
• 13. तुलसीः- आधा ग्राम तुलसी के बीज तथा 5 ग्राम पुराने गुड़ को बंगाली पान पर रखकर अच्छी तरह से चबा-चबाकर खाएं। इस मिश्रण को विस्तारपूर्वक 40 दिनों तक लेने से वीर्य बलवान बनता है, संभोग करने की इच्छा तेज हो जाती है और नपुंसकता जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं।
• 14. गोखरूः- सूखा आंवला, गोखरू, कौंच के बीज, सफेद मूसली और गुडुची सत्व- इन पांचो पदार्थों को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। एक चम्मच देशी घी और एक चम्मच मिश्री में एक चम्मच चूर्ण मिलाकर रात को सोते समय इस मिश्रण को लें। इसके बाद एक गिलास गर्म दूध पी लें। इस चूर्ण से सेक्स कार्य में अत्यंत शक्ति आती है।
• 15. सफेद मूसलीः- सालम मिश्री, तालमखाना, सफेद मूसली, कौंच के बीज, गोखरू तथा ईसबगोल- इन सबको समान मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस एक चम्मच चूर्ण में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ पीना चाहिए। यह वीर्य को ताकतवर बनाता है तथा सेक्स शक्ति में अधिकता लाता है।
• 16. हल्दीः- वीर्य अधिक पतला होने पर 1 चम्मच शहद में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर रोजाना सुबह के समय खाली पेट सेवन करना चाहिए। इसका विस्तृत रुप से इस्तेमाल करने से संभोग करने की शक्ति बढ़ जाती है। 
• 17. उड़द की दालः- आधा चम्मच उड़द की दाल और कौंच की दो-तीन कोमल कली को बारीक पीसकर सुबह तथा शाम को लेना चाहिए। यह उपाय काफी फायदेमंद है। इस नुस्खे को रोजाना लेने से सेक्स करने की ताकत बढ़ जाती है। 
• 18. जायफलः- जायफल 10 ग्राम, लौंग 10 ग्राम, चंद्रोदय 10 ग्राम, कपूर 10 ग्राम और कस्तूरी 6 ग्राम को कूट-पीसकर इस मिश्रण के चूर्ण की 60 खुराक बना लें। इसमें से एक खुराक को पान के पत्ते पर रखकर धीरे-धीरे से चबाते रहें। जब मुंह में खूब रस जमा हो जाए तो इस रस को थूके नहीं बल्कि पी जाएं। इसके बाद थोड़ी सी मलाई का इस्तेमाल करें। यह चूर्ण रोजाना लेने से नपुंसकता जैसे रोग दूर होते हैं तथा सेक्स शक्ति में वृद्धि होती है। 
• 19. शंखपुष्पीः- शंखपुष्पी 100 ग्राम, ब्राह्नी 100 ग्राम, असंगध 50 ग्राम, तज 50 ग्राम, मुलहठी 50 ग्राम, शतावर 50 ग्राम, विधारा 50 ग्राम तथा शक्कर 450 ग्राम को बारीक कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर एक-एक चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम को लेना चाहिए। इस चूर्ण को तीन महीनों तक रोजाना सेवन करने से नाईट-फाल (स्वप्न दोष), वीर्य की कमजोरी तथा नामर्दी आदि रोग समाप्त होकर सेक्स शक्ति में ताकत आती है। 
• 20. गाजरः- 1 किलो गाजर, चीनी 400 ग्राम, खोआ 250 ग्राम, दूध 500 ग्राम, कद्यूकस किया हुआ नारियल 10 ग्राम, किशमिश 10 ग्राम, काजू बारीक कटे हुए 10-15 पीस, एक चांदी का वर्क और 4 चम्मच देशी घी ले लें। गाजर को कद्यूकस करके कडा़ही में डालकर पकाएं। पानी के सूख जाने पर इसमें दूध, खोआ और चीनी डाल दें तथा इसे चम्मच से चलाते रहें। जब यह सारा मिश्रण गाढ़ा होने को हो तो इसमें नारियल, किशमिश, बादाम और काजू डाल दें। जब यह पदार्थ गाढ़ा हो जाए तो थाली में देशी घी लगाकर हलवे को थाली पर निकालें और ऊपर से चांदी का वर्क लगा दें। इस हलवे को चार-चार चम्मच सुबह और शाम खाकर ऊपर से दूध पीना चाहिए। यह वीर्यशक्ति बढ़ाकार शरीर को मजबूत रखता है। इससे सेक्स शक्ति भी बढ़ती है। 
• 21. ढाकः- ढाक के 100 ग्राम गोंद को तवे पर भून लें। फिर 100 ग्राम तालमखानों को घी के साथ भूनें। उसके बाद दोनों को बारीक काटकर आधा चम्मच सुबह और शाम को दूध के साथ खाना खाने के दो-तीन घंटे पहले ही इसका सेवन करें। इसके कुछ ही दिनों के बाद वीर्य का पतलापन दूर होता है तथा सेक्स क्षमता में बहुत अधिक रुप से वृद्धि होती है। 
• 22. जायफलः- 15 ग्राम जायफल, 20 ग्राम हिंगुल भस्म, 5 ग्राम अकरकरा और 10 ग्राम केसर को मिलाकर बारीक पीस लें। इसके बाद इसमें शहद मिलाकर इमामदस्ते में घोटें। उसके बाद चने के बराबर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। रोजाना रात को सोने से 2 पहले 2 गोलियां गाढ़े दूध के साथ सेवन करें। इससे शिश्न (लिंग) का ढ़ीलापन दूर होता है तथा नामर्दी दूर हो जाती है। 
• 23. इलायचीः- इलायची के दानों का चूर्ण 2 ग्राम, जावित्री का चूर्ण 1 ग्राम, बादाम के 5 पीस और मिश्री 10 ग्राम ले लें। बादाम को रात के समय पानी में भिगोकर रख दें। सुबह के वक्त उसे पीसकर पेस्ट की तरह बना लें। फिर उसमें अन्य पदार्थ मिलाकर तथा दो चम्मच मक्खन मिलाकर विस्तार रुप से रोजाना सुबह के वक्त इसको सेवन करें। यह वीर्य को बढ़ाता है तथा शरीर में ताकत लाकर सेक्स शक्ति को बढ़ाता है। 
• 24. सेबः- एक अच्छा सा बड़े आकार का सेब ले लीजिए। इसमें हो सके जितनी ज्यादा से ज्यादा लौंग चुभाकर अंदर तक डाल दीजिए। इसी तरह का एक अच्छा सा बड़े आकार का नींबू ले लीजिए। इसमें जितनी ज्यादा से ज्यादा हो सके, लौंग चुभाकर अंदर तक डाल दीजिए। दोनों फलों को एक सप्ताह तक किसी बर्तन में ढककर रख दीजिए। एक सप्ताह बाद दोनों फलों में से लौंग निकालकर अलग-अलग शीशी में भरकर रख लें। पहले दिन नींबू वाले दो लौंग को बारीक कूटकर बकरी के दूध के साथ सेवन करें। इस तरह से बदल-बदलकर 40 दिनों तक 2-2 लौंग खाएं। यह एक तरह से सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला एक बहुत ही सरल उपाय है। 
• 25. अजवायनः- 100 ग्राम अजवायन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें। सूखने के बाद उसे फिर से प्याज के रस में गीला करके सुखा लें। इस तरह से तीन बार करें। उसके बाद इसे कूटकर किसी शीशी में भरकर रख लें। आधा चम्मच इस चूर्ण को एक चम्मच पिसी हुई मिश्री के साथ मिलाकर खा जाएं। फिर ऊपर से हल्का गर्म दूध पी लें। करीब-करीब एक महीने तक इस मिश्रण का उपयोग करें। इस दौरान संभोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। यह सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला सबसे अच्छा उपाय है।

कीगेल एक्सरसाइज 
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परिचयः- 
कीगेल एक्सरसाइज एक तरह से एक बहुत ही आसान व्यायाम है जिसे कोई भी पुरुष बड़ी ही सरलता से कर सकता है। पुरुष संभोग करते समय कीगेल एक्सरसाइज करके स्वयं तथा अपनी जीवन साथी को सेक्स क्रिया करते समय आंनद दे सकता है। कीगेल एक्सरसाइज से केवल नितम्ब के पीछे की भाग की मांसपेशियों के सरल व्यायाम करने होते है।
कीगेल एक्सरसाइज को अगर पुरुष रोजाना विस्तार पू्र्वक करें तो उसे संभोग करने के बाद परम सुख पाने के लिए किसी भी तरह का कोई भी प्रयत्न करने की जरुरत नहीं होती है। इस व्यायाम को करने के बाद पुरुष के नितम्ब के पीछे के भाग की मांसपेशियां ताकतवर और फुर्तीली बन जाती है। स्त्रियों और पुरुषों को सम्पूर्ण आनन्द देने वाली यही मांसपेशी होती है। इस कीगेल एक्सरसाइज को करने से पुरुष अपनी सेक्स क्रिया को अधिक समय तक बढ़ा सकता है। यह वीर्य के जल्दी गिरने के रोग को भी रोकने में भी सक्षम होता है। इससे संभोग करने का समय भी बढ़ जाता है। वीर्य के जल्दी गिरने के रोग से परेशान पुरुषों के लिए कीगेल एक्सरसाइज से बहुत ही अधिक फायदा मिलता है।
अगर आप कीगेल एक्सरसाइज को पूर्ण रूप से काबू कर ले तो संभोग करते वक्त वीर्य के निकले बिना ही कई बार चरम सुख को प्राप्त कर सकते हैं। कीगेल एक्सरसाइज के करने के बाद केवल संभोग करते समय यौन आनन्द को बढ़ाने वाली ही परेशानियां ही उत्पन्न नहीं होती लेकिन कुछ अन्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। जैसे कि- पुरुष और स्त्री अपने नितम्ब के पीछे के भाग की मांसपेशियों को खींच कर संभोग करने के समय को काफी ज्यादा समय के लिए बढ़ा सकते हैं तथा संभोग करते समय दिशा भी बदल सकते हैं।
कीगेल एक्सरसाइज को किस तरह से करना चाहिएः- 
• कीगेल एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले यह मालूम करना अति आवश्यक है कि आपके अंदर प्युबोकोसीगेल मांसपेशी कौन सी होती है? 
