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Thursday 18 April 2013

सेक्स इच्छा को बढ़ाने के लिए उपाए – 
1. अगर नशीले पदार्थों का उपयोग करने के कारण से यह समस्या हो तो तुरंत ही नशीले पदार्थों का सेवन करना बंद कर देना चाहिए। इसके उपयोग करने से हो सकता है कि समस्या और भी गंभीर हो जाए।
2. इसके अलावा खानपान और दिनचर्या में सुधार करने का प्रयास करें। 
3. सेक्स इच्छा को बढ़ाने के लिए अपनी सेहत पर ध्यान दें तथा इक्सरसाइज और मसाज करें और सेक्स क्रिया की जानकारी लें।
4. भरपूर नींद लें क्योंकि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि ठीक प्रकार से नींद न आने के कारण से शरीर में कमजोरी आने लगती है और सेक्स के प्रति मन में गलत भावना आने लगती है।
5. यदि सेक्स करने की इच्छा न रहती है तो आपको अपने रक्तचाप, शुगर, कोलेस्ट्रॉल तथा हार्मोंन की जांच करवा लेनी चाहिए क्योंकि हो सकता है कि इस कारण से ही आपको सेक्स की इच्छा बिल्कुल न रहती हो।
6. यदि किसी प्रकार के सेक्स रोग या किसी अन्य रोग के कारण से सेक्स करने की इच्छा में कमी हो तो तुम्हें तुरंत ही किसी अनुभवी चिकित्सक से अपना इलाज करवाना चाहिए।
7. यदि आपको अपनी पत्नी के कारण से सेक्स करने की इच्छा कम हो तो आप अपने से ठीक प्रकार से बात करें कि आखिर बात करें कि किस कारण से तुम सेक्स करना नहीं चाहती हो। इस सब कारणों को ठीक प्रकार से हल करें।
30 साल की उम्र में प्रजनन क्षमता में कमी आना-
इस उम्र के पुरुषों को अधिकतर प्रजनन क्षमता में कमी हो जाती है। यदि आप बच्चा चाहते हैं तो तीस साल के पहले प्लान बनाएं क्योंकि हार्मोंस बदलाव के कारण से आपके वीर्य में शुक्राणुओं की कमी हो सकती है। प्रजनन क्षमता की कमी से बचने के लिए वीर्य की जांच करवाएं। यदि कमी हो तो विशेषज्ञ से मिलकर उपचार करवाएं।
40 साल से ऊपर की उम्र में सेक्स -
इस उम्र के पुरुषों को सेक्स संबंधित कई प्रकार की बीमारियां होने लगती हैं। लिंग की संवेदनशीलता भी कम हो जाती है। इस कारण से उनके लिंग में उत्थान होना बंद हो जाता है। इस उम्र में और भी प्रकार की बीमारियां शरीर में दिखाई देने लगती हैं जो सेक्स शक्ति पर बहुत अधिक प्रभाव डालती हैं। जो लोग अपने सेहत पर ध्यान देते हैं वे इस उम्र में भी सेक्स क्रिया का आनन्द ले सकते हैं और अपनी पत्नी को चरम सुख दे सकते हैं।
40 साल से ऊपर की उम्र में लिंग में उत्थान न होना – 
इस उम्र को लोगों में अधिकतर यह देखने को मिलता है कि उन्हें मानसिक रूप से कमजोरी, लिंग की नलियों में किसी प्रकार की परेशानी तथा औषधियों के दुष्प्रभाव के कारण से अपने लिंग में कमजोरी तथा उत्थान न रहने की शिकायत रहती है।
लिंग की इस समस्या को दूर करने के लिए सबसे पहले पुरुष को अपने मानसिक स्थिति में सुधार करना चाहिए तथा नियमित रूप से सुबह के समय में घूमे, खानपान पर ध्यान दें और मन से चिंता व तनाव दूर कर देना चाहिए।
शरीर में हार्मोंन का ठीक प्रकार से स्राव न होना – 
अधिकतर 40 वर्ष की आयु पार करने के बाद शरीर में टेस्टोरॉन हार्मोंन के स्तर में काफी कमी आ जाती है। जिस कारण से पुरुषों में सेक्स करने की इच्छा कम हो जाती है। इस समस्या को दूर करने के लिए पीड़ित रोगी को चाहिए कि वह किसी विशेष चिकित्सक से अपना इलाज करवाए।
शरीर में सेक्स संबंधित कमजोरी आना – 
यदि शरीर में कोई रोग हो जाए तो उसका सबसे ज्यादा प्रभाव सेक्स शक्ति पर पड़ता है। इसलिए कहा जा सकता है कि किसी रोग के कारण से शरीर में सेक्स शक्ति की कमी हो चुकी है तो सबसे पहले उस रोग को ठीक करने का इलाज करवाना चाहिए। इसके बाद सेक्स कमजोरी का इलाज करना चाहिए। ऐसा करने से रोग ठीक होने के साथ-साथ सेक्स शक्ति में भी वृद्धि होने लगती है।
50 साल से ऊपर की उम्र में सेक्स -
बहुत से लोगों को यह भम्र हो जाता है कि 50 साल की उम्र के बाद शरीर में सेक्स शक्ति में कमी आ जाती है। लेकिन यह कहना बिल्कुल गलत है क्योंकि यदि इस उम्र के पुरुष अपने स्वस्थ्य पर ठीक प्रकार से देखभाल करते हैं तो वह सेक्स का आनन्द उसी प्रकार से ले सकते हैं, जिस प्रकार से एक युवा पुरुष सेक्स क्रिया का आनन्द लेता है। लेकिन देखा जाए तो इस उम्र में शरीर में काफी परिवर्तन होते हैं। जैसे- आंखों से न दिखाई देना, त्वचा मोटा हो जाना, हड्डियां कमजोर होना, मन की सोच में परिवर्तन होना आदि। इस उम्र में धमनियों की गांठें, जोड़ों में दर्द, प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ जाना, हृदय रोग होना तथा मूत्र रोग हो जाना आदि समस्या होने लगती हैं।
सेक्स इच्छा में कमी होना-
इस उम्र में बहुत से पुरुषों की सेक्स इच्छा में कमी होने लगती है। यह समस्या कई कारणों से हो सकती है जैसे- अधिक दवाइयों का प्रयोग करना, शरीर में रोगों का प्रभाव होना, मूत्रनली से संबंधित रोग होना, तनाव होना तथा मानसिक समस्या आदि।
यदि इस प्रकार की समस्या हो जाए तो किसी विशेष चिकित्सक से सलाह लेकर अपना उपचार करवायें और उनके अनुसार ही दवाइयों का सेवन करें।
सेक्स इच्छा तेज हो जाना –
इस आयु में सेक्स इच्छा तेज होने की भी समस्या हो सकती है। यह होने का सबसे मुख्य कारण प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ जाना होता है।
यदि ऐसी स्थिति हो जाए तो किसी विशेष चिकित्सक से सलाह लेकर उपचार करवायें क्योंकि यह समस्या अगर कुछ दिनों तक बनी रहेगी तो हो सकता है कि गंभीर परिणाम भुगतना पड़े।

चरम सुख की प्राप्ति 
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परिचय-
जिस तरह से हमें किसी पहाड़ या ऊंची जगह पर पहुंचने के लिए एक-एक कदम बहुत ही सावधानी से और धीरे-धीरे रखना पड़ता है। लेकिन जब हम उस मंजिल को पार कर लेते हैं तो दिल को एक सुकून सा मिलता है ठीक इसी तरह से संभोग क्रिया होती है। अगर इस क्रिया में भी हड़बड़ाहट या नासमझी दिखाई देती है तो इसमें मिलने वाला आनंद कभी प्राप्त नहीं होता।
अगर आप चाहते हैं कि संभोग क्रिया के दौरान मिलने वाला चरम सुख आप और आपकी पत्नी को प्राप्त हो तो इसके लिए कुछ बातों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है-
• संभोग क्रिया के लिए सबसे पहले अपने शरीर के अंगों को शिथिल करने की तकनीक के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। जब भी शरीर में काम उत्तेजना पैदा होती है तो पेशियों और तंत्रिकाओं में तनाव पैदा हो जाता है और स्खलित होने के बाद ही समाप्त होता है। अगर आप पहली बार ही संभोग क्रिया के दौरान उत्तेजना के समय इस तनाव को शिथिल करने की कोशिश करेंगें तो इसमें सफलता मिलना मुश्किल है। इसके लिए आपको उस समय अभ्यास करना होता है जब आप संभोग क्रिया नहीं कर रहे होते हैं। इसके अभ्यास के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि सबसे पहले आप किसी अंधेरे कमरे में पीठ के बल लेटकर शरीर को ढीला छोड़ दें। इस अवस्था में कुछ देर तक शांत रहने के बाद अपनी गर्दन की पेशियों को हल्के से सख्त करने का अभ्यास कीजिए। इसमें सफलता मिल जाने के बाद पेशियों को थोड़ा और सख्त करने का अभ्यास करें और बाद में जितना ज्यादा हो सके सख्त करने का अभ्यास करें। इसके बाद गर्दन की पेशियों को उसी तरह से ढीला करने की शुरुआत करें जिस तरह से सख्त करने की शुरूआत की थी। इस क्रम को कई बार दोहराइये। ऐसा करते रहने से आप कड़ी पेशियों को ढीला करने की तकनीक सीख जाएंगे। 
