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Wednesday 30 January 2013

ट्रेन का डर | Masala4India Story Blog

ट्रेन 

ताया जी के लड़के की साली अन्जलि की शादी पटना में हुई है। वैसे उनकी शादी को डेढ़ साल हो गया है, उसका पति धीरज हमारे शहर में ही काम करता है, उनके घर और हमारे घर अक्सर आना जाता लगा रहता है, वैसे अंजलि 19 साल की है, देखने में स्लिम और खूबसूरत है, बूब्स 34 के हैं खूबसूरत लड़की है। अंजलि मेरी भी साली ही लगी तो अक्सर मजाक वगैरह चलता रहता था।कुछ दिनों से वो अपने मायके पटना गई हुई थी। मुझे ऑफिस के काम से रांची जाना पड़ा, दीपावली के दिन थे, उन दिनों में अक्सर प्रवासी लोग अपने अपने घर जाते हैं और ट्रेनों का तो बुरा हाल होता है, पैर रखने की जगह नहीं होती। खैर मेरी किस्मत अच्छी थी, उसी दिन एक स्पेशल ट्रेन चली थी, मुझे उसमें सीट मिल गई।मुझे वहाँ 3 दिन लग गये। मैंने अपना ऑफिस का काम निपटाया और रात को सोने लगा, रात के 10 बज रहे थे, धीरज बाबू का फ़ोन आया- कैसे हैं हैरी भाई?मैंने कहा- ठीक हूँ। आप कैसे हैं?थोड़ी बातें हुई, धीरज भाई ने कहा- हैरी, आज तुम्हारे घर गया था तो मालूम हुआ कि तुम रांची में हो।मैंने कहा- हाँ !धीरज ने कहा- वापिस कब आ रहे हो?मैंने कहा- कल सुबह निकलूंगा।धीरज भाई ने कहा- यार हैरी, अंजलि पटना में है ! तुम्हें मालूम है ना?मैंने कहा- हाँ ! क्या हुआ उन्हें?धीरज ने कहा- हुआ कुछ नहीं, असल में मैं सोच रहा था कि अगर तुम्हें कोई दिकत न हो तो अंजलि को आप अपने साथ ला सकते हो?मैंने कहा- धीरज भाई, मुझे तो कोई दिकत नहीं है, पर मेरी ट्रेन कल सुबह की है और और जिस ट्रेन से मैं आ रहा हूँ, उसमें तो कोई सीट भी नहीं है, बड़ी मुश्किल से मुझे सीट मिली है, और अब तो वेटिंग भी नहीं मिल सकती। अगर आप पहले कहते तो मैं कोई जुगाड़ करता।अचानक मुझे वो ट्रेन याद आई जिससे मैं आया था, वो पटना तक ही जाने वाली स्पेशल ट्रेन थी। मैंने मैंने धीरज को कहा- भाई, रुकिए देखता हूँ, एक स्पेशल ट्रेन चली थी ! शायद उसने जगह होगी, तो काम बन जाएगा।मैंने अपना लैपटॉप ऑन किया और उस ट्रेन की स्थिति देखने लगा। उस ट्रेन में तो बहुत तो अभी भी 750 के करीब सीट खाली थी। मैंने धीरज को फ़ोन किया, कहा- एक स्पेशल ट्रेन है, उसमें सीट खाली है, मैं इन्टरनेट टिकट बुक कर लेता हूँ। मैंने 2 सीट बुक कर ली और धीरज को फ़ोन किया- आप अंजलि को फ़ोन कर दीजिये, कल मैं शाम 5 बजे तक पटना पहुँच जाऊँगा। ट्रेन 6 बजे शाम को है।मैं शाम को 5.30 बजे पटना पहुँच गया। ट्रेन करीब 2 घंटे लेट थी, मैंने स्टेशन पर उतर कर देखा कि अंजलि और उनके पिता जी स्टेशन पर खड़े थे।मैंने उनके पिता जी को नमस्ते किया और बातें करने लगा। अंजलि की उम्र करीब 19 साल की थी, नई-नई शादी हुई थी, मैं तो अंजलि को शादी के पहले से ही जानता था, शादी के पहले अंजलि के साथ बहुत घूमते फिरते थे। खैर वो समय कुछ और था, बातों बातों में 2 घंटे बीत गया, मालूम ही नहीं लगा, ट्रेन आ गई। हमारी सीट थर्ड ऐसी में थी।हम लोग अपनी सीट पर बैठ गए, ट्रेन बिल्कुल खाली थी, ट्रेन में हमारे सिवा बस 2 लोग और थे।मैंने सोचा कि शायद आगे से लोग आ जायेंगे ट्रेन में !मैं और अंजलि बातें करने लगे, मजाक करने लगे। रात को करीब 11 बज गए, ट्रेन में कोई नहीं आया। सारी सीटें खाली थी, जो दो लोग बैठे थे, वो भी वहीं दिख रहे थे।थोड़ी देर बात टीटी आया और टिकट चेक किया, मैंने टीटी से पूछा- सर ट्रेन खाली है, क्या बात है?टीटी ने कहा- पूरी ट्रेन ही खाली है, हर बोगी में बस 2-4 लोग ही हैं बस।मैंने कहा- सर, हमें तो डर लग रहा है, और मेरे साथ औरत भी है, कहीं कुछ उल्टा सीधा न हो जाए।टीटी ने कहा- आप डरिये मत, ऐसा कुछ नहीं होगा।और वो चला गया, ट्रेन चल रही थी, जैसे जैसे रात हो रही थी, हम डरे जा रहे थे कि कोई चोर लुटेरा न आ जाये और सिर्फ हम दोनों क्या कर सकते हैं।मैंने अंजलि से कहा- चलो उतर जाते हैं, किसी और ट्रेन से चलेंगे।ऐसे बातें करते करते फिर से टीटी मुझे जाता दिखा, मैंने टीटी से आग्रह किया- सर, जहाँ ज्यादा लोग हैं, हमें वहाँ बैठा दो, मेरे साथ में औरत है, मुझे डर लग रहा है।टीटी ने कहा- आओ आपको फस्ट ऐसी में बैठा देता हूँ, आदमी तो उसने भी नहीं है पर उस बोगी में 4 परिवार वाले लोग हैं, वहाँ आप लोग सेफ महसूस करोगे।टीटी में हमें अपनी सीट पर बैठा दिया और बोला- अब कोई टीटी नहीं आएगा, आप लोग दरवाजा लोक कर लीजिये।हमने दरवाजा लोक किया थोड़ी जान में जान आई, अंजलि ने कहा- आओ अब खाना खा लेते हैं।हम लोग खाना खाकर बातें करने लगे। अंजलि अपने सीट पर लेट गई, अंजलि को तो अभी भी डर लग रहा था, अंजलि ने कहा- हैरी, मुझे ट्रेन का सोच सोच कर अभी भी डर लग रहा है।मैंने कहा- आ जाओ, मेरे पास सो जाओ।अंजलि मेरे पास आकर लेट गई, मेरे मन में पहले वाला शैतान जाग गया। वैसे तो मैं अंजलि से शादी के पहले भी कई बार सेक्स कर चुका था पर अब काफी दिनों बाद यह मौका मिला। अंजलि मेरे साथ चिपक कर सोने लगी, मैं अंजलि के बूब्स को दबाने लगा, अंजलि कहने लगी- छोड़ो न हैरी, अब ये सब अच्छा नहीं लगता, मेरी शादी हो चुकी है।मैंने कहा- ऐसे कैसे जाने दूँ यार अंजलि ! इतने दिनों बात तो फिर से भगवान ने फिर से मौका दिया है।और पुरानी बातें याद करने लगे, धीरे धीरे मैं अंजलि की चूचियाँ दबाने लगा। अंजलि सिसकारियाँ लेने लगी और जोश में आने लगी। मैंने अंजलि के बलाउज के बटन खोल दिए और उसकी गोरी गोरी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा।अंजलि सीईइ आअह्ह आह्ह करने लगी और मेरे ऊपर आकर मेरे अपने चूचियों को अच्छे से मेरे मुँह में डाल कर चुसवाने लगी ! मैं और अंजलि पूरे जोश में थे और ट्रेन भी पूरा तेजी में चल रही थी।मैंने अंजलि की साड़ी ऊपर किया और उसके पैन्टी के ऊपर से उसके चूतड़ मसलने लगा। और अंजलि ऊपर से ही अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ रही थी।अंजलि पूरी तरह से चुदने के लिए तैयार हो चुकी थी, बार बार अपनी चूत रगड़ रही थी।मैंने अंजलि को कहा- रुको।मैं पूरा नंगा हो गया और अंजलि की भी मैंने पैंटी उतार दी। अंजलि बहुत मस्त लग रही थी, काफी दिनों बात अंजलि को चोदने का मौका मिल रहा था।मैंने अंजलि को इशारा किया कि मेरे लंड को चूसो।अंजलि अपने प्यारे होंठों को मेरे लंड पर रखा और चूसने लगी, मुझे बहुत मजा मिल रहा था, मैंने अंजलि को कहा- रुको, दोनों मजा लेते हैं। तुम्हारी चूत चाटे हुए बहुत दिन हो गए हैं।हम दोनों 69 की अवस्था में हो गए। मैं अंजलि की चूत को चाट रहा था और उसके चूत दाने को खूब अच्छे से चूस रहा था। अंजलि तड़प जाती, उसकी उसकी चूत बहुत पानी छोड़ रही थी !मैं जोर जोर से उसकी चूत चाट रहा था और अंजलि भी जोश में मेरे लंड को खूब चूस रही थी।और कभी कभी अपने दांतों से काट भी लेती।अंजलि ने कहा- हैरी, अब करो ! बर्दाश्त के बाहर हो रहा है अब।मैंने अंजलि को कहा- कैसे चुदवाओगी?अंजलि शरमा गई !मैंने अंजलि से कहा- अंजलि आओ यहाँ, घोड़ी बना कर तुम्हें चोदता हूँ।मैंने अंजलि को कहा- सीट पकड़ कर झुक जाओ।अंजलि सीट पकड़ कर झुक गई, अंजलि की खूबसूरत चूत देख कर लग रहा था कि पिया-मिलन की आस में आज ही चूत के बाल बनाये थे, एकदम चिकनी पाव रोटी की तरह फूली हुए चूत ! ऐसे लग रहा था कि चूत कह रही हो कि आओ अब डाल दो लंड !बहुत खूबसूरत चूत लग रही थी।मैंने देर न करते हुए अपने लंड पर थूक लगाया और अंजलि के चूत में जोर से पेल दिया। अंजलि की थोड़ी सी आवाज की- आअहाअ और लंड पूरा अन्दर अंजलि की चूत में समां गया ! मैं अंजलि के चूत के मजे लेने लगा और ट्रेन भी रफ्तार में थी तो और मजा आ रहा था। अंजलि को अपने आप धक्के लग रहे थे।अंजलि भी अपनी गांड हिल हिल कर लंड का अभिनंदन कर रही थी और आहा वओओह आअए सीईईईई आआहाआ कर रही थी और गांड हिला हिला कर अपनी चूत चुदवा रही थी।अंजलि ने काफी दिनों से नहीं चुदवाया था तो अंजलि की चूत ने जवाब दे दिया, अंजलि सीईईइ आआहा आआ कर कर के गांड को जोर जोर से हिलाने लगी और झर गई।अंजलि थोड़ी सुस्त हो गई झरने के बाद। मैंने लंड को चूत से निकाल लिया।अंजलि अब सीट पर लेट गई, मैं उसका हाथ पकड़ा और कहा- अंजलि मेरे लंड की मुठ मारो।अंजलि ने कहा- अभी मूड नहीं कर रहा, थोड़ा रुक जाओ।पर मुझे चैन कहाँ था, मैंने फिर से अंजलि के चूचियों को दबाने और चूसने लगा। जिससे अंजलि फिर से जोश में आ गई, मैं अंजलि के ऊपर चढ़ गया और अपनी अपना लंड के बार फिर से अंजलि के चूत में दौड़ाने लगा। अंजलि भी अब नीचे से मेरे धक्कों का जवाब अपने धक्कों से देने लगी। मैं अंजलि को जोर जोर से चोद रहा था और अंजलि भी नीचे से अपनी कमर हिला हिला कर मजे से चुद रही थी। इतने मजे से चुद रही थी कि कुछ देर तो वो अपनी आँखें बंद करके आअहाअ आअहाअ उह्हाआ उआअह कर रही थी और अपनी कमर जोर जोर से उचका रही थी।चुदाई करते करते अंजलि जोर जोर से धक्के मारने को कहने लगी और अपने भी जोर जोर धक्के लगाने लगी- आअह्ह्ह्ह आआहा आआ आसीईईई आआए करते करते अपने दोनों पैर मेरी कमर को जोर से दबा दिया और कहने लगी- बस हैरी अब तो हो गया !और हांफने लगी, थोड़ी ठण्ड का समय था, फिर भी हम दोनों पसीने से सराबोर हो गए थे।अंजलि ने कहा- तुम्हारा नहीं हुआ क्या?मैंने कहा- बस अब थोड़ा और ! मेरे भी होने वाला ही है।मैंने जोर जोर से अंजलि के चूत के अन्दर-बाहर लंड करने लगा और अंजलि से कहा- अंजलि, अब मैं भी झरने वाला हूँ।मैंने कहा- अंजलि, मुझे जोर से अपने बाहों में दबा लो ! ऐसे मुझे मजा आता है, जब मेरे माल गिरता है तो।अंजलि जानती थी यह बात !मैंने जोर जोर से आअहाआ आअहाअ करने लगा, अंजलि जोर से मुझे अपने बाहों में दबाने लगी और मैं झर गया।अब मैं रिलेक्स महसूस कर रहा था, अंजलि की चूत में ऐसे ही लंड डाले थोड़ी देर अंजलि के ऊपर लेटा रहा, थोड़ी देर बाद अंजलि ने टिशु पेपर से अपनी चूत को साफ़ किया और हम दोनों सो गए।रात को एक बात फिर मेरे दिल किया अंजलि को चोदने का, मैंने अंजलि को जगाया और फिर से एक बार चुदाई की और सो गए।सुबह करीब 10 बजे हम सोकर जगे, थोड़ा नाश्ता किया और एक बजे तक हम अपने स्टेशन पर पहुँच गए।धीरज बाबू वह स्टेशन पर आये हुए थे अपनी पत्नी अंजलि को रिसीव करने ! फिर धीरज बाबू अंजलि को अपने साथ ले गए अपने मोटरसाइकिल पर।मुझे भी कह रहे थे कि आओ आप भी बैठ जाइए, आपको घर तक छोड़ दूंगा।मैंने कहा- नहीं, आप लोग जाओ, मैं आ जाऊँगा।मैंने फिर टेम्पू लिया और अपने घर चला गया।

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हाय राम ! मैं का करूँ? ============= लेखिका : नेहा वर्मा यह कहानी मुझे शर्मीली ने भेजी है, इसे बस थोड़ा सा संवार कर आपके समक्ष पेश कर रही हूँ। लोग मुझे क्यों शर्मीली कहते हैं? क्योंकि मैं बिल्कुल इसके विपरीत रही हूँ ! कुछ लोग एक नन्ही शर्मीली कली को पसंद करते हैं लेकिन कुछ चाहते हैं कि औरत ही सब सम्भाले ! और मैं हूँ वैसी ही ! आप जैसा चाहेंगे, मैं वैसे ही करूँगी। और यदि आपको अपना मन बनाने में ज्यादा समय लगता है तो मैं आपके लिए तय करूंगी कि आप मेरे साथ क्या और कैसे करेंगे, जैसे आप मुझे मेरे बदन पर कहाँ चूमेंगे या गुदगुदी करेंगे ! मुझे अपने हाथ गन्दे करना भी अच्छा लगता है ! आप समझ रहे... more »

Tuesday 29 January 2013

आराम से चुदाई कुंवारी बुर की 2


वो जिस्म की आग से तप रही थी। उसने मुझे अपनी ओर खींचा जैसे कह रही हो- मेरे जिस्म में समा जाओ !