• अगर आपको तेजी के साथ पेशाब लगता है तो उस समय अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैलाकर पेशाब करना शुरू कर देना चाहिए। मूत्र के वेग को कभी भी रोकना नहीं चाहिए। इस तरह से आप जिस किसी भी मांसपेशियों पर जोर देगें, वही मांसपेशी प्युबोकोसीगेल होती है।
• जब आप पेशाब करना शुरू करें तो इस पेशाब को कुछ समय के लिए के रोक कर रखें और उसके कुछ समय के बाद पेशाब को दुबारा से करना शुरू कर दें। पेशाब करते वक्त आरम्भ में आपको कुछ दिक्कत महसूस होगी। हो सकता है कि पेशाब का वेग थोड़ी देर के लिए ही रुक जाए। लेकिन इससे घबराना नहीं चाहिए, इसका प्रयत्न निरंतर करते रहना चाहिए। इस तरह से आप निरंतर के प्रयास करने से इस मांसपेशी को काबू रखने में सफल हो जाएंगे। 
• इस तरह से जब आप इस मांसपेशी को अपने काबू में रखने में सफल हो जाएं उस समय पेशाब करने का मन न होने पर भी आपको मांसपेशियों पर दबाव डालना होगा। इस प्रयास को कुछ समय तक ही करने की कोशिश करें।
• आरम्भ में इस मांसपेशी को थोड़ी देर के लिए भींच कर रखें। 15-20 दिन गुजरने के बाद इस मांसपेशी के भींचने की समय-सीमा को बढ़ा देना चाहिए।
• कुछ समय तक प्युबोकोसीगेल मांसपेशी को दबाकर रखने की क्रिया होल्ड कहलाती है। इसी तरह ही इस मांसपेशी को जल्दी-जल्दी भींचने और खोलने की क्रिया को क्यूक कंट्राक्टेशन भी कहते हैं।
• स्त्री को कम से कम 5 सेंकड से ज्यादा होल्ड की अवस्था में नहीं रहना चाहिए तथा पुरुष को ज्यादा से ज्यादा 15 सेकंड तक ही होल्ड की अवस्था में रहना चाहिए।
• कोई भी पुरुष संभोग करने के दरम्यान कुछ महीनों के प्रयास के बाद ही अपनी उत्तेजना और भावना को काबू करके इस मांसपेशी पर अपना प्रेशर बना सकता है। 
• इस तरह से कीगेल एक्सरसाइज पर काबू हो जाने पर पुरुष अपने वीर्य के जल्दी गिरने के कार्य को समान रूप से रोक सकने में कामयाब हो सकते हैं तथा फिर इसके बाद वे दुबारा से संभोग करने का कार्य कर सकते हैं। अगर वीर्य के जल्दी गिरने की उम्मीद महसूस हो तो कीगेल एक्सरसाइज के द्वारा अपनी मांसपेशी पर प्रेशर बनाए रखें और शीघ्रपतन को कुछ समय के लिए रोक दें। 
• इस अभ्यास को बार-बार करते रहें। इस तरह से कीगेल एक्सरसाइज को जितना आप काबू में रखेंगे, आप सेक्स क्रिया करने का समय भी उतना ही बढ़ाने में सफल हो जाएंगे।
• कीगेल एक्सरसाइज का प्रयास पुरुष हैंडप्रैक्टिस के बाद भी कर सकते हैं।

मासिकधर्म 
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चिकित्सा-
• लगभग 12-12 ग्राम हीरा कसीस विलायती, एलुआ, घी में हल्की सी भुनी हुई हींग, शुद्ध हिंगुल, सुहागे की खील और नमक को एकसाथ पीसकर पानी के साथ लगभग आधा ग्राम के बराबर की गोलियां बना लें। इन गोलियों को सुबह और शाम गर्म पानी से खाना चाहिए। इन गोलियों को मासिकधर्म के आने से 3-4 दिन पहले खाना शुरू करके मासिकधर्म के दौरान भी सेवन करते रहना चाहिए। इसके अलावा रोगी स्त्री की कमर और पेड़ू पर गर्म पानी की बोतल या गर्म ईंट से सिंकाई करनी चाहिए। रोगी स्त्री को गर्म पानी से भरे टब में नाभि तक बैठाना भी लाभकारी रहता है। घी में भुने हुए चने या लोबिया का रस, गर्म पानी, बाजरा, गेंहू, बैंगन, मटर, छुहारा, चाय और किशमिश का सेवन करना भी रोगी स्त्री के लिए लाभकारी है। 
• अगर किसी स्त्री को मासिकधर्म के समय स्राव ज्यादा आता हो या उन दिनों में दर्द बहुत ज्यादा होता हो तो उसे मासिकधर्म शुरू होने के चौथे दिन से लगभग 3 ग्राम मुलहठी का चूर्ण, 2 ग्राम माईं, 1 ग्राम शुद्ध रसौत और 1 ग्राम कत्था को रोजाना सुबह और शाम फांककर उसके ऊपर से चावलों का पानी पी लें। ऐसी समस्याओं के लिए लगभग 120 से 240 मिलीग्राम नागभस्म को सुबह और शाम मक्खन के साथ लेना बहुत अच्छा रहता है। अगर रोगी स्त्री को इन साधारण योगों से किसी तरह का लाभ नहीं होता तो किसी अच्छे चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। 
• अगर शरीर में खून की कमी के कारण, मानसिक आघात या कमजोरी के कारण मासिकधर्म बहुत कम आता हो तो रोगी स्त्री को पौष्टिक भोजन और शरीर को मजबूत करने वाली औषधियों का सेवन करने से लाभ होता है। इस रोग में आंवले का मुरब्बा, लौह-भस्म, अभ्रक भस्म, चांदी की भस्म और फलघृत बहुत लाभकारी होता है। 
• अगर मासिकधर्म बिल्कुल न आता हो तो पहले नंबर के बनाए नुस्खे में 12 ग्राम केशर और 25 ग्राम इन्द्रायण की जड़ का चूर्ण मिला लें। इन गोलियों को लगभग 40 दिन तक सेवन करने से मासिकधर्म आना शुरू हो जाता है। 
• जानकारी- यह गोलियां कब्ज लाने वाली होती है इसलिए इनका सेवन करते समय कब्ज आदि होने पर किसी तरह से डरना नहीं चाहिए।
बूढ़ी स्त्रियों का मासिकधर्म बंद होना- 
अक्सर स्त्रियों का 40 से 50 साल की उम्र में मासिकधर्म धीरे-धीरे अनियमित हो जाता है जैसे कभी तो उनका मासिकधर्म 2-3 महीने तक बिल्कुल नहीं आता और कभी महीने में 2 बार भी आ जाता है। अगर स्त्री के साथ ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है तो इससे उसको बहुत ज्यादा मानसिक आघात पहुंचता है क्योंकि वह समझती है कि अब उसका स्त्रीत्व समाप्त हो गया है। इस कारण से उसके अंदर चिड़चिड़ापन सा पैदा हो जाता है, वह बात-बात पर गुस्सा करने लगती है। स्त्री को यह समझना चाहिए कि यह एक स्वाभाविक स्थिति है। इससे उसके आकर्षण में किसी प्रकार की कमी नहीं हो सकती और न ही संभोग सुख में कमी हो सकती है।

सेक्स क्षमता को बढ़ाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स 
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परिचयः- 
सेक्स क्षमता को बढ़ाने के लिए कुछ प्रयोग ऐसे भी हैं जो सेक्स शक्ति को अधिक रुप से बढ़ाने के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुए हैं। बहुत से लोगों को इसके बारे में मालूम ही नहीं है। यहां हम कुछ ऐसे उपाय लिख रहे हैं जिनके प्रयोग करने से आप अपनी सेक्स क्षमता को काफी मात्रा में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं।
उपायः-
रंगः- 
गुलाबी, लाल, बैंगनी एवं जामुनी रंग की प्रकृति गर्म होती है। ये रंग संभोग करने की शक्ति को जगा देते हैं। यदि बेडरूम की दीवारों पर, दरवाजों पर तथा खिड़कियों के ऊपर इनमें से किसी भी एक रंग के परदे लगाएं या इनमें से किसी एक रंग का बल्ब अपने बेडरूम में जलाया जाए तो सेक्स क्षमता में बहुत अधिक मात्रा में बढ़ोत्तरी होती है।
तेलः-
लाल रंग की शीशी में मूंगफली का तेल, एरंड का तेल, सरसों, तिल, सूर्यमुखी तथा जैतून का तेल भरकर सूर्य़ की रोशनी में 40 दिनों तक रख दें। फिर रात को सोते समय इस तेल के द्वारा हल्के-हल्के हाथों से शिश्न, अंडकोष, पेट तथा रीढ की हड्डी आदि पर मालिश करें। इसका रोजाना प्रयोग करने से नामर्दी या वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग समाप्त हो जाते हैं।
खड़ाऊः- 
खड़ाऊं पहनने से भी सेक्स क्षमता में बहुत अधिक मात्रा में वृद्धि होती है। पुराने युग में लोग खड़ाऊं का अधिक इस्तेमाल करते थे जिसके कारण उनमें सेक्स क्षमता काफी अधिक थी। वे लोग अधिक उम्र में भी सेक्स का आनंद लेते थे। व्योमा थेरेपी में बताया गया है कि खड़ाऊं का इस्तेमाल करने से सेक्स क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है। इसकी वजह यह है कि खड़ाऊं पहनकर चलने से दोनों पैरों के तलवों के पिछले हिस्सों के मध्य स्थित भाग की सेक्स ग्रंथियों के जोड़ पर दबाव अधिक पड़ता है जिसके कारण सेक्स ग्रंथियां जागृत होती हैं। रोजाना विस्तारपूर्वक खड़ाऊं पहनकर चलने से नामर्दी, वीर्य का शीघ्र गिरना तथा सेक्स करने के बाद होने वाली शीघ्रपतन जैसी परेशानी से छुटकारा पाया जा सकता है।
सूर्य की रोशनीः- 
नीले रंग की कांच शीशी में ऊपर बताए गए किसी भी एक तेल को भरकर 30 दिनों तक सूर्य की रोशनी में रखें, फिर इस तेल को मेरुदण्ड (रीढ़ की हड्डी) पर नीचे से ऊपर की ओर ले जाते हुए मालिश करें। इसके साथ ही इस तेल से अण्डकोष और मलद्वार के बीच वाले भाग पर भी मालिश करें। इस सूर्यतप्त तेल को रोजाना विस्तारपूर्वक इस्तेमाल करने से संभोग करने की इच्छा शक्ति बढ़ जाती है।
• एक नहाने का टब लें और इसमें ठंडा पानी भर लें। तब पुरुष अपने कपड़ों को उतारकर उस टब में अच्छी तरह से बैठ जाए। टब में इतना पानी भरना चाहिए कि पुरुष की कमर उस पानी तक आ जाए। इसके पश्चात एक कपड़े के टुकड़े को पानी में अच्छी तरह से डुबोकर उस कपड़े से अपने शिश्न को मल-मलकर बार-बार अच्छी तरह से धोएं। कम से कम 10 मिनट तक इस प्रकार करते रहें। इस तरह से करने से शिश्न की सफाई भी हो जाती है और उसमें खून का उतार-चढाव भी सही तरीके से होता रहेगा। इसी प्रकार से अण्डकोष की भी सफाई करें। फिर दोनों जाघों एवं रीढ़ की हड्ड़ी पर भी किसी साफ कपड़े से सफाई करें। इस प्रयास (क्रिया) को रोजाना विस्तार से करने से वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग की शिकायत समाप्त हो जाती है।
• नहाने से पहले सूखे तौलिये अथवा अपने हाथों से सारे शरीर को अधिक तेजी से रगड़ें। इस तरह से रगड़ने से एक अजीब तरह की विद्युत शक्ति उत्पन्न होती है जिससे सारे शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है। इससे खून का संचारण सही तरीके से होता रहता है।
• शौच करने या पेशाब करने के बाद शिश्न (लिंग) को ठंडे जल से अच्छी प्रकार से धोएं तथा एक लोटा ठंडे पानी से शिश्न एवं उसकी जड़ पर पतली धार की तरह पानी डालिए। इस तरह से करने से वीर्य का जल्दी गिरना और स्वप्नदोष के रोग समाप्त हो जाते हैं।
• नहाते समय रीढ़ की हड्डी पर ठंडे पानी की धार डाली जाए तो शीघ्रपतन (वीर्य का जल्दी गिरना) जैसे रोग की स्थिति पैदा ही नहीं होती है।
• संभोग करने की इच्छा न करने में कमी आ जाने पर रीढ़ के निचले भाग पर ठंडा व गर्म सेंक करना चाहिए। इसके लिए 2 मिनट तक गर्म तथा 1 मिनट तक ठंडा सेंक करें। इस क्रिया को 10 से 15 बार तक करें। इसे विस्तृत रूप से करने से सेक्स करने की इच्छा दौबारा लौट आती है।
सेक्स क्षमता को अधिक बढ़ाने और उसका अधिक से अधिक आनंद प्राप्त करने के लिए आयुर्वेद में भी कुछ योगों का विशेष वर्णन किया गया है। यदि इन योगों का अधिक मात्रा में इस्तेमाल न किया जाए तो इनका शरीर पर कोई साइड या बाहरी प्रभाव नहीं होता है। इन योगों की यहीं एक खास विशेषता है। इसके विपरीत इसे कोई भी पुरुष बहुत ही आसान तरीके से इसे अपने घर में भी बना सकता है।
कुछ उपयोगी प्रयोगः- 
नामर्दी को दूर करने वाली चिकित्साः- 
तुलसी के बीज, शिवलिंगी के बीज, सेमल के बीज, खिरैंटी के बीज, काली कौंच के बीज, गंगेरन के जड़ की सूखी छाल तथा चिरौंजी की जड़ की छाल- इन सभी को मिलाकर बराबर मात्रा में लेकर कूट लें। इस सब मिश्रण के आधे भाग में मिश्री को मिलाकर कांच के किसी बर्तन में डाल लें। 10 ग्राम दवा रात को सोते समय लेकर ऊपर से एक गिलास दूध पी लें। इस मिश्रण को प्रतिदिन एक महीने तक इस्तेमाल करें। इस मिश्रण को जब तक लेते रहें तब तक अधिक तेल-मसालेदार, चिकनाईयुक्त, भारी भोजन एवं खट्टे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अंर्तगत सेक्स क्रिया नहीं करनी चाहिए। एक महीने तक इसका सेवन करने से यह शरीर में बहुत अधिक शक्ति पैदा कर देता है।