• गर्दन की पेशियों को शिथिल करने की तकनीक सीखने के बाद अपनी एक बांह की पेशियों को शिथिल करने की तकनीक सीखने का अभ्यास करें। जब आप इसमें भी सफल हो जाएं तो पैरों की पेशियों को शिथिल करने का अभ्यास करें। इस तरह आप शरीर के हर अंग को शिथिल करने का अभ्यास करेंगे तो शरीर के जिस अंग को शिथिल करना चाहेंगे उसे कर ही लेंगें। इस अभ्यास को सप्ताह में कई बार कई बार दोहराएं। इससे कुछ ही समय में आप उस स्थिति में भी अपने शरीर के उन अंगों को शिथिल करने में सफल हो जाएंगे जबकि शोर-शराबे या दूसरे कारणों से आपको ध्यान लगाने में परेशानी होती हो। जब शारीरिक अंगों को शिथिल करने की तकनीक सीख जाएंगे तो उसके बाद संभोग क्रिया के समय जब स्खलित होने को होंगे तो उस समय आप अपने उत्तेजना केंद्र की पेशियों को तुरंत ही शिथिल करके स्खलन होने से रोकने में सफल हो सकते हैं। 
• संभोग क्रिया की शुरुआत करने से पहले पत्नी का मूड और उसकी मानसिक स्थिति को देख लेना चाहिए। अगर आपको महसूस होता है कि आपकी पत्नी शारीरिक और मानसिक तौर पर इस क्रिया के लिए तैयार नहीं है तो आप भी उसके साथ संबंध बनाने के लिए किसी तरह की जबर्दस्ती न करें। क्योंकि कभी-कभी स्त्री को छोटी-मोटी शारीरिक परेशानी या मानसिक परेशानी होती रहती है जिसे वह अपने पति को भी नहीं बताती और इसी कारण से उसका संभोग क्रिया में भी मन नहीं लगता। किसी तरह की परेशानी होने पर न तो उसके अंदर काम-उत्तेजना ही पैदा होगी और न ही उसकी योनि में गीलापन आ सकेगा। ऐसी स्थिति में उसके साथ जबर्दस्ती सेक्स संबंध बनाना गलत होगा और आप भी उसके अंदर काम उत्तेजना न होने के कारण शीघ्र ही स्खलित हो जाएंगे तथा संभोग क्रिया के हर आनंद से वंचित ही रह जाएंगे। इस तरह से अगर आपको भी किसी तरह की मानसिक या शारीरिक परेशानी हो तो आपको भी संभोग क्रिया से दूर ही रहना चाहिए। पत्नी अगर इस क्रिया के लिए पहल करती है तो आपको प्यार से उसे अपनी मानसिक या शारीरिक स्थिति के बारे में समझा देना चाहिए। पत्नी अगर समझदार होगी तो वह आपकी परेशानियों को समझ जाएगी और आपको इस क्रिया के लिए बाध्य नहीं करेगी। इसलिए संभोग क्रिया करना तभी अच्छा रहता है जब आप दोनों मानसिक और शारीरिक रूप से संभोग क्रिया के लिए तैयार हो। 
• संभोग क्रिया के दौरान ज्यादा से ज्यादा आनंद प्राप्त करने के लिए जब आपका लिंग स्त्री की योनि में प्रवेश कर जाए तो भी आप अपनी पत्नी की काम-उत्तेजना को लगातार बढ़ाने की कोशिश करते रहें तथा पत्नी से कहें कि वह भी इस क्रिया में आपका सहयोग करे। योनि में घर्षण की क्रिया के समय चुंबन, आलिंगन, स्तनों को दबाना आदि को करते रहना चाहिए। इससे आप और आपकी पत्नी क्रियाशील रहेंगे। ज्यादातर स्त्रियां संभोग क्रिया के समय बेजान मूर्ति सी बनकर बिस्तर पर पड़ी रहती हैं। उसे लगता है कि अगर मै इस क्रिया में आगे बढ़कर कुछ करती हूं तो शायद मेरे पति को ऐसा लग सकता है कि मै गलत हूं। लेकिन यह गलत है। संभोग क्रिया के समय अगर पत्नी और पति ज्यादा से ज्यादा एक-दूसरे को सहयोग करते हैं तो इससे दोनों को इस क्रिया की समाप्ति पर एक साथ ही चरम सुख की प्राप्ति होती है। 
• संभोग क्रिया के समय चरम सुख की प्राप्ति के लिए सही तरह के आसनों का प्रयोग भी बहुत जरूरी है। इन आसनों को आप अपने पहले के अनुभव के आधार पर चुन सकते हैं। केवल बदलाव और नयेपन के लिए नए आसनों का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए। 
• पति और पत्नी को एक-दूसरे की यौन-प्रकृति तथा काम-उत्तेजना की गति से पूरी तरह परिचित हो जाने के बाद, आपस में तालमेल बनाए रखते हुए, चरमसुख की ओर सावधानी से इस तरह बढ़ना चाहिए कि वह दोनों ही संभोग क्रिया के समय लगभग एक साथ ही स्खलित होकर चरम सुख को प्राप्त कर सके। अगर पुरुष संभोग क्रिया में पहल करता है तो कटि-संचालन और लिंग घर्षण से तालमेल बनाए रखकर अपनी पत्नी को भी कटि और नितंबों का संचालन कराना चाहिए ताकि लिंग योनि में ज्यादा गहराई तक प्रवेश कर सके। कुछ दिनों के अभ्यास के बाद पत्नी की कटि और नितंबों का संचालन अपने आप ही स्वाभाविक गति से होने लगता है। कटि संचालन में लयात्मक तालमेल बनाए रखने के लिए यह आसन भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। जिस आसन में संभोग क्रिया के दौरान पति ऊपर और पत्नी नीचे होती है वह कटि संचालन और घर्षण में उचित तालमेल बनाए रखने के लिए सबसे अच्छा होता है। इसके अलावा जिस आसन में पति कुर्सी पर बैठता है और पत्नी उसकी जांघों पर बैठकर संभोग करती है। इस तरह संभोग करने से वह अपने कटि का संचालन इस प्रकार से करती है कि जिससे कि पति का लिंग पूरी गहराई से योनि में आघात भी करता है और शिश्निका का घर्षण भी करता है। इस आसन में संभोग करते हुए पति-पत्नी को अलिंगन, चुंबन और स्तनों को दबाने का मौका भी मिलता है। इस क्रिया में आनंद को बढ़ाने के लिए कटि-संचालन में विविधता अपनाई जा सकती है। संभोग क्रिया के समय जब घर्षण की गति कम हो तो आपकी पत्नी को कटि-संचालन तेज करके नितंबों को चक्र के समान घुमाना चाहिए। इसके साथ ही आप गुदा के भाग की पेशियों को सिकोड़कर लिंग को योनि के अंदर उछाल सकते हैं तथा आपकी पत्नी अपनी योनि की पेशिय़ों को सिकोड़कर आपके लिंग को दोहने की कोशिश कर सकती है। अगर पति और पत्नी एक साथ ही पेशी-संकोचन करने की तकनीक सीख जाते हैं तो इससे दोनों को ही संभोग क्रिया में असीम आनंद प्राप्त होता है। नितंब और कटि के लयात्मक संचार के साथ ही पति और पत्नी दोनों को ही आलिंगन और चुंबन आदि क्रियाएं जारी रखे रहनी चाहिए। जिस समय पति-पत्नी के स्तनों को दबा रहा हो उस समय पत्नी को उसकी जांघों को सहलाते हुए नितंबों को दबाना चाहिए। उस समय अगर पति अपनी पत्नी की शिश्निका को भी सहलाता रहता है तो इससे दोनों आनंद के अथाह सागर में समा जाते हैं। 
• संभोग क्रिया के लिए सही समय की प्रतीक्षा करनी चाहिए। किसी भी समय यह क्रिया करना सही नहीं होता है। इस क्रिया के समय किसी तरह की असावधानी आपको इस दौरान मिलने वाले सुख से वंचित कर सकती है। जब पति और पत्नी एकदम मूड में हो तो उस समय प्राकक्रीड़ा (फोर प्ले) की जा सकती है। इस दौरान नखरों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। यह आगे बढ़ने फिर पीछे हटने और फिर से आगे बढ़ने की तकनीक है। इस तकनीक से एक तो आनंद की वृद्धि होती है और दूसरा स्तंभन का समय भी बढ़ता है। ऐसे में पति ऊपर और पत्नी नीचे वाला आसन सबसे अच्छा रहता है क्योंकि इस आसन में दोनों ही तेज गति से कटि-संचालन कर सकते हैं और चुंबन तथा आलिंगन की क्रिया भी कर सकते हैं।