मैंने उसके जिस्म को ऐसे चाटना शुरु किया जैसे वो कोई लॉलीपॉप हो !

फिर थोड़ी देर बाद घंटी बजी और हम दोनों डर गए कि आज तो मर गए, हमें लगा कि उसके मम्मी-पापा आ गये हैं, उसने अपने कपड़े पहने और बाल ठीक किये, मुझे कहा- अपनी किताब खोल कर बैठ !

मैंने वैसा ही किया। वो दरवाजे पर गई।

जब दरवाजा खुला तो मेरे सामने मेरी मम्मी थी। मैं तो सच में डर ही गया कि कहीं मम्मी को शक तो नहीं हो गया और चारू के चेहरे पर भी उदासी छा गई।

मम्मी मेरे पास आई, बोली- बेटा पढ़ कर जल्दी आजियो, कुछ काम है।

मैंने कहा- बस आने वाला हूँ थोड़ी देर में।

और फिर मम्मी चली गई।

चारू के मुंह से 'ओह माय गोड' निकला और हंसने लगी, बोली- आज तो मर ही गए थे !

मैंने कहा- हाँ, बच तो गए !

तो मैंने उसे फिर से पकड़ लिया और उसके होंटों को चूसने लगा।

फिर थोड़ी देर बाद वो बोली- संदीप अब मन नहीं है, बाद में करेंगे।

तो मैंने उसे छोड़ दिया और कहा- जैसा आपकी मर्जी !

फिर दो महीनों के बाद एक दिन मेरे घर कोई न था तो मैं उसके घर गया। वहाँ उसकी मम्मी थी, तो मैंने आंटी को कहा- आँटी चारू को मेरे घर भेज देना, नेट चलवाना है।

तो आंटी बोली- बोल दूंगी।

और फिर वो थोड़ी देर बाद मेरे घर आ गई। मैंने उसे अपने बेडरूम में बुलाया और कहा- आज मौका है।

वो बोली- मतलब?

मैंने कहा- मैडम, आज घर पर कोई नहीं है।

तो वो बोली- नहीं, मुझे नहीं करना ये सब !

जब मैंने कारण पूछा तो नहीं बताया, तो मैंने उसे पकड़ कर चूमना शुरु कर दिया और बेड पर लिटा दिया।

मैंने जैसे ही उसकी सलवार उतारी तो वो रोने लगी और बोली- आज नहीं संदीप !

मैंने कहा- क्यूँ नहीं?

तो उसने बताया- मेरे मेंसेस आने वाले हैं।

मैंने कहा- कोई बात नहीं ! मेरे पास कंडोम है।

तो बोली- नहीं, फिर कभी।

तो मैंने गुस्से में आकर उसे कह दिया- चल भाग जा यहाँ से ! साली, पागल इतनी डरती है? मैं तुमसे नफरत करता हूँ।

तो दोस्तो, वो बहुत जोर से रोने लगी, इतनी जोर से कि आवाजें बाहर जा रही थी।

तो मैंने उसे चुप किया और उसके होंटों को अपने होंटों में दबा लिया फिर वो रोते रोते बोली- तो कर लो पर आराम से ! मुझे डर लगता है यह सब करने में।

तो मैंने कहा- डर कैसा?

तो बोली- मैंने फिल्मो में देखा है कि बहुत गन्दी तरह से करते हैं वो, प्लीज़ तुम ऐसे मत करना।

तो मैंने हंस कर कहा- तुम ब्लू फिल्म्स की बात कर रही हो?

तो बोली- हाँ यार।

तो मैंने अपने कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म चला दी, उसने अपने हाथ अपनी आँखों पर रख लिए।

मैंने उसके हाथ पकड़ लिए और जब फिल्म ख़त्म हुई तो मैंने पूछा- कैसी लगी?

तो वो कुछ नहीं बोली।

मैंने देखा तो उसकी नजरें झुकी थी और उसका चेहरा बिल्कुल लाल हो गया था।

मैंने समय न ख़राब करते हुए उसके बालों को सहलाया और उसके बाल खोल दिए, वो अब और भी सुंदर लग रही थी।

फिर मैंने उसके गालों को चूसना शुरु किया। वो अब भी कुछ न बोल रही थी, मैं समझ गया था कि अब वो सेक्स में पागल हो चुकी है, मैंने उसे पकड़ कर बेड पर लिटा दिया और उसके चूचों को दबाने लगा।

उसके मुँह से हल्की-हल्की आवाजें आ रही थी- ऊह्ह आ आआ !

मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरना शुरु किया और वो भी पागल होती जा रही थी, मेरा तो लंड फटने को हो रहा था। मैंने अपनी पैंट खोल कर उसका हाथ पकड़ के अपने लंड पर लगा दिया, उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे ऊपर-नीचे करने लगी।\

अब मुझे भी मजा आ रहा था।

चारू बोली- संदीप, तेरा तो लंड बहुत बड़ा है।

फिर हुई उसकी चुदाई शुरू, मैंने उसकी दोनों टांगो को उठाया, उनके बीच बैठ गया और उसकी चूत को पहले हल्के से उंगली से सहलाया और फिर उसके अंदर अपनी एक उंगली डाली। वो भी मजा लेने लगी। फिर मैंने अपनी दो उंगलियाँ डाली और उसके मुँह से आवाजें आनी शुरू हो गई- संदीप, बहुत दर्द हो रहा है, संदीप रहने दो !

मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने ५ मिनट तक किया और मैं देख रहा था कि वो मदहोश होती जा रही है। मैंने फिर उसकी गोरी गोरी गर्म चूत पर अपना मुँह लगा दिया और उसकी चूत को चाटने लगा।

बस फिर क्या, उसके मुँह से आवाजें आनी शुरू हो गई- ऊह्ह्ह्ह आआ आआआअ !

मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर हल्का सा झटका ही मारा था कि वो दर्द के मारे रो उठी।

मैं समझ गया कि वो कुंवारी बुर थी !

उसके मुँह से आवाज आई- संदीप मत करो, बहुत दर्द हो रहा है।

मैंने उसकी एक न सुनी और पहले तो उसकी आराम से चुदाई की और आराम से झटके मारे और उसके होटों पर अपने होंट रख दिए और आराम से चोदने लगा।

थोड़ी देर में वो बोली- अब कण्ट्रोल नहीं होता, डाल दो सारा का सारा।

मैंने उसकी बात को मानते हुए अपना 7 इंच का लंड उसकी चूत में उतार दिया और वो जोर से चिल्लाई- हाई माँ मार दी साले ने !

बस मैं उसकी तरफ न देखते हुए उसे चोदता रहा और वो भी मेरा साथ दे रही थी।

मैं जोर जोर से झटके मार रहा था और चारु भी मेरा साथ दे रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दर्द हो ही न रहा हो !

मैंने पूछा तो बोली- दर्द से बड़ी प्यास है ! पहले मेरी प्यास बुझ जाये ! प्लीज फाड़ डालो ! होने दो दर्द।

करीब 20 मिनट चोदने के बाद मैं झड़ गया और वो भी।

हम एक बिस्तर पर पड़े हुए गहरी सांसें ले रहे थे और काफ़ी देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे।

फिर वो बोली- संदीप, आई लव यू ! मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि तुम इतना मजा दे पाओगे क्यूंकि तुम मुझसे छोटे हो !

तो मैंने कहा- लंड तो बड़ा है न?

जब हम उठे तो देखा कि बिस्तर पर खून !

वो डर गई !

मैंने उसे समझाया कि ऐसा पहली बार में होता है, बस थोड़ी देर में सब ठीक हो जायेगा।

बस मैंने उसे दो बार और चोदा, अब उसकी शादी हो गई है और मैं बिल्कुल अकेला हूँ, मेरा तो लंड हर रोज तंग करता है कि मुझे चूत चाहिये।

मुझे जरूर बताना कि मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे ईमेल जरुर करना।

sandeepsharma0421@gmail.com 

Monday 28 January 2013

बहन की दोस्त के साथ सेक्स के मज़े लिये

 | Masala4India Story Blog
तो हुआ ये के मैं अपने पी सी पर बैठा बी ऍफ़ देख रहा था, तभी कुछ देर में मेरे पापा आ गये, मैने सब बंद कर दिया। बोले के चलो सबको आज घुमा कर लाते हैं। मैने सोचा अगर मैं गया तो सारा मज़ा बेकार हो जायेगा, इसलिये मैने जाने से मना कर दिया। सब चले गये। मैं घर में अकेला था। मैने फिर से बी ऍफ़ स्टार्ट कर दी। तभी मेरी बहन की दोस्त उसे पूछने आ गयी के मेरी सिस कहां है। मैने कहा के सब बाहर गये हैं। तो उसने मुझसे पूछा के तुम क्या कर रहे हो। मैने कहा के पीसी पर बैठा था। तो बोली के मैं अपना मेल चेक कर लूं। मैने हां कह दिया। मैने कहा के मैं ज़रा टॉयलेट से आता हूं।जब मैं आया तो देखता हूं के मैने वीडियो प्लेयर बंद नहीं किया था और उषा सब कुछ देख रही थी। मैं उसे खिड़की से देखता रहा। उसका चेहरा कंप्यूटर की तरफ़ होने से उसने पीछे नहीं देखा के मैं खड़ा हूं। वो सब कुछ देख रही थी और बहुत गरम हो चुकी थी। इतने में उसने अपने मम्मे ऊपर से दबाने शुरु कर दिये। मेरा लंड खड़ा हो चुका था और मैं तो पक्का फ़ैसला कर चुका था के हो ना हो, ये आज मुझसे चुद कर ही जायेगी। फिर मैं थोड़ा और पीछे चला गया और हल्की सी आवाज़ निकली। वो समझ गयी के मैं आ रहा हूं। उसने प्लेयर बंद कर दिया। मैं आया तो उससे कहा के मेल चेक कर लिये तो बोली के हां कर लिये।फिर मैने हिम्मत बांध कर उससे कह ही दिया के उषा तुम जो देख रही थी वो मैं पीछे खिड़की के पास खड़ा होकर देख रहा था। तो वो शरमा गयी और कुछ नहीं बोली। मैं समझ गया के मामला फ़िट हो गया। मैने दोबारा बी ऍफ़ स्टार्ट कर दी। अब हम दोनो देखने लगे। वो तो गरम हो ही चुकी थी। तभी मैने कहा के देखती ही रहोगी या फिर। तो वो हल्की सी मुस्कुराहट लायी। मैने तभी बिना टाइम वेस्ट किये उसके जांघ पर हाथ रख दिया। उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया। फिर मैं अपने हाथ को धीरे धीरे उसके ऊपर की तरफ़ लाने लगा। उसके मम्मे को दबाना शुरु किया। फिर उसे किस करने लगा। फिर मैने उसका एक हाथ अपने लंड पर रख दिया। वो उसके साथ खेलने लगी। करीब ५ मिनट तक हम किस करते रहे। फिर मैं उसे बेड पर ले आया और धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने लगा।पहले उसका सूट उतारा तो उसके ब्रा दिखने लगी। मैने उसकी ब्रा भी उतार दी। उसके मुंह से अजीब अजीब आवाज़ें निकलने लगी मानो कह रही हो के मेरी चूत को जल्दी शांत करो। उसके दूध से भरे मम्मे देख कर मैं दंग रह गया। मैने उसको चाटना शुरु कर दिया। तो बोली के पहले कपड़े तो उतार लो। फिर मैने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार उतार दी। उसने काले रंग की पैंटी पहनी थी। फिर मैने उसे मेरे कपड़े उतारने को कहा तो उसने पहले मेरी पैंट फिर कच्छा उतारा।मैने बनियान में था। बनियान मैने खुद उतार दी। अब हम दोनो बिल्कुल नंगे थे। पहले मैने उसकी चूत चाटनी शुरु कर दी। तो वो बोली के ये क्या कर रहे हो। मैने कहा के असली मज़ा तो इसी में है। उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगी। कहने लगी, खा जाओ, फाड़ डालो मेरी चूत को और आऊऊऊउर्र्र्र्र्र ज़ोर्र्र्र्र्र्र्र्सीई …आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म ….फिर मैने अपना ६” इंच का लंड उसके हाथ में दे दिया और कहा के इसे चाटो।उसने फ़टाफ़ट अपने मुंह में ले लिया और चाटने लगी। मेरे लंड से हल्का हल्का पानी निकलने लगा। मैने कहा इसे पी जाओ। वो पीकर बोली के खट्टा खट्टा है। फिर मैं उसके पैरों के पास गया और उसकी टांगें फ़ैला दी और उससे कहा के अपनी चूत का छेद खोलो। उसने अपने चूत का छेद और चौड़ा कर दिया। फिर मैने अपना लंड जैसे ही उसकी चूत पर रखा तो उसके मुंह से आआआआआह्हह्हह्हह्हह्हह्ह की आवाज़ निकली। मैने एक झटका दिया और आधा लंड उसकी चुत में अटक गया। तो वो चिल्ला पड़ी और बोली के बाहर निकालो प्लीज बहुत दर्द हो रहा है।मैं कुछ देर हल्के हल्के झटके देता रहा उसकी चूत से खून निकलने लगा, मगर उसने नहीं देखा। फिर जब वो पूरे जोश में आ गयी तो मैने १ झटका और दिया और पूरा ६” का मेरा लंड उसकी चूत में गया और वो फिर से चिल्लायी। मगर मैने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिये और उसे चिल्लाने नहीं दिया। फिर वो और गरम हो गयी। उसके मुंह से आवाज़ निकली और घुसाओ और ज़ोर से मैने अपनी स्पीड और बढ़ा दी अब वो भी अपने चूतड़ उठा उठा कर साथ देने लगी और हमारी आवाज़ें निकलती रहीं आआअह्हह्हह्हह्हह म्मम्मम्मम्मम्मम्ममहये मार डाला।त्तत्तूऊऊम्मम्मम बाआआहूऊत्तत्तत्त आआआस्सछह्हह्हहीईईईईए हूऊऊऊऊओ और ज़ोर से। उसका पूरा छेद मैने फ़ाड़ डाला। करीब आधे घंटे बाद उसका पानी निकल गया। मगर मैं उसे ५ मिनट तक और चोदता रहा फिर मेरा भी पानी निकल गया। मैने अपना सारा कम उसके मुंह में डाल दिया और उसे पिला दिया।फिर मैने उसे अपना लंड चाटने को कहा तो बोली के अब चुद तो मैं गयी हूं, अब क्या। तो मैने कहा के दोबारा मेरा लंड खड़ा करो। हम दोनो ६९ की पोसिशन में हो गये। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैने अब उसे घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी गांड में १ हल्का सा झटका दिया और उसकी तो मानो जान ही निकल गयी हो मगर मैं हटा नहीं। थोड़ी देर ऐसे ही रहा। फिर थोड़ी देर बाद १ ज़बरदस्त झटका दिया और उसका मुंह अपने हाथ से बंद कर दिया। उसकी हालत तो ऐसी हो गयी मानो मरने ही वाली हो। फिर मैं ऐसे ही झटके मारता रहा। फिर वो भी मज़े लेने लगी,,,,और आआआआआआह्हह्हह्हह्हह्हह्हह आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह घुसाओ फ़ाड़ो और अपना पूरा बम्बू मेरी चूत में घुसा दूऊऊऊऊ।।।।और ज़ोर से। करीब १० मिनट बाद मैने पानी छोड़ दिया। और सारा कम उसकी गांड में छोड़ दिया। फिर मैं उसे किस करता रहा और थोड़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे। फिर उस दिन से मैने उसे चोदने का सिलसिला रोज़ शुरु कर दिया। जो शायद अब उसकी शादी पर ही खतम हो

Sunday 27 January 2013

आराम से चुदाई कुंवारी बुर की


दोस्तो, मैं अपनी सच्ची कहानी आपको बता रहा हूँ। मेरा नाम संदीप है, करनाल का रहने वाला, 23 साल का एक कुंवारा लड़का हूँ। वैसे मैं दिल्ली में कोचिंग ले रहा हूँ पर आजकल मैं करनाल में ही हूँ।

आज मैं आप लोगों को अपनी हकीकत कहानी सुनाने जा रहा हूँ, उम्मीद है कि आप लोगों को पसंद आएगी।

मुझे इस साईट के बारे में पहले से ही नहीं पता था, मेरे एक दोस्त ने बताया था इस साईट के बारे में, मैंने तो अनदेखा कर दिया उसकी बात को तो फिर जब मैंने इसे एक दिन पढ़ा तो बस इसका दीवाना हो गया हूँ, मैंने इस पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी, कुछ सच्ची थी और कुछ झूठी भी और इन कहानियों को पढ़कर न जाने कितनी मुठियाँ मैंने मारी हैं।

तो एक दिन मैंने भी सोचा कि मैं भी इस साईट पर अपनी एक कहानी डालूँ !