शक्तिवर्धक उपायः- 
लगभग आधा लीटर गाय के दूध में 150 ग्राम कौंच के बीज को मिलाकर इसे हल्की आग पर पकाने के लिए रख दें। जब यह दूध अच्छी तरह से पककर गाढ़ा हो जाए तो इसे आग से उतार दें। फिर कौंच के बीजों के छिलके को निकालकर इन्हें सिल-बट्टे पर बारीक पीस लें। इसमें अच्छी तरह से मैदा मिलाकर इसको आटे की तरह गूंथ लें। फिर मैदा को जामुन की तरह से गोलियां बना लें। इस गोली को शुद्ध घी के साथ गुलाबी रंगत आने तक इसको भूनें। इसके बाद इसको शक्कर की चाशनी में मिलाकर निकाल लें। अब सभी पदार्थ को एक चौड़े मुंह वाले बर्तन में डालकर उस बर्तन में इतना मधु (शहद) डाले कि मैदा से बनी हुई सारी गोलियां उसमें डूब जाएं। इसमें से एक-एक गोली सुबह और शाम को खाली पेट लेना चाहिए और ऊपर से एक गिलास दूध पी लें। इन गोली का प्रयोग करने के एक घंटे के बाद भोजन को करना चाहिए। यह गोली बुजुर्ग और शादी-शुदा पुरुष दोनों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। जिन पुरुषों के शिश्न (लिंग) में तनाव उत्पन्न नहीं होता या वे पुरुष जिनका वीर्य जल्दी ही निकल जाता है, उन पुरुषों के लिए यह एक बहुत ही कामगारी उपाय है।
ताकत बढ़ाने वाला शक्तिशाली चूर्णः- 
काली तुलसी का बीज 25 ग्राम, पिसी हुई मिश्री 30 ग्राम और असली अकरकरा 5 ग्राम- इन सभी को मिलाकर ठीक तरह से कूटकर किसी एक शीशी में रख दें। रात को भोजन करने के 2 घंटा पहले 10 ग्राम चूर्ण को खाकर ऊपर से एक गिलास ठंडा पानी पी लें। रात के समय भोजन करने के दो घंटे के पश्चात संभोग क्रिया करें। यह चूर्ण पौष्टिक और यौन शक्ति को बढ़ाने वाला होता है। इसका दो हफ्ते (सप्ताह) तक विस्तृत रुप से इस्तेमाल करें। इस चूर्ण का प्रयोग करने तक हो सके तो सेक्स क्रिया न करें।
शक्ति लाने वाला उपायः- 
एक किलो इमली के बीजों को तीन-चार दिनों तक पानी में भीगे पड़े रहने दें। इसके पश्चात उन बीजों को पानी से निकालकर और छिलके उतारकर ठीक तरह से पीस लें। इसमें इससे दो गुना पुराने गुड़ को मिलाकर इसे आटे की तरह गूंथ लें। फिर इसकी बेर के बराबर गोलियां बना लें। सेक्स क्रिया करने के दो घंटे पहले इसे दूध के साथ इस्तेमाल करें। इस तरह का उपाय सेक्स करने की ताकत को और अधिक मजबूत बनाता है।
वीर्य को बढ़ाने वाला पौष्टिक चूर्णः-
अधिकतर पुरुष काफी मात्रा में अधिक संभोग करते हैं जिसके कारण उनके वीर्य की मात्रा में अधिक कमी और उनके शुक्राणुओं में अधिक दुर्बलता हो जाती है। उसके लिए 2-2 ग्राम दालचीनी का बारीक चूर्ण लेकर दूध के साथ सुबह और शाम के समय में इस्तेमाल करना चाहिए। इस चूर्ण का दो महीनों तक प्रयोग करने से इसका लाभ दिखाई देने लगेगा। इसका नियमित रुप से भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका प्रयोग करने से कोई साइड या बाहरी प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके इस्तेमाल करने से वीर्य की तादाद बहुत अधिक बढ़ जाती है। इस चूर्ण के प्रयोग करने से शुक्राणुओं की मात्रा भी बढ़ती है और इसकी संख्या में भी बढ़ोत्तरी होती है।
क्षीरपाकः- 
कोमल जड़ और पीपल का फल- इन दोनों को 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर इसको चटनी की तरह से बना लें। फिर इसमें 400 ग्राम पानी और 100 ग्राम दूध मिलाकर इसे हल्की आंच पर रखकर तब तक उबालें जब तक की पानी की मात्रा अच्छी तरह से जल न जाएं। पानी के जलने के बाद जब दूध बाकी रह जाए तो इस दूध को छानकर आधा सुबह और आधा शाम के समय प्रयोग में लाएं। जो पुरुष लिंग में उत्तेजना न आने की वजह से चिंता में रहते हैं, उन व्यक्तियों के लिए यह उपयोग बहुत ही अधिक लाभदायक है।
पौष्टिक खीरः- 
सबसे पहले बिना छिलके वाली उड़द की दाल को रात के समय में थोड़े से पानी में भिगोकर रख दें। सुबह के समय में इस दाल को निकालकर मिक्सी में पीस लें। इसके बाद इसको दो चम्मच शुद्ध देशी घी में गुलाबी होने तक भूनें। फिर इसके बाद 250 ग्राम गर्म दूध कर लें। जब दूध उबलने लग जाए तब उसमें भुनी हुई उड़द की दाल डालकर इसे चम्मच से तक तक चलाते रहें जब तक यह गाढ़ा न हो जाएं। गाढ़ा हो जाने पर इसको नीचे उतार लें। फिर ठंडा हो जाने पर इसके अंदर दो चम्मच शहद डालकर रोजाना सुबह नाश्ता करते समय इस पौष्टिक खीर का इस्तेमाल करें। इसका सेवन करने से शरीर हष्ट-पुष्ट और ताकतवर बनता है। इस खीर का विस्तृत रुप से सेवन कर सकते हैं। इस खीर को सात दिन में कम से कम दो बार तो जरुर ही इस्तेमाल करना चाहिए। यह खीर सभी उम्र के लोगों के लिए बहुत ही उत्तम है।
वीर्य को शुद्घ करने वाला चू्र्णः- 
बबूल का गोंद, बबूल की बिना बीजों वाली कच्ची फलियां और बबूल की कोमल पत्तियां- इन तीनों को लेकर छाया में सुखाकर अलग-अलग करके कूट लें। फिर तीनों को बराबर-बराबर लेकर आपस में मिला लें। रोजाना के समय एक चम्मच पिसी हुई मिश्री लेकर इसे एक चम्मच चूर्ण के साथ मिलाकर खा लें। फिर इसके ऊपर से एक गिलास गर्म दूध पी लें। इसका इस्तेमाल दो महीने तक विस्तारपूर्वक करने से इससे काफी अधिक फायदा मिलता है। यह वीर्य को अधिक गाढ़ा बनाता है। यह रात को होने वाले स्वप्न रोग, वीर्य का जल्दी गिरना और यौनांग के ढीलेपन एवं कमजोरी जैसे रोगों को समाप्त कर देता है।
सम्पूर्ण रुप से सुख देने वाले उपायः- 
आंवला, रुदंती, गिलोय सत्व, अश्वगंधा, हरड़, शतावर, चव्य, नागबला, वृद्धादारु, ब्राह्नी, प्रियंगु, वच, बिदारीकंद, जीवंती, पुनर्नवा, मेदा, महामेदा, काकोली, क्षीर काकोली, जीवन ऋषभक, मुग्दपर्णी, माषपर्णी, कौंच के बीज, तुलसी के बीज, सेमल, मूसली, काकनासा, पिपली बड़ी, जटामांसी, शंखपुष्पी, तालमखाना, सोनापाठा, अंनतमूल, मुलहठी, विधारा, अमलबेत, सोंठ तथा श्वेत चंदन- इन सभी पदार्थों को 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर अच्छी तरह से कूटकर कपड़े से छान लें। इसके अंदर वसंत कुसुमाकर रस तथा सिद्ध चंद्रोदय नं. 1- इन दोनों को भी लेकर 25-25 ग्राम डालकर अच्छी तरह से इसमें मिला दें। इस चूर्ण को आधा-आधा चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम के समय में लें। फिर ऊपर से गर्म दूध का इस्तेमाल करें। इस चूर्ण को विस्तारपूर्वक रोजाना तीन महीनों तक खाना चाहिए। फिर इसका इस्तेमाल तीन महीनों के लिए रोककर रखें। इसके बाद फिर तीन महीनों तक इस चूर्ण को लें। इस चूर्ण के प्रयोग से सेक्स क्रिया करने में पूर्ण रुप से सुख की प्राप्ति होती है। यह चूर्ण अधिक पौष्टिक होता है। इस चूर्ण का इस्तेमाल उच्च रक्तचाप, ह्रदय के रोगी तथा शूगर के रोगियों को नहीं करना चाहिए।
कौंच के बीज का चूर्णः-
तालमखाना 30 ग्राम, कौंच के बीज 30 ग्राम, गोखरू 50 ग्राम, पोस्तदाना 40 ग्राम, शाल्मली की जड़ 30 ग्राम, काली मूसली 20 ग्राम, सफेद मूसली 20 ग्राम और मिश्री 20 ग्राम- इन सबको एक साथ मिलाकर बारीक कूट-पीसकर कपड़े से छानकर चूर्ण बना लें। फिर इसे नियमित रुप से सुबह और शाम के समय गर्म दूध के साथ 3-3 ग्राम चूर्ण का इस्तेमाल करें। यह चूर्ण शरीर को पौष्टिक, सेक्स शक्ति को बढ़ाने वाला और संभोग करने की इच्छा शक्ति को भी बढ़ाता है।

Friday 19 April 2013

अनेक रोगों की दवा भी है सेक्स

आप शीर्षक पढ़कर चौंक गए होंगे कि भला सेक्स भी रोगों की दवा हो सकता है? तो इसमें चौंकने जैसी कोई बात नहीं है। डॉक्टरों व वैज्ञानियों ने शोध करके यह पता लगाया है कि सेक्स अनेक रोगों की दवा भी है। जहां विवाहित जीवन में सेक्स एक-दूजे के बीच सुख, आनन्द, अपनापन लाता है, वही एक-दूजे के स्वास्थ्य एवं सौंदर्य को भी बनाए रखता है।


सेक्स से शरीर में अनेक प्रकार के हार्मोन उत्पन्न होते हैं, जो शरीर के स्वास्थ्य एवं सौंदर्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं। सेक्स से शरीर में उत्पन्न एस्ट्रोजन हार्मोन ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी नहीं होने देता है। सेक्स करने से एब्*डराफिन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे त्वचा सुंदर, चिकनी व चमकदार बनी रहती है।
एस्ट्रोजन हार्मोन शरीर के लिए एक चमत्कार है, जो एक अनोखे सुख की अनुभूति कराता है। सफल व नियमित सेक्स करने वाले दंपति अधिक स्वस्थ देखे गए हैं। उनका सौंदर्य भी लंबी उम्र तक बना रहता है। उनमें उत्*तेजना, उत्साह, उमंग और आत्मविश्*वास भी अधिक होता है। सेक्स से परहेज करने वाले शर्म, संकोच, अपराधबोध व तनाव से पीड़ित रहते हैं।

दिमाग को तरोताजा रखने व तनाव को दूर करने के लिए नियमित सेक्स एक अच्छा उपाय है। सेक्स के समय फेरोमोंस नामक रसायन शरीर में एक प्रकार की गंध उत्पन्न करता है, जिसे आप सेक्स परफ्यूम भी कह सकते हैं। यह सेक्स परफ्यूम दिल व दिमाग को असाधारण सुख व शांति देता है। सेक्स हृदय रोग, मानसिक तनाव, रक्*तचाप और दिल के दौरे से दूर रखता है। सेक्स से दूर भागने वाले इन रोगों से अधिक पीड़ित रहते हैं।

सेक्स व्यायाम भी है:
सेक्स एक प्रकार का व्यायाम भी है। इसके लिए खास किस्म के सूट, शू या महंगी एक्सरसाइज सामग्री की आवश्यकता नहीं होती। जरूरत होती है बस शयनकक्ष का दरवाजा बंद करने की। सेक्स व्यायाम शरीर की मांसपेशियों के खिंचाव को दूर करता है और शरीर को लचीला बनाता है। एक बार की संभोग क्रिया, किसी थका देने वाले व्यायाम या तैराकी के 10-20 चक्करों से अधिक असरदार होती है। सेक्स विशेषज्ञों के अनुसार मोटापा दूर करने में सेक्स काफी सहायक सिद्ध होता है। सेक्स करने से शारीरिक ऊर्जा खर्च होती है, जिससे कि चर्बी घटती है। एक बार की संभोग क्रिया में 500-1000 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है। सेक्स के समय लिया गया चुंबंन भी मोटापा दूर करने में सहायक सिद्ध होता है। विशेषज्ञों के अनुसार सेक्स के समय लिए गए एक चुंबन से लगभग 9 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है। इस तरह 390 बार चुंबन लेने से आधा किलो वजन घट सकता है।
दर्दो की अचूक दवा:
आह, उह, आउच, कमर दर्द, पीठ दर्द से परेशान पत्*नी आज नहीं, अभी नहीं करती है, लेकिन यदि वह बिना किसी भय के पति के साथ संभोग क्रिया में शामिल हो जाए तो उसके दर्द को उड़न-छू होने में देर नहीं लगती। सिरदर्द, माइग्रेन, दिमाग की नसों में सिकुड़न, उन्माद, हिस्टीरिया आदि का सेक्स एक सफल इलाज है। अनिद्रा की बीमारी में बिस्तर पर करवट बदलने या बालकनी में रातभर टहलने के बजाय बेड पर बगल में लेटी या लेटे साथी से सेक्स की पहल करें, फिर देखें कि खर्राटे आने में ज्यादा देर नहीं लगती। नियमित रूप से संभोग क्रिया में पति को सहयोग देने वाली पत्*नी माहवारी के विकारों से दूर रहती है। रात्रि के अंतिम पहर में किया गया सेक्स दिनभर के लिए तरोताजा कर देता है।