• अगर पति थका हुआ हो तो संभोग क्रिया के समय स्त्री को ही पहल कर देनी चाहिए। पति को चुपचाप बिस्तर पर लेटे रहना चाहिए और पत्नी को संभोग करने देना चाहिए। पति चाहे तो अपनी कटि को उछालकर पत्नी को सहयोग कर सकते हैं ताकि लिंग योनि में ज्यादा गहराई तक प्रवेश कर सके तथा शिश्निका से घर्षण भी होता रहे। अगर स्त्री और पुरुष दोनों ही थके हुए होते हैं और संभोग करना चाहते हैं तो उनके लिए आमने-सामने करवट लेकर लेटते हुए आसन का प्रयोग अच्छा रहता है। इसके अलावा पत्नी को बाईं करवट लिटाकर उसके पीछे लेटकर गुदामैथुन किया जा सकता है। 
कामोद्दीपन-चक्र 
(स्त्री की काम उत्तेजना बढ़ने या कम होने का चक्र) 
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परिचय-
आज के आधुनिक युग में मनुष्य सब चीजों से आगे निकल चुका है। उसने ऐसे काम कर दिखाए हैं जिन्हें किसी समय में सपने में भी नहीं सोचा जा सकता था। यहां तक की मनुष्य चांद पर भी पहुंच गया है। इसके बावजूद वह आज भी सेक्स के मामले में पुरानी मानसिक स्थिति में ही जी रहा है। वह आज भी अपनी पत्नी को सिर्फ इस्तेमाल की चीज ही मानता है तथा पत्नी की इच्छा, भावनाओं और मानसिक स्थिति को लगातार नजरअंदाज करता आ रहा है। उसकी नजर में संभोग के समय सिर्फ अपनी संतुष्टि होना ही सब कुछ होता है। जिस भी समय उसकी काम उत्तेजना जागती है तो वह कुछ नहीं देखता बस अपनी पत्नी के साथ संभोग क्रिया करने के लिए चालू जाता है जैसेकि वह उसकी पत्नी न होकर कोई टेलीविजन हो जिसे जब भी देखने की इच्छा हो बटन दबाया और लगे देखने। हमारी संस्कृति में भी स्त्री को समर्पण करने के लिए ही बताया गया है। ऐसा सदियों से चला आ रहा है और आगे भी शायद ऐसा ही होता रहे। सेक्स के मामले में सभ्य और असभ्य के बीच विभाजन की कोई रेखा नहीं होती है। सेक्स के मामले में पुरुष काफी स्वार्थी होता है इसलिए इसे करते हुए वह स्त्री की इच्छा की परवाह न करते हुए स्वयं ही संभोग क्रिया में लग जाता है और खुद की संतुष्टि कर लेता है। पति की इस आदत के कारण पत्नी के अंदर काम उत्तेजना जाग नहीं पाती, उसमें सक्रियता पैदा नहीं होती। उत्तेजना न हो पाने के कारण वह संभोग क्रिया करते समय संतुष्ट नहीं हो पाती और खुद पुरुष भी शीघ्रपतन का शिकार हो जाता है।
बहुत से पुरुषों को स्त्रियों के बारे में एक बात का पता नहीं होता कि स्त्री के अंदर काम उत्तेजना को हर समय नहीं जगाया जा सकता। स्त्री की मानसिक और शारीरिक रचना पुरुष से कुछ अलग होती है। किसी-किसी समय तो उसकी काम उत्तेजना बहुत ज्यादा तेज हो जाती है और किसी समय बिल्कुल ही नहीं उठती है।
हर स्त्री का एक कामोद्दीपन-चक्र होता है जो उसके मासिक चक्र से संबंधित होता है। चंद्रमास (पूर्णिमा) के जैसे ही स्त्री का मासिक चक्र और कामोद्दीपन-चक्र भी 28 दिनों का ही होता है। स्त्री की काम उत्तेजना भी उसके मासिक चक्र से प्रभावित होती है। एक शोध के आधार पर यह ज्ञात हुआ है कि मासिक चक्र शुरू होने से कुछ दिन पहले तथा कुछ दिन बाद तथा समाप्ति के एक सप्ताह बाद स्त्री में काम उत्तेजना अपने पूरे चरम पर होती है। इन दिनों में वह संभोग करने के लिए पूरी तरह से तैयार होती है इसलिए इस समय में उससे संभोग करना अच्छा रहता है। इस समय में अगर पति अगर अपनी पत्नी से कुशलतापूर्वक संबंध बनाता है तो दोनों को ही हद से ज्यादा आनंद प्राप्त होता है।
अगर पति अपनी पत्नी से यह चाहता है कि वह संभोग क्रिया के समय खुद ही आगे बढ़कर उसे प्रोत्साहित करे तो इसके लिए उसे अपनी पत्नी के कामोद्दीपन चक्र का अध्ययन करना चाहिए तथा यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि किस-किस तारीख में पत्नी की काम उत्तेजना चरम पर होती है। लेकिन यह जानना इतना आसान भी नहीं है क्योंकि हमारे देश की स्त्री सेक्स के मामले में संकोच और शर्म की परत में सिमटी हुई होती है। हमारी संस्कृति उसे इस बात की इजाजत नहीं देती कि वह खुद ही अपने अंदर उठने वाली काम उत्तेजना के बारे में अपने पति से बोले। इसके लिए पति को खुद ही पहल करनी पड़ेगी कि वह अपनी पत्नी को समझाए कि वह अपनी काम उत्तेजना बढ़ने या कम होने के बारे में किसी कागज या पेपर पर लिखकर दे दे। इससे यह जानने में आसानी होगी कि आपकी पत्नी की काम उत्तेजना कब तेज होती है और वह कब संभोग करने के लिए लालायित रहती है। लेकिन इस बात को भी एक तरह से सही नहीं कहा जा सकता।
असल में स्त्री की काम उत्तेजना के बढ़ने या चढ़ने के बारे में जानना बहुत मुश्किल है। मासिक चक्र के अनुसार ही स्त्री की काम उत्तेजना कम या ज्यादा होती है। वैसे तो चंद्रमास के जैसे ही स्त्री का मासिक चक्र भी 28 दिनों का ही माना गया है। लेकिन एक ही स्त्री में मासिक चक्र की अवधि हमेशा एक जैसी नहीं होती है। स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति के अनुसार यह चक्र भी बदलता रहता है जैसे कभी समय से पहले शुरू हो जाता है और कभी समय से बाद में।
अपने कामोद्दीपन चक्र के बारे में खुद स्त्री को भले ही न पता हो लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पाक्षिक यौन तरंगों का लय-ताल का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष असर स्त्री के यौन जीवन पर जरूर पड़ता है। यही पाक्षिक लय स्त्री के काम उत्तेजना की तरंगों का नियमन करती है। इसलिए जो पति अपनी पत्नी को बहुत चाहता है उसे चाहिए कि वह उसकी पाक्षिक यौन-तरंगों का अर्थात काम उत्तेजना का अध्ययन करें। इसके साथ ही यह भी जानने की कोशिश करें कि आपकी पत्नी की काम चेतना का लयताल का सामान्य स्वरूप क्या है। संभोग क्रिया करने से पहले अपनी पत्नी की मानसिक और शारीरिक स्थिति का जायजा लेने की कोशिश जरूर करें क्योंकि अगर किसी कारण से उसमें मानसिक और संवेगात्मक संतुलन विचलित हो गया हो तो उस समय संभोग क्रिया करने से आपको संतुष्टि भले ही मिल जाए लेकिन आपकी पत्नी को मानसिक परेशानी जरूर होगी और उसे संतुष्ट न कर पाने की ग्लानि आपके मन में भी बैठ जाएगी। अपनी पत्नी से संभोग के समय पूरी तरह से सहयोग न मिल पाने के कारण आपका पहले स्खलन हो जाएगा। इस तरह की परेशानी से बचने के लिए जरूरी है कि आप जब भी अपनी पत्नी से संभोग क्रिया करने के पूरी तैयारी करे तो उससे पहले अपनी पत्नी के बारे में पता कर लें कि वह मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हो
सेक्स जीवन का जरूरी हिस्सा है 
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परिचय-