बात यूँ शुरू हुई !

हमारे घर के पास एक लड़की रहती है, उसका नाम चारू है, उसे प्यार से मैं कभी-2 डिक्सी भी बुलाता हूँ, वो मुझसे चार साल बड़ी है और उसने मास्टर ऑफ़ कंप्यूटर किया हुआ है। उसके पास मैं कई बार पढ़ने के लिए चला जाया करता था। पहले मैं सिर्फ एक छात्र की तरह ही पढ़ाई करता था, वो कई बार मुझे कहती थी- वाह, क्या लग रहे हो ! आज तो कमाल हो गया।

तो मैं मुस्करा दिया करता था।

हम ऐसे ही पढ़ते रहे बहुत दिनों तक, फिर एक दिन वो एक नया सिम ले आई और उसने मेरे नम्बर पर मैसेज सेंड किया- 'हैप्पी न्यू इयर !'

मैंने मैसेज सेंड किया- कौन हो तुम?

तो उसने उसने सेंड किया- पहचान लो !

पर मैंने सोचा मेरा कोई दोस्त होगा साला जो तंग कर रहा है, तो मैंने कॉल की तो उसने फ़ोन काट दिया और मैं पागल हो रहा था कि कौन है यह जो बार बार मैसेज कर रहा है?

तो जब मैं उसके पास पढ़ने के लिए गया तो मैंने उससे कहा- पता नहीं कोई मुझे तंग कर रहा है मैसेज सेंड करके और कॉल भी नहीं उठा रहा है।

वो हंसने लगी और बोली- तेरी कोई गर्लफ़्रेंड होगी।

मैं हंसने लगा और बोला- मेरी ऐसी किस्मत कहाँ है?

वो बोली- क्यूँ?

मैंने कहा- कौन करेगी मुझसे दोस्ती?

तो वो बोली- कोई तो कर ही लेगी तेरे साथ !

तो मुझे शक हुआ उस दिन से उस पर कि कुछ तो गड़बड़ है तो मैंने भी एक नया सिम ले लिया और उसके पास मैसेज सेंड किया तो उसने भी उत्तर दिया- कौन हो तुम?

तो मैंने कहा- पहचान लो !

तो उसने वो नम्बर अपने भाई को दे दिया कि पता लगा यह नम्बर किसका है, मेरे पास मैसेज आ रहे हैं।

तो उसने मुझे कॉल की और हम दोनों की बहुत लड़ाई हुई फ़ोन पर तो मैंने आखिर उसे बता ही दिया अपने बारे में।

तो वो कहने लगी- क्या यार, तू था, पहले बोल देता कि तू था !

और जब मैं चारू के पास पढ़ने के लिए गया तो उसने मुझसे कहा- तू बहुत शरारती हो गया है।

तो मैंने कहा- क्यूँ? मैंने क्या किया दीदी?

तो उसने कहा- मुझे दीदी न बोला कर आगे से, और तूने मुझसे बताया क्यूँ नहीं कि तुम मैसेज कर रहे हो।

तो मैंने कहा- आपने भी तो नहीं बताया था !

इतना कहते ही वो हंसने लगी और उस दिन हमारे बीच फिर थोड़ी सी सेक्सी बातें हुई, गर्लफ़्रेंड क्यूँ नहीं है, कैसी लड़की पसंद है, तो मैंने कहा- आप जैसी, तो वो हँसते हँसते एकदम चुप हो गई और मुझे देखने लगी।

मैं तो डर ही गया, मैंने मन ही कहा- आज तो तू गया बेटा, यह अब कही घर न बता दे।

मुझे डर लग रहा था बहुत, फिर वो वह से उठ कर चली गई और 10 मिनट बाद आई, बोली- तो कर ले मेरे जैसे लड़की को प्रपोज़ !

और हंस कर चली गई दूसरे कमरे में।

और मैं भी घर आ गया तो मैंने उसके पास एक मैसेज सेंड किया उस दिन और उसने भी, फिर 1 महीने बाद मैंने उसे मैसेज में कह दिया- आई लव यू।

तो उसने कहा- संदीप, आई लव यू।

मैं हैरान रह गया और मैं उसी दिन उसके घर गया और वो मुझे देख के थोड़ी हंसी पहले और उसके पास बैठकर मैं पढ़ने लगा।

फ़िर मैंने उसकी टांगों पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा।

वो कुछ न बोली। इतने में उसकी माँ आ गई और मैंने हाथ हटा लिया और पढ़ने लगा।

फिर एक दिन उसके घर कोई न था, उसने मुझे कॉल की और बोली- आ जाओ आज ही घर पर कोई नहीं है।

मैं 5 मिनट बाद ही उसके घर गया, जाकर बेड पर बैठ गया और वो मेरे सामने बैठ गई और बोली- मुझे शर्म आ रही है संदीप कि पहले तुम मेरे स्टुडेंट थे और अब !

तो मैंने कहा- अब क्या?

वो बोली- बहुत फर्क है अब !

क्या लग रही थी वो ! मेरा तो लंड खड़ा हो गया था उसे देख कर, उसने काले रंग का सलवार-सूट डाला हुआ था उस दिन और उसके होंटों को देख कर मुझसे तो रहा नहीं जा रहा था तो मैंने उसे कहा- मुझे आपके पास बैठना है।

वो आई मेरे पास और फिर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।

वो कहने लगी- अंदर वाले रूम में चलते हैं।

वहाँ एक छोटा सा बेड था तो मैंने उसे वहाँ बिठा दिया और उसके सामने बैठ कर उसे चूमने लगा।

वो भी मेरा साथ दे रही थी।

मैं उसे चूमता हुआ उसके गोल गोल टमाटर जैसे चूचों तक पहुँचा और उन्हें दबाने लगा, वो मेरी कमर को सहलाने लगी।

फिर मैंने उसका कमीज-सलवार उतार दिया। चारू ने काले रंग की ब्रा-पैंटी पहन रखी थी। उसका जिस्म फूलों की तरह महक रहा था !

"क्या देख रहे हो?" उसने कहा।

"आप इतनी सुन्दर हैं कि कोई भी आपको देखता ही रह जाएगा !"

और सबसे ज्यादा अच्छे उसके होंठ है जो मुझे मदमस्त कर देते हैं।

मैं भूखे शेर की तरह टूट पड़ा !

मैं उसकी गोल-मटोल चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। वो मुझसे लिपट गई।

मुझे लगा कि मुझसे भी ज्यादा लोग गर्म हैं इस दुनिया में, जो जिस्म की आग में तप रहे हैं !

मैंने धीरे से उसके कान को काट लिया, उसके मुँह से उफ्फ्फ्फफ्फ़ की आवाज़ आई। वो मुझसे सांप की भांति लिपट गई।

मैंने उसके होंट चूसना शुरु कर दिए और एक हाथ से कोमल सी चूची मसलने लगा। वो मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी। उसका हाथ मेरी पीठ को सहला रहा था। वो जिस्म की आग से तप रही थी। उसने मुझे अपनी ओर खींचा जैसे कह रही हो- मेरे जिस्म में समा जाओ !

मैंने उसके जिस्म को ऐसे चाटना शुरु किया जैसे वो कोई लॉलीपॉप हो !

फिर थोड़ी देर बाद घंटी बजी और हम दोनों डर गए कि आज तो मर गए, हमें लगा कि उसके मम्मी-पापा आ गये हैं, उसने अपने कपड़े पहने और बाल ठीक किये, मुझे कहा- अपनी किताब खोल कर बैठ !

मैंने वैसा ही किया। वो दरवाजे पर गई।

जब दरवाजा खुला तो मेरे सामने मेरी मम्मी थी। मैं तो सच में डर ही गया कि कहीं मम्मी को शक तो नहीं हो गया और चारू के चेहरे पर भी उदासी छा गई।

शेष कहानी अगले भाग में।

sandeepsharma0421@gmail.com 

Saturday 26 January 2013

हनीमून क्या है--Listen - eXBii

हनीमून क्या है--Listen - eXBii

शादी के बाद जब नए दुल्हा-दुल्हन कहीं बाहर घूमने जाते हैं तो कहा जाता है कि वह हनीमून पर गए हैं। हनीमून मनाने की प्रथा हमारे देश की है या बाहर के देश की यह पक्के तौर पर कहना बहुत मुश्किल है। हनीमून शब्द में भी सुहागरात जितना ही नशा है जिसको सुनते ही शरीर में अजीब सी तरंगे उठने लगती हैं। हनीमून को मधुमास भी कहते हैं। हनीमून का मतलब घर और घर वालों से दूर रहकर सिर्फ पत्नी के साथ वक्त गुजारना पड़ता है। बाहर के देशों में शादी के बाद हनीमून पर जाना जरूरी होता है क्योंकि एक तो उनके बीच हर तरह की झिझक और संकोच दूर हो जाता है और दूसरा शादी के बाद शरीर में दबी हुई काम भावनाएं अचानक तेज हो जाती हैं। इस समय व्यक्ति की इच्छा ज्यादा से ज्यादा अपनी पत्नी के साथ समय गुजारने की होती है लेकिन उन्हें वैसा एकांत नहीं मिल पाता है जैसा कि चाहिए होता है। शारीरिक संबंधों के लिए भी उनको सिर्फ रात का ही समय मिल पाता है। इसलिए हर तरह की आजादी के लिए उनके सामने हनीमून पर जाने का तरीका ही सबसे अच्छा रहता है।
______________________भारतीय संस्कृति में शादी से पहले अधिकान्स लड़के-लड़कियों को मिलने की इजाजत नहीं दी जाती है जिसकी वजह से शादी करने वाले लड़के-लड़कियों को एक-दूसरे को जानने का मौका नहीं मिल पाता है। घर में सब लोगों के रहने के कारण भी पति और पत्नी एक-दूसरे से खुलकर अपनी बात नहीं कह पाते हैं। इसलिए शादी के बाद हनीमून पर जाने से दोनों को एक-दूसरे को जानने का मौका मिल जाता है।हनीमून मनाने का मकसद अंतरंगता, भावनात्मक रूप से जुड़ना, एक-दूसरे की पसंद-नापसंद को जानना, एक-दूसरे का स्वभाव पता करना, रुचि-अरूचि जानना होता है ताकि आगे जाकर आपस में किसी प्रकार की परेशानी, तनाव और गलतफहमी आदि के कारण दाम्पत्य जीवन में किसी प्रकार की परेशानी न पैदा हो।हनीमून मनाने के लिए स्थान का चुनाव करते समय ध्यान रखें और ऐसा स्थान चुने कि जिसमें दोनों की ही बराबर राय है। 
• हनीमून का स्थान ऐसा होना चाहिए जहां पर शांतिदायक माहौल हो और ज्यादा भीड़-भाड़ न हो।
• हनीमून मनाने के लिए ऐसा स्थान चुनें जोकि दोनों ने पहले कभी न देखा हो।
• हनीमून का स्थान चुनते समय एक बात का ध्यान रखें कि जहां आप जा रहे हैं वहां का मौसम कैसा है जैसे अगर गर्मी के मौसम में गुजरात जाते हैं तो वहां पर परेशानी हो सकती हैं क्योंकि वहां पर गर्मी ज्यादा होती है।
• हनीमून के स्थान का चुनाव करते समय देख लें कि आपका सफर ज्यादा लंबा नहीं होना चाहिए। कम समय में जितनी ज्यादा जगहों पर घूम लिया जाए वही हनीमून बेस्ट रहता है।हनीमून पर जाने से पहले की तैयारी-
• हनीमून पर जाते समय हल्के और ऐसे कपड़े ले जाएं जिनको पहनकर घूमते समय किसी तरह की परेशानी आदि न हो।
• मौसम के हिसाब से कपड़े रखने चाहिए जैसे कि अगर आप किसी ठंडे स्थान पर जा रहे हैं तो ज्यादा और गर्म कपड़े लेकर जाना अच्छा रहता है।
• हनीमून पर जाने की पैकिंग करते समय कॉटन, डिटॉल, सेनेटरी नैपकीन और कुछ जरूरी दर्द आदि की औषधियां रख लेनी चाहिए।
हनीमून पर सेक्स जरूरी है-
• हनीमून पर जाने का असली मकसद न भूल जाए। अपना सारा समय वहां घूमने आदि में नहीं लगाना चाहिए।
• हनीमून पर जाने पर सेक्स के लिए भी पूरा समय निकाल लेना चाहिए क्योंकि वहां पर सेक्स करने का आनंद ही बहुत खास होता है।
• हनीमून पर जाने पर ज्यादा खाना और घूमना नहीं चाहिए क्योंकि ऐसा करने से शरीर में आलस्य और थकान पैदा हो जाती है।
• हनीमून पर गए पति और पत्नी को पूरे दिन बोलते और बहस आदि नहीं करते रहना चाहिए। दिन में कुछ समय तक चुप रहकर प्रकृति की शोभा का आनंद लेना चाहिए। बीच-बीच में एक-दूसरे की आंखों में आंखें डालकर बातें भी की जा सकती हैं।
______________________________हनीमून मनाने कब जाएं-
• हनीमून पर शादी के तुरंत ही जाना चाहिए यह नहीं की शादी के काफी दिनों के बाद हनीमून पर जा रहे हैं।
• शादी के तुरंत बाद ही हनीमून पर जाना इसलिए सही रहता है क्योंकि यह वे दिन होते हैं जब नवदंपति अपने आने वाले कल की बुनियाद रखते हैं।
 