सेक्स को सिर्फ यौन संबंध बनाने तक ही सीमित न रखें। इसमें अपनी दिनचर्या की छोटी-छोटी बातें, हंसी-मजाक, स्पर्श, आलिंगन, चुंबंन आदि को भी शामिल करें, संभोग क्रिया तभी पूर्ण मानी जाएगी। सेक्स के बारे में यह बात ध्यान रखें कि अपनी पत्*नी के साथ या पति के साथ किया गया सेक्स स्वास्थ्य एवं सौंदर्य को बनाए रखता है। इस प्रसंग में यह बात विशेष ध्यान देने योग्य है कि जहां विवाहित जीवन में पत्*नी के साथ संभोग क्रिया अनेक तरह से लाभप्रद है, वहीं अवैध रूप से बनाए गए सेक्स संबंधों से अनिद्रा, हृदय रोग, मानसिक विकार, ठंडापन, सिफलिस, सूजाक, गनोरिया, एड्स जैसे अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो सकती है।

Thursday 18 April 2013

सेक्स इच्छा को बढ़ाने के लिए उपाए – 
1. अगर नशीले पदार्थों का उपयोग करने के कारण से यह समस्या हो तो तुरंत ही नशीले पदार्थों का सेवन करना बंद कर देना चाहिए। इसके उपयोग करने से हो सकता है कि समस्या और भी गंभीर हो जाए।
2. इसके अलावा खानपान और दिनचर्या में सुधार करने का प्रयास करें। 
3. सेक्स इच्छा को बढ़ाने के लिए अपनी सेहत पर ध्यान दें तथा इक्सरसाइज और मसाज करें और सेक्स क्रिया की जानकारी लें।
4. भरपूर नींद लें क्योंकि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि ठीक प्रकार से नींद न आने के कारण से शरीर में कमजोरी आने लगती है और सेक्स के प्रति मन में गलत भावना आने लगती है।
5. यदि सेक्स करने की इच्छा न रहती है तो आपको अपने रक्तचाप, शुगर, कोलेस्ट्रॉल तथा हार्मोंन की जांच करवा लेनी चाहिए क्योंकि हो सकता है कि इस कारण से ही आपको सेक्स की इच्छा बिल्कुल न रहती हो।
6. यदि किसी प्रकार के सेक्स रोग या किसी अन्य रोग के कारण से सेक्स करने की इच्छा में कमी हो तो तुम्हें तुरंत ही किसी अनुभवी चिकित्सक से अपना इलाज करवाना चाहिए।
7. यदि आपको अपनी पत्नी के कारण से सेक्स करने की इच्छा कम हो तो आप अपने से ठीक प्रकार से बात करें कि आखिर बात करें कि किस कारण से तुम सेक्स करना नहीं चाहती हो। इस सब कारणों को ठीक प्रकार से हल करें।
30 साल की उम्र में प्रजनन क्षमता में कमी आना-
इस उम्र के पुरुषों को अधिकतर प्रजनन क्षमता में कमी हो जाती है। यदि आप बच्चा चाहते हैं तो तीस साल के पहले प्लान बनाएं क्योंकि हार्मोंस बदलाव के कारण से आपके वीर्य में शुक्राणुओं की कमी हो सकती है। प्रजनन क्षमता की कमी से बचने के लिए वीर्य की जांच करवाएं। यदि कमी हो तो विशेषज्ञ से मिलकर उपचार करवाएं।
40 साल से ऊपर की उम्र में सेक्स -
इस उम्र के पुरुषों को सेक्स संबंधित कई प्रकार की बीमारियां होने लगती हैं। लिंग की संवेदनशीलता भी कम हो जाती है। इस कारण से उनके लिंग में उत्थान होना बंद हो जाता है। इस उम्र में और भी प्रकार की बीमारियां शरीर में दिखाई देने लगती हैं जो सेक्स शक्ति पर बहुत अधिक प्रभाव डालती हैं। जो लोग अपने सेहत पर ध्यान देते हैं वे इस उम्र में भी सेक्स क्रिया का आनन्द ले सकते हैं और अपनी पत्नी को चरम सुख दे सकते हैं।
40 साल से ऊपर की उम्र में लिंग में उत्थान न होना – 
इस उम्र को लोगों में अधिकतर यह देखने को मिलता है कि उन्हें मानसिक रूप से कमजोरी, लिंग की नलियों में किसी प्रकार की परेशानी तथा औषधियों के दुष्प्रभाव के कारण से अपने लिंग में कमजोरी तथा उत्थान न रहने की शिकायत रहती है।
लिंग की इस समस्या को दूर करने के लिए सबसे पहले पुरुष को अपने मानसिक स्थिति में सुधार करना चाहिए तथा नियमित रूप से सुबह के समय में घूमे, खानपान पर ध्यान दें और मन से चिंता व तनाव दूर कर देना चाहिए।
शरीर में हार्मोंन का ठीक प्रकार से स्राव न होना – 
अधिकतर 40 वर्ष की आयु पार करने के बाद शरीर में टेस्टोरॉन हार्मोंन के स्तर में काफी कमी आ जाती है। जिस कारण से पुरुषों में सेक्स करने की इच्छा कम हो जाती है। इस समस्या को दूर करने के लिए पीड़ित रोगी को चाहिए कि वह किसी विशेष चिकित्सक से अपना इलाज करवाए।
शरीर में सेक्स संबंधित कमजोरी आना – 
यदि शरीर में कोई रोग हो जाए तो उसका सबसे ज्यादा प्रभाव सेक्स शक्ति पर पड़ता है। इसलिए कहा जा सकता है कि किसी रोग के कारण से शरीर में सेक्स शक्ति की कमी हो चुकी है तो सबसे पहले उस रोग को ठीक करने का इलाज करवाना चाहिए। इसके बाद सेक्स कमजोरी का इलाज करना चाहिए। ऐसा करने से रोग ठीक होने के साथ-साथ सेक्स शक्ति में भी वृद्धि होने लगती है।
50 साल से ऊपर की उम्र में सेक्स -
बहुत से लोगों को यह भम्र हो जाता है कि 50 साल की उम्र के बाद शरीर में सेक्स शक्ति में कमी आ जाती है। लेकिन यह कहना बिल्कुल गलत है क्योंकि यदि इस उम्र के पुरुष अपने स्वस्थ्य पर ठीक प्रकार से देखभाल करते हैं तो वह सेक्स का आनन्द उसी प्रकार से ले सकते हैं, जिस प्रकार से एक युवा पुरुष सेक्स क्रिया का आनन्द लेता है। लेकिन देखा जाए तो इस उम्र में शरीर में काफी परिवर्तन होते हैं। जैसे- आंखों से न दिखाई देना, त्वचा मोटा हो जाना, हड्डियां कमजोर होना, मन की सोच में परिवर्तन होना आदि। इस उम्र में धमनियों की गांठें, जोड़ों में दर्द, प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ जाना, हृदय रोग होना तथा मूत्र रोग हो जाना आदि समस्या होने लगती हैं।
सेक्स इच्छा में कमी होना-
इस उम्र में बहुत से पुरुषों की सेक्स इच्छा में कमी होने लगती है। यह समस्या कई कारणों से हो सकती है जैसे- अधिक दवाइयों का प्रयोग करना, शरीर में रोगों का प्रभाव होना, मूत्रनली से संबंधित रोग होना, तनाव होना तथा मानसिक समस्या आदि।
यदि इस प्रकार की समस्या हो जाए तो किसी विशेष चिकित्सक से सलाह लेकर अपना उपचार करवायें और उनके अनुसार ही दवाइयों का सेवन करें।
सेक्स इच्छा तेज हो जाना –
इस आयु में सेक्स इच्छा तेज होने की भी समस्या हो सकती है। यह होने का सबसे मुख्य कारण प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ जाना होता है।
यदि ऐसी स्थिति हो जाए तो किसी विशेष चिकित्सक से सलाह लेकर उपचार करवायें क्योंकि यह समस्या अगर कुछ दिनों तक बनी रहेगी तो हो सकता है कि गंभीर परिणाम भुगतना पड़े।

चरम सुख की प्राप्ति 
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परिचय-
जिस तरह से हमें किसी पहाड़ या ऊंची जगह पर पहुंचने के लिए एक-एक कदम बहुत ही सावधानी से और धीरे-धीरे रखना पड़ता है। लेकिन जब हम उस मंजिल को पार कर लेते हैं तो दिल को एक सुकून सा मिलता है ठीक इसी तरह से संभोग क्रिया होती है। अगर इस क्रिया में भी हड़बड़ाहट या नासमझी दिखाई देती है तो इसमें मिलने वाला आनंद कभी प्राप्त नहीं होता।
अगर आप चाहते हैं कि संभोग क्रिया के दौरान मिलने वाला चरम सुख आप और आपकी पत्नी को प्राप्त हो तो इसके लिए कुछ बातों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है-
• संभोग क्रिया के लिए सबसे पहले अपने शरीर के अंगों को शिथिल करने की तकनीक के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। जब भी शरीर में काम उत्तेजना पैदा होती है तो पेशियों और तंत्रिकाओं में तनाव पैदा हो जाता है और स्खलित होने के बाद ही समाप्त होता है। अगर आप पहली बार ही संभोग क्रिया के दौरान उत्तेजना के समय इस तनाव को शिथिल करने की कोशिश करेंगें तो इसमें सफलता मिलना मुश्किल है। इसके लिए आपको उस समय अभ्यास करना होता है जब आप संभोग क्रिया नहीं कर रहे होते हैं। इसके अभ्यास के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि सबसे पहले आप किसी अंधेरे कमरे में पीठ के बल लेटकर शरीर को ढीला छोड़ दें। इस अवस्था में कुछ देर तक शांत रहने के बाद अपनी गर्दन की पेशियों को हल्के से सख्त करने का अभ्यास कीजिए। इसमें सफलता मिल जाने के बाद पेशियों को थोड़ा और सख्त करने का अभ्यास करें और बाद में जितना ज्यादा हो सके सख्त करने का अभ्यास करें। इसके बाद गर्दन की पेशियों को उसी तरह से ढीला करने की शुरुआत करें जिस तरह से सख्त करने की शुरूआत की थी। इस क्रम को कई बार दोहराइये। ऐसा करते रहने से आप कड़ी पेशियों को ढीला करने की तकनीक सीख जाएंगे। 
• गर्दन की पेशियों को शिथिल करने की तकनीक सीखने के बाद अपनी एक बांह की पेशियों को शिथिल करने की तकनीक सीखने का अभ्यास करें। जब आप इसमें भी सफल हो जाएं तो पैरों की पेशियों को शिथिल करने का अभ्यास करें। इस तरह आप शरीर के हर अंग को शिथिल करने का अभ्यास करेंगे तो शरीर के जिस अंग को शिथिल करना चाहेंगे उसे कर ही लेंगें। इस अभ्यास को सप्ताह में कई बार कई बार दोहराएं। इससे कुछ ही समय में आप उस स्थिति में भी अपने शरीर के उन अंगों को शिथिल करने में सफल हो जाएंगे जबकि शोर-शराबे या दूसरे कारणों से आपको ध्यान लगाने में परेशानी होती हो। जब शारीरिक अंगों को शिथिल करने की तकनीक सीख जाएंगे तो उसके बाद संभोग क्रिया के समय जब स्खलित होने को होंगे तो उस समय आप अपने उत्तेजना केंद्र की पेशियों को तुरंत ही शिथिल करके स्खलन होने से रोकने में सफल हो सकते हैं। 
• संभोग क्रिया की शुरुआत करने से पहले पत्नी का मूड और उसकी मानसिक स्थिति को देख लेना चाहिए। अगर आपको महसूस होता है कि आपकी पत्नी शारीरिक और मानसिक तौर पर इस क्रिया के लिए तैयार नहीं है तो आप भी उसके साथ संबंध बनाने के लिए किसी तरह की जबर्दस्ती न करें। क्योंकि कभी-कभी स्त्री को छोटी-मोटी शारीरिक परेशानी या मानसिक परेशानी होती रहती है जिसे वह अपने पति को भी नहीं बताती और इसी कारण से उसका संभोग क्रिया में भी मन नहीं लगता। किसी तरह की परेशानी होने पर न तो उसके अंदर काम-उत्तेजना ही पैदा होगी और न ही उसकी योनि में गीलापन आ सकेगा। ऐसी स्थिति में उसके साथ जबर्दस्ती सेक्स संबंध बनाना गलत होगा और आप भी उसके अंदर काम उत्तेजना न होने के कारण शीघ्र ही स्खलित हो जाएंगे तथा संभोग क्रिया के हर आनंद से वंचित ही रह जाएंगे। इस तरह से अगर आपको भी किसी तरह की मानसिक या शारीरिक परेशानी हो तो आपको भी संभोग क्रिया से दूर ही रहना चाहिए। पत्नी अगर इस क्रिया के लिए पहल करती है तो आपको प्यार से उसे अपनी मानसिक या शारीरिक स्थिति के बारे में समझा देना चाहिए। पत्नी अगर समझदार होगी तो वह आपकी परेशानियों को समझ जाएगी और आपको इस क्रिया के लिए बाध्य नहीं करेगी। इसलिए संभोग क्रिया करना तभी अच्छा रहता है जब आप दोनों मानसिक और शारीरिक रूप से संभोग क्रिया के लिए तैयार हो। 
• संभोग क्रिया के दौरान ज्यादा से ज्यादा आनंद प्राप्त करने के लिए जब आपका लिंग स्त्री की योनि में प्रवेश कर जाए तो भी आप अपनी पत्नी की काम-उत्तेजना को लगातार बढ़ाने की कोशिश करते रहें तथा पत्नी से कहें कि वह भी इस क्रिया में आपका सहयोग करे। योनि में घर्षण की क्रिया के समय चुंबन, आलिंगन, स्तनों को दबाना आदि को करते रहना चाहिए। इससे आप और आपकी पत्नी क्रियाशील रहेंगे। ज्यादातर स्त्रियां संभोग क्रिया के समय बेजान मूर्ति सी बनकर बिस्तर पर पड़ी रहती हैं। उसे लगता है कि अगर मै इस क्रिया में आगे बढ़कर कुछ करती हूं तो शायद मेरे पति को ऐसा लग सकता है कि मै गलत हूं। लेकिन यह गलत है। संभोग क्रिया के समय अगर पत्नी और पति ज्यादा से ज्यादा एक-दूसरे को सहयोग करते हैं तो इससे दोनों को इस क्रिया की समाप्ति पर एक साथ ही चरम सुख की प्राप्ति होती है। 