कहते हैं कि अगर किसी भी काम को जोर-जबर्दस्ती के साथ किया जाए तो वह काम कभी भी सफल नहीं होता। यही बात पति और पत्नी के बीच बनने वाले सेक्स संबंधों के बारे में कही जा सकती है। अगर सेक्स क्रिया करते समय दोनों ही एक-दूसरे को पूरा सहयोग देते हैं तो यह क्रिया बहुत ही आनंदकारक बन जाती है नहीं तो एक दर्दनाक पल बनकर रह जाती है।
आज के समय में टी.वी. पर, इंटरनेट पर या किसी और जरिये के द्वारा आने वाले स्त्री और पुरुष के छरहरे शरीर को देखकर हर कोई उनके जैसा ही बनना चाहता है। जिसके लिए वह कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं जैसे इंजैक्शन लगवाना, दवाइयां खाना आदि। ऐसे लोग शरीर को ऊपरी तौर पर तो सुंदर और स्वस्थ बना लेते हैं लेकिन अपनी असली ताकत के बारे में कुछ भी नहीं सोचते जो है कामशक्ति। जबकि यही वह शक्ति है जो हर स्त्री और पुरुष के जीवन में बहुत ही खास भूमिका निभाती है।
जब पुरुष की शादी होती है तो उसे सबसे पहले अपनी इस कामशक्ति का परिचय देना पड़ता है। लेकिन पहली ही रात में इस कामशक्ति के पूरा न होने के कारण पुरुष जब संभोगक्रिया के समय शीघ्र ही स्खलित हो जाता है और उसकी पत्नी इस क्रिया में असंतुष्ट रह जाती है तो इसके बाद उसकी शादीशुदा जिंदगी में कई तरह की परेशानियां, समस्याएं और चिंताएं पैदा हो जाती हैं। इसीलिए हर किसी व्यक्ति को अपने शरीर की ऊपरी साज-सज्जा के साथ-साथ ही इस चीज के बारे में पूरा ध्यान देना जरूरी है।
संभोग क्रिया क्या है और इसकी रूप-रेखा क्या है यह तो सभी लोगों को पता है लेकिन संभोग क्रिया का आत्मिक सुख और चरम आनंद को कैसे हमेशा कायम रखा जाए यह बहुत ही कम लोगों को पता है। इसी कारण से बहुत से स्त्री और पुरुष अपने पूरे विवाहित जीवन में संभोग क्रिया का पूरा आनंद नहीं उठा पाते हैं।
जब शादीशुदा जिंदगी में पति और पत्नी के बीच सेक्स-संबंध आनंद देने के बजाय कष्ट देने लगे तो यह समझना चाहिए कि उनके आपसी संबंध खतरे में हैं क्योंकि जब इस क्रिया को करते समय पति और पत्नी को मानसिक और शारीरिक तृप्ति की जगह निराशा, उदासी या असंतुष्टि मिलने लगे तो उस समय ऐसे संबंधों में सुधार की जरूरत उसी तरह से होती है जैसे कि किसी गाड़ी के खराब होने पर उसे तुरंत गैराज में ले जाना पड़ता है। वैसे तो हमेशा अपनी गाड़ी से यही उम्मीद की जाती है कि वह सही तरह से चले और अपना रास्ता पूरी करते रहे लेकिन जब अचानक उसमें किसी तरह की गड़बड़ी या खराबी आ जाती है तो उसका असली महत्व सामने आ जाता है।
इसी तरह से जब संभोग क्रिया के समय पुरुष पूरी तरह से उत्तेजित नहीं हो पाता, जल्दी ही स्खलित हो जाता है, शुक्राणुओं की कमी के कारण संतान पैदा करने में असमर्थ हो जाता है या स्त्री में सेक्स के प्रति अरुचि हो जाती है तो उसका हल निकालना जरूरी हो जाता है। अगर इस तरह की समस्याएं पैदा हो जाती हैं तो व्यक्ति को अपना धैर्य और भरोसा नहीं खोना चाहिए और न ही किसी भी गलत लोगों के चक्कर आदि में पड़कर अपना पैसा और समय बर्बाद करना चाहिए। ऐसी परेशानियों को किसी अच्छे यौन चिकित्सक को दिखाकर इलाज करवाना लाभकारी रहता है क्योंकि यह रोग लाइलाज नहीं होते।

स्त्रियों की कामोत्तेजना कम होना 
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संभोग क्रिया के समय पति-पत्नी जब एक-दूसरे को पूर्ण रूप से सहयोग देकर भरपूर आनन्द प्राप्त करते हैं तो उनका संबंध एक-दूसरे के प्रति बहुत अधिक गहरा होता है। इस क्रिया में पुरुष को मुख्य रूप से सेक्स का कर्ता माना गया है। इसलिए इस क्रिया में पुरुष का तो पूरा सहयोग होता ही है लेकिन इसके साथ-साथ इसमें स्त्री का भी सहयोग होना बहुत आवश्यक है। आज भी भारत जैसे देश में यह देखा गया है कि स्त्रियों में सेक्स को लेकर अभी तक खुलापन नहीं आ पाया है। आज सेक्स क्रिया में पुरुष जैसा तरीका अपनाता है, ठीक वैसा तरीका बहुत सी स्त्रियां नहीं कर पाती हैं। इस प्रकार के व्यवहार के बावजूद भी वे सुख देती और लेती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्त्रियां ऐसी भी होती हैं जो संभोग क्रिया के समय में एकदम खमोश पड़ी रहती हैं। ऐसा लगता है कि उसके शरीर में प्राण ही नहीं है। उनका हृदय तो धड़कता रहता है लेकिन उसमें सेक्स के प्रति भावनाएं महसूस नहीं होती हैं और न ही अनुभूति होती है। ऐसी स्त्रियां बेजान मूर्ति की तरह पड़ी रहती हैं। ऐसी स्त्रियों के साथ संभोग क्रिया करते समय पुरुष को ऐसा लगता है कि मानो वह किसी निर्जीव शरीर से संभोग कर रहा है। ऐसी स्त्रियों को कम उत्तेजना वाली स्त्री कहते हैं।
कुछ स्त्रियां ऐसी भी होती हैं जोकि सेक्स के समय में किसी प्रकार का सहयोग नहीं देती हैं। ऐसी स्त्रियों का विवाह हो जाता है तो वह अपने पति से भी सेक्स संबंध बनाना नहीं चाहती लेकिन वह अपने पति को मना भी नहीं कर पाती। वह सेक्स संबंध बनाने से अपने पति को इसलिए मना नहीं कर पाती क्योंकि पहली रात के दिन अपने तन को पति को सौंपना एक मजबूरी हो जाती है लेकिन संभोग क्रिया के समय वह अपनी ओर से न तो कोई सहयोग देती है, न ही रुचि लेती है और न ही किसी प्रकार से उत्साह दिखाती है। उस रात अगर पति उससे कोई बात भी करना चाहता है तो वह उसे भी ठीक प्रकार से सुनना नहीं चाहती। उस समय तो उसकी यह इच्छा तथा कामना होती है कि उसका पति उसे छोड़ दे तथा एक तरफ जाकर लेट जाए। वह मन ही मन सोचती है कि जितना जल्दी हो सके पति जी मुझे छोड़कर, अपना काम करके एक तरफ होकर लेट जाए। बहुत से विद्वानों का मानना यह है कि ऐसी स्त्रियां सेक्स क्रिया करते समय पति को कुछ भी सहयोग नहीं देती लेकिन जैसे-जैसे सेक्स क्रियाएं बढ़ने लगती हैं, उसके शरीर से पति छेड़खानी करने लगता है वैसे-वैसे संभोग क्रिया में वह अपने आप को शामिल करने लगती है। ऐसी स्त्रियां जब सेक्स का आनन्द लेने लगती हैं तो पति को कसकर सीने से लगा लेती हैं, सीने से भींचने तथा कंठ से मदहोशी भरी सिसकियां लेने लगती हैं। जब वह पूरी तरह से चरम सुख की ओर बढ़ने लगती हैं तो अधिक से अधिक सेक्स का आनन्द लेने लगती हैं। उसकी शरीर की उत्तेजना इस समय और भी तेज हो जाती है तथा अंत में फिर मूर्ति के समान निर्जीव हो जाती है। लेकिन इस समय उसका चेहरा शांत और आनन्द से भरा हुआ लगता है। सेक्स चिकित्सकों का यह भी मानना है कि जो स्त्रियां संभोग क्रिया के समय अधिक आनन्द और उत्तेजना प्राप्त करती हैं, पति के प्रति उसका लगाव उतना ही अधिक और प्यार भरा होता है। संभोग क्रिया शुरू करते समय या भरपूर आनन्द लेने के बाद भी ऐसी स्त्रियों के शरीर में किसी प्रकार की कोई भी हलचल दिखाई नहीं देती है। जब पति संभोग क्रिया को समाप्त करता है तो वह चैन की सांस लेती है और मन ही मन सोचती है कि आज रात तो बच गई या बला टली।