हनीमून क्या है

Ans: - -चाँद की रोशनी में मधु चाटना

Friday 25 January 2013

बाप का पाप

बाप का पाप | Masala4India Story Blog
दोस्तो मेरा नाम अंकिता हैं और मैं मेरे घेर मैं सबके साथ छुड़ाई कर चुकी हो मुझे मेरे घर मैं और ससुराल मैं भी सबसे छुड़ाई हूआमैं पूरी सोलह साल की हो चुकी और मैं औरत मर्द के रिश्ते को समझती थी. एक बार पापा को मम्मी को छोड़ते देखा तू इतना मज़ा आया की रोज़ देखने लगी. मैं पापा की छुड़ाई देख इतना मस्त हुई थी की अपने पापा को फंसानॠका जाल बुन ने लगी और आख़िर एक दिन कामयाबी मिल ही गयी. पापा को मैने फँसा ही लिया. अब जब भी मौक़ा मिलता, पापा की गोद मैं बैठ उनसे चूचियाँ दबवा दबवा मज़ा लेती. पैर अभी तक केवल चूचियों को ही दबवा पाई थी, पूरा मज़ा नही लिया था. मेरे मामा की शादी थी इसलिए मम्मी अपने मयक़े जा रही थी. रात मैं पापा ने मुझे अपनी गोद मैं खड़े लंड पे बिठाकर कहा था बेटी कल तेरी मम्मी चली जाएगी फिर तुझे कल पूरा मज़ा देकर जवान होने क मतलब बताएँगे. मैं पापा की बात सुन ख़ुश हो गयी थी. पापा अब अपने बेडरूम की कोई ना कोई विंडो खुली रखते थे जिससे मैं पापा को मम्मी को छोड़ते देख सकूँ. ऐसा मैने ही कहा था. फिर उस रात पापा ने मम्मी को एक कुर्सी पैर बिठाकर उनकी छूट को छाटकार दो बार झाड़ा और फिर 3 बार हचाक कर छोड़ा फिर दोनो सो गाये. अगले दिन मम्मी को जाना थाआज मम्मी ज्जा रही थी पापा ने मेरे कमरे मैं आ मेरी चूचियों को पकड़कर दो टीन बार मेरे हूत चूमे और लंड से छूट दबा कहा की तुम्हारी मम्मी को स्टेशन छ्छोड़कर आता हून फिर आज रात तुमको पूरा मज़ा देंगे. मैं बड़ी ख़ुश थी. पापा चले गाये तू मैं घर मैं अकेली रह गयी. मैं अपनी चड्डी उतर पापा की वापसी का इंतेज़र कर रही थी. मैं सोचा की जब तक पापा नही आते अपनी छूट को पापा के लंड के लिए उंगली से फैला लून. तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया. मैने छूट मैं उंगली पेलते हुवे पूच्हा, “कौन है” मैं हून उमेश. उमेश का नठसुन मैं गुड़गूदी से भर गयी. उमेश मेरा 20 य्र्स. का पड़ोसी था. वा मुझे बड़े दीनो से फासना छह रहा था पैर मैं उसे लाइन नही दे रही थी. वा रोज़ मुझे गंदे गंदे इशारे करता था और पास आ कभी कभी चूचि दबा देता और कभी गांड पैर हाथ फैर कहता की रानी बस एक बार चखा दो. आज अपनी छूट मैं उंगली पेल मैं बेताब हो गयी थी. आज उसके आने पैर इतनी मस्ती छ्छाई की बिना चड्डी पहने ही दरवाज़ा खोल दिया. मुझे उसके इशारो से पता चल चक्का थठकी वा मुझे छोड़ना चाहता है. आज मैं उससे छुड़वाने को तैइय्यर थी. आज सुबह ही पापा ने मम्मी को चेर पैर बिठाकर छूट चटकार छोड़ा था. मम्मी के भाई की शादी थी इसलिए वा एक सप्ताह के लिए गयी थी. पापा ने कहा था की आज पूरा मज़ा देंगे. इसके पहले पापा ने कई बार मेरी गाड्राई चूचियों को दबाकर मज़ा दिया था. मैं घर मैं अकेली चड्डी उतरकर अपनी छूट मैं उंगली पैल्कर मज़ा ले रही थी जिस से जब पापा का मोटा लंड छूट मैं जाए तू र्द ना हो. उमेश के आने पैर सोचा की जब तक पापा नही आते तब तक क्यों ना इसी से एक बार छुड़वकर मज़ा लिया. यही सोचकर दरवाज़ा खोल दिया.मैने जैसे ही दरवाज़ा खोला उमेश फ़ौरन अंदर आया और मुझे देखकर ख़ुश हो मेरी चूचियों को पकड़कर बोला, “हाए रानी बड़ा अच्छा मौक़ा है.” मैं उसकी हरकत पैर सँसना गयी. उसने मेरी चूचियों को छ्छोड़कर पलटकर दरवाज़ा बंद किया और मुझे अपनी गोद मैं उठा लिया और मेरी दोनो चूचियों को मसलते हुवे मेरे हूँतो को चूसने लगा और बोला, “हाए रानी तुम्हारी चूचियों तू बहुत टाइट हैं. हाए बहुत तड्पया है तुमने रानी आज ज़रूर छोঠँगा.” हाए भगवान दो पापा आ जाएँगे. “डरो नही मेरी जान बहुत जल्दी से छोड़ लूंगा. मेरा टा है दर्द नही होगा.” वा मेरी गांड सहला बोला, “हाए चड्डी नही पहनी है, यह तू बहुत अच्छा है.” मैं तू अपने पापा से छुड़वाने के जुगाड़ मैं ही नंगी बैठी थी पैर यह तू एक सुनहरा मौक़ा मिल गया था. मैं पापा से छुड़वाने के लिए पहले से ही गरम थी. जब उमेश मेरी चूचियों और गालो को मसलने लगा तू मैं पापा से पहले उमेश से मज़ा लेने को बेठार हो गयी. उसकी छ्छेद छ्छाद मैं मज़ा आ रहा था. मेरी छूट पापा का लंड खाने से पहले उमेश का लंड खाने को बेताब हो गयी. मैं अपनी कमर लचकाती बोली, “हाए उमेश जो करना हो जल्दी से कर लो कहीं पापा ना आ जाए.” मैं पागल होती बोली तू उमेश मेरा इशारा पा मुझे बेड पैर लिटा अपनी पंत उतरने लगा. नंगा हो बोला, “रानी बड़ा मज़ा आएगा. तुम एकदम तैइय्यर माल हो. देखो मेरा लंड छ्होटा है ना.”उसने मेरा हाथ अपने लंड पैर रखा तू मैं उसके 4 इंच के खड़े लंड को पकड़ मस्त हो गयी. इसका तू मेरे पापा से आधा था. मैं उसका लंड सहलती बोली, “हाए राम जो करना है जल्दी से कर लो.” उमेश के लंड पकड़ते ही मेरा बदन टापने लगा. पहले मैं दार्र रही थी पैर लंड पकड़ मचल उठी. मेरे कहने पैर वा मेरी टॅंगो के बीच आया और मेरी कसी कुँवारी छूट पैर अपना छ्होटा लंड रख धक्का मारा. सूपड़ा कुच्छ से अंदर गया. फिर 3-4 धक्के मारकर पूरा ल अंदर पेल दिया. कुच्छ देर बाद उसने धीरे धीरे छोड़ते हुवे पूच्हा, “मेरी जान दर्द तू नही हो रहा है. मज़ा आ रहा है ना” “हाए मारो धक्के मज़ा आ रहा है.” मेरी बात सुन वा तेज़ी से धक्के मरने लगा. मैं उससे छुड़वते हुवे मस्त हो रही थी. उसकी छुड़ाई मुझे जन्नत की सैरकरा रही थी. मैं नीचे से गांड उचकाती सीसियते हुवे बोली, “हाए उमेश ज़ोर ज़ोर से छोड़ो तुम्हारा लंड बहुत छ्होटा है. ज़रा ताक़त से छोड़ो राजा.” मेरी सुन उमेश ज़ोर ज़ोर से छोड़ने लगा. उसका छ्होटा लंड सक्साकक मेरी छूट मैं आ जा रहा था. मैं पहली बार छुड़ रही थी इसलिए उमेश के छ्होटे लंड से भी बहुत मज़ा आ रहा था. वा इसी तरह छोड़ते हुवे मुझे जन्नत का मज़ा देने लगा. 10 मिनिट बाद वा मेरी चूचियों पैर लुढ़क गया और कुत्ते की तरह हाफ़्ने लगा. उसके लंड से गरम, गरम पानी मेरी छूट मैं गिरने लगा. मैं पहली बार चूड़ी थी और पहली बार छूट मेनलॅंड की मलाई गिरी थी इसलिएमज़े से भर मैं उससे चिपक गयी. मेरी छूट भी तपकने लगी. कुच्छ देर हमलोग अलग हुवे.वा कपड़े पहन चला गया. मेरी छूट चिपचिपा गयी थी. उमेश मुझे छोड़कर चला गया पैर उसकी इस हिम्मत भारी हरकत से मैं मस्त थी. उसने छोड़कर बता दिया की छुड़वाने मैं बहुत मज़ा है. उमेश ठीक से छोड़ नही पाया था, बस ऊपर से छूट को रग़ाद कर चला गया था पैर मैं जान गयी थी की छुड़ाई मैं अनोखा मज़ा है. उसके जाने पैर मैने चड्डी पहन ली थी. मैं सोच रही थी की जब उमेश के छ्होटे लंड से इतना मज़ा आया है तू जब पापा अपना मोटा तगड़ा ठड पेलेंगे तू कितना मज़ा आएगा. उमेश के जाने के 6-7 मिनिट बाद ही पापा स्टेशन से वापस आ गाये. वा अंदर आते ही मेरी कड़ी कड़ी चूचियों को फ्रॉक के ऊपर से पकड़ते हुवे बोले, “आओ बेटी अब हम तुमको जवान होने का मतलब बताएँगे.” “ओह पापा आप ने तू कहा था की रात को बताएँगे.” “अरे अब तू मम्मी चली गयी हैं अब हर समय रात ही है. मम्मी के कमरे मैं ही आओ. क्रीम लेती आना.” पापा मेरी चूचियों को मसलते हुवे बोले. मैं उमेश से छुड़वर जान ही चुकी थी. मैं जान गयी की क्रीम का क्या होगा पैर अनजान बन बोली, “पापा क्रीम क्यों” “अरे लेकर आओ तू बताएँगे.” पापा मेरी चूचियों को इतनी कसकर मसल रहे थे जैसे उखाड़ ही लेंगे. मैं क्रीम और टवल ले मम्मी के बेडरूम मैं फुँछी. मैं बहुत ख़ुश थी. जानती थी की क्रीम क्यों मंगाई है. उमेश से छुड़ने के बाद क्रीम का मतलब समझ गयी थी. पापा मुझे लड़की से औरत बनाने के लिए बेकरार थे. मैं भी पापा का मोटा केला खाने क तड़प रही थी. कमरे मैं पहुँची तू पापा बोले, “बेटी क्रीम तबले पैर रखकर बैठ जाओ.”मैं गुड़गूदते मॅन से चेर पैर बैठ गयी तू पापा मेरे पीच्े आए और अपने दोनो हाथ मेरी कड़ी चूचियों पैर लाए और दोनो को प्यार से दबाने लगे. पापा के हाथ से चूचियों को दबवाने मैं बड़ा मज़ा आ रहा था. तभी पापा ने अपने हाथ को गले की ऊवार से फ्रॉक के अंदर डाल दिया और नंगी चूचियों को दबाने लगे. मैं फ्रॉक के नीचे कुच्छ नही पहने थी. पापा मेरी कड़ी कड़ी चूचियों को मूतही मैं भरकर दबा रहे थे साथ ही दोनो घुंडियों को भीमसल रहे थे. मैं मस्ती से भारी मज़ा ले रही थी. तभी पापा ने पूछा, “क्यों बेटी तुमको अच्छा लग रहा है” हाए पापा बहुत मज़ा आ रहा है. “इसी तरह कुच्छ देर बैठो. आज तुमको शादी से पहले ही शादी वाला मज़ा देंगे. अब तुम जवान हो गयी हो. हाए तुम लेने लायक हो गयी हो. आज तुमको ख़ूब मज़ा देंगे.” आााहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊहह्छ पाआआपाआा. “जब मैं इस तरह से तुम्हारी चूचियों को दबाता हून तू तुमको कैसा लगता है” पापा मेरी कचूचियों को नीचोड़कर बोले तू मैं उतावाली हो बोली, “हाए पापा ऊह् ससीए इस तरह तू मुझे और भी अच्छा लगता है.” “जब तुम कपड़े उतरकर नंगी होकर मज़ा लोगी तू और ज़्यादा मज़ा आएगा. हाए तुम्हारी चूचियों छ्छोटी हैं.” “पापा मेरी चूचियाँ छूती क्यों हैं. मम्मी की तू बड़ी हैं.” “घबरओ मत बेटी. तुम्हारी चूचियों को भी मम्मी की तरह बड़ी कर दूँगा. हाए बेटी कपड़े उतरकर नंगी होकर बैठो तू बड़ा मज़ा आएगा.” “पापा चड्डीभी उतर डून.” मैं अनजान बनी थी.” “हन बेटी चड्डी भी उतर दो. लड़कियों का असली मज़ा तू चड्डी मैं ही होता है. आज तुमको सारी बात बताएँगे. जब तक तुम्हारी शादी नही होती तब मैं ही तुमको शादी वाला मज़ा दूँगा. तुम्हारे साथ मैं ही सुहाग्रात मानौंगा. तुम्हारी चूचियाँ बहुत टाइट हैं. बेटी नंगी हो.” पापा फ्रॉक के अंदर हाथ डाल दोनो को दबाते बोले.जब पापा ने मेरी चूचियों को मसलते हुवे कपड़े उतरने को कहा तू यक़ीन हो गया की आज पापा के लंड का मज़ा मिलेगा. मैं उनके लंड को खाने की सोच गुड़गूदा गयी थी. मैं मम्मी की रंगीन छुड़ाई को याद करती कुर्सी से नीचे उतरी और कपड़े उतरने लगी. कपड़े उतर नंगी हो मम्मी की तरह ही पैर फैला कुर्सी पैर बैठ गयी. मेरी छ्छोटी छूती चूचियाँ तनी थी और मुझे ज़रा भी शरम नही लग रही थी. मेरी जांघो के बीच रोएदार छूट पापा को सॉफ दठ रही थी. पापा मेरी गाड्राई छूट को गौर से देख रहे थे. छूट का गुलाबी छ्छेद मस्त था. पापा एक हाथ से मेरी गुलाबी काली को सहलाते बोले, “हाय राम बेटी तुम्हारी तू जवान हो गयी है.” क्या जवान हो गयी है पापा. “अरे बेटी तुम्हारी छूट.” पापा ने छूट को दबाया. पापा के हाथ से छूट दबाए जाने पैर मैं सँसना गयी. मैं मस्ती से भारी अपनी छूट को देख रही थी. तभी पापा ने अपने अंगूठे को क्रीम से चुपद मेरी छूट मैं डाला. वा मेरी छूको क्रीम से चिक्नी कर रहे थे. अंगूठा जाते ही मेरा बदन गंगाना गया. तभी पापा ने छूट से अंगूठा बाहर किया तू उसपर लगे छूट के रस को देख बोले, “हाए बेटी यह क्या है. क्या किसी से छुड़वकर मज़ा लिया है” मैं पापा के अनुभव से धक्क से रह गयी. मैं घबराकर अनजान बनती बोली, “कैसा मज़ा पापा” “बेटी यहाँ कोई आया था” नही पापा यहाँ तू कोई नही आया था. “तू फिर तुम्हारी छूट मैं यह गढ़ा रस कैसा” मुझे क्या पता पापा जब आप मेरचूचियाँ मसल रहे थे तब कुच्छगिरा था शायद. मैं बहाना बनती बोली. “लगता है तुम्हारी छूट ने एक पानी छ्छोड़ दिया है. लो टवल से सॉफ कर लो.”पापा मुझे टवल दे चूचियों को मसलते हुवे बोले. पापा से टवल ले अपनी छूट को रग़ाद राग़ादकार सॉफ किया. पापा को उमेश वाली बात पता नही चलने दी. मैं चूचियाँ मसल्वाते हुवे पापा से खुलकर गंदी बाते कर रही थी ताकि सभी कुच्छ जान सकूँ. “बेटी जब तुम्हारी चूचियों को दबाता हून तू कैसा लगता है” “हाए पापा तब जन्नत जैसा मज़ा मिलता है.” “बेटी तुम्हारी छूट मैं भी कुच्छ होता है” “हन पापा गुड़गूदी हो रही है.” मैं बेशर஠हो बोली.” ज़रा तुम्हारी चूचियाँ और दबा लून तू फिर तुम्हारी छूट को भी मज़ा डून. बेटी किसी को बताना नही नही पापा बहुत मज़ा है. किसी को नही पता चलेगा.” पापा मेरी चूचियों को मसलते रहे और मैं जन्नत का मज़ा लेती रही. कुच्छ देर बाद मैं तड़प कर बोली, “ऊओहह्छ पापा अब बंद करो चूचियाँ दबाना और अब अपनी बेटी की छूट का मज़ा लो.” अब मैं भी पापा के साथ खुलकर बात कर रही थी. इस समय हुंदोनो बाप-बेटी पति-पत्नी थे. पापा मरी चूचियों को छ्छोड़कर मेरे सामने आए. पापा का मोटा लंड खड़ा होकर मेरी आँख के सामने फूदकने लगा. लंड तू पापा का पहले भी देखा था पैर इतनी पास से आज देख रही थी. मेरा मॅन उसे पकड़ने को लालचाया तू मैने उसे पकड़ लिया और दबाने लगी. छूट पापा के मस्त लंड को देख लार टप्कने लगी. मैं पापा के केले को पकड़कर बोली, “श पापा आपका लंड बहुत मोटा है. इतना मोटा मेरी छूट मैं कैसे जाएगा”अरे पगली मर्द का लंड ऐसा ही होता है. मोटे से ही तू मज़ा आता है. “पैर पापा मेरी छूट तू छ्छोटी है.” “कोई बात नही बेटी. देखना पूरा जाएगा.” “पैर पापा मेरी फ़टट जाएगी.” अरे बेटी नही फतेगी. एक बार छुड़ जाओगी तू रोज़ छुड़वाने के लिए तदपॉगी. अपने पैर फैलाकर छूट खोलो पहले अपनी बेटी की छूट छत ले फिर छोदुँगा. मैं समझ गयी की पापा मम्मी की तरह मेरी छूट को चटना चाहते हैं. मैने जब मम्मी को छूट चटवाते देखा था तभी से स रही थी की काश पापा मेरी छूट भी छत्ते. अब जब पापा ने छूट फैलने के लिए तू फ़ौरन दोनो हाथ से छूट की दरार को छिड़ॉरकर खोल दिया. पापा घुटने के बल नीचे बैठ गाये और मेरी रोएदार छूट पैर अपने हूनत रख चूमने लगे. पापा के चूमने पैर मैं गंगाना गयी. दो चार बार चूमने के बाद पापा ने अपनी जीभ मेरी छूट के चारो ऊवार चलते हुवे चटना शुरू किया. वा मेरे हल्के हल्के बॉल भी चाट रहे थे. मुझे ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था. पापा छूट छाऍते हुवे तीत (क्लिट) भी छत रहे थे. मैं मस्त थी. उमेश तू बस जल्दी से छोड़कर चला गया था. चूचि भी नही दबाया था जिससे कुच्छ मज़ा नही आया था. लेकिन पापा तू चालक खिलाड़ी की तरह पूरा मज़ा दे रहे थे. पापा ने छूट के बाहर चाट छाटकार गीला कर दिया था. अब पापा छूट की दरार मैं जीभ चला रहे थे. कुच्छ देर तक इसी तरह करने के बाद पापा ने अपनी जीभ मेरी गुलाबी छूट के लास लसाए छ्छेद मैं पेल दिया. जीभ छ्छेद मैं गयी तू मेरी हालत राब हो गयी. मैं मस्ती से तड़प उठी. पहली बार छूट छ्छाती जा रही थी. इतना मज़ा आया की मैं नीचे से छूटड़ उच्चालने लगी. कुच्छ देर बाद पापा छ्ात्कार अलग हुवे और अपने खड़े लंड को मेरी छूट पैर लगा लंड से छूट रग़ादने लगे.छूट की चटाई के बाद लंड की रागदाइ ने मुझे पागल बना दिया और मैं उतावलेपान से पापा से बोली, “पापा अब पेल भी दो मेरी छूट मैं. आअहह्ह्ह ऊऊहह्छ.” पापा ने मेरी तड़पति आवाज़ पैर मेरी चूचियों को पकड़कर कमर को उठाकर ढाका मारा तू करारा शॉट लगने पैर पापा का आधा लंड मेरी छूट मैं अरास गया. पापा का मोटा और लंबा लंड मेरी छ्छोटी छूट को ककड़ी की तरह चीरकर घुसा था. आधा जाते ही मैं दर्द से तदपकर बोली, “आआाहह्ह्ह्ह्ह ठऊऊईई ममम्म्माररर्र गयी पापा. धीरे धीरे पापा बहुत मोटा है पापा छूट फ़टट गयी.” पापा का मोटा और लंबा लंड मेरी छूट मैं कसा था. मेरे करहने पापा ने धक्के मारना बांडकर मेरी चूचियों को मसलना शुरू किया. अब मज़ा आने लगा. 6-7 मिनिट बाद दर्द ख़तम हो गया. अब पापा बिना रुके धक्के लगा रहे थे. धीरे धीरे पापा का पूरा लंड मेरी छूट की झिल्ली फदता हूवा घुस गया. मैं दर्द से छ्त्पटाने लगी. ऐसा लगा जैसे छूट मैं चाकू(नाइफ) ठसा है. मैं कमर झटकते बोली, “हाए पापा मेरी फ़टट गयी. निकालो मुझे नही छुड़वाना.” पापा अपना लंड पेलते हुवे मेरे गाल चाट रहे थे. पापा मेरे गाल चाट बोले, “बेटी रो मत अब तू पूरा चला गया. हर लड़की को पहली बार दर्द होता है फिर मज़ा आता है.”कुच्छ देर बाद मेरा करहना बंद हूवा तू पापा धीरे धीरे छोड़ने लगे. पापा का कसा कसा आ जा रहा था. अब सच ही मज़ा आ रहा था. अब जब पापा ऊपर से धक्का लगते तू मैं नीचे से गांड उच्चलती. उमेश तू केवल ऊपर से राग़ादकार छोड़कर चला गया था. असली छुड़ाई तू पापा कर रहे थे. पापा ने पूरा अंदर तक पेल दिया था. पापा का लंड उमेश से बहुइट मज़ेदार था. जब पापा शॉट लगते तू सूपड़ा मेरी बच्चेदानी तक जाता. मुझे जन्नत के मज़े से भी अधिठमज़ा मिल रहा था. तभी पापा ने पूच्हा, बेटी अब दर्द तू नही हो रही है “हाए पापा अब तू बहुत मज़ा आ रहा है. आअहह्छ पापा और ज़ोर ज़ोर से छोड़िये.” पापा इसी तरह 20 मिनिट तक छोड़ते रहे. 20 मिनिट बाद पापा के लंड से गरम गरम मलाइडर पानी मेरी छूट मैं गिरने लगा. जब पापा का पानी मेरी छूट मैं गिरा तू मैं पापा से चिपक गयी और मेरी छूट भी फालफ़लकार झड़ने लगी. हुंदोनो साथ ही झाड़ रहे थे. पापा ने फिर मुझे रात भर छोड़ा. सुबह 12 जे सोकर उठे तू मैने पापा से कहा, “पापा आज फिर छोड़ेंगे” अरे मेरी जान अब मैं बेटिछोड़ बन गया हून. अब तू तुझे रोज़ ही छोदुँगा. अब तू मेरी दूसरी बीवी है पैर पापा जब मम्मी आ जाएँगी तू अरे मेरी जान उसे तू बस एक बार छोड़ दूँगा और वा ठंडी हो जाएगी फिर तेरे कमरे मैं आ जया करूँगा. मैं फिर पापा के साथ रोज़ सुहाग्रात मानने लगी.