• संभोग क्रिया के समय चरम सुख की प्राप्ति के लिए सही तरह के आसनों का प्रयोग भी बहुत जरूरी है। इन आसनों को आप अपने पहले के अनुभव के आधार पर चुन सकते हैं। केवल बदलाव और नयेपन के लिए नए आसनों का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए। 
• पति और पत्नी को एक-दूसरे की यौन-प्रकृति तथा काम-उत्तेजना की गति से पूरी तरह परिचित हो जाने के बाद, आपस में तालमेल बनाए रखते हुए, चरमसुख की ओर सावधानी से इस तरह बढ़ना चाहिए कि वह दोनों ही संभोग क्रिया के समय लगभग एक साथ ही स्खलित होकर चरम सुख को प्राप्त कर सके। अगर पुरुष संभोग क्रिया में पहल करता है तो कटि-संचालन और लिंग घर्षण से तालमेल बनाए रखकर अपनी पत्नी को भी कटि और नितंबों का संचालन कराना चाहिए ताकि लिंग योनि में ज्यादा गहराई तक प्रवेश कर सके। कुछ दिनों के अभ्यास के बाद पत्नी की कटि और नितंबों का संचालन अपने आप ही स्वाभाविक गति से होने लगता है। कटि संचालन में लयात्मक तालमेल बनाए रखने के लिए यह आसन भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। जिस आसन में संभोग क्रिया के दौरान पति ऊपर और पत्नी नीचे होती है वह कटि संचालन और घर्षण में उचित तालमेल बनाए रखने के लिए सबसे अच्छा होता है। इसके अलावा जिस आसन में पति कुर्सी पर बैठता है और पत्नी उसकी जांघों पर बैठकर संभोग करती है। इस तरह संभोग करने से वह अपने कटि का संचालन इस प्रकार से करती है कि जिससे कि पति का लिंग पूरी गहराई से योनि में आघात भी करता है और शिश्निका का घर्षण भी करता है। इस आसन में संभोग करते हुए पति-पत्नी को अलिंगन, चुंबन और स्तनों को दबाने का मौका भी मिलता है। इस क्रिया में आनंद को बढ़ाने के लिए कटि-संचालन में विविधता अपनाई जा सकती है। संभोग क्रिया के समय जब घर्षण की गति कम हो तो आपकी पत्नी को कटि-संचालन तेज करके नितंबों को चक्र के समान घुमाना चाहिए। इसके साथ ही आप गुदा के भाग की पेशियों को सिकोड़कर लिंग को योनि के अंदर उछाल सकते हैं तथा आपकी पत्नी अपनी योनि की पेशिय़ों को सिकोड़कर आपके लिंग को दोहने की कोशिश कर सकती है। अगर पति और पत्नी एक साथ ही पेशी-संकोचन करने की तकनीक सीख जाते हैं तो इससे दोनों को ही संभोग क्रिया में असीम आनंद प्राप्त होता है। नितंब और कटि के लयात्मक संचार के साथ ही पति और पत्नी दोनों को ही आलिंगन और चुंबन आदि क्रियाएं जारी रखे रहनी चाहिए। जिस समय पति-पत्नी के स्तनों को दबा रहा हो उस समय पत्नी को उसकी जांघों को सहलाते हुए नितंबों को दबाना चाहिए। उस समय अगर पति अपनी पत्नी की शिश्निका को भी सहलाता रहता है तो इससे दोनों आनंद के अथाह सागर में समा जाते हैं। 
• संभोग क्रिया के लिए सही समय की प्रतीक्षा करनी चाहिए। किसी भी समय यह क्रिया करना सही नहीं होता है। इस क्रिया के समय किसी तरह की असावधानी आपको इस दौरान मिलने वाले सुख से वंचित कर सकती है। जब पति और पत्नी एकदम मूड में हो तो उस समय प्राकक्रीड़ा (फोर प्ले) की जा सकती है। इस दौरान नखरों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। यह आगे बढ़ने फिर पीछे हटने और फिर से आगे बढ़ने की तकनीक है। इस तकनीक से एक तो आनंद की वृद्धि होती है और दूसरा स्तंभन का समय भी बढ़ता है। ऐसे में पति ऊपर और पत्नी नीचे वाला आसन सबसे अच्छा रहता है क्योंकि इस आसन में दोनों ही तेज गति से कटि-संचालन कर सकते हैं और चुंबन तथा आलिंगन की क्रिया भी कर सकते हैं।
• अगर पति थका हुआ हो तो संभोग क्रिया के समय स्त्री को ही पहल कर देनी चाहिए। पति को चुपचाप बिस्तर पर लेटे रहना चाहिए और पत्नी को संभोग करने देना चाहिए। पति चाहे तो अपनी कटि को उछालकर पत्नी को सहयोग कर सकते हैं ताकि लिंग योनि में ज्यादा गहराई तक प्रवेश कर सके तथा शिश्निका से घर्षण भी होता रहे। अगर स्त्री और पुरुष दोनों ही थके हुए होते हैं और संभोग करना चाहते हैं तो उनके लिए आमने-सामने करवट लेकर लेटते हुए आसन का प्रयोग अच्छा रहता है। इसके अलावा पत्नी को बाईं करवट लिटाकर उसके पीछे लेटकर गुदामैथुन किया जा सकता है। 
कामोद्दीपन-चक्र 
(स्त्री की काम उत्तेजना बढ़ने या कम होने का चक्र) 
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परिचय-
आज के आधुनिक युग में मनुष्य सब चीजों से आगे निकल चुका है। उसने ऐसे काम कर दिखाए हैं जिन्हें किसी समय में सपने में भी नहीं सोचा जा सकता था। यहां तक की मनुष्य चांद पर भी पहुंच गया है। इसके बावजूद वह आज भी सेक्स के मामले में पुरानी मानसिक स्थिति में ही जी रहा है। वह आज भी अपनी पत्नी को सिर्फ इस्तेमाल की चीज ही मानता है तथा पत्नी की इच्छा, भावनाओं और मानसिक स्थिति को लगातार नजरअंदाज करता आ रहा है। उसकी नजर में संभोग के समय सिर्फ अपनी संतुष्टि होना ही सब कुछ होता है। जिस भी समय उसकी काम उत्तेजना जागती है तो वह कुछ नहीं देखता बस अपनी पत्नी के साथ संभोग क्रिया करने के लिए चालू जाता है जैसेकि वह उसकी पत्नी न होकर कोई टेलीविजन हो जिसे जब भी देखने की इच्छा हो बटन दबाया और लगे देखने। हमारी संस्कृति में भी स्त्री को समर्पण करने के लिए ही बताया गया है। ऐसा सदियों से चला आ रहा है और आगे भी शायद ऐसा ही होता रहे। सेक्स के मामले में सभ्य और असभ्य के बीच विभाजन की कोई रेखा नहीं होती है। सेक्स के मामले में पुरुष काफी स्वार्थी होता है इसलिए इसे करते हुए वह स्त्री की इच्छा की परवाह न करते हुए स्वयं ही संभोग क्रिया में लग जाता है और खुद की संतुष्टि कर लेता है। पति की इस आदत के कारण पत्नी के अंदर काम उत्तेजना जाग नहीं पाती, उसमें सक्रियता पैदा नहीं होती। उत्तेजना न हो पाने के कारण वह संभोग क्रिया करते समय संतुष्ट नहीं हो पाती और खुद पुरुष भी शीघ्रपतन का शिकार हो जाता है।
बहुत से पुरुषों को स्त्रियों के बारे में एक बात का पता नहीं होता कि स्त्री के अंदर काम उत्तेजना को हर समय नहीं जगाया जा सकता। स्त्री की मानसिक और शारीरिक रचना पुरुष से कुछ अलग होती है। किसी-किसी समय तो उसकी काम उत्तेजना बहुत ज्यादा तेज हो जाती है और किसी समय बिल्कुल ही नहीं उठती है।
हर स्त्री का एक कामोद्दीपन-चक्र होता है जो उसके मासिक चक्र से संबंधित होता है। चंद्रमास (पूर्णिमा) के जैसे ही स्त्री का मासिक चक्र और कामोद्दीपन-चक्र भी 28 दिनों का ही होता है। स्त्री की काम उत्तेजना भी उसके मासिक चक्र से प्रभावित होती है। एक शोध के आधार पर यह ज्ञात हुआ है कि मासिक चक्र शुरू होने से कुछ दिन पहले तथा कुछ दिन बाद तथा समाप्ति के एक सप्ताह बाद स्त्री में काम उत्तेजना अपने पूरे चरम पर होती है। इन दिनों में वह संभोग करने के लिए पूरी तरह से तैयार होती है इसलिए इस समय में उससे संभोग करना अच्छा रहता है। इस समय में अगर पति अगर अपनी पत्नी से कुशलतापूर्वक संबंध बनाता है तो दोनों को ही हद से ज्यादा आनंद प्राप्त होता है।
अगर पति अपनी पत्नी से यह चाहता है कि वह संभोग क्रिया के समय खुद ही आगे बढ़कर उसे प्रोत्साहित करे तो इसके लिए उसे अपनी पत्नी के कामोद्दीपन चक्र का अध्ययन करना चाहिए तथा यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि किस-किस तारीख में पत्नी की काम उत्तेजना चरम पर होती है। लेकिन यह जानना इतना आसान भी नहीं है क्योंकि हमारे देश की स्त्री सेक्स के मामले में संकोच और शर्म की परत में सिमटी हुई होती है। हमारी संस्कृति उसे इस बात की इजाजत नहीं देती कि वह खुद ही अपने अंदर उठने वाली काम उत्तेजना के बारे में अपने पति से बोले। इसके लिए पति को खुद ही पहल करनी पड़ेगी कि वह अपनी पत्नी को समझाए कि वह अपनी काम उत्तेजना बढ़ने या कम होने के बारे में किसी कागज या पेपर पर लिखकर दे दे। इससे यह जानने में आसानी होगी कि आपकी पत्नी की काम उत्तेजना कब तेज होती है और वह कब संभोग करने के लिए लालायित रहती है। लेकिन इस बात को भी एक तरह से सही नहीं कहा जा सकता।
असल में स्त्री की काम उत्तेजना के बढ़ने या चढ़ने के बारे में जानना बहुत मुश्किल है। मासिक चक्र के अनुसार ही स्त्री की काम उत्तेजना कम या ज्यादा होती है। वैसे तो चंद्रमास के जैसे ही स्त्री का मासिक चक्र भी 28 दिनों का ही माना गया है। लेकिन एक ही स्त्री में मासिक चक्र की अवधि हमेशा एक जैसी नहीं होती है। स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति के अनुसार यह चक्र भी बदलता रहता है जैसे कभी समय से पहले शुरू हो जाता है और कभी समय से बाद में।
अपने कामोद्दीपन चक्र के बारे में खुद स्त्री को भले ही न पता हो लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पाक्षिक यौन तरंगों का लय-ताल का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष असर स्त्री के यौन जीवन पर जरूर पड़ता है। यही पाक्षिक लय स्त्री के काम उत्तेजना की तरंगों का नियमन करती है। इसलिए जो पति अपनी पत्नी को बहुत चाहता है उसे चाहिए कि वह उसकी पाक्षिक यौन-तरंगों का अर्थात काम उत्तेजना का अध्ययन करें। इसके साथ ही यह भी जानने की कोशिश करें कि आपकी पत्नी की काम चेतना का लयताल का सामान्य स्वरूप क्या है। संभोग क्रिया करने से पहले अपनी पत्नी की मानसिक और शारीरिक स्थिति का जायजा लेने की कोशिश जरूर करें क्योंकि अगर किसी कारण से उसमें मानसिक और संवेगात्मक संतुलन विचलित हो गया हो तो उस समय संभोग क्रिया करने से आपको संतुष्टि भले ही मिल जाए लेकिन आपकी पत्नी को मानसिक परेशानी जरूर होगी और उसे संतुष्ट न कर पाने की ग्लानि आपके मन में भी बैठ जाएगी। अपनी पत्नी से संभोग के समय पूरी तरह से सहयोग न मिल पाने के कारण आपका पहले स्खलन हो जाएगा। इस तरह की परेशानी से बचने के लिए जरूरी है कि आप जब भी अपनी पत्नी से संभोग क्रिया करने के पूरी तैयारी करे तो उससे पहले अपनी पत्नी के बारे में पता कर लें कि वह मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हो
सेक्स जीवन का जरूरी हिस्सा है 
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परिचय-
कहते हैं कि अगर किसी भी काम को जोर-जबर्दस्ती के साथ किया जाए तो वह काम कभी भी सफल नहीं होता। यही बात पति और पत्नी के बीच बनने वाले सेक्स संबंधों के बारे में कही जा सकती है। अगर सेक्स क्रिया करते समय दोनों ही एक-दूसरे को पूरा सहयोग देते हैं तो यह क्रिया बहुत ही आनंदकारक बन जाती है नहीं तो एक दर्दनाक पल बनकर रह जाती है।
आज के समय में टी.वी. पर, इंटरनेट पर या किसी और जरिये के द्वारा आने वाले स्त्री और पुरुष के छरहरे शरीर को देखकर हर कोई उनके जैसा ही बनना चाहता है। जिसके लिए वह कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं जैसे इंजैक्शन लगवाना, दवाइयां खाना आदि। ऐसे लोग शरीर को ऊपरी तौर पर तो सुंदर और स्वस्थ बना लेते हैं लेकिन अपनी असली ताकत के बारे में कुछ भी नहीं सोचते जो है कामशक्ति। जबकि यही वह शक्ति है जो हर स्त्री और पुरुष के जीवन में बहुत ही खास भूमिका निभाती है।