ऐसी स्त्रियों के संभोग क्रिया करने से पुरुष को किसी प्रकार का सेक्स का आनन्द नहीं मिलता है। कई बार तो ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि स्त्री के साथ पुरुष को संभोग क्रिया करने का मन नहीं करता। पति को ऐसी स्त्रियों से बहुत अधिक नाराजगी होती है और दोनों में एक-दूसरे के प्रति बहुत अधिक अनबन भी होने लगती है। अक्सर ऐसे पति-पत्नी एक-दूसरे से बहुत अधिक नाखुश होते हैं।
संभोग क्रिया वह प्रक्रिया होती है जिसमें शरीर और मन दोनों को ही ऊर्जा प्राप्त होती है। इस क्रिया में वह सुख और आनन्द मिलता है जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान बनाये रखने की शक्ति होती है। यदि संभोग क्रिया के दौरान इस प्रकार का सुख नहीं मिलता है तो पति-पत्नी दोनों के ही जीवन में इसका कोई महत्व नहीं रह जाता है। ऐसे दम्पतियों में कई अवसरों पर तो यह भी देखा गया है कि पति किसी दूसरी स्त्री से संबंध बनाने पर मजबूर हो जाता है और अपनी पत्नी को तलाक देने के लिए सोचने लगता है।
आज के समय में इस तरह की स्त्रियों की संख्यां बढ़ने लगी है। सेक्स क्रिया से संबंधित कई प्रकार के रोग स्त्रियों को होने के अलावा पुरुषों को भी अधिक हो रहे हैं। कुछ पतियों की पत्नी तो सेक्स क्रिया के समय में उत्तेजना भरी व्यवाहार करती हैं। ऐसे संबंध पतियों को अच्छे नहीं लगते हैं क्योंकि इस संबंध से उन्हें सेक्स का पूरा सुख नहीं मिलता है। कई बार तो बहुत से ऐसे पुरुष भी देखे गये हैं जो स्त्रियों में उत्तेजना लाने की औषधि लेने के लिए चिकित्सक से बातें करते हैं। वे चिकित्सक से यह भी पूछते हैं कि मेरी पत्नी में सेक्स उत्तेजना क्यों नहीं है। ऐसा होने का क्या कारण है?
वैसे देखा जाए तो पति-पत्नी दोनों में से किसी को भी सेक्स समस्या है तो इससे दोनों ही पक्ष प्रभावित होते हैं। क्योंकि सेक्स क्रिया में पति-पत्नी दोनों का ही योगदान बराबर होना चाहिए, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। आपने बहुत से लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है, इसके लिए दोनों हाथ का होना जरूरी होता है। अतः इस उदाहारण से यह स्पष्ट हो जाता है कि सेक्स क्रिया में भी पति-पत्नी दोनों का बराबर भागीदारी होनी जरूरी है तभी वे भरपूर सेक्स का आनन्द ले पायेंगे।
सेक्स क्रिया में यदि किसी भी दम्पति को संभोग क्रिया का पूरा आनन्द न मिले तो इसके लिए किसी एक को जिम्मेदार मानना उचित न होगा। वैसे हम यहां पर केवल स्त्रियों की कामोत्तेजना कम होने की चर्चा कर रहे हैं। वैसे स्त्रियों की कामोत्तेजना कम होने का जिम्मेवार कुछ रूप से पुरुष भी होता है क्योंकि यदि किसी की पत्नी को कामोत्तेजना कम होने की समस्या हो तो उसे अपनी पत्नी से नाराज न होकर उससे खुलकर बात करनी चाहिए कि आखिर किस कारण से तुम्हें सेक्स से डर लगता है, क्या कारण है या कोई समस्या है तो मुझे बताओं, मैं उसका समाधान निकाल सकता हूं। किसी भी समस्या का हल तभी हो सकता है जब आपको समस्या का कारण, लक्षण या होने का समय ठीक तरह से पता लग जाये। पत्नी से आपको उसके रोग के बारे में पता लगाने से यह मालूम हो जायेगा कि उसकी कामोत्तेजना कम होने का क्या कारण है और इन कारणों का पता लग जाने पर ही आप उनका ठीक ढंग से इलाज करा सकते हैं।
वैसे देखा जाए तो स्त्रियां अचानक से कामोत्तेजना कम होने का शिकार नहीं होती है, बल्कि इसके होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जो एक लम्बे समय बाद स्त्री को कामोत्तेजना कम होने की ओर धकेल देती है। जब स्त्री-पुरुष के सेक्स संबंध में स्त्री किसी प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करती है तो उसे ही कामोत्तेजना कम होना कहा जाता है।
स्त्रियों की कामोत्तेजना कम होने के कुछ कारण - 
1. बहुत सी स्त्रियां जब यौवनावस्था में प्रवेश करती हैं तो उनके मन में यह धारणा बैठ जाती है कि सेक्स करना पाप है, यह एक गंदा कार्य है, इसके बारे में बात नहीं करनी चाहिए, इसको करते हुए मुझे कोई देख लेगा तो क्या कहेगा आदि। इस प्रकार की भावना सगे संबंधियों के द्वारा बचपन से ही बच्चों के दिमाग में बिठानी शुरू कर देते हैं। ये भावना ही समय के साथ-साथ लड़कियों के मन में बैठनी शुरू हो जाती है। ऐसी लड़कियों की जब शादी होती है तो वे अपने पति के साथ सेक्स क्रिया करने से कतराती हैं और इसका प्रभाव साफ से दिखाई पड़ता है। देखा जाए को इस प्रकार मन की भावना उस समय और भी तेज हो जाती है जब उसका पति सेक्स क्रिया करने के लिए छेड़-छाड़ करता है। वैसे देखा जाए तो आज के समय में इस प्रकार के कारण ठीक ढंग से दिखाई नहीं देते हैं क्योंकि समय तेजी के साथ बदल रहा है लेकिन आज भी बहुते से ऐसे परिवार हैं जो अपने बच्चे को सेक्स के बारे में इस प्रकार की शिक्षा देते हैं कि बेटा ये गंदी बात है, ऐसा मत करो, सेक्स गंदी बात होती है, इसे न करें आदि। 
2. विवाह के बाद जब स्त्रियां पहली रात पति के साथ सेज पर होती हैं और आने वाले पल के बारे में सोचती हैं तो वह मन ही मन अधिक परेशानी महसूस करती हैं। उसके न कहने के बावजूद भी जब पति सेक्स क्रिया करने के लिए जबर्दस्ती करता है तो स्त्री को लगता है कि वह कोई पाप कर रही है, ऐसा करना नहीं चाहिए, यह गलत बात है। इस प्रकार की भावना मन में आते ही उसको काफी डर लगने लगता है जिसके कारण उसके शरीर की सारी गर्मी जो सेक्स क्रिया करने के लिए होनी चाहिए, वह कम होने लगती है और बिना किसी कारण से उसका सारा शरीर पुतले के समान हो जाता है और अपने शरीर को पति को समर्पण कर देती है। लेकिन सेक्स क्रिया में वह किसी प्रकार का सहयोग नहीं देती है। ऐसी स्त्रियों को न ही सेक्स का आनन्द और न ही उत्तेजना महसूस होती है। इस स्थिति में पति को पता चल जाता है कि उसकी पत्नी को यह समस्या है। इस समय यदि उसका पति उसका हल सही से निकाल देता है तो वह कुछ दिनों में ठीक हो जाती है नहीं तो उसकी यह समस्या बढ़ती जाती है। 