Thursday 24 January 2013

बेटी की चोदो बुर, बहू की मारो गांड ?

मेमोरा बोली :- देखो प्लीज, नेपियन और डेविड मैंने तुम दोनों को अपनी बेटी चोदने के लिए बुलाया है . बेटी के साथ साथ तुम मेरी बहू को  भी चोदोगे . लेकिन आज मेरी बहू की बुर कई लोग चोद चुके है . उसकी बुर थक चुकी है . इसलिए आज तुम उसकी  बुर नहीं चोदोगे बल्कि गांड मरोगे . मेरी बेटी की बुर आज नहीं चुदी है बिलकुल फ्रेश है उसकी चूत  इसलिए उसकी बुर चोदो और खूब जम कर चोदो . तुम दोनों के लण्ड जबरदस्त है . मैंने उस दिन तुमको पार्टी में देखा था जब तुम लड़कियों की चूत चोद रहे थे . मैंने तभी यह सोच लिया था की मैं एक दिन तुमसे अपनी  बेटी चुदवाऊँगी और बहू भी चुदवाऊँगी . आज मेरी इच्छा पूरी होने जा रही है . मैं बहुत खुश हूँ . चोदने के पहले सब लोग ड्रिंक्स लेंगें और फिर धीरे धीरे चोदना शुरू करेंगे . अगर तुम को कुछ कहना हो तो कह सकते हो ?
नेपियन बोला :- आंटी क्या आप केवल हम दोनों को चोदते हुए देखेंगी ? या अपनी बेटी और बहू तो चुदवाते हुए देखेंगी ? क्या आप  नहीं चुदवायेंगी ? क्या आपका भोषडा चुप  रह पायेगा ? मुझे लगता ही की आप जैसी औरत का भोषडा चुप चाप बैठने वाला नहीं है . वह तो किसी न किसी का लण्ड जरुर खायेगा ? प्लीज बताओ न आंटी आपको चोदने कौन आ रहा है ?
मेमोरा बोली :- हाय रे मेरे मादर चोदो, तुमको मेरे भोषड़े का इतना ख्याल है ? अब मुझे लगता है की मुझे तुम दोनों से भी चुदाना पड़ेगा  .लेकिन आज का दिन मैंने अपनी बेटी और बहू के लिए छोड़ दिया है . मैं चाहती हूँ की मेरे सामने तुम दोनों मेरी बेटी को खूब हचक हचक कर चोदो .मेरी बहु को खूब लौड़ा पेल पेल कर चोदो .  रात भर चोदो . थोडा ड्रिंक ले लो . मैं मुजिक  लगाये देती हूँ   खूब गाने सुनते जाओ और चोदते जाओ . एक तरफ ब्लू फिल्म भी लगा देती हूँ . चुदाई देख देख कर चोदो . मेरी बेटी बड़ी मस्ती से चुदवाती है . लण्ड  का पूरा मज़ा लेती है और लण्ड को पूरा मज़ा देती है . मेरी बहू भी भोषड़ी वाली कम नहीं है . मैंने जब इसको पहलीबार  पराये मर्दों से चुदवाते हुए देखा था  तो मालूम हुआ की ये तो मुझे ज्यादा मस्त होकर चुदवाने वाली औरत है .  जबाब नहीं है इन दोनों की चूत का ?
इन दोनों की चूत  बड़े बड़े लण्ड ऐसे गप्प कर जाती है जैसे कोई बिल्ली चूहा गप्प कर जाती है . बस जम गयी महफ़िल और पीने लगे सब लोग शराब .
मेरी बेटी का नाम है लुई है और बहू  का नाम पामेला .
बेटी की शादी नहीं हुई है . लेकिन चुदवाने में अव्वल है . जो भी मुझे या मेरी  बहू  को चोदता है उसका लण्ड मेरी बेटी जरुर पकड़ लेती है . और फिर हम सबके सामने भकाभक चुदवाती है . बहू का हसबैंड और मेरा हसबैंड विदेश में रहता  है . यानी वे दोनों बाप बेटे विदेश में है और हम दोनों यहाँ ऐय्यासी की ज़िन्दगी  गुज़ार रही है . पहले मैं और बेटी दोनों साथ साथ चुदवाया करती थी . पर जबसे पामेला मेरे घर बहू बन कर आयी है   हमारे साथ ही गैर मर्दों के लण्ड पकड़ने लगी  है ,. लण्ड पीने लगी है और मस्ती से चुदवाने लगी है . शादी के बाद जब  उसने पहली बार उसने मेरे भाई का लण्ड पकड़ा तो मैं समझ गयी यह भी चुदक्कड़ लड़की है . फिर 
मैंने  खुद ही  लण्ड  उसकी चूत में पेल दिया और कहा पामेला अब तुम  खूब बेशर्मी से चुदाओ . एक नहीं दो दो लण्ड से चुदाओ . वो तो चाहती ही  थी  ? बस फिर क्या बन हम तीनो की पार्टी . अब हम तीनो लण्ड ढूंढ कर लाती है और एक दूसरे की चूत में पेलती है .
आगे का हाल आपको मेरी बेटी लुई सुनाएगी . 
दोस्तों मैं लुई हूँ . २0 साल की एक हरामी चुदक्कड़ लड़की . वास्तव में मेरी माँ भोषड़ी वाली बड़ी मादर चोद है . इतनी मस्त होकर मर्दों से चुदवाती है जितनी कोई कुतिया भी नहीं चुदवाती होगी . मैं जब १४ साल की थी तब एक दिन मैंने इसको एकदम नंगी नंगी  राबर्ट अंकल का लण्ड हिलाते हुए देख लिया था . उन दिनों मेरी चूंचियां बड़ी बड़ी हो गयी थी . मेरी झांटें  भी निकल आयी थी . मेरी चूत में कुछ कुछ होने लगा था  मेरे अन्दर  लडको को नंगा  देखने की इच्छा बढ़ गयी थी .कॉलेज  की लड़कियों ने सिखा दिया था की लण्ड क्या होता है ? चूत क्या होती है ?  चोदना किसे कहते है ? गांड कैसे मारी जाती है ?
मैंने जब अंकल का लण्ड देखा तो मेरे अन्दर लण्ड पकड़ने की इच्छा बढ़ गयी . मैं छुप छुप कर लण्ड देख रही थी . अचानक  मोम ने मुझे देख लिया और मुझे उंगली से इशारा करके अपने पास बुलाया . मैं उसके पास गयी लेकिन मेरी निगाह लण्ड पर ही जमी रही .  उसने धीरे से मेरा हाथ पकड़ा और अंकल के लण्ड पर रख दिया . बोली लुई जानती हो इसे क्या कहते है ? मैं थोडा शर्मा गयी . तब मोम ने कहा देखो बहन चोद लुई चुदाने में शर्म की कोई जगह नहीं है . जब तेरी माँ का भोषडा  खुला हुआ  है . तेरी बुर चोदी माँ चुदा रही है तेरे सामने तो तू क्यों शर्मा रही है . अब बताओ इसे  क्या कहते है ?
अंकल ने  पूंछा :- इसे क्या कहते है  लुई ? 
मैंने कहा :- इसे  "लण्ड"  कहते है अंकल ?
अंकल ने फिर पूंछा :- और क्या कहते है इसे ?
मैंने कहा :- इसे "लौडा" भी कहते है, अंकल ? 
यह सुनकर उसका लण्ड और  टन टना गया . तब तक मोम ने मुझे भी नंगी कर दिया .
मोम ने पूंछा :- लुई, तुम मुठ्ठ मारना और लण्ड चाटना जानती हो ?
मैंने कहा :-  नहीं मोम . मैंने कभी किसी का लण्ड नहीं पकड़ा . लण्ड चाटना तो समझ सकती हूँ लेकिन यह मुठ्ठ मारना क्या होता है मोम ? 
मोम बोली :- हां मैं तुम्हे मुठ्ठ मारना सिखाऊंगी .
बस मोम ने लण्ड मेरी मुठ्ठी में दे दिया और कहा पहले इसे धीरे धीरे ऊपर नीचे करो और फिर जल्दी जल्दी . तुम देखोगी की लण्ड सख्त होने लगा है . मोटा होने लगा है . इसका सुपडा पूरा का पूरा बाहर निकाल निकाल कर करो . इसी को मुठ्ठ मारना कहते है . बीच बीच में लण्ड चूमती जाओ . जबान निकाल कर लण्ड चाटती जाओ .  तुम्हे खूब मज़ा आएगा और अंकल को भी . तुमको गालियाँ देना आता है न लुइ ? मैंने कहा हां थोडा बहुत आता है  उसने कहा हां तो बस गालियाँ देती जाओ और मुठ्ठ मारती जाओ .
मैंने कहा हां साले मादर चोद अंकल . तेरी माँ का भोषडा . तेरी बहन की बुर साले कुत्ते कमीने . तेरा लण्ड काट कर तेरी गांड में पेल दूँगी . माँ के लौड़े साले भोषड़ी के . चूत के पिस्सू मैं तेरी माँ चोदूंगी . मैं यही कह कह कर जल्दी जल्दी लण्ड  ऊपर नीचे करने लगी . इतने में अंकल बोला वाओ, अब मैं झड जाऊंगा ? मैंने पूंछा मोम ये झड़ना क्या होता है ? मोम ने कहा अब इस लण्ड से कुछ सफ़ेद सफ़ेद आईस क्रीम निकलेगी . हां गरम गरम आईस क्रीम . तुम उसे जबान निकाल कर चाट लेना . पहले थोडा ख़राब लगेगा लेकिन फिर मज़ा आएगा . इतने में लण्ड ने उगल दिया आईस क्रीम . मैं मुह बना कर चाटने लगी . तब मोम ने मुझे खुद चाट कर बताया 
उस दिन से मैं  मुठ्ठ मारना भी सीख गयी और लण्ड पीना भी सीख गयी .हां तो दोस्तन,
अब कमरे में नेपियन और डेविड है इधर मैं और मेरी भाभी पामेला है . जैसा मोम ने कहा है मैं बुर चुदवाऊँगी और भाभी गांड मराएगी . अभी अभी हम सबने एक एक पैग शराब पी ली है . अब मैं चुदासी हो गयी हूँ . मेरे समेंजब कोई लड़का या मर्द होता है तो मैं उसे सबसे पहले नंगा करती हूँ . मुझे नंगे मर्द बहुत अच्छे लगते है . मुझे लण्ड देखने में भी खूब मज़ा आता है . मैंने नेपियन  को नंगा कर दिया और भाभी ने डेविड को . मैं भी नंगी हो गयी और भाभी भी . हम चारोँ नंगा नंगी . मैंने जब नेपियन का लण्ड पकड़ा और थोडा उसे हिलाया तो वह खड़ा होने लगा और उधर डेविड का लण्ड  फ़टाफ़ट खड़ा हो गया . मैंने लण्ड को चूमा चूसा चाटा और फिर चूत के मुह पर उसे खूब रगडा ,. चूत और लण्ड दोनों खूब चिकने हो गए . फिर नेपियन ने एक धक्का मारा लण्ड गप्प  से घुस गया . वह चोदने लगा और मैं चुदवाने लगी . उधर मेरी भाभी कुतिया बन गयी . अपनी गांड ऊपर उठा दी . डेविड ने लण्ड गांड पर रगडा . थोडा तेल लगाया और फिर लण्ड धीरे से पेलना शुरू किया . लण्ड घुस तो गया लेकिन भाभी चिल्ला पड़ी . 
अबे मादर चोद तेरी माँ की चूत  साले ये गांड है बुर नहीं जो इतनी तेजी से लण्ड पेल दिया . गांड बहुत जल्दी फट जाती है . अभी यही लण्ड तेरी माँ की गांड में  पेल दूँगी तो उसकी गांड फटेगी की नहीं ?
मैं चुदाने लगी बुर और मेरी भाभी मरवाने लगी गांड .
इतने में मेरी नज़र दरवाजे पर गयी . मैंने देखा की मेरी मोम एकदम नंगी अपने दोनों हाथ में एक एक लण्ड पकडे हुए मेरी ऑर चली आ रही है . जब बिलकुल पास आ गयी तो मैंने कहा :- हाय मोम, ये कौन लोग है ? इनके तो लण्ड बहुत बड़े  बड़े है ? मोम बोली :- ये है डिक और गिना दोनों ही मेरे हसबैंड के  दोस्त है . अक्सर ये दोनों विदेश में रहते है . अभी कल ही लौटे है . तो मैंने बुला लिया इन्हें . इन दोनों की बीवियां तेरा डैडी चोदता है . ये दोनों  मुझे चोदते है . ये आपस में भी एक दूसरे की  बीवियां चोदते है . मैं इनसे पहले भी चुदवा चुकी हूँ . मैं चाहती हूँ की तुम दोनों भी इनके लण्ड का मज़ा लो . इसलिए मैं इन्हें नंगा करके तेरे सामने ले आयी हूँ . ज़रा इनके लण्ड पकड़ करके तो देखो कितने मस्त है और तगड़े तंदुरुस्त है . लुइ तुम डिक का लण्ड पकड़ो और पामेला तुम गिना का लण्ड पकड़ो . और मुझे उन दोनों के लण्ड पकड़ा दो . मैं उन दोनों से चुदवाती हूँ और तुम दोनों इनके लण्ड अदल बदल कर चुदवाओ . रात भर इसी तरह लण्ड अदल बदल कर मैंने मेरी भाभी ने और मेरी मोम ने खूब चुदवाया .