जब पुरुष की शादी होती है तो उसे सबसे पहले अपनी इस कामशक्ति का परिचय देना पड़ता है। लेकिन पहली ही रात में इस कामशक्ति के पूरा न होने के कारण पुरुष जब संभोगक्रिया के समय शीघ्र ही स्खलित हो जाता है और उसकी पत्नी इस क्रिया में असंतुष्ट रह जाती है तो इसके बाद उसकी शादीशुदा जिंदगी में कई तरह की परेशानियां, समस्याएं और चिंताएं पैदा हो जाती हैं। इसीलिए हर किसी व्यक्ति को अपने शरीर की ऊपरी साज-सज्जा के साथ-साथ ही इस चीज के बारे में पूरा ध्यान देना जरूरी है।
संभोग क्रिया क्या है और इसकी रूप-रेखा क्या है यह तो सभी लोगों को पता है लेकिन संभोग क्रिया का आत्मिक सुख और चरम आनंद को कैसे हमेशा कायम रखा जाए यह बहुत ही कम लोगों को पता है। इसी कारण से बहुत से स्त्री और पुरुष अपने पूरे विवाहित जीवन में संभोग क्रिया का पूरा आनंद नहीं उठा पाते हैं।
जब शादीशुदा जिंदगी में पति और पत्नी के बीच सेक्स-संबंध आनंद देने के बजाय कष्ट देने लगे तो यह समझना चाहिए कि उनके आपसी संबंध खतरे में हैं क्योंकि जब इस क्रिया को करते समय पति और पत्नी को मानसिक और शारीरिक तृप्ति की जगह निराशा, उदासी या असंतुष्टि मिलने लगे तो उस समय ऐसे संबंधों में सुधार की जरूरत उसी तरह से होती है जैसे कि किसी गाड़ी के खराब होने पर उसे तुरंत गैराज में ले जाना पड़ता है। वैसे तो हमेशा अपनी गाड़ी से यही उम्मीद की जाती है कि वह सही तरह से चले और अपना रास्ता पूरी करते रहे लेकिन जब अचानक उसमें किसी तरह की गड़बड़ी या खराबी आ जाती है तो उसका असली महत्व सामने आ जाता है।
इसी तरह से जब संभोग क्रिया के समय पुरुष पूरी तरह से उत्तेजित नहीं हो पाता, जल्दी ही स्खलित हो जाता है, शुक्राणुओं की कमी के कारण संतान पैदा करने में असमर्थ हो जाता है या स्त्री में सेक्स के प्रति अरुचि हो जाती है तो उसका हल निकालना जरूरी हो जाता है। अगर इस तरह की समस्याएं पैदा हो जाती हैं तो व्यक्ति को अपना धैर्य और भरोसा नहीं खोना चाहिए और न ही किसी भी गलत लोगों के चक्कर आदि में पड़कर अपना पैसा और समय बर्बाद करना चाहिए। ऐसी परेशानियों को किसी अच्छे यौन चिकित्सक को दिखाकर इलाज करवाना लाभकारी रहता है क्योंकि यह रोग लाइलाज नहीं होते।

स्त्रियों की कामोत्तेजना कम होना 
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संभोग क्रिया के समय पति-पत्नी जब एक-दूसरे को पूर्ण रूप से सहयोग देकर भरपूर आनन्द प्राप्त करते हैं तो उनका संबंध एक-दूसरे के प्रति बहुत अधिक गहरा होता है। इस क्रिया में पुरुष को मुख्य रूप से सेक्स का कर्ता माना गया है। इसलिए इस क्रिया में पुरुष का तो पूरा सहयोग होता ही है लेकिन इसके साथ-साथ इसमें स्त्री का भी सहयोग होना बहुत आवश्यक है। आज भी भारत जैसे देश में यह देखा गया है कि स्त्रियों में सेक्स को लेकर अभी तक खुलापन नहीं आ पाया है। आज सेक्स क्रिया में पुरुष जैसा तरीका अपनाता है, ठीक वैसा तरीका बहुत सी स्त्रियां नहीं कर पाती हैं। इस प्रकार के व्यवहार के बावजूद भी वे सुख देती और लेती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्त्रियां ऐसी भी होती हैं जो संभोग क्रिया के समय में एकदम खमोश पड़ी रहती हैं। ऐसा लगता है कि उसके शरीर में प्राण ही नहीं है। उनका हृदय तो धड़कता रहता है लेकिन उसमें सेक्स के प्रति भावनाएं महसूस नहीं होती हैं और न ही अनुभूति होती है। ऐसी स्त्रियां बेजान मूर्ति की तरह पड़ी रहती हैं। ऐसी स्त्रियों के साथ संभोग क्रिया करते समय पुरुष को ऐसा लगता है कि मानो वह किसी निर्जीव शरीर से संभोग कर रहा है। ऐसी स्त्रियों को कम उत्तेजना वाली स्त्री कहते हैं।
कुछ स्त्रियां ऐसी भी होती हैं जोकि सेक्स के समय में किसी प्रकार का सहयोग नहीं देती हैं। ऐसी स्त्रियों का विवाह हो जाता है तो वह अपने पति से भी सेक्स संबंध बनाना नहीं चाहती लेकिन वह अपने पति को मना भी नहीं कर पाती। वह सेक्स संबंध बनाने से अपने पति को इसलिए मना नहीं कर पाती क्योंकि पहली रात के दिन अपने तन को पति को सौंपना एक मजबूरी हो जाती है लेकिन संभोग क्रिया के समय वह अपनी ओर से न तो कोई सहयोग देती है, न ही रुचि लेती है और न ही किसी प्रकार से उत्साह दिखाती है। उस रात अगर पति उससे कोई बात भी करना चाहता है तो वह उसे भी ठीक प्रकार से सुनना नहीं चाहती। उस समय तो उसकी यह इच्छा तथा कामना होती है कि उसका पति उसे छोड़ दे तथा एक तरफ जाकर लेट जाए। वह मन ही मन सोचती है कि जितना जल्दी हो सके पति जी मुझे छोड़कर, अपना काम करके एक तरफ होकर लेट जाए। बहुत से विद्वानों का मानना यह है कि ऐसी स्त्रियां सेक्स क्रिया करते समय पति को कुछ भी सहयोग नहीं देती लेकिन जैसे-जैसे सेक्स क्रियाएं बढ़ने लगती हैं, उसके शरीर से पति छेड़खानी करने लगता है वैसे-वैसे संभोग क्रिया में वह अपने आप को शामिल करने लगती है। ऐसी स्त्रियां जब सेक्स का आनन्द लेने लगती हैं तो पति को कसकर सीने से लगा लेती हैं, सीने से भींचने तथा कंठ से मदहोशी भरी सिसकियां लेने लगती हैं। जब वह पूरी तरह से चरम सुख की ओर बढ़ने लगती हैं तो अधिक से अधिक सेक्स का आनन्द लेने लगती हैं। उसकी शरीर की उत्तेजना इस समय और भी तेज हो जाती है तथा अंत में फिर मूर्ति के समान निर्जीव हो जाती है। लेकिन इस समय उसका चेहरा शांत और आनन्द से भरा हुआ लगता है। सेक्स चिकित्सकों का यह भी मानना है कि जो स्त्रियां संभोग क्रिया के समय अधिक आनन्द और उत्तेजना प्राप्त करती हैं, पति के प्रति उसका लगाव उतना ही अधिक और प्यार भरा होता है। संभोग क्रिया शुरू करते समय या भरपूर आनन्द लेने के बाद भी ऐसी स्त्रियों के शरीर में किसी प्रकार की कोई भी हलचल दिखाई नहीं देती है। जब पति संभोग क्रिया को समाप्त करता है तो वह चैन की सांस लेती है और मन ही मन सोचती है कि आज रात तो बच गई या बला टली।
ऐसी स्त्रियों के संभोग क्रिया करने से पुरुष को किसी प्रकार का सेक्स का आनन्द नहीं मिलता है। कई बार तो ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि स्त्री के साथ पुरुष को संभोग क्रिया करने का मन नहीं करता। पति को ऐसी स्त्रियों से बहुत अधिक नाराजगी होती है और दोनों में एक-दूसरे के प्रति बहुत अधिक अनबन भी होने लगती है। अक्सर ऐसे पति-पत्नी एक-दूसरे से बहुत अधिक नाखुश होते हैं।
संभोग क्रिया वह प्रक्रिया होती है जिसमें शरीर और मन दोनों को ही ऊर्जा प्राप्त होती है। इस क्रिया में वह सुख और आनन्द मिलता है जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान बनाये रखने की शक्ति होती है। यदि संभोग क्रिया के दौरान इस प्रकार का सुख नहीं मिलता है तो पति-पत्नी दोनों के ही जीवन में इसका कोई महत्व नहीं रह जाता है। ऐसे दम्पतियों में कई अवसरों पर तो यह भी देखा गया है कि पति किसी दूसरी स्त्री से संबंध बनाने पर मजबूर हो जाता है और अपनी पत्नी को तलाक देने के लिए सोचने लगता है।
आज के समय में इस तरह की स्त्रियों की संख्यां बढ़ने लगी है। सेक्स क्रिया से संबंधित कई प्रकार के रोग स्त्रियों को होने के अलावा पुरुषों को भी अधिक हो रहे हैं। कुछ पतियों की पत्नी तो सेक्स क्रिया के समय में उत्तेजना भरी व्यवाहार करती हैं। ऐसे संबंध पतियों को अच्छे नहीं लगते हैं क्योंकि इस संबंध से उन्हें सेक्स का पूरा सुख नहीं मिलता है। कई बार तो बहुत से ऐसे पुरुष भी देखे गये हैं जो स्त्रियों में उत्तेजना लाने की औषधि लेने के लिए चिकित्सक से बातें करते हैं। वे चिकित्सक से यह भी पूछते हैं कि मेरी पत्नी में सेक्स उत्तेजना क्यों नहीं है। ऐसा होने का क्या कारण है?
वैसे देखा जाए तो पति-पत्नी दोनों में से किसी को भी सेक्स समस्या है तो इससे दोनों ही पक्ष प्रभावित होते हैं। क्योंकि सेक्स क्रिया में पति-पत्नी दोनों का ही योगदान बराबर होना चाहिए, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। आपने बहुत से लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है, इसके लिए दोनों हाथ का होना जरूरी होता है। अतः इस उदाहारण से यह स्पष्ट हो जाता है कि सेक्स क्रिया में भी पति-पत्नी दोनों का बराबर भागीदारी होनी जरूरी है तभी वे भरपूर सेक्स का आनन्द ले पायेंगे।
सेक्स क्रिया में यदि किसी भी दम्पति को संभोग क्रिया का पूरा आनन्द न मिले तो इसके लिए किसी एक को जिम्मेदार मानना उचित न होगा। वैसे हम यहां पर केवल स्त्रियों की कामोत्तेजना कम होने की चर्चा कर रहे हैं। वैसे स्त्रियों की कामोत्तेजना कम होने का जिम्मेवार कुछ रूप से पुरुष भी होता है क्योंकि यदि किसी की पत्नी को कामोत्तेजना कम होने की समस्या हो तो उसे अपनी पत्नी से नाराज न होकर उससे खुलकर बात करनी चाहिए कि आखिर किस कारण से तुम्हें सेक्स से डर लगता है, क्या कारण है या कोई समस्या है तो मुझे बताओं, मैं उसका समाधान निकाल सकता हूं। किसी भी समस्या का हल तभी हो सकता है जब आपको समस्या का कारण, लक्षण या होने का समय ठीक तरह से पता लग जाये। पत्नी से आपको उसके रोग के बारे में पता लगाने से यह मालूम हो जायेगा कि उसकी कामोत्तेजना कम होने का क्या कारण है और इन कारणों का पता लग जाने पर ही आप उनका ठीक ढंग से इलाज करा सकते हैं।
वैसे देखा जाए तो स्त्रियां अचानक से कामोत्तेजना कम होने का शिकार नहीं होती है, बल्कि इसके होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जो एक लम्बे समय बाद स्त्री को कामोत्तेजना कम होने की ओर धकेल देती है। जब स्त्री-पुरुष के सेक्स संबंध में स्त्री किसी प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करती है तो उसे ही कामोत्तेजना कम होना कहा जाता है।
स्त्रियों की कामोत्तेजना कम होने के कुछ कारण - 
1. बहुत सी स्त्रियां जब यौवनावस्था में प्रवेश करती हैं तो उनके मन में यह धारणा बैठ जाती है कि सेक्स करना पाप है, यह एक गंदा कार्य है, इसके बारे में बात नहीं करनी चाहिए, इसको करते हुए मुझे कोई देख लेगा तो क्या कहेगा आदि। इस प्रकार की भावना सगे संबंधियों के द्वारा बचपन से ही बच्चों के दिमाग में बिठानी शुरू कर देते हैं। ये भावना ही समय के साथ-साथ लड़कियों के मन में बैठनी शुरू हो जाती है। ऐसी लड़कियों की जब शादी होती है तो वे अपने पति के साथ सेक्स क्रिया करने से कतराती हैं और इसका प्रभाव साफ से दिखाई पड़ता है। देखा जाए को इस प्रकार मन की भावना उस समय और भी तेज हो जाती है जब उसका पति सेक्स क्रिया करने के लिए छेड़-छाड़ करता है। वैसे देखा जाए तो आज के समय में इस प्रकार के कारण ठीक ढंग से दिखाई नहीं देते हैं क्योंकि समय तेजी के साथ बदल रहा है लेकिन आज भी बहुते से ऐसे परिवार हैं जो अपने बच्चे को सेक्स के बारे में इस प्रकार की शिक्षा देते हैं कि बेटा ये गंदी बात है, ऐसा मत करो, सेक्स गंदी बात होती है, इसे न करें आदि। 