3. बचपन के समय में ही कुछ लड़कियां ऐसी होती हैं जो किसी पुरुष को पसंद कर लेती हैं और यदि किसी कारण से उसका विवाह उस लड़के के साथ नहीं हो पाता, अर्थात मनचाहा पुरुष न मिल पाने के कारण से उसकी कामोत्तेजना कम होने लगती है। यह रोग उसे इसलिए होता है कि वह जिस पुरुष को दिलोजान से प्यार करती है तथा उसके साथ सातों जन्म जीने मरने का कसम खाती है, उसके साथ अपने भविष्य के सपने बुनती हैं। उससे किसी कारणवश विवाह न हो पाने से वह दिल ही दिल दुःखी होती रहती है। जब उसका विवाह किसी अन्य पुरुष के साथ हो जाता है तो वह उसे अपनी जिंदगी में पसंद नहीं कर पाती। इसलिए ही वह पति के साथ सेक्स क्रिया के समय एकदम ठंडी पड़ी रहती है। इस स्थिति में वह अपना शरीर तो पति को सौंप देती है लेकिन मन उसका अपने पुराने प्रेमी के पास ही रहता है। बहुत से लोगों का यह विचार है कि शादी के बाद स्त्रियों की ऐसी समस्या खत्म हो जाती है और अपने पुराने प्रेमी को भुला देती है लेकिन कुछ स्थिति में ऐसा भी देखा गया है कि समस्या ठीक न होकर बढ़ जाती है। कुछ मामले में तो ऐसा भी देखा गया है कि लड़कियां आत्महत्या कर लेती हैं या अपने प्रेमी के साथ अवसर पाकर शर्मों हया को छोड़कर भाग जाती हैं। बहुत सी स्त्रियां तो ऐसी भी होती हैं जो मानसिक रूप से कभी भी अपने पति को स्वीकार नहीं कर पाती हैं। इस समस्या के बारे में बहुत से चिकित्सकों का यह भी कहना है कि बहुत सी स्त्रियां तो ऐसी भी हैं जो अपने प्रेमी से इतना अधिक प्यार करती हैं कि किसी अन्य पुरुष के साथ शादी होने के बाद पहली रात को पति द्वारा सेक्स करने को बलात्कार समझती हैं और वह उसका विरोध करती हैं। जो इस तरह की स्थिति से समझौता नहीं कर पाती वह हालात से समझौता कर लेती हैं लेकिन फिर भी सेक्स के बारे में कामोत्तेजना कम होने का शिकार हो जाती हैं। 
4. बहुत सी स्त्रियों को शादी होने पर यह पता चलता है कि उसका पति अनाड़ी है, उसे सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं पता। इस कारण से जब वह अपने पति से सेक्स क्रिया करना चाहती है तो उसका पति ठीक ढंग से उससे सेक्स नहीं कर पाता और वह सेक्स के सुख से अतृप्त रह जाती है। जब पति को उसके द्वारा कई बार समझाने के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकलता तो उसके मन में धीरे-धीरे सेक्स क्रिया के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है। यहां तक कि उनके दम्पति जीवन में क्लेश होना भी शुरू हो जाता है। जिसके कारण कभी-कभी तो यह देखा गया है कि वे तलाक लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं या एक-दूसरे से अलग-अलग रहने लगते हैं। वैसे यह भी देखा गया है कि बहुत सी स्त्रियां सेक्स के बारे में कुछ बोल नहीं पाती हैं। इस स्थिति में पति भी उसे सेक्स सुख दे नहीं पाता जिसके कारण से उसके मन में सेक्स के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है और वह कामोत्तेजना कम होने का शिकार हो जाती हैं। 
5. बहुत सी स्त्रियों को जब यह पता चलता है कि उसका पति नपुंसक है तो उन्हें बहुत अधिक दुःख होता है। इस कारण से जब उसे सेक्स का सुख नहीं मिल पाता तो वह चोरी-छिपे किसी अन्य पुरुष को ढूढ़ती है जो उसे सेक्स का सुख दे सकें लेकिन जब उसे कोई अन्य पुरूष भी नहीं मिलता तो अपने पति को बहुत अधिक कोसती है और उनके दम्पति जीवन में भी कलह होने लगता है। इन सब करणों से उसके मन में सेक्स के प्रति नाराजगी उत्पन्न होने लगती है और अंत में वह हालात से समझौता कर लेती है तथा कामोत्तेजना का शिकार हो जाती है। 
6. बहुत सी स्त्रियां ऐसी होती हैं जो गर्भधारण नहीं करना चाहती हैं, वे गर्भधारण करने से डरती हैं, जिसके कारण से वे कामशीलता का शिकार हो जाती हैं। इन स्त्रियों को गर्भधारण से इसलिए डर लगता है कि उससे शरीर तथा चेहरा खराब हो जाता है। उनके मन में यह विचार होता है कि गर्भधारण होने के बाद स्त्री का शरीर बेडौल हो जाता है तथा बच्चे को स्तनपान कराने से स्तन में ढीलापन आ जाता है। इसी भय के कारण से वह पति के साथ भी सेक्स करने से डरती है तथा इस रोग से पीड़ित हो जाती है। उनका यह विचार पूरी तरह से गलत है क्योंकि शादी के बाद सेक्स क्रिया का आनन्द लेकर भी यदि वह अपने खान-पान तथा व्यायाम के द्वारा शरीर को स्वस्थ्य तथा सुन्दर रख सकती है। 
7. स्त्रियों की कमशीतलता होने के लिए कुछ ऐसी भी परिस्थितियां उत्तरदायी हो सकती हैं जिसमें पति तथा परिवार के सदस्य उसे दुःखी और प्रताड़ित करते हैं। कई बार तो ऐसा भी देखा गया है कि पुरुष अपनी इच्छा के खिलाफ और परिवार वालों के दबाव के कारण से शादी कर लेता है। लेकिन वह अपनी पत्नी के साथ सेक्स क्रिया नहीं करता या उससे सेक्स क्रिया तो करता है पर मन से उसे स्वीकार नहीं करता है। संभोग क्रिया के समय में वह अपनी मन की नफरत को इतनी बेरहमी से उजागर करता है कि उससे पत्नी नफरत करने लगती है। इस कारण से उसके मन में सेक्स के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है।
8. कई बार तो परिवार वाले ठीक प्रकार से रिश्ता देखे बिना शादी कर देते हैं। लेकिन यदि लड़के के परिवार वाले दहेज के लालची होते हैं तो वे लड़की को सताने लगते हैं, जिसके कारण से भी स्त्री में सेक्स के प्रति उत्तेजना में कमी होने लगती है। कभी-कभी तो स्त्री के सामने ऐसी स्थिति भी आ जाती है कि लड़के घर वाले उसे ताने तथा जली-कटी बातें सुनाने लगते हैं। इस स्थिति में पति भी अपने घर वालों का साथ देता है तथा पत्नी को प्रताड़ित करता है, कई बार तो स्थिति ऐसी भी उत्पन्न हो जाती है कि या तो परिवार वाले उसकी हत्या कर देते हैं या वह खुद आत्महत्या कर लेती हैं या हालात से समझौता कर लेती हैं। आमतौर पर यह देखा गया कि जो स्त्रियां ऐसी स्थिति में हालात से समझौता कर लेती हैं तथा उनके साथ लगातार ऐसा व्यवाहार होते रहते हैं जिसके कारण से उनका दिल बुझा-बुझा सा रहता है। इन सब कारणों का सबसे ज्यादा प्रभाव उसके सेक्स जीवन पर पड़ता है। वैसे देखा जाए तो मन और तन जब उमंग तथा प्रसन्न चित्त होता है तो ही सभी प्रकार का सुख अच्छा लगता है। इसलिए जब स्त्री के तन और मन पर इस प्रकार के तानों का घाव तथा पति, परिवार वाले के सतायें जाने का दुःख हो जाता है तो उसका मन सेक्स के प्रति बिल्कुल उदास रहने लगता है। 
9. कई बार तो यह भी स्थिति देखने को मिलती है कि किसी-किसी स्त्री का पति शराबी होता है जिसके कारण से वह अपनी पत्नी को सेक्स का आनन्द नहीं दे पाता और इस कारण से उसकी पत्नी को कामशीतलता का रोग हो जाता है। कई पुरुष तो ऐसे होते हैं जो कई प्रकार के नशा करते हैं जिनसे उनके शरीर में सेक्स के प्रति उत्तेजना कम हो जाती है और अपनी पत्नी को इसका सुख नहीं दे पाते। बहुत से तो ऐसे पुरुष भी होते हैं जो तम्बाकू, गुटखा, शराब पीना, चरस, भांग तथा हेरोइन का सेवन करते हैं। इस कारण से उनके मुंह से बदबू आती रहती है और जब वे अपनी पत्नी से संभोग क्रिया करना चाहते हैं तो इससे स्त्री को बहुत अधिक परेशानी होती है । इसे रोकने तथा विरोध करने और समझाने बुझाने से भी जब यह सब ठीक नहीं होता या स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता तो उसे सेक्स क्रिया से नफरत होने लगती है। उसके शरीर के अन्दर से सेक्स की उत्तेजना खत्म हो जाती है।