Wednesday 23 January 2013

न लज्जा कामातुरानाम् | Masala4India Story Blog

न 

उस लड़की का परिचय करवाता हूँ- उसका नाम पयस्विनी है, पयस्विनी का मतलब ही दूध देने वाली होता है तो यह तो असंभव ही है कि उसके पास दुग्ध को एकत्रित करने के लिए विशाल पात्र न हों। कहने का तात्पर्य यह कि पयस्विनी स्तनों के मामले में संपन्न थी, उसे परमपिता परमेश्वर ने सामान्य से बड़े स्तन दिए थे कम से कम उनका विस्तार 35 इंच तक तो होगा ही तथा उसी अनुपात में उसके नितम्ब भी थे, जब वो चलती थी तो बरबस ही उसे गजगामिनी की उपमा देने का मन होता था, उसका कद भी अच्छा था यही कोई लगभग 5’8″।मैं चूंकि मेरे घर से दूर हॉस्टल में रह कर पढ़ता था। जब मैं दिवाली की छुट्टी में घर आया तब पहली बार उसे देखा था, हुआ यूँ कि हमारा परिवार काफी संपन्न है तथा ब्रिटिश काल में हम ज़मींदार हुआ करते थे जिनकी शान अभी भी बाकी है, बड़ा सा किले नुमा घर तथा काफी मात्रा में घर पर गायें भी हैं जिन्हें चरवाहे चरा कर शाम को घर छोड़ देते हैं तथा दूध भी निकाल कर घर पर दे देते हैं। जब मैं द्वितीय वर्ष में था, मैं दिवाली की छुट्टी में आया तो मैंने देखा कि हमारे पुराने मुंशी जी का निधन हो जाने के कारण नए मुंशी जी केशव बाबू आये हैं, केशव बाबू की पत्नी का निधन बहुत पहले ही हो गया था, उनकी केवल एक पुत्री थी जो हमारी कहानी की नायिका है पयस्विनी। पयस्विनी भी द्वितीय वर्ष मैं ही पढ़ती थी तथा वह भी छुट्टियों में घर पर आई थी। वैसे तो केशव बाबू को रहने के लिए हमारे घर के परिसर में ही जगह दे दी गई थी तथा उनके लिए खाना भी भिजवा दिया जाता था परंतु पयस्विनी के आने के बाद वही खाना बनाती थी।एक दिन की बात है, मैं सुबह सुबह बाहर अहाते में पिताजी के साथ बैठ कर समाचार पत्र पढ़ रहा था, तभी मैंने पयस्विनी को पहली बार देखा था, सुबह सुबह वह नहा कर आई थी, उसने सफ़ेद रंग के कसे हुए सलवार-कुरता पहने हुए थे उसके बाल गीले थे, इन सब में उसका कसा हुआ शरीर गजब ढा रहा था, उसके शरीर का एक एक उभार स्पष्ट दिख रहा था वह किसी स्वर्गिक अप्सरा के समान लग रही थी। अन्दर मेरी मां नहीं थी इसलिए उसे हम लोगों के पास आना पड़ा। जैसे ही वो मेरे पास आई, मेरी श्वास-गति सामान्य नहीं रही, जैसे ही उसने बोलने के लिए अपना मुख खोला तो उसके मुँह से पहला शब्द ‘दूध’ निकला। इस शब्द को बोलने के लिए उसके दोनों ओंठ गोलाकार आकृति में बदल गए जो मदन-मंदिर के समान लग रहे थे। उसकी वाणी में जो मधुरता थी, उसके तो क्या कहने ! वास्तव में उसके पिता का कोई आयुर्वेदिक इलाज चल रहा था इसलिए उसे गाय के शुद्ध दूध की जरूरत थी, एकबारगी तो मैं अचकचा गया था, परंतु पिताजी के समीप ही बैठे होने कारण मैंने अपने आपको संभाला और तुरंत अन्दर जाकर उसे दूध दे दिया।तो यह थी हमारी पहली मुलाक़ात ! इसके बाद मैं कॉलेज चला गया, वह भी अपने कॉलेज चली गई परंतु मेरे मन उसके प्रति एक आकर्षण उत्पन्न हो गया था, हो भी क्यूँ ना, उसे देख कर मुर्दे का भी लिंग जागृत हो जायेगा, फिर मैं तो जीता जगता इंसान हूँ।परीक्षा समाप्त होने के बाद जब मैं वापस घर आया तो इस बार मैं कुछ तैयार हो कर आया था। मेरे माता पिता थोड़े धार्मिक प्रवृत्ति के हैं अतः उन्होंने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर हरिद्वार जाने का कार्यक्रम बनाया। वे वहाँ पर लगभग दो महीने रहने वाले थे, मेरी मां ने मुझे भी चलने के लिए कहा पर मैंने कहा कि मुझे पढ़ाई करनी है इसलिए आप लोग जाओ, मैं यहीं रहकर पढ़ूगा तो इस प्रकार मेरे माता रवाना हो गए थे।बरसात का मौसम आने वाला था, इसलिए ज्यादातर नौकर भी अपने गाँव चले गए थे केवल एक नौकर बचा जो कि मेरा खाना बनाता था। इस प्रकार हमारे दिन निकल रहे थे। पयस्विनी रोज़ दूध लेने के लिए आती और मैं उसे दे देता था। इसी प्रकार हमारी थोड़ी थोड़ी बातचीत शुरु हुई और अब हम काफी घुलमिल भी गए थे। ऐसे ही हमें एक हफ्ता हो गया था, जमीन से सम्बंधित कोई जरूरी कागजात पर पिताजी के हस्ताक्षर बहुत जरूरी थे इसलिए पिताजी ने मुंशी जी को वो कागजात लेकर हरिद्वार बुला लिया। मुंशी जी जाने से पहले मेरे पास आये तो मैंने कहा- आप चिंता क्यों करते हैं, आप आराम से हरिद्वार जाएँ, दो दिन की ही तो बात है, पयस्विनी यहीं पर रह लेगी और उसे खाना बनाने की क्या जरूरत है, नौकर बना देगा और फिर दो ही दिन की तो बात है, आप वापस तो आ ही रहे हैं, थोड़ा बहुत मेरे साथ पढ़ भी लेगी।इससे मुंशी जी को थोड़ी संतुष्टि मिली। फिर मैं उन्हें ट्रेन तक छोड़ने चला गया। वापस घर लौटते लौटते मुझे कुछ देर हो गई और मैं शाम को सूरज के छिपने के बाद घर पहुँच पाया और काफी थकान होने के कारण जल्दी ही मुझे नींद आ गई। अगले दिन सुबह मुझे लगा कि कोई मुझे झकझोर रहा है और उनींदी आँखों से मैंने देखा कि यह तो पयस्विनी है वो नहाने के बाद मुझे नाश्ते के लिए जगाने आई थी। पर मैं तो उसके गीले बालों, जो कि खुले हुए थे और उसके नितम्बों तक आ रहे थे, के बीच में उसके चेहरे को ही देखने में खो गया। नयन-नक्श एकदम किसी रोमन देवी के समान और स्तन और नितम्बों का विकास तो किसी पुनरजागरण कालीन यूरोपियन मूर्ति का आभास करवा रहे थे। जब उसने मुझ से दूसरी बार पूछा तब मेरी चेतना लौटी और हकलाते हुए मैंने कहा- आप यहाँ?तो उसने कहा- रामसिंह (कुक) के परिवार में किसी का निधन हो गया है और इस कारण आज घर पर आप और मैं दो लोग हैं इसलिए नाश्ता और खाना मैं ही बनाऊँगी।मैंने अचकचाते हुए कहा- ठीक है !और पयस्विनी के जाने का इंतजार करने लगा क्योंकि मैंने नीचे केवल अंडरवियर पहना हुआ था और अपने शरीर को कम्बल से ढका हुआ था और कम्बल नहीं हटाने का कारण तो आप जानते ही हैं, अन्दर पप्पू मेरे अंडरवियर को तम्बू बना रहा था। मैंने बैठे बैठे ही कहा- आप चलिए, मैं फ्रेश होकर डायनिंग टेबल पर आता हूँ।तो वो जाने लगी पर जैसे ही वो मुड़ी मेरी हालत तो और ख़राब हो गई क्योंकि जब वो चल रही थी तो उसका एक नितम्ब दूसरे से टकरा कर आपस में विपरीत गति उत्पन्न कर रहे थे, ऐसा लग रहा था जैसे अपने बीच में आने वाली किसी भी चीज़ को पीस कर रख देंगे।जैसे तैसे मैं आपको नियंत्रित करते हुए बाथरूम में पहुँचा, जल्दी से फ्रेश हुआ और नहा धोकर डायनिंग टेबल पर पहुँच गया। हालाँकि डायनिंग टेबल बिल्कुल तैयार थी पर पयस्विनी को वहाँ न पाकर मैं रसोई में गया तो देखा कि वह घुटनों के बल उकड़ू बैठी है, उसका चेहरा आगे की तरफ झुका हुआ है और वह नीचे सिलेंडर को चेक कर रही है, उसकी पीठ मेरी तरफ थी और इसलिए उसे नहीं ध्यान था कि मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसके वस्त्रों का चक्षु भेदन कर रहा हूँ।अब आप ही बताइए कि एक स्वस्थ युवा के लिए यह कैसे संभव है कि सामने एक अतुलनीय सुंदरी अपने नितम्बों को दिखाती हुई खड़ी हो और वो निष्पाप होने का दावा करे।वास्तव में पाप-निष्पाप भी कुछ नहीं होता, हर घटना, हर वस्तु का केवल होना ही होता है, उसके अच्छे या बुरे होने का निर्धारण तो हर कोई अपनी अपनी सुविधानुसार करता है।जो भी हो पयस्विनी को पहले ही दिन देख कर मेरे मन में और नीचे कुछ कुछ होने लगा था और अब जब हम दोनों अकेले थे तो मेरी इस इच्छा ने आकार लेना आरम्भ कर दिया था..अचानक से पयस्विनी मुड़ी और मेरी आँखों से उसकी आँखें मिली तो उसने फिर अपनी आँखें लज्जावश नीचे झुका ली।मैंने मदद के लिए पूछा तो उसने कहा- शायद सिलेंडर में गैस ख़त्म हो गई है। मैंने कहा- मैं देखता हूँ।और मैंने नीचे झुककर जैसे ही सिलेंडर को छूने का प्रयास किया मेरा हाथ पयस्विनी के हाथ से छू गया और इस प्रथम स्पर्श ने मेरे पूरे शरीर में झुरझुरी उत्पन्न कर दी पर अभी भी जबकि इस घटना को दो वर्ष बीत गए हैं, मैं उस कोमल स्पर्श की अनुभूति से बाहर नहीं आ पाया हूँ। मैंने उससे कहा- सिलेंडर को बाद में देखते हैं, पहले नाश्ता कर लिया जाये क्योंकि बहुत जोर की भूख लगी है, कल रात को भी बिना कुछ खाए ही सो गया था।तो उसने कहा- ठीक है।और हम दोनों नाश्ते की मेज पर पहुँच गए। नाश्ता भी उसने बहुत ही लजीज बनाया था, पूरा नाश्ता उसकी पाक प्रवीणता की प्रशंसा करते करते ही किया और हर बार उसके चेहरे पर एक लालिमा सी आ जाती जो मुझे बहुत ही अच्छी लग रही थी।नाश्ता करने के बाद मैं अपने कमरे में चला गया और कुछ पढ़ने लगा और पयस्विनी ने मुझे कमरे में आकर कहा कि वह भी रसोई का काम निपटा कर अपने घर चली जाएगी। उसका घर वहीं परिसर में था तो मैंने कहा- घर में तुम अकेले बोर हो जाओगी इसलिए अपनी बुक्स लेकर यहीं आ जाओ, साथ में बैठ पढ़ेंगे।उसने कहा- ठीक है।मुझे अपने कमरे में आकर बैठे हुए अभी कुछ देर ही हुई थी कि पिताजी का फ़ोन आया और कहा- मुंशी जी भी कुछ दिन यहीं रहेंगे हमारे साथ, आखिर उनकी भी तो तीर्थयात्रा करने की उम्र हो गई है..मैंने उन्हें नहीं बताया कि रामसिंह भी छुट्टी लेकर अपने गाँव चला गया है और घर पर हम दोनों अकेले हैं। मैं मन ही मन लड्डू फ़ोड़ते हुए एक पुस्तक खोलकर बैठ गया पर आज मन नहीं लग रहा था, थोड़ी ही देर में पयस्विनी भी अपनी पुस्तकें लेकर आ गई।मैंने उसको अपनी ही स्टडी टेबल पर सामने की तरफ बैठने के लिए कह दिया। थोड़ी देर तक तो दोनों पढ़ते रहे पर मेरा मन तो कहीं और ही घूम रहा था इसलिए मैंने ऐसे ही उससे बातें करनी शुरु कर दी। मैंने उससे उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा तो पता चला कि वो दिल्ली के एक प्रतिष्ठित महिला कॉलेज में पढ़ती है।मैंने आश्चर्य से कहा- मैं भी दिल्ली में ही पढ़ता हूँ।और इस तरह हमारा बातों का सफ़र आगे बढ़ा। मैंने उससे उसकी स्टडी के बारे में पूछा तो पता चला कि वह संस्कृत साहित्य की विद्यार्थी है और संस्कृत में बी.ए. ऑनर्स कर रही है।शायद इसी कारण उसमे वो बात थी जो मुझे और लड़कियों में नहीं दिखती। एक अपूर्व तन की स्वामिनी होते हुए भी वह बिल्कुल निर्मल और अबोध लगती थी जैसे उसे अपने शरीर के बारे में कुछ ध्यान ही न हो।