2. विवाह के बाद जब स्त्रियां पहली रात पति के साथ सेज पर होती हैं और आने वाले पल के बारे में सोचती हैं तो वह मन ही मन अधिक परेशानी महसूस करती हैं। उसके न कहने के बावजूद भी जब पति सेक्स क्रिया करने के लिए जबर्दस्ती करता है तो स्त्री को लगता है कि वह कोई पाप कर रही है, ऐसा करना नहीं चाहिए, यह गलत बात है। इस प्रकार की भावना मन में आते ही उसको काफी डर लगने लगता है जिसके कारण उसके शरीर की सारी गर्मी जो सेक्स क्रिया करने के लिए होनी चाहिए, वह कम होने लगती है और बिना किसी कारण से उसका सारा शरीर पुतले के समान हो जाता है और अपने शरीर को पति को समर्पण कर देती है। लेकिन सेक्स क्रिया में वह किसी प्रकार का सहयोग नहीं देती है। ऐसी स्त्रियों को न ही सेक्स का आनन्द और न ही उत्तेजना महसूस होती है। इस स्थिति में पति को पता चल जाता है कि उसकी पत्नी को यह समस्या है। इस समय यदि उसका पति उसका हल सही से निकाल देता है तो वह कुछ दिनों में ठीक हो जाती है नहीं तो उसकी यह समस्या बढ़ती जाती है। 
3. बचपन के समय में ही कुछ लड़कियां ऐसी होती हैं जो किसी पुरुष को पसंद कर लेती हैं और यदि किसी कारण से उसका विवाह उस लड़के के साथ नहीं हो पाता, अर्थात मनचाहा पुरुष न मिल पाने के कारण से उसकी कामोत्तेजना कम होने लगती है। यह रोग उसे इसलिए होता है कि वह जिस पुरुष को दिलोजान से प्यार करती है तथा उसके साथ सातों जन्म जीने मरने का कसम खाती है, उसके साथ अपने भविष्य के सपने बुनती हैं। उससे किसी कारणवश विवाह न हो पाने से वह दिल ही दिल दुःखी होती रहती है। जब उसका विवाह किसी अन्य पुरुष के साथ हो जाता है तो वह उसे अपनी जिंदगी में पसंद नहीं कर पाती। इसलिए ही वह पति के साथ सेक्स क्रिया के समय एकदम ठंडी पड़ी रहती है। इस स्थिति में वह अपना शरीर तो पति को सौंप देती है लेकिन मन उसका अपने पुराने प्रेमी के पास ही रहता है। बहुत से लोगों का यह विचार है कि शादी के बाद स्त्रियों की ऐसी समस्या खत्म हो जाती है और अपने पुराने प्रेमी को भुला देती है लेकिन कुछ स्थिति में ऐसा भी देखा गया है कि समस्या ठीक न होकर बढ़ जाती है। कुछ मामले में तो ऐसा भी देखा गया है कि लड़कियां आत्महत्या कर लेती हैं या अपने प्रेमी के साथ अवसर पाकर शर्मों हया को छोड़कर भाग जाती हैं। बहुत सी स्त्रियां तो ऐसी भी होती हैं जो मानसिक रूप से कभी भी अपने पति को स्वीकार नहीं कर पाती हैं। इस समस्या के बारे में बहुत से चिकित्सकों का यह भी कहना है कि बहुत सी स्त्रियां तो ऐसी भी हैं जो अपने प्रेमी से इतना अधिक प्यार करती हैं कि किसी अन्य पुरुष के साथ शादी होने के बाद पहली रात को पति द्वारा सेक्स करने को बलात्कार समझती हैं और वह उसका विरोध करती हैं। जो इस तरह की स्थिति से समझौता नहीं कर पाती वह हालात से समझौता कर लेती हैं लेकिन फिर भी सेक्स के बारे में कामोत्तेजना कम होने का शिकार हो जाती हैं। 
4. बहुत सी स्त्रियों को शादी होने पर यह पता चलता है कि उसका पति अनाड़ी है, उसे सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं पता। इस कारण से जब वह अपने पति से सेक्स क्रिया करना चाहती है तो उसका पति ठीक ढंग से उससे सेक्स नहीं कर पाता और वह सेक्स के सुख से अतृप्त रह जाती है। जब पति को उसके द्वारा कई बार समझाने के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकलता तो उसके मन में धीरे-धीरे सेक्स क्रिया के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है। यहां तक कि उनके दम्पति जीवन में क्लेश होना भी शुरू हो जाता है। जिसके कारण कभी-कभी तो यह देखा गया है कि वे तलाक लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं या एक-दूसरे से अलग-अलग रहने लगते हैं। वैसे यह भी देखा गया है कि बहुत सी स्त्रियां सेक्स के बारे में कुछ बोल नहीं पाती हैं। इस स्थिति में पति भी उसे सेक्स सुख दे नहीं पाता जिसके कारण से उसके मन में सेक्स के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है और वह कामोत्तेजना कम होने का शिकार हो जाती हैं। 
5. बहुत सी स्त्रियों को जब यह पता चलता है कि उसका पति नपुंसक है तो उन्हें बहुत अधिक दुःख होता है। इस कारण से जब उसे सेक्स का सुख नहीं मिल पाता तो वह चोरी-छिपे किसी अन्य पुरुष को ढूढ़ती है जो उसे सेक्स का सुख दे सकें लेकिन जब उसे कोई अन्य पुरूष भी नहीं मिलता तो अपने पति को बहुत अधिक कोसती है और उनके दम्पति जीवन में भी कलह होने लगता है। इन सब करणों से उसके मन में सेक्स के प्रति नाराजगी उत्पन्न होने लगती है और अंत में वह हालात से समझौता कर लेती है तथा कामोत्तेजना का शिकार हो जाती है। 
6. बहुत सी स्त्रियां ऐसी होती हैं जो गर्भधारण नहीं करना चाहती हैं, वे गर्भधारण करने से डरती हैं, जिसके कारण से वे कामशीलता का शिकार हो जाती हैं। इन स्त्रियों को गर्भधारण से इसलिए डर लगता है कि उससे शरीर तथा चेहरा खराब हो जाता है। उनके मन में यह विचार होता है कि गर्भधारण होने के बाद स्त्री का शरीर बेडौल हो जाता है तथा बच्चे को स्तनपान कराने से स्तन में ढीलापन आ जाता है। इसी भय के कारण से वह पति के साथ भी सेक्स करने से डरती है तथा इस रोग से पीड़ित हो जाती है। उनका यह विचार पूरी तरह से गलत है क्योंकि शादी के बाद सेक्स क्रिया का आनन्द लेकर भी यदि वह अपने खान-पान तथा व्यायाम के द्वारा शरीर को स्वस्थ्य तथा सुन्दर रख सकती है। 
7. स्त्रियों की कमशीतलता होने के लिए कुछ ऐसी भी परिस्थितियां उत्तरदायी हो सकती हैं जिसमें पति तथा परिवार के सदस्य उसे दुःखी और प्रताड़ित करते हैं। कई बार तो ऐसा भी देखा गया है कि पुरुष अपनी इच्छा के खिलाफ और परिवार वालों के दबाव के कारण से शादी कर लेता है। लेकिन वह अपनी पत्नी के साथ सेक्स क्रिया नहीं करता या उससे सेक्स क्रिया तो करता है पर मन से उसे स्वीकार नहीं करता है। संभोग क्रिया के समय में वह अपनी मन की नफरत को इतनी बेरहमी से उजागर करता है कि उससे पत्नी नफरत करने लगती है। इस कारण से उसके मन में सेक्स के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है।
8. कई बार तो परिवार वाले ठीक प्रकार से रिश्ता देखे बिना शादी कर देते हैं। लेकिन यदि लड़के के परिवार वाले दहेज के लालची होते हैं तो वे लड़की को सताने लगते हैं, जिसके कारण से भी स्त्री में सेक्स के प्रति उत्तेजना में कमी होने लगती है। कभी-कभी तो स्त्री के सामने ऐसी स्थिति भी आ जाती है कि लड़के घर वाले उसे ताने तथा जली-कटी बातें सुनाने लगते हैं। इस स्थिति में पति भी अपने घर वालों का साथ देता है तथा पत्नी को प्रताड़ित करता है, कई बार तो स्थिति ऐसी भी उत्पन्न हो जाती है कि या तो परिवार वाले उसकी हत्या कर देते हैं या वह खुद आत्महत्या कर लेती हैं या हालात से समझौता कर लेती हैं। आमतौर पर यह देखा गया कि जो स्त्रियां ऐसी स्थिति में हालात से समझौता कर लेती हैं तथा उनके साथ लगातार ऐसा व्यवाहार होते रहते हैं जिसके कारण से उनका दिल बुझा-बुझा सा रहता है। इन सब कारणों का सबसे ज्यादा प्रभाव उसके सेक्स जीवन पर पड़ता है। वैसे देखा जाए तो मन और तन जब उमंग तथा प्रसन्न चित्त होता है तो ही सभी प्रकार का सुख अच्छा लगता है। इसलिए जब स्त्री के तन और मन पर इस प्रकार के तानों का घाव तथा पति, परिवार वाले के सतायें जाने का दुःख हो जाता है तो उसका मन सेक्स के प्रति बिल्कुल उदास रहने लगता है। 
9. कई बार तो यह भी स्थिति देखने को मिलती है कि किसी-किसी स्त्री का पति शराबी होता है जिसके कारण से वह अपनी पत्नी को सेक्स का आनन्द नहीं दे पाता और इस कारण से उसकी पत्नी को कामशीतलता का रोग हो जाता है। कई पुरुष तो ऐसे होते हैं जो कई प्रकार के नशा करते हैं जिनसे उनके शरीर में सेक्स के प्रति उत्तेजना कम हो जाती है और अपनी पत्नी को इसका सुख नहीं दे पाते। बहुत से तो ऐसे पुरुष भी होते हैं जो तम्बाकू, गुटखा, शराब पीना, चरस, भांग तथा हेरोइन का सेवन करते हैं। इस कारण से उनके मुंह से बदबू आती रहती है और जब वे अपनी पत्नी से संभोग क्रिया करना चाहते हैं तो इससे स्त्री को बहुत अधिक परेशानी होती है । इसे रोकने तथा विरोध करने और समझाने बुझाने से भी जब यह सब ठीक नहीं होता या स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता तो उसे सेक्स क्रिया से नफरत होने लगती है। उसके शरीर के अन्दर से सेक्स की उत्तेजना खत्म हो जाती है।
10. जब किसी स्त्री को सेक्स संबंधों के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है तो स्त्री में शीतलता आ जाती है। लेकिन शादी के बाद जैसे-जैसे दिन बीतने लगते हैं और सेक्स क्रिया का आनन्द लेने के बाद जब दम्पति बच्चेदार हो जाते हैं तो इन दम्पतियों पर घर की जिम्मेदारियां इतनी अधिक बढ़ जाती हैं कि उन्हें आपस में सेक्स करने का समय ही नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में पुरुष अधिकतर सेक्स को विशेष महत्व नहीं देते तथा अपने शरीर का बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हैं, शरीर की साफ-सफाई भी ठीक ढंग से नहीं करते, दाढ़ी भी बढ़ा लेते हैं और उन्हें जब भी इच्छा होती है वैसे ही हालत में अपनी पत्नी से सेक्स करने के लिए चालू हो जाते हैं। वह न ही स्थान, न ही पंलग, न ही स्थितियां, किसी का भी ख्याल नहीं करते और अपनी पत्नी से सेक्स करने लगते हैं, जिसके कारण से पत्नी सेक्स के प्रति बोरियत महसूस करने लगती है। उसमें सेक्स क्रिया के प्रति कम उत्तेजना होने लगती है।
11. स्त्रियों के सामने कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं कि उनका पति उनसे यौन संबंध न करके गुदामैथुन या मुखमैथुन ही करता है। बहुत सी स्त्रियों को इससे घृणा महसूस होती है जिसके कारण से वे किसी प्रकार की उत्तेजना भी महसूस नहीं करती है। इसके अलावा उनका पुरुष जब उनसे जबर्दस्ती मनमानी करता है या जबरदस्ती गुदामैथुन करता है या मुखमैथुन करता है जिसके कारण से स्त्री के मन में अपने पति के प्रति बहुत अधिक घृणा महसूस होने लगती है। इसके अतिरिक्त उसके अंदर सेक्स की इच्छा भी खत्म होने लगती है जिसके कारण से उसे शीतलता का रोग हो जाता है।
12. कई बार तो परिवार में अधिक धार्मिक माहौल तथा अंधविश्वास होने के कारण से भी स्त्री में शीतलता का रोग हो सकता है। उनके इस रोग के होने का सबसे ज्यादा जिम्मेदार उसके परिवार वाले ही होते हैं क्योंकि उस परिवार में वह अधिक पूजा-पाठ में लीन रहती है, सप्ताह में एक-दो दिन व्रत रखती है और सेक्स से दूर रहना ही पसंद करती है। यदि उसका पति उससे सेक्स क्रिया करने के लिए जोर जबर्दस्ती करता है तो वह तैयार नहीं होती, जिस दिन वह व्रत रखती है, उस दिन तो वह बिल्कुल ही तैयार नहीं रहती। स्त्री इसे पाप समझकर इससे नफरत करने लगती है और उसके मन में सेक्स के प्रति धीरे-धीरे भावना कम होने लगती है। इस समय यदि कोई विशेष घटना हो जाती है तो वह इसे इस पाप का ही फल समझ बैठती है जिसके कारण वह सेक्स से पूरी तरह नफरत करने लगती है। इस कारण से उसके शरीर में सेक्स उत्तेजना भी खत्म हो जाती है और वह शीतलता का शिकार हो जाती है।