10. जब किसी स्त्री को सेक्स संबंधों के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है तो स्त्री में शीतलता आ जाती है। लेकिन शादी के बाद जैसे-जैसे दिन बीतने लगते हैं और सेक्स क्रिया का आनन्द लेने के बाद जब दम्पति बच्चेदार हो जाते हैं तो इन दम्पतियों पर घर की जिम्मेदारियां इतनी अधिक बढ़ जाती हैं कि उन्हें आपस में सेक्स करने का समय ही नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में पुरुष अधिकतर सेक्स को विशेष महत्व नहीं देते तथा अपने शरीर का बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हैं, शरीर की साफ-सफाई भी ठीक ढंग से नहीं करते, दाढ़ी भी बढ़ा लेते हैं और उन्हें जब भी इच्छा होती है वैसे ही हालत में अपनी पत्नी से सेक्स करने के लिए चालू हो जाते हैं। वह न ही स्थान, न ही पंलग, न ही स्थितियां, किसी का भी ख्याल नहीं करते और अपनी पत्नी से सेक्स करने लगते हैं, जिसके कारण से पत्नी सेक्स के प्रति बोरियत महसूस करने लगती है। उसमें सेक्स क्रिया के प्रति कम उत्तेजना होने लगती है।
11. स्त्रियों के सामने कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं कि उनका पति उनसे यौन संबंध न करके गुदामैथुन या मुखमैथुन ही करता है। बहुत सी स्त्रियों को इससे घृणा महसूस होती है जिसके कारण से वे किसी प्रकार की उत्तेजना भी महसूस नहीं करती है। इसके अलावा उनका पुरुष जब उनसे जबर्दस्ती मनमानी करता है या जबरदस्ती गुदामैथुन करता है या मुखमैथुन करता है जिसके कारण से स्त्री के मन में अपने पति के प्रति बहुत अधिक घृणा महसूस होने लगती है। इसके अतिरिक्त उसके अंदर सेक्स की इच्छा भी खत्म होने लगती है जिसके कारण से उसे शीतलता का रोग हो जाता है।
12. कई बार तो परिवार में अधिक धार्मिक माहौल तथा अंधविश्वास होने के कारण से भी स्त्री में शीतलता का रोग हो सकता है। उनके इस रोग के होने का सबसे ज्यादा जिम्मेदार उसके परिवार वाले ही होते हैं क्योंकि उस परिवार में वह अधिक पूजा-पाठ में लीन रहती है, सप्ताह में एक-दो दिन व्रत रखती है और सेक्स से दूर रहना ही पसंद करती है। यदि उसका पति उससे सेक्स क्रिया करने के लिए जोर जबर्दस्ती करता है तो वह तैयार नहीं होती, जिस दिन वह व्रत रखती है, उस दिन तो वह बिल्कुल ही तैयार नहीं रहती। स्त्री इसे पाप समझकर इससे नफरत करने लगती है और उसके मन में सेक्स के प्रति धीरे-धीरे भावना कम होने लगती है। इस समय यदि कोई विशेष घटना हो जाती है तो वह इसे इस पाप का ही फल समझ बैठती है जिसके कारण वह सेक्स से पूरी तरह नफरत करने लगती है। इस कारण से उसके शरीर में सेक्स उत्तेजना भी खत्म हो जाती है और वह शीतलता का शिकार हो जाती है।
13. कुछ स्त्रियां तो ऐसी भी होती हैं जिनमें सेक्स के प्रति उत्तेजना ही नहीं होती है और उनके मन में सेक्स के प्रति उमंग और उत्साह की कमी हो जाती है। वह सेक्स क्रिया को केवल बच्चा पैदा करने की क्रिया ही मानती हैं तथा वह यह समझती हैं कि जब बच्चा पैदा हो जाए तो इसे करना बेकार है। उसे सेक्स के चरमसुख के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं होता है और न ही किसी प्रकार की इस क्रिया में जोश दिखाती है तथा इसके बारे में जानने का कुछ भी प्रयास करती है। ऐसी स्त्री के साथ यदि पुरुष जबर्दस्ती सेक्स करता रहता है तो वह इस क्रिया से इस कदर नफरत करने लगती है कि उसके शरीर से कामशीलता पूरी तरह से खत्म हो जाती है।
14. बहुत से स्त्रियों में सेक्स की उत्तेजना बिल्कुल भी नहीं होती है लेकिन उसके शरीर में पति-धर्म कूट-कूटकर भरा रहता है, इसलिए उसमें सेक्स उत्तेजना न होने के बावजूद भी वह पति से इस क्रिया के विषय में विरोध नहीं करती है। जैसा उसका पति चाहता है वैसा ही उसके साथ करता है, जिसके कारण से उसमें सेक्स के प्रति बची-खूची उत्तेजना भी खत्म हो जाती है।
15. कुछ स्त्रियों को सेक्स के प्रति बिल्कुल भी ज्ञान नहीं होता है, वे अपने मन में कई भम्र पाल के रखती हैं। ऐसी स्त्रियां कभी-कभी यह सोचती रहती हैं कि अधिक सेक्स करने से पुरुष के शरीर में कमजोरी आ जाती है। इसलिए वह अपने पति को सेक्स करने से मना करती हैं। ऐसा करते-करते जब उसे कई दिन हो जाता है तो उसके मन में सेक्स के प्रति क्रोध पनपने लगता है जिसके कारण उसके शरीर में सेक्स की उत्तेजना कम होने लगती है। ऐसी स्त्री से जब सेक्स किया जाता है तो वह उस समय किसी प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करती और चुप-चाप पुतले के समान बिस्तर पर पड़ी रहती है।
16. बहुत-सी स्त्रियां तो ऐसी होती हैं जो ममता और घर के कामों के बोझ के कारण से इतना अधिक दब जाती हैं कि उनमें सेक्स के प्रति इच्छा ही समाप्त हो जाती है। वह घर के काम-काज और मानसिक बोझ से इतनी अधिक थक जाती है कि पति उसके साथ सेक्स क्रिया करता है तो थकावट के कारण से सेक्स क्रिया में बिल्कुल भी भाग नहीं लेती। जब यही प्रक्रिया कुछ दिनों तक लगातार चलता रहता है तो उसके मन से सेक्स के प्रति उत्साह नहीं रहता है जिस कारण से उसके शरीर में सेक्स शीतलता आ जाती है।
17. कुछ स्त्रियों को छोटी उम्र में बलात्कार होने का कारण से सेक्स क्रिया से डर लगने लगता है। जिस समय उनके साथ बलात्कर होता है उस समय तो उनके शरीर का बिल्कुल भी विकास नहीं हो पाता और ऐसी स्थिति में बलात्कार का डर तथा वह मंजर उसके मन में बैठ जाता है। इस बलात्कार की तस्वीर उसके मन में बैठ जाती है। धीरे-धीरे जब वह बालिग हो जाती है तो उसकी शादी होने का बाद जब उसका पति उससे सेक्स क्रिया करने का प्रयास करता है तो बलात्कार की तस्वीर उसे याद आने लगती है जिसके कारण से उसके शरीर में कम्पन पैदा होने लगता है तथा शरीर पूरा ठंडा पड़ा रहता है।
18. कुछ स्त्रियां तो छोटी उम्र में इतनी नादान होती हैं कि सेक्स उत्तेजना की भावनाओं में बहकर सेक्स संबंध बनाने की भूल कर बैठती हैं। यह सेक्स संबंध वह इसलिए बना लेती हैं कि उसका साथी मित्र उसे यह आश्वासन देता है कि मैं तुमसे शादी कर लूंगा, मैं तुम्हें मरते जन्म तक साथ दूंगा, हमें कोई भी जुदा नहीं कर सकता है क्योंकि हम एक-दूसरे के लिए ही बने हैं। इसी कारण से वह स्त्री बहकावे में आकर उस पुरुष से सेक्स संबंध बना लेती है और गर्भवती हो जाती है। जब ऐसी स्थिति आ जाती है तो पुरुष उससे विवाह करने से मना कर देता है। जब यह बात लड़की के माता-पिता को पता चलता है तो वे अपनी लड़की को बहुत अधिक मारते-पीटते तथा डाटते हैं और यह भी कहते हैं कि तूने तो हमारे खानदान की नाक कटवा दी। इस स्थिति में लड़की को इतना अधिक मानसिक आघात होता है कि वह पुरुषों से नफरत करने लगती है। इतना ही नहीं उसके माता-पिता जल्दी-जल्दी में उसकी शादी किसी और लड़के से तय कर देते हैं। इस स्थिति में लड़की जो पुरुष से नफरत करती है, उससे उसका पति जब सेक्स क्रिया करता है तो वह पुतले के समान चुप-चाप पड़ी रहती है क्योंकि इस समय उसके अन्दर की सेक्स भावाना मर चुकी होती है।
19. कई बार तो यह भी देखा गया है कि कई स्त्रियां शादी करके सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करती हैं लेकिन जब उसका पति उससे दूर होता है या कुछ समय के लिए उसे छोड़कर चला जाता है तो उस समय यदि कोई उसका बलात्कार कर देता है तो इस स्थिति में उसे गहरी चोट पहुंचती है और सदमे में खो जाती है। उसके अन्दर की सेक्स भावना खो जाती है तथा कमशीतलता का दोष उसके अन्दर विकसित हो जाता है।