यहाँ से मुझे ऐसे लगने लगा था कि शायद कुछ काम बन जाये। हालाँकि मैं राजनीति शास्त्र का विद्यार्थी हूँ। पर मुझे संस्कृत काफी आनन्ददायक लगती है इसलिए मैं थोड़ा-बहुत हाथ-पैर संस्कृत में भी चला लेता हूँ और बात को आगे बढ़ाते हुए मैंने कथासरित्सागर नामक एक प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ का उल्लेख किया जो मैंने कुछ वर्ष पहले पढ़ा था, तो तुरंत पयस्विनी ने कहा- कथासरित्सागर तो अश्लील है।मैंने इसका प्रतिवाद किया और पूछा- अश्लीलता क्या होती है?उसने सीधा कोई उत्तर नहीं दिया तो मैंने बताया कि जिसे तुम अश्लील साहित्य कह रही हो वो हमारे स्वर्ण काल में लिखा गया था। वास्तव में प्रगतिशील समाजों में यौनानंद को लेकर कोई शंका नहीं होती है जैसे कि आज के पश्चिमी यूरोप और अमेरिका हैं। प्राचीन काल में यौनानन्द को लेकर समाज में निषेध की भावनाएँ नहीं थी, इसे एक आवश्यक और सामान्य क्रियाकलाप की तरह लिया जाता था। और इसके बाद आया हमारा अन्धकाल ! जब हमने अपने सब प्राचीन परम्पराओं को भुला दिया या हमारे उन प्राचीन प्रतीकों को पश्चिम से आने वाले जाहिल मूर्तिपूजा विरोधियों ने नष्ट भ्रष्ट करना आरम्भ कर दिया। इस प्रकार हम हमारी प्राचीन परम्परा से दूर होते गए और धीरे धीरे हम भी नाम से भारतीय बचे बाकी मानसिकता हमारी भी उन मूर्तिपूजा जाहिलों जैसी हो गई जो यौन कुंठाओं के शिकार थे, और इसीलिए हमने श्लील और अश्लील जैसे शब्दों का आविष्कार किया और कुछ गतिविधियों को अश्लीलता के कॉलम में डालकर उन्हें समाज के लिए निषेध कर दिया गया।इस उद्बोधन का पयस्विनी पर काफी प्रभाव पड़ा और वह मुझसे कुछ-कुछ सहमत भी हो रही थी।माहौल को कुछ हल्का करने के लिए मैंने उससे बातों बातों में पूछा- क्या तुम टेबल टेनिस खेलना जानती हो?तो उसने हामी भरी तो हमने तय किया कि टेबल टेनिस खेला जाये। घर में टेबल-टेनिस खेलने का सारा इन्तजाम पहले से ही था क्योंकि मैं टेबल टेनिस का राष्ट्रीय खिलाड़ी हूँ तो हम दोनों ने टेबल टेनिस खेलना आरम्भ कर दिया। खेल की शुरुआत से ही मुझे लगा कि वह अपने कपड़ों की वजह से खेल में पूर ध्यान नहीं दे पा रही है क्योंकि उसकी थोड़ा बहुत इधर उधर मूव करते ही उसकी चुन्नी अस्त व्यस्त हो जाती और मुझे उसके वक्ष के दर्शन हो जाते। इस प्रकार पहला गेम मैं जीत गया।गेम की समाप्ति के बाद मैंने उससे कहा की यदि उसे सलवार कुरते में खेलने से परेशानी हो रही हो तो मेरे शॉर्ट्स और टीशर्ट पहन सकती है तो उसने शरमाते हुए कहा- मैं शॉर्ट्स और टी शर्ट कैसे पहन सकती हूँ।तो मैंने कहा- क्यों मैंने भी तो पहने हुए हैं!मैंने कहा- वैसे भी यहाँ हम दोनों के अलावा कौन है जो तुम्हें शॉर्ट और टीशर्ट में देख लेगा?तो उसने कहा- ठीक है।और मित्रो, हम दोनों वापस मेरे बेडरूम में गए, मैंने अपने शॉर्ट्स और टीशर्ट उसको दिए।हालाँकि वो कुछ शरमा रही थी पर मैंने उसको प्रोत्साहित करते हुए कहा- ऐसे क्या गाँव वालों की तरह बर्ताव करती हो, जल्दी से चेंज करके आओ।तो वो मेरे बाथरूम की तरफ बढ़ गई, थोड़ी देर बाद जब वो बाहर निकली तो सफ़ेद शॉर्ट और टीशर्ट में जबरदस्त आकर्षक लग रही थी, बस टीशर्ट कुछ ज्यादा ही बड़ा था जो शॉर्ट्स को लगभग ढक ही रहा था और फ़िर मैंने मेरे पप्पू को नियंत्रित करते हुए उसे वापस टेनिस टेबल पर चलने को कहा।अब हमने खेल पुनः आरम्भ किया, इस बार टॉस पयस्विनी जीती, उसने पहले सर्विस करने का फैसला किया और एक तेज सर्विस मेरी तरफ की।हालाँकि मैं चाहता तो उस सर्विस को वापस खेल सकता था पर मैंने जानबूझ कर उसे जाने दिया और इस ख़ुशी में पयस्विनी एकदम से उछल पड़ी जिसके कारण उसके स्तन भी उसके साथ उछले और मेरे नीचे कुछ होने लगा।अगली बार मैंने एक तेज शोट मारा जो टेबल के बिल्कुल बाएं हिस्से पर लग कर नीचे गिर गया। पयस्विनी इस शोट को काउंटर करने के लिए तेजी से एकदम आगे बढ़ी पर गेंद काफी आगे थी और इस कारण पयस्विनी का संतुलन बिगड़ गया और वह टेबल पर एकदम झुक गई, उसने पूरी कोशिश की सँभालने की पर उसके स्तन टेबल पर छू ही गए, पयस्विनी एकदम झेंप से गई पर मैंने माहौल को हल्का बनाते हुए वापस सर्विस करने को कहा।और इस तरह हमारा खेल चलता रहा।इस बार मुकाबला कांटे का था, पयस्विनी भी काफी सक्रिय लग रही थी। आप तो जानते ही हैं कि टेबल टेनिस एक फुर्ती वाला खेल है और इसे खेलने वाला अगर ढंग से खेले तो पूरा शरीर कुछ ही देर में पसीने से भीग जाता है।ऐसा ही हमारे साथ हुआ, थोड़ी ही देर में हम दोनों के कपड़े हमारे शरीर से चिपक गए थे। जैसा कि हमारे भारत में आम है कि गाँव के लोगों को बिजली की सप्लाई सरकार बहुत कम करती है, इस कारण लाइट भी थोड़ी देर में चली गई, अब जनरेटर चलने का समय तो हमारे पास था नहीं, हम खेलने में मशगूल थे, थोड़ी ही देर में मैंने तो गर्मी से परेशान होते हुए अपने टीशर्ट उतार कर रख दिया और खेलने लगे।हालाँकि मैं खेल तो रहा था पर इस बार मेरा ध्यान टेबल टेनिस की छोटी सी गेंद पर कम और पयस्विनी की विशाल गेंदों पर ज्यादा था इसलिए इस बार का गेम मैं हार गया।पयस्विनी की ख़ुशी मुझे उसके स्तनों के ऊपर नीचे होने से दिख रही थी।खैर खेलते खेलते काफी देर हो गई थी और पयस्विनी काफी थक भी गई थी इसलिए मैंने कहा- चलो, अब खेल बंद करते हैं, मेरे रूम में चलते हैं, रूम में जाकर मैं बेड पर बैठ गया और पयस्विनी पास में कुर्सी पर बैठ गई।तो मैंने कहा- यहाँ आराम से बैठो न बेड पर ! यह इस तरह परहेज रखना ठीक बात नहीं है, आखिर हम दोनों दोस्त हैं।तो पयस्विनी भी वहीं बेड पर आकर बैठ गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।इस तरह बैठे बैठे उसने कहा कि अब वो कपड़े चेंज कर लेती है तो मैंने कहा- क्या जरुरत है? तुम इनमें भी अच्छी लग रही हो !तो उसने कहा कि नहीं वो चेंज करेगी और उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगी। उसकी मंशा समझते हुए मैं फुर्ती से उठकर गया और उससे पहले बाथरूम में जाकर उसके कपड़े उठा लिए, पयस्विनी भी पीछे पीछे बाथरूम में ही आ गई और मुझसे अपने कपड़े मांगने लगी।मैंने कहा- खुद ले लो !जैसे ही उसने हाथ आगे बढ़ाया, मैं वहाँ से हट गया और इस तरह हमारे बीच छीना-झपटी का खेल चालू हो गया। अचानक पयस्विनी ने अपने हाथ मेरे पीछे की तरफ ले जाकर मेरा दायाँ हाथ पकड़ने की कोशिश की पर इस प्रयास में उसका दायाँ स्तन मेरे बाएं कंधे से जबरदस्त रगड़ खा गया।अब मेरा बायाँ पाँव पयस्विनी के दोनों पैरों के बीच था, मेरा बायाँ हाथ पयस्विनी कीदाहिनी जांघ के पास उसके नितम्ब को छू रहा था और मेरे दाहिने हाथ से मैंने पयस्विनी के बायें कंधे को हल्का सा धक्का देकर बाथरूम से बाहर आ गया, पीछे पीछे पयस्विनी भी आ गई।अब वास्तव में कपड़े लेना तो बहाना थे, हम दोनों को इस छीना-झपटी में आनन्द आ रहा था। चूंकि इन सब गतिविधियों के कारण मेरा पप्पू कुछ कुछ उत्तेजित हो गया था जो बिना टीशर्ट के शॉर्ट्स में छुपाना असंभव हो गया था, पयस्विनी ने भी पप्पू के दीदार कर लिए थे और उसकी आँखों में मुझे अब परिवर्तन नजर आ रहा था और इसी कारण अब वो भी थोड़ा ज्यादा सक्रिय होकर इस छीना-झपटी का आनन्द ले रही थी, मैं दौड़ कर बेड के ऊपर चढ़ गया था और पयस्विनी भी बेड पर चढ़ गई और मेरे हाथ से अपने कपड़े छीन लिए जैसे ही वो अपने कपड़े लेकर मुड़ी मैंने पीछे उसे पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया। मेरे हाथ उसके स्तनों और कमर के बीच में थे, मैंने उसे अपने बाहुपाश में कसके अपनी तरफ खींच लिया। अब उसके नितम्ब मेरी जाँघों को छू रहे थे और पप्पू अपने पूर्ण विकसित रूप में आकर में उसके दोनों नितम्बों के बीच में था। उसकी बढ़ी हुई धड़कनों को मैं साफ़ महसूस कर रहा था। शॉर्ट्स पहने हुए होने के कारण उसकी पिंडलियाँ मेरी पिंडलियों से छू रही थी और इतनी देर की उछल कूद ने हमारे अन्दर जबरदस्त आवेश भर दिया था।उसके पेट को थोड़ा और दबाते हुए मैंने अपने मुँह को उसकी गर्दन के पास ले जाकर उसे कान में धीरे से पूछा- मैडम, वट डू यू वान्ट?और उसने अपने दायें हाथ को पीछे ले जाकर…मेरे लिंग को पकड़ लिया और उसे दबाकर बोली- आई वान्ट दिस !
उसका इतना कहना था कि मेरा जोश सौ गुना बढ़ गया। मैंने खड़े खड़े ही उसके कान पे हल्का सा दांत लगाया और एक हाथ सीधे उसकी योनि पर ले गया और उसे उसके शॉर्ट्स के ऊपर से ही मसलने लगा। अब उसके हाथ से उसके कपड़े गिर गए और वह भी पूरा आनन्द लेने लगी। उसकी मेरे लिंग पर पकड़ बहुत ही कष्टकारी हो गई जो कि आनन्ददायक भी थी। इस तरह थोड़ी देर खड़े खड़े आनन्द लेने के बाद हम दोनों अलग हो गए और हम दोनों की आँखें मिली, पयस्विनी ने अपने होंठों को काटते हुए मुझे एक बहुत ही उत्तेजक मुस्कान दी जिसने मेरा जोश और बढ़ा दिया।मैंने पयस्विनी से कहा- जब हम इतने अच्छे दोस्त बन गए हैं तो अब ये कपड़ों का पर्दा कैसा? और वैसे भी ये मेरे कपड़े हैं इसलिए अब मुझे मेरे कपड़े वापस दे दो। पयस्विनी ने कहा- खुद ही ले लो !और हम दोनों बेड से नीचे आ गए, हम दोनों अब कालीन पर खड़े थे जो बेड के पास ही बिछा हुआ था, मैंने पयस्विनी को बेड पर बैठ कर पैर नीचे रख कर अपनी पीठ मेरी तरफ करने को कहा।अब उसकी शानदार गांड मेरे सामने थी और अपने दर्शन करवाने को तैयार थी, मैंने आगे बढ़कर एक बार दोनों हाथ उसकी कमर पर रखे और उसी अवस्था में पयस्विनी के बिल्कुल पीछे बैठ गया, मेरा लंड उसकी गांड को बिल्कुल छू रहा था, बस बीच में दो कपड़े थे, मैंने पयस्विनी को हल्का सा अपने लंड की तरफ दबा दिया और एक झुरझुरी सी दोनों के बदनों में छूट गई। अब मैंने पयस्विनी को घुमा दिया, मैं खुद बेड बेड पर बैठ गया और पयस्विनी मेरी गोद में बैठी थी, मेरे बाएँ हाथ की तर्जनी उंगली पयस्विनी के मुंह में थी और दायाँ हाथ जगह तलाशते हुए एक निपुण गोताखोर की तरह पयस्विनी की पेंटी तक पहुँच गया जो हल्की गीली हो चुकी थी।