13. कुछ स्त्रियां तो ऐसी भी होती हैं जिनमें सेक्स के प्रति उत्तेजना ही नहीं होती है और उनके मन में सेक्स के प्रति उमंग और उत्साह की कमी हो जाती है। वह सेक्स क्रिया को केवल बच्चा पैदा करने की क्रिया ही मानती हैं तथा वह यह समझती हैं कि जब बच्चा पैदा हो जाए तो इसे करना बेकार है। उसे सेक्स के चरमसुख के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं होता है और न ही किसी प्रकार की इस क्रिया में जोश दिखाती है तथा इसके बारे में जानने का कुछ भी प्रयास करती है। ऐसी स्त्री के साथ यदि पुरुष जबर्दस्ती सेक्स करता रहता है तो वह इस क्रिया से इस कदर नफरत करने लगती है कि उसके शरीर से कामशीलता पूरी तरह से खत्म हो जाती है।
14. बहुत से स्त्रियों में सेक्स की उत्तेजना बिल्कुल भी नहीं होती है लेकिन उसके शरीर में पति-धर्म कूट-कूटकर भरा रहता है, इसलिए उसमें सेक्स उत्तेजना न होने के बावजूद भी वह पति से इस क्रिया के विषय में विरोध नहीं करती है। जैसा उसका पति चाहता है वैसा ही उसके साथ करता है, जिसके कारण से उसमें सेक्स के प्रति बची-खूची उत्तेजना भी खत्म हो जाती है।
15. कुछ स्त्रियों को सेक्स के प्रति बिल्कुल भी ज्ञान नहीं होता है, वे अपने मन में कई भम्र पाल के रखती हैं। ऐसी स्त्रियां कभी-कभी यह सोचती रहती हैं कि अधिक सेक्स करने से पुरुष के शरीर में कमजोरी आ जाती है। इसलिए वह अपने पति को सेक्स करने से मना करती हैं। ऐसा करते-करते जब उसे कई दिन हो जाता है तो उसके मन में सेक्स के प्रति क्रोध पनपने लगता है जिसके कारण उसके शरीर में सेक्स की उत्तेजना कम होने लगती है। ऐसी स्त्री से जब सेक्स किया जाता है तो वह उस समय किसी प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करती और चुप-चाप पुतले के समान बिस्तर पर पड़ी रहती है।
16. बहुत-सी स्त्रियां तो ऐसी होती हैं जो ममता और घर के कामों के बोझ के कारण से इतना अधिक दब जाती हैं कि उनमें सेक्स के प्रति इच्छा ही समाप्त हो जाती है। वह घर के काम-काज और मानसिक बोझ से इतनी अधिक थक जाती है कि पति उसके साथ सेक्स क्रिया करता है तो थकावट के कारण से सेक्स क्रिया में बिल्कुल भी भाग नहीं लेती। जब यही प्रक्रिया कुछ दिनों तक लगातार चलता रहता है तो उसके मन से सेक्स के प्रति उत्साह नहीं रहता है जिस कारण से उसके शरीर में सेक्स शीतलता आ जाती है।
17. कुछ स्त्रियों को छोटी उम्र में बलात्कार होने का कारण से सेक्स क्रिया से डर लगने लगता है। जिस समय उनके साथ बलात्कर होता है उस समय तो उनके शरीर का बिल्कुल भी विकास नहीं हो पाता और ऐसी स्थिति में बलात्कार का डर तथा वह मंजर उसके मन में बैठ जाता है। इस बलात्कार की तस्वीर उसके मन में बैठ जाती है। धीरे-धीरे जब वह बालिग हो जाती है तो उसकी शादी होने का बाद जब उसका पति उससे सेक्स क्रिया करने का प्रयास करता है तो बलात्कार की तस्वीर उसे याद आने लगती है जिसके कारण से उसके शरीर में कम्पन पैदा होने लगता है तथा शरीर पूरा ठंडा पड़ा रहता है।
18. कुछ स्त्रियां तो छोटी उम्र में इतनी नादान होती हैं कि सेक्स उत्तेजना की भावनाओं में बहकर सेक्स संबंध बनाने की भूल कर बैठती हैं। यह सेक्स संबंध वह इसलिए बना लेती हैं कि उसका साथी मित्र उसे यह आश्वासन देता है कि मैं तुमसे शादी कर लूंगा, मैं तुम्हें मरते जन्म तक साथ दूंगा, हमें कोई भी जुदा नहीं कर सकता है क्योंकि हम एक-दूसरे के लिए ही बने हैं। इसी कारण से वह स्त्री बहकावे में आकर उस पुरुष से सेक्स संबंध बना लेती है और गर्भवती हो जाती है। जब ऐसी स्थिति आ जाती है तो पुरुष उससे विवाह करने से मना कर देता है। जब यह बात लड़की के माता-पिता को पता चलता है तो वे अपनी लड़की को बहुत अधिक मारते-पीटते तथा डाटते हैं और यह भी कहते हैं कि तूने तो हमारे खानदान की नाक कटवा दी। इस स्थिति में लड़की को इतना अधिक मानसिक आघात होता है कि वह पुरुषों से नफरत करने लगती है। इतना ही नहीं उसके माता-पिता जल्दी-जल्दी में उसकी शादी किसी और लड़के से तय कर देते हैं। इस स्थिति में लड़की जो पुरुष से नफरत करती है, उससे उसका पति जब सेक्स क्रिया करता है तो वह पुतले के समान चुप-चाप पड़ी रहती है क्योंकि इस समय उसके अन्दर की सेक्स भावाना मर चुकी होती है।
19. कई बार तो यह भी देखा गया है कि कई स्त्रियां शादी करके सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करती हैं लेकिन जब उसका पति उससे दूर होता है या कुछ समय के लिए उसे छोड़कर चला जाता है तो उस समय यदि कोई उसका बलात्कार कर देता है तो इस स्थिति में उसे गहरी चोट पहुंचती है और सदमे में खो जाती है। उसके अन्दर की सेक्स भावना खो जाती है तथा कमशीतलता का दोष उसके अन्दर विकसित हो जाता है।
20. पति-पत्नी यदि सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हों और किसी कारण से उसके पति को यौन दुर्बलता हो जाए या किसी दुर्घटना के कारण से वह अपनी पत्नी को सेक्स सुख देने में असमर्थ हो गया हो तो इस स्थिति में उसकी पत्नी कभी भी चरमानन्द प्राप्त नहीं कर पाती है। इतना होने के बावजूद अपनी दुर्बलता का इलाज करवाने को प्रेरित करती हैं लेकिन कई बार उसका पति यह मानने के लिए तैयार नहीं होता है क्योंकि यौन कमजोरी से वह ग्रस्त होता है। ऐसी स्थिति में जब वे दोनों एक-दूसरे के साथ सेक्स संबंध बनाते हैं तो पति की उत्तेजना तुरंत ही शांत हो जाती है। स्त्री बिस्तर पर इस प्रकार से छटपटाती रहती है जैसे पानी के बिन मछली छटपटाती रहती है। जब यह स्थिति स्त्री के साथ प्रतिदिन होने लगती है तो उसे सेक्स से नाराजगी होने लगती है। कई बार तो यह भी देखा गया है कि वह पुरुष को ज्यादा जोर देकर इलाज करने को कहती है तो वह उस पर उल्टा गुस्से में चिल्लाने लगता है और उल्टा उस पर कई आरोप लगा देता है। वह अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए कई बार तो यह भी कह देता है कि तुझमें कोई दोष है। इस प्रकार की बातों को सुनकर वह शारीरिक तथा मानसिक दोनों रूप से सेक्स से नाराज रहती है। वह मन में यह भी सोचती है कि उनको मेरा कुछ भी ख्याल नहीं, वे केवल मुझे उपभोग का केवल एक वस्तु समझते हैं, उन्हें मेरी सुख से कोई मतलब नहीं है और न ही मेरी कोई चिंता करते हैं। इस सबको देखते हुए वह अपने आप को स्थितियों के अनुसार ढा़ल लेती है जिसके कारण से उसकी इच्छाएं और संवेदनाएं समाप्त हो जाती हैं।
21. स्त्रियों में कामोत्तेजना कम होने के कारण यदि उसे मानसिक रोग हो गया हो तो इस मानसिक रोग होने के पीछे पुरुष भी जिम्मेदार होता है क्योंकि कभी-कभी वह अपनी गलतियों को पत्नी पर ही थोपता है, अपनी गलतियों को स्वीकार तक नहीं करता। बहुत से पुरुष तो यह सोचते हैं कि सेक्स क्रिया के द्वारा आनन्द लेने में स्त्रियों का कोई लेना देना नहीं है। यह केवल पुरुषों के लिए होता है। इस कारण से वे अपनी स्त्रियों का कुछ भी ख्याल नहीं करते हैं जिसकी वजह से उनकी स्त्रियां इस रोग का शिकार हो जाती हैं।
22. पारिवारिक तथा सामाजिक संस्कारों के कारण से बहुत-सी स्त्रियां सेक्स के बारे में अपने विचारों का खुलासा नहीं कर पाती और न ही विचारों को व्यक्त ही कर पाती हैं। इसके बावजूद जब उनकी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होती है तब इसका असर सेक्स क्रिया के दौरान दिखाई पड़ता है। इन सभी करणों की वजह से ही उनमें कामशीतलता की कमी आ जाती है।
स्त्रियों की कामशीतलता को दूर करने के उपाय-
1. वैसे देखा जाए तो स्त्रियों की कामशीतलता को दूर करने के लिए पति को ही मुख्य रूप से उपाय अपनाना चाहिए क्योंकि पति ही अपनी पत्नी को अच्छी तरह से समझ सकता है। पति को पहले पत्नी से खुलकर बातें करनी चाहिए कि तुम किस कारण से सेक्स क्रिया से डरती हो और तुम्हें कौन सा दुःख है। यह सब जानकर उसे प्रयास करना चाहिए कि इसका समाधान क्या है। इसके बाद किसी सेक्स विशेषज्ञ से सलाह लेकर उपचार करना चाहिए तथा उसके इस रोग के होने के कारणों को दूर करना चाहिए। पत्नी को जितना हो सके उतना उस पर प्यार न्यौछावर करना चाहिए। ऐसा करने से ही उसकी पत्नी का यह रोग ठीक हो सकता है। 
2. यदि पुरुष को यह पता लग जाए की मेरी ही कुछ गलतियों के कारण से मेरी पत्नी को कामशीतलता का रोग हो गया है तो उसे अपनी गलती के लिए पत्नी से माफी मांगना चाहिए और कहना चाहिए कि आगे से इस प्राकर की गलती नहीं होगी। 
3. कुछ स्थिति ऐसी भी होती है जिसमें स्त्री स्वयं ही इस रोग की दोषी होती है। इसके लिए स्त्री को चाहिए कि वह अपने दोष को दूर करे क्योंकि दोष को दूर करने से यह रोग भी स्वयं अपने आप मिट जायेगा। 
4. हमें यह जान लेना चाहिए कि पति-पत्नी का संबंध जन्म जन्मांतर का होता है। इसलिए पत्नी के किसी भी प्रकार के कष्ट को दूर करने के लिए पति का पूरा दायित्व बनता है। यदि पति को यह पता चल जाए की मेरी पत्नी को किसी प्रकार के मानसिक कष्ट के कारण से ही कामशीतलता रोग हुआ है तो उसे उसके कष्ट के कारणों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। उसे प्रेम और प्यार से अपनी पत्नी का ख्याल रखना चाहिए। कभी-कभी तो यह भी देखा गया है कि पत्नी की समस्या से पति परेशान होकर उससे अपना पीछा छुड़ाना चाहता है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि पत्नी उसका जन्म-जन्मांतर का साथी होती है। पत्नी के इस रोग की किसी भी स्थिति में पति को अपनी जिम्मेदारियों से दूर नहीं भागना चाहिए क्योंकि कामशीतलता कोई ऐसा रोग नहीं है जो पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता है। आज बहुत से ऐसे चिकित्सा क्षेत्र है जिनका उपयोग करके स्त्रियों की कामशीतलता का उपचार किया जा सकता है जैसे- आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा, होम्योपैथिक चिकित्सा, आर्युर्वैदिक चिकित्सा, ऐक्यूप्रेशर चिकित्सा, मसाज चिकित्सा आदि। 
5. स्त्रियों की कामशीतलता रोग को दूर करने के लिए यह जान लेना आवश्यक है कि पुरुष व स्त्री दोनों में सेक्स की इच्छा को उत्पन्न करने के लिए हार्मोन टेस्टोस्टोरोन मुख्य रूप से कार्य करता है और स्त्रियों में यह हार्मोन अधिवृक्क ग्रंथियों के द्वारा स्रावित होता है। जब स्त्रियों में इस हार्मोन की कमी हो जाती है तो इसके साथ ही कामशीतलता की भी कमी आ जाती है। ऐसी स्थिति में पति को चाहिए कि अपनी पत्नी का उपचार किसी अच्छे चिकित्सक से कराना चाहिए जिसे स्त्रियों के इस रोग को ठीक करने का विशेष रूप से अनुभव हो। इसके साथ-साथ पति को चाहिए कि अपनी पत्नी का विशेष रूप से ख्याल रखे तथा इस रोग के होने के कारणों को भी दूर करना चाहिए। 
6. स्त्रियों की कामशीतलता को दूर करने के लिए आज इसका सफल उपचार ढूंढ लिया गया है। जरूरत तो बस इतना है कि पति अपनी पत्नी का विशेष रूप से ख्याल रखे तथा चिकित्सा में पूरा साथ दे। कुशल चिकित्सक अपने अनुभवों के द्वारा स्त्रियों की मानसिक तथा शारीरिक कारणों को दूर कर सकता है और औषधीय चिकित्सा के द्वारा पूर्ण रूप से ठीक कर सकता है। इसके साथ ही पति को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि चिकित्सक को अपनी पत्नी के रोग के बारे में खुलकर बताए। क्योंकि कामशीतलता रोग होने का सबसे मुख्य कारण मनोवैज्ञानिक होता है और जब तक चिकित्सक को ठीक रूप से रोग का कारण पता नहीं चलेगा तब तक वह ठीक तरह से उपचार नहीं कर पायेगा।
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