20. पति-पत्नी यदि सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हों और किसी कारण से उसके पति को यौन दुर्बलता हो जाए या किसी दुर्घटना के कारण से वह अपनी पत्नी को सेक्स सुख देने में असमर्थ हो गया हो तो इस स्थिति में उसकी पत्नी कभी भी चरमानन्द प्राप्त नहीं कर पाती है। इतना होने के बावजूद अपनी दुर्बलता का इलाज करवाने को प्रेरित करती हैं लेकिन कई बार उसका पति यह मानने के लिए तैयार नहीं होता है क्योंकि यौन कमजोरी से वह ग्रस्त होता है। ऐसी स्थिति में जब वे दोनों एक-दूसरे के साथ सेक्स संबंध बनाते हैं तो पति की उत्तेजना तुरंत ही शांत हो जाती है। स्त्री बिस्तर पर इस प्रकार से छटपटाती रहती है जैसे पानी के बिन मछली छटपटाती रहती है। जब यह स्थिति स्त्री के साथ प्रतिदिन होने लगती है तो उसे सेक्स से नाराजगी होने लगती है। कई बार तो यह भी देखा गया है कि वह पुरुष को ज्यादा जोर देकर इलाज करने को कहती है तो वह उस पर उल्टा गुस्से में चिल्लाने लगता है और उल्टा उस पर कई आरोप लगा देता है। वह अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए कई बार तो यह भी कह देता है कि तुझमें कोई दोष है। इस प्रकार की बातों को सुनकर वह शारीरिक तथा मानसिक दोनों रूप से सेक्स से नाराज रहती है। वह मन में यह भी सोचती है कि उनको मेरा कुछ भी ख्याल नहीं, वे केवल मुझे उपभोग का केवल एक वस्तु समझते हैं, उन्हें मेरी सुख से कोई मतलब नहीं है और न ही मेरी कोई चिंता करते हैं। इस सबको देखते हुए वह अपने आप को स्थितियों के अनुसार ढा़ल लेती है जिसके कारण से उसकी इच्छाएं और संवेदनाएं समाप्त हो जाती हैं।
21. स्त्रियों में कामोत्तेजना कम होने के कारण यदि उसे मानसिक रोग हो गया हो तो इस मानसिक रोग होने के पीछे पुरुष भी जिम्मेदार होता है क्योंकि कभी-कभी वह अपनी गलतियों को पत्नी पर ही थोपता है, अपनी गलतियों को स्वीकार तक नहीं करता। बहुत से पुरुष तो यह सोचते हैं कि सेक्स क्रिया के द्वारा आनन्द लेने में स्त्रियों का कोई लेना देना नहीं है। यह केवल पुरुषों के लिए होता है। इस कारण से वे अपनी स्त्रियों का कुछ भी ख्याल नहीं करते हैं जिसकी वजह से उनकी स्त्रियां इस रोग का शिकार हो जाती हैं।
22. पारिवारिक तथा सामाजिक संस्कारों के कारण से बहुत-सी स्त्रियां सेक्स के बारे में अपने विचारों का खुलासा नहीं कर पाती और न ही विचारों को व्यक्त ही कर पाती हैं। इसके बावजूद जब उनकी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होती है तब इसका असर सेक्स क्रिया के दौरान दिखाई पड़ता है। इन सभी करणों की वजह से ही उनमें कामशीतलता की कमी आ जाती है।
स्त्रियों की कामशीतलता को दूर करने के उपाय-
1. वैसे देखा जाए तो स्त्रियों की कामशीतलता को दूर करने के लिए पति को ही मुख्य रूप से उपाय अपनाना चाहिए क्योंकि पति ही अपनी पत्नी को अच्छी तरह से समझ सकता है। पति को पहले पत्नी से खुलकर बातें करनी चाहिए कि तुम किस कारण से सेक्स क्रिया से डरती हो और तुम्हें कौन सा दुःख है। यह सब जानकर उसे प्रयास करना चाहिए कि इसका समाधान क्या है। इसके बाद किसी सेक्स विशेषज्ञ से सलाह लेकर उपचार करना चाहिए तथा उसके इस रोग के होने के कारणों को दूर करना चाहिए। पत्नी को जितना हो सके उतना उस पर प्यार न्यौछावर करना चाहिए। ऐसा करने से ही उसकी पत्नी का यह रोग ठीक हो सकता है। 
2. यदि पुरुष को यह पता लग जाए की मेरी ही कुछ गलतियों के कारण से मेरी पत्नी को कामशीतलता का रोग हो गया है तो उसे अपनी गलती के लिए पत्नी से माफी मांगना चाहिए और कहना चाहिए कि आगे से इस प्राकर की गलती नहीं होगी। 
3. कुछ स्थिति ऐसी भी होती है जिसमें स्त्री स्वयं ही इस रोग की दोषी होती है। इसके लिए स्त्री को चाहिए कि वह अपने दोष को दूर करे क्योंकि दोष को दूर करने से यह रोग भी स्वयं अपने आप मिट जायेगा। 
4. हमें यह जान लेना चाहिए कि पति-पत्नी का संबंध जन्म जन्मांतर का होता है। इसलिए पत्नी के किसी भी प्रकार के कष्ट को दूर करने के लिए पति का पूरा दायित्व बनता है। यदि पति को यह पता चल जाए की मेरी पत्नी को किसी प्रकार के मानसिक कष्ट के कारण से ही कामशीतलता रोग हुआ है तो उसे उसके कष्ट के कारणों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। उसे प्रेम और प्यार से अपनी पत्नी का ख्याल रखना चाहिए। कभी-कभी तो यह भी देखा गया है कि पत्नी की समस्या से पति परेशान होकर उससे अपना पीछा छुड़ाना चाहता है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि पत्नी उसका जन्म-जन्मांतर का साथी होती है। पत्नी के इस रोग की किसी भी स्थिति में पति को अपनी जिम्मेदारियों से दूर नहीं भागना चाहिए क्योंकि कामशीतलता कोई ऐसा रोग नहीं है जो पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता है। आज बहुत से ऐसे चिकित्सा क्षेत्र है जिनका उपयोग करके स्त्रियों की कामशीतलता का उपचार किया जा सकता है जैसे- आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा, होम्योपैथिक चिकित्सा, आर्युर्वैदिक चिकित्सा, ऐक्यूप्रेशर चिकित्सा, मसाज चिकित्सा आदि। 
5. स्त्रियों की कामशीतलता रोग को दूर करने के लिए यह जान लेना आवश्यक है कि पुरुष व स्त्री दोनों में सेक्स की इच्छा को उत्पन्न करने के लिए हार्मोन टेस्टोस्टोरोन मुख्य रूप से कार्य करता है और स्त्रियों में यह हार्मोन अधिवृक्क ग्रंथियों के द्वारा स्रावित होता है। जब स्त्रियों में इस हार्मोन की कमी हो जाती है तो इसके साथ ही कामशीतलता की भी कमी आ जाती है। ऐसी स्थिति में पति को चाहिए कि अपनी पत्नी का उपचार किसी अच्छे चिकित्सक से कराना चाहिए जिसे स्त्रियों के इस रोग को ठीक करने का विशेष रूप से अनुभव हो। इसके साथ-साथ पति को चाहिए कि अपनी पत्नी का विशेष रूप से ख्याल रखे तथा इस रोग के होने के कारणों को भी दूर करना चाहिए। 
6. स्त्रियों की कामशीतलता को दूर करने के लिए आज इसका सफल उपचार ढूंढ लिया गया है। जरूरत तो बस इतना है कि पति अपनी पत्नी का विशेष रूप से ख्याल रखे तथा चिकित्सा में पूरा साथ दे। कुशल चिकित्सक अपने अनुभवों के द्वारा स्त्रियों की मानसिक तथा शारीरिक कारणों को दूर कर सकता है और औषधीय चिकित्सा के द्वारा पूर्ण रूप से ठीक कर सकता है। इसके साथ ही पति को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि चिकित्सक को अपनी पत्नी के रोग के बारे में खुलकर बताए। क्योंकि कामशीतलता रोग होने का सबसे मुख्य कारण मनोवैज्ञानिक होता है और जब तक चिकित्सक को ठीक रूप से रोग का कारण पता नहीं चलेगा तब तक वह ठीक तरह से उपचार नहीं कर पायेगा।

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