हालाँकि हम दोनों की आँखें बंद थी पर मैं पयस्विनी की चूत को साफ़ महसूस कर सकता था। हल्के-हल्के बालों के बीच में एक नरम सा उभरा हुआ अहसास मेरी उत्तेजना को लाख गुना बढ़ा रहा था। ध्यान करने वाले सन्यासी-ध्यानी को भी आँख बंद करके ध्यान लगाने में वो आनन्द नहीं आता होगा जो मुझे पयस्विनी की चूत का ध्यान करके आ रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे हजारों सूर्यों का ताप भी उस परमपिता की इस छोटी सी रचना चूत के ताप के आगे एक दिये का ताप ही होगा।तो इस तरह आनन्द के सागर में गोते लगाते हुए मैं तो एकदम सम्भोग से पूर्व ही समाधि की अवस्था में चला गया था। पयस्विनी के हाथों को मैंने अपने लंड पर महसूस किया और मेरा ध्यान भंग हो गया। मैंने फटाफट से पयस्विनी के शॉर्ट्स को नीचे किया और हम दोनों अलग हो गए अब मेरे सामने पयस्विनी पेंटी और टीशर्ट में खड़ी थी। इस स्थिति में पयस्विनी कीआधी पेंटी दिख रही थी, अब वो मेरी तरफ बढ़ी और जोर से मेरे लंड को दबा दिया, फिर एकदम से मेरे शॉर्ट्स को नीचे खींच लिया। अब मैं भी अंडरवियर में खड़ा था और मेरा लंड साफ़ साफ़ उभरा हुआ दिख रहा था।पयस्विनी ने बिना कोई इन्तजार किये मेरा अंडरवियर भी खींच लिया इसकी प्रतिक्रिया में मैने उसकी गुलाबी पीली पेंटी जिस पर गुलाबी फूल बने हुए थे को उसकी नाभि के बीच से पकड़ कर दोनों भागों को विपरीत दिशा में खींच कर एक ही झटके में फाड़ दिया अब पयस्विनी अपनी हलकी लालिमा लिए अपनी मखमली चूत के साथ मेरे सामने खड़ी थी। उसकी चूत क्या थी दोनों जांघों के बीच में उभार लिए हुए एक हल्की लकीर थी जिसके दोनों तरफ हल्के-हल्के से बाल थे।मुझसे रहा नहीं गया और मैं पयस्विनी कि तरफ बढ़ा ही था कि पयस्विनी ने एक ही झटके में मेरा अंडरवियर खींच लिया।अब हम दोनों लंड चूत लिए एक दूसरे के सामने खड़े थे। मैं थोड़ा आगे की तरफ आया, दोनों हाथ उसके चूतड़ों पर रखे और उसे उठाकर मैंने बेड पर इस तरह पटका कि उसके पैर नीचे लटकते रहे।अब मैं पयस्विनी के ऊपर चढ़ गया, अपने सीने से उसके बड़े बड़े बोबों को दबा दिया मुझे उसके उभरे हुए निप्पल साफ़ महसूस हो रहे थे और मैं उसकी गर्दन के आस-पास चूमने लगा। पयस्विनी भी यौनानन्द में रत होकर बहुत ही उत्तेजक आवाजें निकाल रही थी। मेरा लंड उसकी दोनों जांघों के बीच में था, मेरी जांघों को पयस्विनी ने अपनी जांघों में कस लिया था, पयस्विनी के होंठ सामान्य से हल्के मोटे थे जो मुझे बहुत पसंद हैं और अब हम एक दूसरे में गुत्थम-गुत्था हो रहे थे जबकि दोनों को होंठ आपस में जुड़े हुए थे और एक दूसरे का रसपान कर रहे थे। पयस्विनी ने अपने दांतों से मेरा निचला होंठ हल्का सा काट लिया, अब पयस्विनी की जीभ मेरे होठों के बीच में घूम रही थी और दोनों एक दूसरे के रस का आदान-प्रदान कर रहे थे। पयस्विनी की तेज तेज साँसों के कारण उसके बोबे इतनी जोर से ऊपर नीचे हो रहे थे कि लग रहा थी कि ये टीशर्ट फाड़ कर बाहर आ जायेंगे। अचानक से पयस्विनी ने मुझे अपनी भुजाओं में कस के हल्की सी ताक़त लगाई और और अब हम दोनों अपने एक कंधे के बल पर बेड पर थे, पयस्विनी की जांघों ने मुझे इस कदर कस लिया था कि मुझे आश्चर्य हुआ, इस लड़की में इतनी ताक़त आई कहाँ से !अगले ही पल मैं नीचे था और पयस्विनी मेरे ऊपर थी।और अब वो मेरे लंड के ऊपर बैठी हुई थी मेरा लंड उसकी चूत का स्पर्श पाकर सनसना रहा था कि पयस्विनी सीधी हुई और उसने अपनी टीशर्ट उतार फेंकी। पहली बार मैंने किसी लड़की के बोबों के इतने पास से देखा था, इससे पहले तो पोर्न मूवीज में ही देखा था।पयस्विनी के बोबे उसकी उम्र की लड़कियों से काफी बड़े और पूर्ण विकसित थे। मैंने अचानक से हाथ बढ़ाया और उसकी ब्रा को भी एकदम खींच लिया। अब उसके बोबों का दृश्य देखते ही बनता था, बिल्कुल सफ़ेद बोबो के ऊपर हल्की सी लालिमा हुए निप्प्ल गुलाबी मोती जैसे लग रहे थे। मैंने मेरे दाएं हाथ से उसके बाएं बोबे को हल्का सा मसला तो पयस्विनी के मुँह से आह निकल गई।उसके चूचे इतने बड़े थे कि मेरे एक हाथ में एक स्तन नहीं आ रहा था। अचानक से मुझे एक आईडिया आया, मैंने पयस्विनी से कहा- चलो, कोई खेल खेलते हैं।तो उसने कहा- कैसा खेल?मैंने कहा- चलो, कुश्ती करते हैं, देखते हैं ज्यादा ताक़त किसमें है?कुश्ती किसे लड़नी थी, हमने तो मजे करने थे और एक घर में जवान लड़का-लड़की वो भी बिना कपड़ों के तो अब रुकने का तो कोई सवाल ही नहीं था।हम दोनों बेड से नीचे कालीन पर आ गये और एक दूसरे की तरफ थोड़ा झुकते हुए दोनों ने एक दूसरे की गर्दन के पीछे हाथ डाल दिए। अचानक से मैंने पयस्विनी को थोड़ा सा अपनी तरफ खींचा और अपने बाएँ घुटने को पयस्विनी के पैरों के बीच में डाल कर दायें हाथ को पयस्विनी के दोनों पैरों के बीच में डाल कर हवा में उठा दिया और बाएं हाथ से पयस्विनी को अपनी गर्दन के ऊपर से खींचते हुए धीरे धीरे जमीन पर गिरा दिया। चूंकि अगर कंधे अगर जमीन को छू हो जाते तो पयस्विनी हार जाती इसलिए फुर्ती से पयस्विनी जमीन पर मुँह के बल उलटी लेट गई उसके हाथ उसके दोनों स्तनों के नीचे थे और उठे हुए कूल्हे मेरे सामने !उसके क्या कूल्हे थे, ऐसा लग रहा था कि दो बड़े से तरबूज हों !मैं तो कुश्ती भूल कर उसके चूतड़ों का दीदार करने में लग गया और पता नहीं कब मेरी जीभ उसकी गांड के आस-पास पहुँच गई और मैं उसकी गांड को चाटने लगा। गांड चाटते चाटते मैं स्वर्ग के द्वार तक पहुँच गया जहाँ से हल्का हल्का आब-ए-चूतम रिस रहा था।मैं तो अपनी धुन में मस्त होकर आब-ए-चूतम के स्वाद का मजा ले रहा था कि अचानक पयस्विनी ने मुझे धक्का देकर मेरे कंधे जमीन पर छुआ दिए, मुझे कुश्ती में उसने हरा दिया था पर असली कुश्ती तो अभी बाकी थी।मेरा सर पयस्विनी के जांघों की तरफ था, पयस्विनी घुटनों के बल खड़ी थी कि अचानक मैंने थोड़ा सा आगे खिसक कर फिर उसकी चूत में अपना मुँह दे दिया। अब मैं जमीन पर था और पयस्विनी मेरे ऊपर लेटी लेटी मेरे लंड तक पहुँच गई और मेरे लंड को मसलने लगी। मेरे हाथ पयस्विनी के चूतड़ों के चारों तरफ कसे हुए थे और मुँह पयस्विनी की हल्की रोयेंदार चूत में था।थोड़ी देर में मैंने अपने लंड पर हलकी सी गर्माहट और गीलापन महसूस किया, पयस्विनी ने बिना मेरे कहे ही मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया। चूंकि घर में कोई नहीं था इसलिए हम जोर जोर से आवाजें निकाल रहे थे, पयस्विनी की पानीदार आवाज़ माहौल को और भी मादक बना रही थी।इस तरह थोड़ी देर में हम दोनों का स्खलन हो गया।थोड़ी देर हम दोनों एक दूसरे के ऊपर लेटे रहे, इसके बाद हम अलग अलग हुए।थोड़ी देर में हमारी सांस सामान्य हुई तब तक हम फिर तैयार हो गए। आँखों आँखों में हमारी बात हुई और पयस्विनी पास में रखे सोफे के पास पहुँच गई। अब मैंने पयस्विनी की चूत को हल्के हाथ से मसला तो उसके मुंह से हल्की-हल्की आवाज़ें निकलने लगी।मैंने कहा- पानीपत के चौथे जंग के लिए तैयार?तो उसने कहा- तैयार !मैं बाथरूम में गया और जेली ले आया और अपने लंड पर लगा दी। फिर मैं धीरे धीरे लंड को उसकी चूत पर मारने लगा जिससे पयस्विनी की बेचैनी बहुत ज्यादा बढ़ गई, उसने कहा- अब देर नहीं, डू इट राईट नाऊ ! और मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत में प्रवेश करवा दिया। क्योंकि हम दोनों ही प्रथम-सम्भोग करने वाले थे इसलिए ज्यादा कुछ पता नहीं था पर पोर्न मूवीज के कारण मैं थोड़ा ज्ञानी था तो उसी थ्योरी वाले ज्ञान को आज अप्लाई करने का समय आ गया था, मैं पीछे कैसे हटता?थोड़ा सा अन्दर डालकर मैंने हल्के-हल्के धक्के लगाने चालू किये। अन्दर उसकी चूत का तापमान बहुत ज्यादा था, ऐसा लग रहा था कि मैने अपने लंड को किसी रसदार इलेक्ट्रोनिक भट्टी में डाल दिया हो और कसावट इतनी जबरदस्त थी अगर इतना किसी के गले को कस दिया जाये तो एक मिनट में ही उस आदमी की दम घुटने से मौत हो जाये।मैं उसकी चूत की आन्तरिक रचना को साफ़ महसूस कर सकता था, हालांकि अभी लंड केवल दो इंच अन्दर गया था और मैं हल्के- हल्के धक्के लगा रहा था। अचानक मैंने जोर का धक्का लगाया और लंड 5 इंच तक अन्दर हो गया था, पयस्विनी अचानक बुरी तरह से चीखी और उसने मेरी पीठ को जबरदस्त तरीके से कस लिया।मुझे अपने लंड पर कुछ गर्माहट महसूस हुई, थोड़ी देर में मैंने देखा कि पयस्विनी का कुंवारापन चूत के रास्ते खून के साथ बहता हुआ बाहर आ रहा है पयस्विनी की आँखों से आँसू आ गए तो मैंने उसके उसकी गांड के सहारे उठाते हुए बेड पर लिटा दिया। लंड अभी अन्दर ही था और मैं पयस्विनी को होठों पर चूमने लगा। पयस्विनी के आँसू से गीले उसके होठों से नमकीन सा स्वाद आ रहा था।मैंने उसके हल्के-हल्के धक्के लगाना जारी रखा, थोड़ी देर बाद पयस्विनी भी अपनी गांड उठाकर प्रत्युत्तर देने लगी। मैंने एक जोर का धक्का लगाया और मेरा लंड 6 इंच तक अन्दर चला गया, दोनों के होंठ एक दूसरे का रसपान कर रहे थे तो लंड चूत के साथ मजे कर रहा था। अब मैंने भी धक्कों की गति बढ़ा दी, हर धक्के के साथ उतनी ही ताकत से पयस्विनी का भी जवाब आता, वो अपनी गांड उठा उठाकर मजे ले रही थी। ऐसे ही एक धक्के का जवाब पयस्विनी दूसरे धक्के से देती और धक्के पर धक्का, धक्के पे धक्का !इस धक्कम पेल से अचानक पयस्विनी की चूत में कसावट आ गई और मुझे लगने लगा कि अब तो लंका लुटने वाली है कि पयस्विनी की जबरदस्त आनन्ददायक आवाज आई, उसका पूरा शरीर ढीला पड़ गया और मेरे लंड के पास बहकर उसका जवानी का रस नीचे की तरफ बहने लगा। इस सब से मेरा भी जोश बहुत बढ़ गया, 8-10 धक्कों के बाद मुझे भी दिन में सितारे दिखने लगे और तड़ाक-तड़ाक-तड़ाक ! मेरे लंड से भी एक के बाद एक फायर होने लगे, मैं पयस्विनी की चूत के अन्दर ही झड़ ही गया और थोड़ी देर के लिए मुझे कुछ भी दिखना बंद हो गया। आत्मा का परमात्मा से मिलन हो गया।थोड़ी देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे फिर, एक दूसरे को सहारा दिया, मैंने पयस्विनी से अन्दर झड़ने के लिए सॉरी कहा तो उसने कहा- मैं अभी पीरियड्स में हूँ इसलिए नो प्रॉब्लम !मैं भी खुश हो गया।इसके बाद हम दोनों बाथरूम में गए और साथ में नहाये और अगले एक महीने तक जब तक रामसिंह नहीं आ गया, चोदम-चुदाई करते रहे और उसके बाद भी जब भी मौका मिला एक दूसरे को मजे देते रहे।

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